पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
संसद प्रश्न: भूकंप संभावित क्षेत्रों में तैयारी की आवश्यकता
Posted On:
19 DEC 2024 1:25PM by PIB Delhi
कांगड़ा में 1905 में आया भूकंप, भारत के इतिहास में सबसे विनाशकारी भूकंपों में से एक है जो हिमाचल प्रदेश सहित हिमालयी क्षेत्र के इलाकों में भूकंपीय जोखिमों की याद दिलाता है। इस भूकंप के कारण व्यापक विनाश के साथ-साथ जान-माल की हानि भी हुई थी और क्षेत्र पर एक स्थायी प्रभाव पड़ा था। इसने भूकंप-संभावित क्षेत्रों में, बेहतर बुनियादी ढांचे, आपदा प्रबंधन रणनीतियों और सार्वजनिक जागरूकता के माध्यम से तैयारी की आवश्यकता को रेखांकित किया।
जल्द ही राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केन्द्र (एनसीएस)-पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा भारत के भूकंपीय नेटवर्क में 100 और भूकंपीय वेधशालाएं जोड़ी जाएंगी। साधारणतया, इस तरह की पहल का उद्देश्य बेहतर भूकंप निगरानी, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और भूकंपीय गतिविधि पर अनुसंधान करना होता है लेकिन परिचालन की समयसीमा अलग-अलग हो सकती है। वर्तमान में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस), 166 स्टेशनों वाले राष्ट्रीय नेटवर्क की मदद से देशभर में भूकंपीय गतिविधि की निगरानी करने वाली नोडल एजेंसी है। एनसीएस नियमित अध्ययन करता है और भूकंप के आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए भूकंपीय नेटवर्क बनाए रखता है और उन्नत तकनीक का उपयोग करके राष्ट्रीय और राज्य स्तर के विभिन्न हितधारकों को तक यह जानकारी पहुंचाता है। राष्ट्रीय भूकंपीय नेटवर्क द्वारा देशभर में और आसपास के क्षेत्रों में दर्ज किए गए भूकंप का विवरण एनसीएस की वेबसाइट (seismo.gov.in) पर उपलब्ध है।
हिमाचल प्रदेश में स्थायी भूकंपीय वेधशालाओं की संख्या सात है। इन वेधशालाओं और इस क्षेत्र तथा देशभर में होने वाले भूकंपों का विवरण एनसीएस की वेबसाइट (seismo.gov.in) पर उपलब्ध है। क्षेत्र में बढ़ती भूकंपीय गतिविधियों को देखते हुए सरकार हिमाचल प्रदेश में भी भूकंप की तैयारी और प्रतिक्रिया क्षमताओं को बेहतर बनाने के लिए वेधशालाओं के नेटवर्क का विस्तार करने की दिशा में प्रयास जारी रखेगी।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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