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विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) ने “100 दिवसीय कार्यक्रम” के तहत कई पहलों की शुरूआत की

Posted On: 19 SEP 2024 6:37PM by PIB Delhi

वस्त्र मंत्रालय के तत्वावधान में विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) के कार्यालय ने अपने "100 दिवसीय कार्यक्रम" के तहत शिल्प दीदी कार्यक्रम, 100 समूहों में कौशल विकास, वस्त्र गैलरी का उद्घाटन, राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय, नई दिल्ली और उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शिल्प ग्राम एवं सामान्य सुविधा केंद्र समेत कई पहलों की शुरूआत की।

शिल्प दीदी कार्यक्रम अपनी तरह का पहला ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम था, जिसमें 23 राज्यों के 72 जिलों की 100 महिला कारीगरों को जीएसटी पंजीकरण, इन्वेंट्री प्रबंधन के लिए आवेदन करने, अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए ऑर्डर और कैटलॉग प्रबंधन के लिए आवेदन करने में मदद करने अलावा ई-कॉमर्स पोर्टल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शामिल होने के लिए भी प्रशिक्षित किया गया। केंद्रीय वस्त्र मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने नई दिल्ली के आईएनए दिल्ली हाट में शिल्प दीदियों के साथ बातचीत की, उनकी चुनौतियों को समझा और जीएसटी, उद्यमिता विकास और उनकी आर्थिक यात्रा में सोशल मीडिया के महत्व को लेकर उन्हें प्रोत्साहित किया.. 100 दिनों के कार्यक्रम के दौरान 37 शिल्प दीदियों के लखपति बनने के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

विभिन्न समूहों के कारीगरों और बुनकरों के कौशल को बढ़ाने के लिए देश भर के 100 हस्तशिल्प और हथकरघा समूहों में "बुनकर और कारीगर उत्थान कार्यक्रम" शुरू किया गया था। वस्त्र राज्य मंत्री श्री पाबित्रा मार्गेरिटा ने 27 जुलाई 2024 को कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम के तहत चुनिंदा हस्तशिल्प समूहों में करीब 2100 कारीगरों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए 70 डिजाइन और कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए थे। कारीगरों को शिल्प अभ्यास के बारे में, उनके ज्ञान को और बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जिससे उनके उत्पादन और कमाई में वृद्धि हो सके।

इसके अलावा, सरकार की पहल के तहत, वस्त्र मंत्रालय ने बीपीसीएल के सहयोग से, राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय और हस्तकला अकादमी, नई दिल्ली में "परंपरा और नवाचार" नामक एक नई वस्त्र गैलरी की स्थापना की, जिसका उद्घाटन 8 अगस्त 2024 को केंद्रीय वस्त्र मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने किया। लगभग 150 पारंपरिक वस्त्रों को विभिन्न शैलियों और तकनीकों के साथ सात अलग-अलग श्रेणियों में प्रदर्शित किया गया है, जो इस प्रकार हैं- ए- कढ़ाई, बी- ब्लॉक प्रिंट और प्रतिरोधी रंगे कपड़े, सी- भारत के विभिन्न क्षेत्रों के ब्रोकेड के कपड़े, डी- कलमकारी, ई- भारत का लोकप्रिय वस्त्र साड़ी, एफ- भारत की बुनाई, जी- भारतीय वस्त्र उद्योग के लिए विश्वकर्मा कारीगरों द्वारा पुर्ननिर्मित किए गए कार्य । गैलरी के एक खंड को आज के भारत के युवा और प्रतिभाशाली डिजाइनरों द्वारा प्रयोग किए गए पारंपरिक वस्त्रों में नए नवाचारों को प्रदर्शित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

 

अंत में, दो महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचागत परियोजनाएँ, महेवा, नैनी, प्रयागराज में शिल्प पर्यटन गांव और फाफामऊ, प्रयागराज में टेराकोटा शिल्प के लिए सामान्य सुविधा केंद्र (सीएफसी) का उद्घाटन केंद्रीय कपड़ा मंत्री श्री गिरिराज सिंह द्वारा 13 सितंबर 2024 को किया गया। इन बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं को उत्तर प्रदेश के पारंपरिक कारीगरों की मदद के लिए, स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने और चुनिंदा समूहों के कारीगरों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए डिजाइन किया गया था। इसका उद्घाटन भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने में आए एक अहम बदलाव का प्रतीक है, जिसके तहत शिल्पकला के प्रोत्साहन को पर्यटन के साथ एकीकृत किया गया है और आधुनिक बुनियादी ढांचे में मदद करते हुए उत्पादकता में बढ़ोत्तरी की गई है। क्राफ्ट टूरिज्म विलेज, लिविंग क्राफ्ट टूरिज़्म को पर्यटन के साथ जोड़ने की एक नई अवधारणा है। गाँव में करीब 500 कारीगर एक ही स्थान पर साथ रहकर काम करते हैं और वहीं अपने उत्पाद बेचते हैं। इस गांव का मुख्य उद्देश्य, शिल्पकारों के उत्पादों का ज्यादा से ज्यादा प्रदर्शन करने और बिक्री बढ़ाने के लिए गाँव को पर्यटकों से जोड़ना है, ताकि कारीगरों की आजीविका सुरक्षा हो सके। गाँव में कॉमन डिस्प्ले और प्रदर्शनी क्षेत्रों, कार्यस्थल और बेहतर आवास सहित कई बेहतरीन बुनियादी ढाँचागत सुविधाएं भी प्रदान की गई हैं।

कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) का मक़सद कारीगरों को कम लागत पर आधुनिक तकनीक, कच्चे माल और सुविधाएं प्रदान करके, टेराकोटा उत्पादन को सुव्यवस्थित करना है। इस पहल से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के फाफामऊ के चुने हुए समूह में टेराकोटा शिल्प में शामिल 1,000 से अधिक कारीगरों का उत्थान होने की उम्मीद है, जिससे उन्हें आमदनी के बेहतर अवसर मिलेंगे।

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