प्रधानमंत्री कार्यालय
मन की बात की 113वीं कड़ी में प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ (25.08.2024)
Posted On:
25 AUG 2024 11:37AM by PIB Delhi
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। ‘मन की बात’ में, एक बार फिर, मेरे सभी परिवारजनों का स्वागत है। आज एक बार फिर बात होगी - देश की उपलब्धियों की, देश के लोगों के सामूहिक प्रयासों की। 21वीं सदी के भारत में, कितना ही कुछ ऐसा हो रहा है, जो विकसित भारत की नींव मजबूत कर रहा है। जैसे, इस 23 अगस्त को ही हम सब देशवासियों ने पहला National Space Day मनाया। मुझे विश्वास है कि आप सबने इस दिन को celebrate किया होगा, एक बार फिर चंद्रयान-3 की सफलता का जश्न मनाया होगा। पिछले वर्ष इसी दिन चंद्रयान-3 ने चाँद के दक्षिणी हिस्से में शिव-शक्ति Point पर सफलतापूर्वक landing की थी। भारत इस गौरवपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश बना।
साथियो, देश के युवाओं को Space Sector Reforms से भी काफी फायदा हुआ है, इसलिए मैंने सोचा, कि क्यों न आज, ‘मन की बात’ में Space Sector से जुड़े अपने कुछ युवा साथियों से बात की जाए। मेरे साथ बात करने के लिए Spacetech Start-Up GalaxEye की टीम जुड़ रही है। इस Start-Up को IIT-Madras के alumni ने शुरू किया था। ये सारे नौजवान आज हमारे साथ Phone Line पर मौजूद हैं - सूयश, डेनिल, रक्षित, किशन और प्रनित। आइए, इन युवाओं के अनुभवों को जानते हैं।
प्रधानमंत्री जी : Hello !
सभी युवा : Hello !
प्रधानमंत्री जी : नमस्ते जी !
सभी युवा(एक साथ): नमस्कार सर !
प्रधानमंत्री जी : अच्छा साथियो, मुझे ये देखकर खुशी होती है कि IIT-
Madras के दौरान हुई आपकी दोस्ती आज भी मजबूती से कायम है। यही वजह है कि आपने मिलकर GalaxEye शुरू करने का फैसला किया। और मैं आज जरा उसके विषय में भी जानना चाहता हूँ। इस बारे में बताइए। इसके साथ ही ये भी बताएं कि आपकी Technology से देश को कितना लाभ होने वाला है।
सूयश : जी मेरा नाम सूयश है। हम लोग साथ में जैसा आपने
बोला। सब लोग साथ में IIT-Madras में मिले। वहीं पर हम लोग सब पढ़ाई कर रहे थे, अलग-अलग years में थे। अपनी Engineering की। और उसी वक्त हम लोगों ने सोचा कि एक Hyperloop नाम का एक project है। जो हम लोग चाहते थे,साथ में करेंगे। उसी दौरान हमने एक team की शुरुआत की उसका नाम था ‘आविष्कार हाइपरलूप’ (Avishkar Hyperloop) जिसको लेकर हम लोग अमेरिका (America) भी गए। उस साल हम एशिया की इकलौती team थी, जो वहाँ गई और हमारे देश का जो झंडा है। उसको हमने फहराया। और हम top 20 teams में से थे जो out of around 1500 (Fifteen hundred) teams around the world।
प्रधानमंत्री जी : चलिए! आगे सुनने से पहले इसके लिए तो बधाई दे दूँ।
मैं…
सूयश : बहुत-बहुत धन्यवाद आपका। उसी उपलब्धि के दौरान
हम लोगों की दोस्ती काफी गहरी हुई और इस तरीके
के कठिन projects और tough projects करने का confidence भी आया। और उसी दौरान SpaceX को देख के और Space में जो आपने जो Open up किया एक privatization को जो 2020 में एक landmark decision भी आया। उसको लेकर हम लोग काफी excited थे। और मैं रक्षित को invite करना चाहूंगा बोलने के लिए कि हम क्या बना रहे हैं ? और उसका फायदा क्या है ?
रक्षित : जी, तो मेरा नाम रक्षित है। और इस technology से
हमको कैसे लाभ होगा ? मैं इसका उत्तर दूँगा।
प्रधानमंत्री जी : रक्षित आप उत्तराखंड में कहाँ से हैं ?
रक्षित : सर मैं अल्मोड़ा से हूँ।
प्रधानमंत्री जी : तो बाल मिठाई वाले हैं आप ?
रक्षित : जी सर। जी सर। बाल मिठाई हमारी favourite है।
प्रधानमंत्री जी : वो हमारा जो लक्ष्य सेन है, न, वो मेरे लिए regularly
बाल मिठाई खिलाता रहता है मुझे। हाँ रक्षित
बताइये।
रक्षित : तो हमारी जो ये technology है, ये अंतरिक्ष से बादलों के आर-पार देख सकती है और ये रात्रि में भी देख सकती है तो हम इससे देश के किसी भी कोने के ऊपर रोज एक साफ तस्वीर खींच सकते हैं। और ये जो data हमें आएगा इसका उपयोग हम दो क्षेत्रों में विकास करने के लिए करेंगे। पहला है, भारत को अत्यंत सुरक्षित बनाना। हमारे जो borders हैं और हमारे जो oceans हैं, seas हैं, उसके ऊपर रोज हम monitor करेंगे। और enemy की activities को monitor करेंगे और हमारी Armed Forces को intelligence provide करेंगे। और दूसरा है भारत के किसानों को सशक्त बनाना। तो हमने already एक product बनाया है भारत के झींगा किसानों के लिए जो अंतरिक्ष से उनके ponds के पानी की quality measure कर सकता है 1/10th of the current cost में। और हम चाहते हैं आगे जाते हुए हम दुनिया के लिए best quality satellite images generate करें और जो global issues है Global Warming जैसे इससे लड़ने के लिए हम दुनिया को best quality satellite data provide करें।
प्रधानमंत्री जी : इसका मतलब हुआ कि आपकी टोली जय जवान भी करेगी, जय किसान भी करेगी।
रक्षित : जी सर, बिल्कुल।
प्रधानमंत्री जी : साथियो, आप इतना अच्छा काम कर रहे हैं, मैं ये भी जानना चाहता हूँ कि आपकी इस technology का precision कितना है ?
रक्षित : सर हम less than 50 centimeter के resolution तक जा पाएंगे। और हम एक बार में approximately more than 300 square kilometer area को image कर पाएंगे।
प्रधानमंत्री जी : चलिए, मैं समझता हूँ कि ये बात जब देशवासी सुनेंगे तो उनको बड़ा गर्व होगा। लेकिन मैं एक और सवाल पूछना चाहूँगा।
रक्षित : जी सर।
प्रधानमंत्री जी : Space ecosystem बहुत ही vibrant हो रहा है। अब आपकी team इसमें क्या बदलाव देख रहे हैं ?
किशन : मेरा नाम किशन है, हमने ये GalaxEye शुरू होने के बाद से ही हमने IN-SPACe आते हुए देखा है और काफी सारे policies आते हुए देखे है ये, जैसे कि ‘geo-Spatial Data Policy’ and India Space Policy’ और हमने पिछले 3 साल में काफी बदलाव आते हुए देखा है और काफी processes और काफी infrastructure और काफी facilities, ISRO के ये available और काफी अच्छे तरीके से हुए है। जैसे कि हम ISRO में जाके testing कर सकते हैं हमारे hardware का, ये काफी आसान तरीके से अभी हो सकता है। 3 साल पहले वो processes उतने नहीं थे और ये काफी helpful रहा है हमारे लिए और काफी और Start-Ups के लिए भी। और recent FDI policies की वजह से और ये facilities availability की वजह से और Start-Ups को आने के लिए काफी incentive है और ऐसे Start-Ups आ के काफी easily और काफी अच्छे से development कर सकते हैं ऐसी field में जिसमें usually development करना बहुत costly और time consuming रहता है। But current policies और IN-SPACe के आने के बाद काफी चीजें आसान हुई हैं Start-Ups के लिए। मेरे मित्र डेनिल चावड़ा भी इस पर कुछ बोलना चाहेंगे।
प्रधानमंत्री जी : डेनिल बताइए...
डेनिल : सर, हमने एक और चीज observe किया है, हमने देखा है कि जो engineering के छात्र हैं उनकी सोच में बदलाव देखा है। वो पहले बाहर जाकर higher studies pursue करना चाहते थे और वहाँ काम करना चाहते थे और space domain में, but अब क्यूँकि India में एक space eco system बहुत अच्छी तरीके से आ रहा है, तो इस कारण वो लोग India वापस आ के इस eco system के part बनना चाहते हैं। तो ये काफी अच्छा feedback हमें मिला है और हमारी खुद की कंपनी में कुछ लोग वापस आ के काम कर रहे हैं इसी वजह से।
प्रधानमंत्री जी : मुझे लगता है कि आपने दोनों जो पहलू बताएँ, किशन ने और डेनिल दोनों ने, मैं जरूर मानता हूँ कि बहुत से लोगों का इस तरफ ध्यान नहीं गया होगा कि एक क्षेत्र में जब reform होता है, तो reform का कितने multiple effects होते हैं , कितने लोगों का लाभ होता है और जो आपके वर्णन से, क्योंकि आप उस field में है तो आपको ध्यान में जरूर आता है और आप ने observe भी किया है कि देश के नौजवान अब इस field में यहीं पर अपना भविष्य आजमाना चाहते हैं , अपने talent का उपयोग करना चाहते हैं। बहुत अच्छा observation है आपका। एक और सवाल में पूछना चाहूँगा, आप उन युवाओं को क्या संदेश देना चाहेंगे, जो Start-Ups और Space Sector में सफलता हासिल करना चाहते हैं।
प्रनित : मैं प्रनित बात कर रहा हूँ और मैं सवाल का जवाब दूंगा।
प्रधानमंत्री जी : हाँ प्रनित, बताइए।
प्रनित : सर, मैं अपने कुछ सालों के experience से दो चीजें बोलना चाहूँगा। सबसे पहली कि अगर अपने को Start-Up करना हो तो यही मौका है क्योंकि पूरी दुनिया में India आज वो देश है जो world का सबसे fastest growing economy है और इसका मतलब ये हुआ कि अपने पास opportunity बहुत ज्यादा है। जैसे मैं 24 साल की उम्र में ये सोच के proud feel करता हूँ कि अगले साल हमारी एक satellite launch होगी। जिसके basis पर अपनी government कुछ major decisions लेगी और उसमें हमारा छोटा सा एक contribution है। ऐसी कुछ national impact की projects से काम करने को मिले, ये ऐसी industry और ये ऐसा time है, given की ये Space Industry आज, अभी तक start हो रही है। तो मैं अपने युवा दोस्तों को यही बोलना चाहूँगा कि ये opportunity न सिर्फ impact की, but also उनके खुद के financial growth की और एक global problem solve करने की है। तो हम आपस में यही बात करते हैं कि बचपन में हम ये बोलते थे कि बड़े हो कर actor बनेंगे, sportsmen बनेंगे, तो यहाँ ऐसे कुछ चीजें होती थी। but अगर आज हम ये सुने कि कोई बड़ा हो कर ये बोलता है कि मुझे बड़ा हो कर entrepreneur बनना है, space industry में काम करना है। ये हमारे लिए बहुत proud moment है कि हम इस पूरे transformation में एक छोटा सा part play कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री जी : साथियो, एक प्रकार से प्रनित, किशन, डेनिल, रक्षित, सुयश जितनी मजबूत आपकी दोस्ती है उतना ही मजबूत आपका Start-Up भी है। तभी तो आप लोग इतना शानदार काम कर रहे हैं। मुझे कुछ साल पहले IIT-Madras जाने का अवसर मिला था और मैंने उस संस्थान के excellence को खुद अनुभव किया है। और वैसे भी IIT के संबंध में पूरे विश्व में एक सम्मान का भाव है और वहाँ से निकलने वाले हमारे लोग जब भारत के लिए काम करते हैं तो जरूर कुछ न कुछ अच्छा contribute करते हैं। आप सभी को और Space Sector में काम करने वाले दूसरे सभी Start-Ups को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं है, और आप पांचों साथियों से बात करके मुझे बहुत अच्छा लगा। चलिए, बहुत-बहुत धन्यवाद दोस्तों।
सुयश : Thank you so much!
मेरे प्यारे देशवासियो, इस साल मैंने लाल किले से बिना Political background वाले एक लाख युवाओं को Political system से जोड़ने का आहवाहन किया है। मेरी इस बात पर जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई है। इससे पता चलता है कि कितनी बड़ी संख्या में हमारे युवा, राजनीति में आने को तैयार बैठे हैं। बस उन्हें सही मौके और सही मार्गदर्शन की तलाश है। इस विषय पर मुझे देश-भर के युवाओं के पत्र भी मिले हैं। social media पर भी जबरदस्त response मिल रहा है। लोगों ने मुझे कई तरह के सुझाव भी भेजे हैं। कुछ युवाओं ने पत्र में लिखा है कि ये उनके लिए वाकई अकल्पनीय है। दादा या माता-पिता की कोई राजनीतिक विरासत नहीं होने की वजह से, वो, राजनीति में चाहकर भी नहीं आ पाते थे। कुछ युवाओं ने लिखा कि उनके पास जमीनी स्तर पर काम करने का अच्छा अनुभव है, इसलिए, वे लोगों की समस्याओं को सुलझाने में मददगार बन सकते हैं। कुछ युवाओं ने ये भी लिखा कि परिवारवादी राजनीति, नई प्रतिभाओं का दमन कर देती है। कुछ युवाओं ने कहा कि इस तरह के प्रयासों से हमारे लोकतंत्र को और मजबूती मिलेगी। मैं इस विषय पर सुझाव भेजने के लिए हर किसी का धन्यवाद करता हूँ। मुझे उम्मीद है कि अब हमारे सामूहिक प्रयास से ऐसे युवा, जिनका कोई Political background नहीं है, वे भी राजनीति में आगे आ सकेंगे, उनका अनुभव, और उनका जोश, देश के काम आएगा।
साथियो, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी समाज के हर क्षेत्र से ऐसे अनेकों लोग सामने आए थे, जिनकी कोई राजनीतिक पृष्टभूमि नहीं थी। उन्होनें खुद को भारत की आजादी के लिए झोंक दिया था। आज हमें विकसित भारत का लक्ष्य पाने के लिए एक बार फिर उसी spirit की जरूरत है। मैं अपने सभी युवा साथियों को कहूँगा इस अभियान से जरूर जुड़ें। आपका ये कदम अपने और देश के भविष्य को बदलने वाला होगा।
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘हर घर तिरंगा और पूरा देश तिरंगा’ इस बार ये अभियान अपनी पूरी ऊंचाई पर रहा। देश के कोने-कोने से इस अभियान से जुड़ी अद्भुत तस्वीरें सामने आई हैं। हमने घरों पर तिरंगा लहराते देखा - School, College, University में तिरंगा देखा। लोगों ने अपनी दुकानों, दफ्तरों में तिरंगा लगाया, लोगों ने अपने Desktop, Mobile और गाड़ियों में भी तिरंगा लगाया। जब लोग एक साथ जुड़कर अपनी भावना प्रकट करते हैं, तो इसी तरह हर अभियान को चार चाँद लग जाते हैं। अभी आप अपने TV Screen पर जो तस्वीरें देख रहे हैं, ये जम्मू-कश्मीर के रियासी की हैं। यहाँ 750 मीटर लंबे झंडे के साथ तिरंगा रैली निकाली गई और ये रैली दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब रेलवे ब्रिज पर निकाली गई। जिसने भी इन तस्वीरों को देखा, उसका मन खुशी से झूम उठा। श्रीनगर के डल लेक में भी तिरंगा यात्रा की मनमोहक तस्वीरें हम सबने देखी। अरुणाचल प्रदेश के ईस्ट कामेंग जिले में भी 600 फीट लंबे तिरंगे के साथ यात्रा निकाली गई। देश के अन्य राज्यों में भी इसी तरह, हर उम्र के लोग, ऐसी तिरंगा यात्राओं में शामिल हुए। स्वतंत्रता दिवस अब एक सामाजिक पर्व भी बनता जा रहा है, ये, आपने भी अनुभव किया होगा। लोग अपने घरों को तिरंगा माला से सजाते हैं। ‘स्वयं सहायता समूह’ से जुड़ी महिलाएं लाखों झंडे तैयार करती हैं। E-Commerce platform पर तिरंगे में रंगे सामानों की बिक्री बढ़ जाती है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देश के हर कोने, जल-थल-नभ - हर जगह हमारे झंडे के तीन रंग दिखाई दिए। हर घर तिरंगा website पर पाँच करोड़ से ज्यादा Selfie भी पोस्ट की गई। इस अभियान ने पूरे देश को एक सूत्र में बांध दिया है और यही तो ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ है।
मेरे प्यारे देशवासियो, इंसानों और जानवरों के प्यार पर आपने कितनी सारी फिल्में देखी होंगी ! लेकिन एक Real story इन दिनों, असम में बन रही है। असम में तिनसुकिया जिले के छोटे से गाँव बारेकुरी में, मोरान समुदाय के लोग रहते हैं और इसी गाँव में रहते हैं ‘हूलॉक गिबन’, जिन्हें यहाँ ‘होलो बंदर’ कहा जाता है। हूलॉक गिबन्स ने इस गाँव में ही अपना बसेरा बना लिया है। आपको जानकर आश्चर्य होगा - इस गाँव के लोगों का हूलॉक गिबन के साथ बहुत गहरा संबंध है। गाँव के लोग आज भी अपने पारंपरिक मूल्यों का पालन करते हैं। इसलिए उन्होंने वो सारे काम किए, जिससे गिबन्स के साथ उनके रिश्ते और मजबूत हों। उन्हें जब यह एहसास हुआ कि गिबन्स को केले बहुत पसंद हैं , तो उन्होंने केले की खेती भी शुरू कर दी। इसके अलावा उन्होंने तय किया कि गिबन्स के जन्म और मृत्यु से जुड़े रीति-रिवाजों को वैसे ही पूरा करेंगे, जैसा वे अपने लोगों के लिए करते हैं। उन्होंने गिबन्स को नाम भी दिए हैं। हाल ही में गिबन्स को पास से गुजर रहे बिजली के तारों के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे में इस गाँव के लोगों ने सरकार के सामने इस मामले को रखा और जल्द ही इसका समाधान भी निकाल लिया गया। मुझे बताया गया है कि अब ये गिबन्स तस्वीरों के लिए पोज भी देते हैं।
साथियो, पशुओं के प्रति प्रेम में हमारे अरुणाचल प्रदेश के युवा साथी भी किसी से पीछे नहीं हैं। अरुणाचल में हमारे कुछ युवा-साथियों ने 3-D printing technology का उपयोग करना शुरू किया है - जानते हैं क्यों ? क्योंकि, वो, वन्य जीवों को सींगों और दांतों के लिए शिकार होने से बचाना चाहते हैं। नाबम बापू और लिखा नाना के नेतृत्व में ये टीम जानवरों के अलग-अलग हिस्सों की 3-D printing करती है। जानवरों के सींग हों, दांत हों, ये सब, 3-D printing से तैयार होते हैं। इससे फिर ड्रेस और टोपी जैसी चीजें बनाई जाती हैं। ये गजब का Alternative है जिसमें Bio-degradable material का उपयोग होता है। ऐसे अद्भुत प्रयासों की जितनी भी सराहना की जाए कम है। मैं तो कहूँगा, अधिक से अधिक Start-ups इस क्षेत्र में सामने आएं ताकि हमारे पशुओं की रक्षा हो सके और परंपरा भी चलती रहे।
मेरे प्यारे देशवासियो, मध्य-प्रदेश के झाबुआ में, कुछ ऐसा शानदार हो रहा है, जिसे आपको जरूर जानना चाहिए। वहाँ पर हमारे सफाई-कर्मी भाई-बहनों ने कमाल कर दिया है। इन भाई-बहनों ने हमें ‘Waste to Wealth’ का संदेश सच्चाई में बदलकर दिखाया है। इस टीम ने झाबुआ के एक पार्क में कचरे से अद्भुत Art Works तैयार किया है। अपने इस काम के लिए उन्होंने आसपास के क्षेत्रों से plastic waste, इस्तेमाल की हुई bottles, tyres और pipes इकट्ठा किए। इन Art Work में हेलीकॉप्टर, कार और तोपें भी शामिल हैं। खूबसूरत हैंगिंग flower pots भी बनाए गए हैं। यहाँ इस्तेमाल किए गए टायरों का उपयोग आरामदायक bench बनाने के लिए किया गया है। सफाई कामगारों की इस टीम ने Reduce, Reuse और Recycle का मंत्र अपनाया है। उनके प्रयासों से पार्क बहुत ही सुंदर दिखने लगा है। इसे देखने के लिए स्थानीय लोगों के साथ ही आसपास के जिलों में रहने वाले भी यहाँ पहुँच रहे हैं।
साथियो, मुझे खुशी है कि आज हमारे देश में कई सारी Start-Up टीम भी पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए ऐसे प्रयासों से जुड़ रही है। e -Conscious नाम की एक टीम है, जो, plastic waste का उपयोग eco-friendly products बनाने में कर रही है। इसका idea उन्हें हमारे पर्यटन स्थलों, विशेषकर पहाड़ी इलाकों में फैले कचरे को देखकर के आया। ऐसे ही लोगों की एक और टीम ने Ecokaari नाम से start-up शुरू किया है। ये plastic waste से अलग-अलग खूबसूरत चीजें बनाते हैं।
साथियो, Toy Recycling भी ऐसा ही एक और क्षेत्र है, जिसमें हम मिलकर काम कर सकते हैं। आप भी जानते हैं कि कई बच्चे कितनी जल्दी खिलौनों से bore हो जाते हैं, वहीं, ऐसे बच्चे भी हैं, जो उन्हीं खिलौनों का सपना सँजोए होते हैं। ऐसे खिलौने जिससे अब आपके बच्चे नहीं खेलते, उन्हें आप ऐसी जगहों पर दे सकते हैं, जहाँ, उनका उपयोग होता रहे। ये भी पर्यावरण की रक्षा का एक अच्छा रास्ता है। हम सब मिलकर प्रयास करेंगे तभी पर्यावरण भी मजबूत होगा और देश भी आगे बढ़ेगा।
मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ ही दिन पहले हमने 19 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया। उसी दिन पूरी दुनिया में ‘विश्व संस्कृत दिवस’ भी मनाया गया। आज भी देश-विदेश में संस्कृत के प्रति लोगों का विशेष लगाव दिखता है। दुनिया के कई देशों में संस्कृत भाषा को लेकर तरह-तरह की research और प्रयोग हो रहे हैं। आगे की बात करने से पहले, मैं आपके लिए एक छोटी सी audio clip play कर रहा हूँ:
### Audio Clip#####
साथियो, इस audio का संबंध यूरोप के एक देश लिथुएनिया से है। वहाँ एक प्रोफेसर Vytis Vidūnas ने एक अनूठा प्रयास किया है और इसे नाम दिया है – ‘संस्कृत On the Rivers’. कुछ लोगों का एक group वहां नेरिस River के किनारे जमा हुआ और वहां उन्होंने वेदों और गीता का पाठ किया। यहाँ ऐसे प्रयास पिछले कुछ वर्षों से निरंतर जारी है| आप भी संस्कृत को आगे बढ़ाने वाले ऐसे प्रयासों को सामने लाते रहिए।
मेरे प्यारे देशवासियो, हम सबके जीवन में fitness का बहुत महत्व है। फिट रहने के लिए हमें अपने खानपान, रहन-सहन सब पर ध्यान देना होता है। लोगों को fitness के प्रति जागरूक करने के लिए ही “फिट इंडिया अभियान” की शुरुआत की गई। स्वस्थ रहने के लिए आज हर आयु, हर वर्ग के लोग, योग को अपना रहे हैं। लोग अपनी थाली में अब superfood millets यानि श्रीअन्न को जगह देने लगे हैं। इन सभी प्रयासों का उद्देश्य यही है कि हर परिवार स्वस्थ हो।
साथियो, हमारा परिवार, हमारा समाज, और हमारा देश, और इन सबका भविष्य, हमारे बच्चों की सेहत पर निर्भर है और बच्चों की अच्छी सेहत के लिए जरूरी है कि उन्हें सही पोषण मिलता रहे। बच्चों का nutrition देश की प्राथमिकता है। वैसे तो उनके पोषण पर पूरे साल हमारा ध्यान रहता है, लेकिन एक महीना, देश, इस पर विशेष focus करता है। इसके लिए हर साल 1 सितम्बर से 30 सितम्बर के बीच पोषण माह मनाया जाता है। पोषण को लेकर लोगों को जागरूक बनाने के लिए पोषण मेला, एनीमिया (anemia) शिविर, नवजात शिशुओं के घर की visit, seminar, webinar जैसे कई तरीके अपनाए जाते हैं। कितनी ही जगहों पर आंगनवाड़ी के तहत mother and child committee की स्थापना भी की गई है। ये कमेटी कुपोषित बच्चों, गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की माताओं को track करती है, उन्हें लगातार monitor किया जाता है, और उनके पोषण की व्यवस्था की जाती है। पिछले वर्ष पोषण अभियान को नई शिक्षा नीति से भी जोड़ा गया है। ‘पोषण भी पढ़ाई भी’ इस अभियान के द्वारा बच्चों के संतुलित विकास पर focus किया गया है। आपको भी अपने क्षेत्र में पोषण के प्रति जागरूकता वाले अभियान से जरूर जुड़ना चाहिए। आपके एक छोटे से प्रयास से, कुपोषण के खिलाफ, इस लड़ाई में बहुत मदद मिलेगी।
मेरे प्यारे देशवासियो, इस बार की ‘मन की बात’ में, इतना ही। ‘मन की बात’ में आपसे बात करके मुझे हमेशा बहुत अच्छा लगता है। ऐसा लगता है जैसे मैं अपने परिवारजनों के साथ बैठ करके हल्के-फुल्के वातावरण में अपने मन की बातें साझा कर रहा हूं। आपके मन से जुड़ रहा हूं। आपके feedback, आपके सुझाव, मेरे लिए बहुत ही मूल्यवान हैं। कुछ ही दिनों में अनेक त्योहार आने वाले हैं। मैं, आप सभी को उनकी ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ देता हूँ। जन्माष्टमी का त्योहार भी है। अगले महीने शुरुआत में ही गणेश चतुर्थी का भी पर्व है। ओणम का त्योहार भी करीब है। मिलाद-उन-नबी की भी बधाई देता हूं।
साथियो, इस महीने 29 तारीख को ‘तेलुगु भाषा दिवस’ भी है। यह सचमुच बहुत ही अद्भुत भाषा है। मैं दुनिया-भर के सभी तेलुगु भाषियों को ‘तेलुगु भाषा दिवस’ की शुभकामनाएं देता हूँ।
प्रपंच व्याप्तंगा उन्न,
तेलुगु वारिकि,
तेलुगु भाषा दिनोत्सव शुभाकांक्षलु।
साथियो, मैं आप सभी से बारिश के इस मौसम में सावधानी बरतने के साथ ही ‘Catch the Rain Movement’ का हिस्सा बनने का भी आग्रह दोहराऊँगा। मैं आप सभी को ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान की याद दिलाना चाहूँगा। ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं और दूसरों से भी इसका आग्रह करें। आने वाले दिनों में पेरिस में Paralympics शुरू हो रहे हैं। हमारे दिव्यांग भाई-बहन वहां पहुचे हैं। 140 करोड़ भारतीय अपने athlete और खिलाड़ियों को cheer कर रहे हैं। आप भी #cheer4bharat के साथ अपने खिलाड़ियों को प्रोत्साहन दीजिए। अगले महीने हम एक बार फिर जुड़ेंगे और बहुत सारे विषयों पर चर्चा करेंगे। तब तक के लिए – मुझे विदा दीजिए। बहुत-बहुत धन्यवाद। नमस्कार।
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