लक्ष्‍य और उपलब्धियां

प्रधानमंत्री का स्‍वतंत्रता दिवस 15 अगस्‍त, 2014 का संबोधन

क्र.सं.

वादे

उपलब्धि

 

 

01

प्रधानमंत्री जन-धन योजना

यह योजना एक नया मार्ग प्रशस्त करेगी। अत: ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ के तहत किसी भी खाता धारक को एक डेबिट कार्ड दिया जाएगा। हर गरीब परिवार को उस डेबिट कार्ड के साथ एक लाख यपये के बीमें की गारंटी दी जाएगी ताकि उनके जीवन में जब कोई गंभीर संकट आए तो एक लाख्‍ यपये के बीमे से इस तरह के परिवारों की समुचित आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा  28 अगस्त, 2014 को शुभारंभ किया गया।

·        सभी परिवारों के वित्तीय समावेशन का लक्ष्य

जुलाई 2018 तक प्रधानमंत्री जन धन योजना के अंतर्गत 32 करोड़ से भी अधिक खाते खोले गए

ग्रामीण/ अर्द्ध शहरी बैंक शाखाओं में लाभार्थियों की संख्या लगभग 19 करोड़

शहरी मेट्रो केंद्रों की बैंक शाखाओं में लाभार्थियों की संख्या 13 करोड़ से अधिक

जुलाई 2018 तक कुल जमा राशि 80,093 करोड़ रुपये से अधिक

●24.00 करोड़ से अधिक रुपे कार्ड जारी किए गए (जुलाई 2018 तक)

रुपे कार्ड वाले लाभार्थी 1 लाख रुपये का निजी दुर्घटना बीमा एवं 30,000 रुपये का जीवन बीमा कवर पाते हैं।

बैंकों द्वारा 1.26 लाख से अधिक बैंक मित्र नियुक्त किए गए।

 

 

 

 

02

मेक इन इं‍डिया

मैं लाल किले की प्राचीर से विश्‍व भर के लोगों से यह अपील करता हूँ ‘आओ, भारत में बनाओं’, ‘आओ, भारत में निर्माण करो’।

चाहे दुनिया के किसी भी देश में बेचो, लेकिन निर्माण यहीं करो। हमारे पास कुछ भी करने के लिए आवश्‍यक कौशल, प्रतिभा, अनुशासन और दृढ़संकल्‍प है। हम दुनिया को यहां अनुकूल अवसर देना चाहते हैं, जो यहां सुलभ है। आओ, भारत में निर्माण करो और हम पूरी दुनिया से यही कहेंगे, विद्युत से लेकर इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स तक, आओ, भारत में निर्माण करो, ऑटोमोबाइल से लेकर कृषि मूल्‍यवर्द्धन तक आओ भारत में निर्माण करो, कागज हो या प्‍लास्टिक, आओ, भारत में निर्माण करो, उपग्रह हो पनडुब्‍बी, आओ भारत में निर्माण करो। हमारा देश काफी सामर्थ्‍यान है।

·        प्रधानमंत्री द्वारा 25 सितंबर 2014 को -भारत को विनिर्माण का हब बनाने के लिए-आरंभ

·        सरकार और उद्योग के बीच साझीदारी बढ़ी है

·        मेक इन इंडिया पहल के आरंभ होने के बाद से, भारत सबसे तेज गति से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में उभरा है।

·        मोबाइल फोन विनिर्माण फैक्टरियों के लगभग चार वर्षों के दौरान केवल दो से बढ़ कर 120 होने के साथ भारत अब विश्व में मोबाइल फोन के विनिर्माण में दूसरे स्थान पर है जिससे रोजगार के लाखों अवसरों का सृजन हुआ है।

·        सैमसंग इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स प्रा. लिमिटेड के बड़े मोबाइल विनिर्माण संयंत्र का उद्घाटन नोएडा में लगभग 5000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ जुलाई 2018 में हुआ।

·        देश ने अप्रैल 2014 एवं मार्च 2018 के बीच 222.89 बिलियन एफडीआई के साथ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज कराई है।

·        भारत में, मेक इन इंडिया के आरंभ होने के बाद से देश में एफडीआई इक्विटी आवक में 62 फीसदी की उल्लेखनीय बढोतरी हुई है।

·        कुल एफडीआई आवक में वर्ष वार बढोतरी (बिलियन डॉलर में)

1) 2014-15 = 45.15

2) 2015-16 = 55.56

3) 2016-17 (अनंतिम)  = 60.22

4) 2017-18 (अनंतिम) = 61.96

 

·        21 फोकस क्षेत्रों के लिए 184 कार्य योजनाओं की निगरानी की जा रही है। 80 प्रतिशत अल्पकालिक एवं 54 प्रतिशत मध्यम कालिक कार्य योजनाओं का पहले ही कार्यान्वयन हो चुका है। फोकस क्षेत्र एयरोस्पेस एवं रक्षा, उड्डयन, मूलभूत धातु एवं सीमेंट, जैव प्रौद्योगिकी, कैपिटल वस्तुएं एवं ऑटोमोटिव, रसायन एवं पेट्रो रसायन, खाद्य प्रसंस्करण, रत्न एवं जवाहरात, आईसीटीई विनिर्माण, चमड़ा एवं चमड़े के उत्पाद, मीडिया एवं मनोरंजन, एमएसएमई, नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा, तेल एवं गैस, फार्मास्यूटिकल्स, बंदरगाह एवं जहाजरानी, बिजली, रेलवे, कौशल विकास, कपड़ा एवं परिधान, पर्यटन।

·        विश्व बैक के व्यवसाय करने की सरलता सूचकांक में भारत की रैंकिंग में 30 स्थान का सुधार-यह 2016 के 130 से बढ़कर 2017 में 100 पर आ गया (एक वर्ष में एक देश में अब तक की सबसे बड़ी उछाल)

 

 

 

 

 

03

कौशल भारत

यदि हमें अपने देश्‍ को तेजी से विकास के पथ पर ले जाना है तो हमारा मिशन होना चाहिए ‘कौशल विकास’ और ‘कुशल भारत’। भारत के करोड़ों युवाओं को अपना कौशल बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए और इसके लिए देश भर में पुरातन प्रणालियों के बजाय एक समुचित नेटवर्क होना चाहिए। इन युवाओं को ऐसे कौशल की प्राप्ति पर अपना घ्‍यान केंद्रित करना चाहिए जो भारत को एक आधुनिक राष्‍ट्र बनाने में भरपूर योगदान दे सके। जब भी वे दुनिया के किसी भी देश में जाएं तसे उनके कौशल की अवश्‍य ही सराहना होनी चाहिए। हम द्विआयामी विकास के लिए प्रयास करना चाहते हैं।

 

स्किल इंडिया का लक्ष्य अकुशल लोगों को कौशल प्रदान करने एवं लाभदायक रोजगार के लिए कौशलों को बढ़ाना है।

·        विभिन्न क्षेत्रों के तीन करोड़ लोगों को विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये पिछले तीन वर्षों के दौरान कौशलों को प्राप्त करने एवं अपने कौशलों को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

·        राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के अल्पकालिक “शुल्क आधारित कौशल विकास मॉडल के तहत प्रत्याशियों में 164 प्रतिशत की बढोतरी। एनएसडीसी द्वारा अभी तक 1 करोड़ से अधिक को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

·        लगभग 15 लाख से अधिक सीटों के साथ 3356 नए आईटीआई जोड़े गए-वर्तमान में 30.57 लाख की सीटिंग क्षमता के साथ कुल 14,254 आईटीआई विद्यमान हैं

·        औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में सीटों की संख्या में 54 प्रतिशत की बढोतरी

·        451 अत्याधुनिक प्रधानमंत्री कौशल केंद्रों की स्थापना जिला स्तर पर ही कौशल विकास कार्यक्रमों की सहायता करने के लिए की गई।

·        4455 करोड़ रुपये के कॉर्पस के साथ संकल्प परियोजना एवं 2,200 करोड़ रुपये के बराबर की स्ट्राइव परियोजना राज्यों में कौशल विकास को सुदृढ़ बनाने के लिए आरंभ की गई।

·        रोजगारों में वैश्विक गतिशीलता बढ़ाने के लिए 16 भारतीय अंतर्राष्ट्रीय कौशल केंद्रों (आईआईएससी) को आरंभ किया गया।

·        आज की तारीख तक कौशल विकास के लिए सभी क्षेत्रों में सीएसआर के तहत उद्योगों द्वारा 160 करोड़ रुपये से अधिक की प्रतिबद्धता की गई।

·        अबु धाबी में 44वां विश्व कौशल प्रतियोगिताः भारत ने एक रजत, एक कांस्य और उत्कृष्टता के नौ पदक जीते तथा अपनी पसंद के कौशलों में अपनी धाक जमाई। इसके अतिरिक्त टीम इंडिया ने पेटिसरी एवं कंफेक्शनरी में रजत पदक तथा प्रोटोटाइप मॉडलिंग में कांस्य पदक हासिल किया।

 

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजनाः

·        15.07.2015 को आरंभ की गई।

·        इसका उद्देश्य प्रमाणन एवं युवाओं के बीच रोजगारपरकता अवसरों को बढ़ाने के जरिए कौशलों को बढ़ाते हुए देश भर में औपचारिक अल्पकालिक कौशल प्रशिक्षण उपलब्ध कराना है।

·        36 सेक्टरों में इसके 7216 प्रशिक्षण केन्द्रों के जरिए पीएमकेवीवाई के तहत 40 लाख से अधिक प्रत्याशियों को प्रशिक्षित किया गया है।

·        30 लाख में से, नौ लाख से अधिक प्रत्याशियों का नामांकन किया गया है तथा पूर्व सीख मान्यता (आरपीएल) कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित किया गया है।

·        पीएमकेवीवाई 30 राज्यों तथा सात केन्द्रशासित प्रदेशों में 34 क्षेत्रों में प्रशिक्षण दे रही है एवं परिचालन कर रही है।

 

प्रधानमंत्री कौशल केन्द्रः

·        कौशल विकास प्रशिक्षण के लिए 531 पीएमकेके का आवंटन किया गया है, जिसमें से 451 केन्द्रों का परिचालन हो चुका है।

राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्द्धन योजनाः

·        2019-20 तक 50 लाख प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित करने के लक्ष्य के साथ प्रशिक्षुता प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए 19 अगस्त, 2016 को आरंभ की गई।

·        योजना को आरंभ किए जाने के बाद से 9.5 लाख प्रशिक्षुओं का पंजीकरण किया जा चुका है।

·        अगस्त, 2016 में एनएपीएस आरंभ करने के बाद से लगभग 7 लाख प्रशिक्षु प्रशिक्षुता प्रशिक्षण पूरा कर चुके हैं या प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।

 

 

 

04

डिजिटल इंडिया

मेरा यह कहना है कि आज आईटी ही एक ऐसा साधन है जो देश के प्रत्‍येक नागरिक को आपस में कनेक्‍ट करने की क्षमता रखती है। यही कारण है कि हम ‘डिजिटल इंडिया’ की मदद से एकता के मंत्र को साकार करना चाहते हैं। भाइयों और बहनों, यदि हम इन सभी के साथ आगे बढ़ते हैं तो मुझे पक्‍का भरोसा है किडिजिटल इंडिया’ में पूरी दुनिया के साथ बराबरी के स्‍तर पर खड़े होने की क्ष्‍ज्ञमता होगी। हमारे देश  के युवाओं में यह क्षमता है, यह उनके लिए एक अवसर है?

प्रधानमंत्री द्वारा 1 जुलाई, 2015 को डिजिटल इंडिया कार्यक्रम आरंभ किया गया, जिसका लक्ष्य भारत को डिजिटल रूप से एक सशक्त सोसायटी तथा ज्ञान अर्थव्यवस्था के रूप में रूपांतरित करना है।

(i)   कॉमन सर्विस सेंटर-

·        ग्रामीण क्षेत्रों में किफायती लागत पर डिजिटल सेवाओं की सुविधा प्रदान करने के लिए 2.10 लाख ग्राम पंचायतों में तीन लाख से अधिक डिजिटल सेवा प्रदायगी केन्द्रों का एक विशाल नेटवर्क बनाया गया।

·        इन केन्द्रों ने ग्रामीण उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के जरिए 10 लाख से अधिक रोजगारों, जिसमें से 54,800 महिलाएं हैं, के सृजन के द्वारा समाज के सीमांत वर्गों का सशक्तिकरण किया।

(ii)  पीएमजीडीआईएसएचए-

·        प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षर अभियान के तहत 6 करोड़ वयस्कों को डिजिटल रूप से साक्षर बनाने के लिए विश्व का यह सबसे बड़ा डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम है।

·        अभी तक लगभग 1.23 करोड़ व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है एवं 64.42 लाख व्यक्तियों को प्रमाणित किया जा चुका है।

(iii)  डिजिटल भुगतान-

·        पिछले चार वर्षों के दौरान डिजिटल भुगतान सौदों में कई गुना बढ़ोत्तरी हुई है, जो 2014-15 के 335 करोड़ सौदों से बढ़कर 2017-18 में 2070 करोड़ सौदों तक पहुंच गया है।

·        भीम ऐप पैसे भेजने, प्राप्त करने तथा विभिन्न सुविधा बिलों के भुगतान के लिए सबसे प्रमुख डिजिटल भुगतान माध्यमों में से एक है। जून, 2018 में 6261 करोड़ रुपये के मूल्य के 163 लाख से अधिक सौदों में भीम ऐप का उपयोग किया गया।

(iv)  उमंग-

·        यह एक एकल मोबाइल ऐप है, जो 253 से अधिक सरकारी सेवाओं को प्रस्तुत करता है।

·        नवंबर, 2017 में इसके लांच के बाद से छह मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं ने इस ऐप को डाउनलोड किया है।

(v)  सेवाओं की डिजिटल अदायगी अब आम लोगों के लिए निम्नलिखित डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए आसानी से उपलब्ध है-

·        राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल में पिछले तीन वर्षों में संवितरित 5295 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति के साथ 1.8 करोड़ छात्र पंजीकृत हैं।

·        आधार डिजिटल पहचान का उपयोग करते हुए पेंशनरों के प्रमाणन में सुगमता के लिए जीवन प्रमाण। 1.70 करोड़ डिजिटल जीवन प्रमाण-पत्र 2014 से अब तक प्रस्तुत किए जा चुके हैं।

·        चिकित्सकों तक रोगियों की सरल पहुंच सुनिश्चित करने के लिए ई-हॉस्पीटल एवं ऑनलाइन पंजीकरण सेवाएं आरंभ की गईं। 232 अस्पतालों में क्रियान्वित की गईं। सितंबर, 2015 के बाद से सभी राज्यों में 3.29 करोड़ ई-हॉस्पीटल लेनदेन किए गए।

·        डिजिलॉकरः 1.29 करोड़ से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ताओं के साथ डिजिलॉकर एकल प्लेटफॉर्म पर डिजिटल प्रारूप में 246 करोड़ से अधिक प्रमाण-पत्रों तक सुविधा उपलब्ध कराता है।

(vi)  घरेलू इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण में वृद्धि हुई है

·        2014 में दो इकाइयों से अब हमारे पास 120 मोबाइल हैंडसेट एवं कम्पोनेंट विनिर्माण इकाइयां हैं। इसने 4.5 लाख रोजगार अवसरों (प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष) का सृजन किया है।

·        देश में एलसीडी/एलईडी टीवी की लगभग 35 विनिर्माण इकाइयां एवं एलईडी उत्पादों की 128 इकाइयां हैं।

·        इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी) योजना के तहत, एमईआईटीवाई ने देश भर में 15 राज्यों में 23 परियोजनाओं को अनुमोदन प्रदान किया है।

(vii)  भारतनेट

·        ब्रॉडबैंड की सक्षमकारी प्रदायगी एवं सुदूर के ग्रामीण क्षेत्रों में कई अन्य डिजिटल सेवाओं के उद्देश्य के साथ उच्च गति ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क के माध्यम से देश में सभी 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ना।

·        एक लाख ग्रामीण पंचायतों को कवर करने का परियोजना का पहला चरण दिसंबर, 2017 में पूरा हो गया है।

·        सरकार ने 42,068 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से जुलाई, 2017 में भारतनेट की एक संशोधित कार्यान्वयन कार्यनीति को अनुमोदित कर दिया है।

·        परियोजना का दूसरा चरण, जिसका उद्देश्य शेष 1.5 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ना है, संशोधित कार्यनीति के अनुसार मार्च, 2019 तक पूरा हो जाना है।

·        ब्रॉडबैंड कनेक्शनों की कुल संख्या में पांच गुना बढ़ोत्तरी हुई, जो 2014 के 61 मिलियन से बढ़कर 2017 में 300 मिलियन से ऊपर हो गई।

·        ब्रॉडबैंड कनेक्शनों में बढ़ोत्तरी पिछले तीन वर्षों के दौरान दूरसंचार अवसंरचना के दोगुने हो जाने के जरिए संभव हो पाई है।

·        दूरसंचार आधारभूत केन्द्रों की संख्या 2014 के 7.9 लाख से बढ़कर 2017 में 16.8 लाख पहुंच गई है और ऑप्टिकल फाइबर की मौजूदगी 2014 के सात लाख किलोमीटर से बढ़कर 2017 में 14 लाख किलोमीटर तक पहुंच गई है।

 

 

 

 

05

स्‍वच्‍छ भारत अभियान

यदि सवा सौ करोड़ देशवासी यह निर्णय लेते हैं कि वे कभी गंदगी नहीं फैलाएंगे तो विश्‍व की किस शक्ति में क्षमता है कि हमारे शहरों और गांवों में गंदगी फैला सके। क्‍या हम इतना संकल्‍प नहीं कर सकते?

भाइयो और बहनो, 2019 में महात्‍मा गांधी की 150वीं जन्‍म जयंती होगी। हम महात्‍मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ कैसे मनाएं? महात्‍मा गांधी, जिन्‍होंने हमें स्‍वतंत्रता दी, जिन्‍होंने विश्‍व में ऐसे बड़े देश को सम्‍मान दिलाया हम उस महात्‍मा गांधी को क्‍या देंगे? भाइयो और बहनो, महात्‍मा गांधी हृदय से साफ-सफाई और स्‍वच्‍छता चाहते थे। क्‍या हम यह संकल्‍प ले सकते हैं कि महात्‍मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ 2019 तक हम अपने गांव, शहर, गली, इलाका, स्‍कूल, मंदिर और अस्‍पताल में गंदगी नहीं रहने देंगे? तो यह काम केवल सरकार से नहीं होता बल्कि लोगों की भागीदारी से होता है इसलिए हमें यह काम मिलकर करना है।  

·        एक साफ एवं स्वच्छ भारत के महात्मा गांधी के स्वप्न को पूरा करने के लिए 2.10.2014 को आरंभ किया गया।

·        स्वच्छ भारत मिशन के आरंभ के बाद से 7.82 करोड़ से अधिक घरों में शौचालयों का निर्माण किया गया।

·        आज की तारीख तक लगभग चार लाख गांवों, 417 जिलों एवं 19 राज्यों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है।

·        एकल शौचालय के लिए प्रोत्साहन राशि बढ़कर 12 हजार रुपये हो चुकी है।

·        देश में कुल स्वच्छता कवरेज आज की तारीख तक 88 प्रतिशत के अधिक स्तर पर पहुंच गई है।

·        स्वच्छ भारत मिशन के स्वच्छ प्रतिष्ठित स्थानों (एसआईपी) की प्रमुख परियोजना के तीसरे चरण के तहत 10 नए प्रतिष्ठित स्थलों को चुना गया है। ये नए स्थल पहले एवं दूसरे चरण के तहत 20 प्रतिष्ठित स्थलों में शामिल हो चुके हैं, जहां विशेष स्वच्छता कार्य पहले से ही प्रगति पर है।

·        पांच राज्यों में 52 जिलों में गंगा नदी के तटों के साथ 4480 गांव ओडीएफ गांव हैं।

 

 

06

सांसद आदर्श ग्राम योजना

हमारे देश में प्रधान मंत्री के नाम पर कई योजनाएं चल रही हैं, …लेकिन मैं आज सांसद के नाम पर एक योजना घोषित करता हूं - "सांसद आदर्श ग्राम योजना"।…..मैं सांसदों से आग्रह करता हूं कि वे अपने इलाके में तीन हजार से पांच हजार के बीच का कोई भी गांव पसंद कर लें…हर सांसद 2016 तक अपने इलाके में एक गांव को आदर्श गांव…और 2016 के बाद, जब 2019 में वह चुनाव के लिए जाए, उसके पहले और दो गांवों को करे और 2019 के बाद हर सांसद, 5 साल के कार्यकाल में कम से कम 5 आदर्श गांव अपने इलाके में बनाए। …. 11 अक्टूबर को जयप्रकाश नारायण जी की जन्म जयंती है। मैं 11 अक्टूबर को जयप्रकाश नारायण जी की जन्म जयंती पर एक "सांसद आदर्श ग्राम योजना" का कम्प्लीट ब्ल्यूप्रिंट सभी सांसदों के सामने रख दूंगा, सभी राज्य सरकारों के सामने रख दूंगा और मैं राज्य सरकारों से भी आग्रह करता हूं कि आप भी इस योजना के माध्यम से, अपने राज्य में जो अनुकूलता हो, वैसे सभी विधायकों के लिए एक आदर्श ग्राम बनाने का संकल्प करिए।  आप कल्पना कर सकते हैं, देश के सभी विधायक एक आदर्श ग्राम बनाएं, सभी सांसद एक आदर्श ग्राम बनाएं। देखते ही देखते हिन्दुस्तान के हर ब्लॉक में एक आदर्श ग्राम तैयार हो जाएगा, जो  हमें गांव की सुख-सुविधा में बदलाव लाने के लिए प्रेरणा दे सकता है, हमें नई दिशा दे सकता है और इसलिए इस “सांसद आदर्श ग्राम योजना” के तहत हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

·        गांवों के समग्र विकास के लिए प्रधानमंत्री द्वारा 11 अक्टूबर, 2014 को सांसद आदर्श ग्राम योजना आरंभ की गई।

·        सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) के पहले चरण के तहत देश भर में सांसदों ने 703 ग्राम पंचायतों को गोद लिया है और 4 जुलाई, 2018 तक एसएजीवाई के दूसरे और तीसरे चरण के तहत 689 और ग्राम पंचायतों को इसके तहत लाया गया है।

·        अभी तक 57,879 कार्यकलापों सहित 1066 ग्राम पंचायतों द्वारा ग्राम विकास योजनाएं तैयार की गई हैं, जिसमें से 26,197 (45 प्रतिशत) कार्यकलाप पहले ही पूर्ण हो चुके हैं।

 

 

 

 

07

नीति आयोग

अगर भारत को आगे ले जाना है, तो यह राज्यों को आगे ले जाकर ही होने वाला है।  भारत के फेडेरल स्ट्रक्चर की अहमियत पिछले 60 साल में जितनी थी, उससे ज्यादा आज के युग में है।  हमारे संघीय ढाँचे को मजबूत बनाना, हमारे संघीय ढाँचे को चेतनवंत बनाना, हमारे संघीय ढाँचे को विकास की धरोहर के रूप में काम लेना, मुख्य मंत्री और प्रधान मंत्री की एक टीम का फॉर्मेशन हो, केन्द्र और राज्य की एक टीम हो, एक टीम बनकर आगे चले, तो इस काम को अब प्लानिंग कमीशन के नए रंग-रूप से सोचना पड़ेगा।  इसलिए लाल किले की इस प्राचीर से एक बहुत बड़ी चली आ रही पुरानी व्यवस्था में उसका कायाकल्प भी करने की जरूरत है, उसमें बहुत बदलाव करने की आवश्यकता है। 

·        नीति आयोग की शाषी परिषद, जिसे प्रधानमंत्री द्वारा टीम इंडिया करार दिया गया है, राज्यों और केन्द्र सरकार के बीच नियमित संवाद सुनिश्चित करने के लिए एक प्लेटफॉर्म के रूप में उभर कर आया है।

·        केन्द्र प्रायोजित योजना पर मुख्यमंत्रियों के विभिन्न उप-समूहों का गठन किया गया हैः स्वच्छ भारत मिशन, कौशल विकास एवं मनरेगा तथा नवीनतम कृषि क्षेत्र के बीच समन्वय कार्यनीति पर।

·        कृषि विकास, बीमा एवं भारत में गरीबी उन्मूलन पर कार्यबल विद्यमान हैं।

·        नीति आयोग की नीतियों और कार्यक्रमों का निर्माण राज्यों की विशिष्ट विकास संबंधी प्राथमिकताओं को ध्यान में रखकर किया गया है, जैसे किः

 

Ø 115 आकांक्षी जिलों पर फोकस करते हुए स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, मूलभूत अवसंरचना एवं गरीबी जैसे प्रमुख संकेतकों में सुधार लाने के लिए आकांक्षीपूर्ण जिला कार्यक्रम – पहल।

Ø रूपांतरकारी मानव पूंजी के लिए टिकाऊ कदम (एसएटीएच पहल)

Ø द्वीपों का समग्र विकास

Ø अटल नवोन्मेषण मिशन - अटल टिंकरिंग लैब्स की स्थापना के लिए 5000 से अधिक विद्यालयों का चयन किया गया।

Ø राज्यों को विकास समर्थन सेवाएं

Ø पूर्वोत्तर फोरम का निर्माण

·        स्वस्थ राज्यों, प्रगतिशील भारत (स्वास्थ्य सूचकांक), संयुक्त जल प्रबंधन सूचकांक (सीडब्ल्यूएमआई) जैसे विभिन्न सूचकांकों ने भारत सरकार के प्रमुख थिंक टैंक के रूप में नीति आयोग की भूमिका को रेखांकित करते हुए प्रतिस्पर्धी संघवाद के आदर्शों को बढ़ावा दिया है।

 

08

महिलाओं एवं अवयस्कों के खिलाफ अपराध पर कानून

भाइयो-बहनो, आज जब हम बलात्कार की घटनाओं की खबरें सुनते हैं, तो हमारा माथा शर्म से झुक जाता है।… भाइयो-बहनो, कानून अपना काम करेगा, कठोरता से करेगा, लेकिन समाज के नाते भी, हर मां-बाप के नाते हमारा दायित्व है।

 

1.  बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

·        प्रधानमंत्री द्वारा 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा के पानीपत में आरंभ किया गया।

·        8 मार्च, 2018 को इसे पूरे देश में विस्तारित कर दिया गया।

·        2017-18 से 2019-20 तक 1132.5 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ 100 प्रतिशत केन्द्रीय क्षेत्र योजना।

·        अप्रैल-मार्च, 2015-16 एवं 2016-17 के बीच की अवधि में 161 जिलों के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के नवीनतम एचएमआईएस डाटा के अनुसार उत्साहवर्द्धक रूझान प्रदर्शित हुए हैं, जिससे संकेत मिलता है कि;

o   104 बीबीबीपी में एसआरबी में सुधार के रूझान।

o   पहले त्रैमासिक अवधि पंजीकरण में 119 जिलों में प्रगति दर्ज की गई।

o   रिपोर्ट किए गए प्रसव पूर्व देखभाल पंजीकरणों में संस्थागत प्रसूतियों में 146 जिलों में सुधार दर्ज किया गया है।

2.  महिलाओं एवं अवयस्कों के खिलाफ अपराध पर कानून को मजबूत बनाया गयाः

·        आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक, 2018 – में 12 वर्ष से कम आयु की बच्चियों के साथ बलात्कार के अभियुक्तों के लिए मौत की सजा सहित सख्त दंड का प्रावधान है।

·        गृह मंत्रालय ने व्यापक रूप से महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर ध्यान देने के लिए एक नया प्रभाग – “महिला सुरक्षा प्रभाग” का गठन किया है।

·        पुलिस बलों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण।

·        केन्द्र सरकार द्वारा आंशिक वित्तपोषण (50 प्रतिशत) के साथ 2015-18 के बीच विभिन्न राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के लिए 48 जांच (आईयूसीएडब्ल्यू) इकाइयों का गठन किया गया है। राज्यों ने खुद से ऐसी और अधिक इकाइयों का गठन किया है।

·        महिलाओं की सुरक्षा एवं हिफाजत के लिए विशेष महिला बल स्वयं सेवकों (एसएमपीवी) की तैनाती।

·        ऐसी महिलाओं के लिए जिन्हें सहायता की आवश्यकता है, महिला हेल्पलाइन (181) का सार्वभौमिकीकरण। 29 राज्यों ने पहले ही यह सुविधा स्थापित कर रखी है।

·        महिलाओं में विश्वास भरने, मुसीबतग्रस्त महिलाओं की सहायता करने तथा दिल्ली में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा जनवरी, 2015 में मोबाइल ऐप “हिम्मत” लांच की गई।

·        एनईआर के बाहर पूर्वोत्तर के निवासियों के लिए सुरक्षा एवं हिफाजत।

o   दिल्ली पुलिस में पूर्वोत्तर के निवासियों का अधिक प्रतिनिधित्व।

o   उत्तर-पूर्व राज्यों से 456 कर्मचारी (318 पुरूष एवं 138 महिला) 2014-17 तक दिल्ली पुलिस में एसीपी से कांस्टेबल के स्तर तक भर्ती हुए।

 

·        खोए हुए बच्चों के बचाव के लिए जुलाई, 2015 में ऑपरेशन मुस्कान एवं जनवरी, 2016 में ऑपरेशन स्माइल।

·        अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स (सीसीटीएनएस) – 14,363 पुलिस थाने (पुलिस थानों का 92.1 प्रतिशत) अभी तक एक सिंगल प्लेटफॉर्म पर आपस में जुड़ चुके हैं।

·        महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम (सीसीपीडब्ल्यूसी) योजना का लगभग 195 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ कार्यान्वयन किया जा रहा है।