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Press Information Bureau
Government of India
श्रम और रोजगार मंत्रालय
16 NOV 2018 8:24PM by PIB Delhi
‘मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना’ के बारे में स्पष्टीकरण

मीडिया के एक वर्ग में  मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना से जुड़ी कुछ रिपोर्ट आई हैं। इस संबंध में  श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने निम्नलिखित स्पष्टीकरण दिया है –

 

 पृष्ठभूमि- (i) मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के दायरे में वे कारखाने, खदानें, बागान, दुकानें एवं प्रतिष्ठान और अन्य निकाय आते हैं, जहां 10 अथवा उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य कुछ विशेष प्रतिष्ठानों में शिशु के जन्म से पहले और उसके बाद की कुछ विशेष अवधि के लिए वहां कार्यरत महिलाओं के रोजगार का नियमन करना और उन्हें मातृत्व लाभ के साथ-साथ कुछ अन्य फायदे भी मुहैया कराना है। मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 के जरिए इस अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसके तहत अन्य बातों के अलावा महिला कर्मचारियों के लिए सवेतन मातृत्व अवकाश की अवधि 12 हफ्तों से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दी गई है।

 

(ii) वैसे तो इस प्रावधान पर अमल सार्वजनिक क्षेत्र के लिए अच्छा है, लेकिन इस आशय की रिपोर्ट आई हैं कि यह निजी क्षेत्र के साथ-साथ अनुबंध या ठेके पर काम करने वाली महिलाओं के लिए ठीक नहीं है। इस आशय की व्यापक धारणा है कि निजी क्षेत्र के निकाय महिला कर्मचारियों को प्रोत्साहित नहीं कर रहे हैं, क्योंकि यदि उन्हें रोजगार पर रखा जाता है तो उन्हें विशेषकर 26 हफ्तों का सवेतन मातृत्व अवकाश देना पड़ सकता है। इसके अलावा, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय को भी विभिन्न हलकों से इस आशय की शिकायतें मिल रही हैं कि जब नियोक्ता को यह जानकारी मिलती है कि उनकी कोई महिला कर्मचारी  गर्भवती है अथवा वह मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन करती है तो किसी ठोस आधार के बिना ही उनके अनुबंध को निरस्त कर दिया जाता है। श्रम मंत्रालय को इस आशय के अनेक ज्ञापन मिले हैं कि किस तरह से मातृत्व अवकाश की बढ़ी हुई अवधि महिला कर्मचारियों के लिए नुकसानदेह साबित हो रही है, क्योंकि मातृत्व अवकाश पर जाने से पहले ही किसी ठोस आधार के बिना ही उन्हें या तो इस्तीफा देने को कहा जाता है अथवा उनकी छंटनी कर दी जाती है।

(iii) इसलिए श्रम एवं रोजगार मंत्रालय एक ऐसी प्रोत्साहन योजना पर काम कर रहा है, जिसके तहत उन नियोक्ताओं को 7 हफ्तों का पारिश्रमिक वापस कर दिया जाएगा, जो 15,000/- रुपये तक की वेतन सीमा वाली महिला कर्मचारियों को अपने यहां नौकरी पर रखते हैं और 26 हफ्तों का सवेतन मातृत्व अवकाश देते हैं। इसके लिए कुछ शर्तें भी तय की गई हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि प्रस्तावित प्रोत्साहन योजना पर अमल करने से भारत सरकार, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय को लगभग 400 करोड़ रुपये के वित्तीय बोझ को वहन करना होगा।

 

प्रमुख प्रभावः प्रस्तावित योजना यदि स्वीकृत और कार्यान्वित कर दी जाती है तो वह इस देश की महिलाओं को पर्याप्त सुरक्षा एवं सुरक्षित परिवेश सुनिश्चित करने के साथ-साथ रोजगार एवं अन्य स्वीकृत लाभों तक उनकी समान पहुंच भी सुनिश्चित करेगी। इसके अलावा, महिलाएं शिशु की देखभाल के साथ-साथ घरेलू कार्य भी अच्छे ढंग से निपटा सकेंगी।

 

प्रस्ताव की वर्तमान स्थितिः मीडिया में इस आशय की कुछ रिपोर्ट आई हैं कि इस योजना को मंजूरी दे दी गई है/अधिसूचित कर दिया गया है। हालांकि, यह स्पष्ट किया जाता है कि श्रम एवं रोजगार मंत्रालय फिलहाल आवश्यक बजटीय अनुदान प्राप्त करने और सक्षम प्राधिकरणों से मंजूरियां प्राप्त करने की प्रक्रिया में है। इस आशय की रिपोर्ट कि मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना का वित्त पोषण श्रम कल्याण उपकर (सेस) से किया जाएगा, वह भी गलत है, क्योंकि इस मंत्रालय में इस तरह का कोई भी उपकर नहीं है।

 

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आर.के.मीणा/अर्चना/आरआरएस/एमएस-11262