केंद्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल को पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के क्लाइनमैन सेंटर फॉर एनर्जी पॉलिसी ने चौथे वार्षिक ‘कार्नोट पुरस्कार’ से सम्मानित किया
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत के ऊर्जा क्षेत्र के ऐतिहासिक परिवर्तन की प्रशंसा करते हुए अमेरिका के पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ डिजाइन में स्थित क्लाइनमैन सेंटर ऑफ एनर्जी पॉलिसी, अपना चौथा वार्षिक कार्नोट पुरस्कार केंद्रीय रेल एवं कोयला मंत्री और पूर्व विद्युत, कोयला, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा तथा खान मंत्री श्री पीयूष गोयल को दे रहा है।
कार्नोट पुरस्कार दरअसल क्लाइनमैन सेंटर का वार्षिक सम्मान है जो छात्रवृत्ति या अभ्यास के माध्यम से ऊर्जा नीति में विशेष योगदान के लिए दिया जाता है। कार्नोट ऊर्जा क्षेत्र का बहुत प्रतिष्ठित पुरस्कार है और इसका नाम फ्रेंच भौतिक विज्ञानी निकोलस सादी कार्नोट के नाम पर रखा गया है जिन्होंने भाप के इंजन की ताकत को पहचानते हुए कहा था कि मानव विकास में ये "एक महान क्रांति का निर्माण करेगा।" कार्नोट पुरस्कार का इरादा ऊर्जा नीति की उन अग्रणी क्रांतियों को सम्मानित करने का है जो विकास और समृद्धि को आगे ले जाती हैं।
कार्नोट ने मानवता के विकास की जैसी कल्पना की थी, उसी क्रम में चलते हुए कार्नोट पुरस्कार, ऊर्जा क्षेत्र में पथ प्रदर्शक नीतियों और महत्वपूर्ण छात्रवृत्तियों को सम्मानित करता है। इस पुरस्कार के पिछले विजेताओं में वैश्विक सूचना प्रदाता कंपनी आईएचएस के उपाध्यक्ष डॉ. डेनियल येरगिन, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के निदेशक डॉ. फतीह बिरॉल और ऊर्जा व पर्यावरण क्षेत्रों में नौकरशाह रहीं जीना मेकार्थी शामिल हैं।
अब 2018 का कार्नोट पुरस्कार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत के उन प्रयासों की स्वीकृति है जिनसे देश अक्षय ऊर्जा उपायों के प्रयोग से अपनी ऊर्जा क्षेत्र की गरीबी को दूर करने के रास्ते पर बढ़ रहा है। सरकार की ग्रामीण विद्युतिकरण योजना ने "सभी को हफ्ते में 24 घंटे सस्ती, पर्यावरण-अनुकूल बिजली" देने के मिशन में महत्वपूर्ण सफलता दिलाई है क्योंकि 28 अप्रैल 2018 को देश के 19,000 से ज्यादा गांवों में दशकों का अंधेरा दूर कर दिया गया है। इन 19,000 दूर-दराज के बिजली से वंचित गांवों में ऐसे भी थे जहां लोगों ने बिजली पहली बार देखी। 'सौभाग्य कार्यक्रम' के माध्यम से ऐसे गांवों के हर घर में अंतिम मील तक बिजली के कनेक्शन का काम तेज किया जा रहा है और इस कड़ी में 3.1 करोड़ ग्रामीण घरों में से 51 प्रतिशत में विद्युतिकरण किया जा चुका है। क्लाइनमैन सेंटर के संस्थापक संकाय निदेशक मार्क एलन ह्यूज़ ने भारत की विद्युतिकरण योजना की प्रशंसा करते हुए कहा है - "विद्युत के मामले में जो दुनिया के सबसे गरीब लोग हैं उन्हें बिजली मुहैया करवाना प्रकाश फैलाने का काम है। साथ ही ये शिक्षा, स्वच्छता और स्वास्थ्य को भी सशक्त करता है। इससे संपन्न और विपन्न लोगों के बीच की खाई भी छोटी होती जाती है।"
भारत ने अपने महत्वाकांक्षी नवीनीकरण और ऊर्जा दक्षता कार्यक्रमों में, पर्यावरण संरक्षण करने के देश के प्राचीन मूल्यों को डालने की दिशा में भी तेज कदम बढ़ाए हैं। जैसे प्रधानमंत्री ने जलवायु संरक्षण को भारत के लिए भरोसे की वस्तु कहा। हरित ऊर्जा पर ये बड़ा जोर भारत के 2022 तक 175 गीगावाट्स के लक्ष्य में नजर आता है जो दुनिया का सबसे बड़ा अक्षय ऊर्जा विस्तार कार्यक्रम है और इसमें से 72 गीगावाट्स को तो प्राप्त भी किया जा चुका है। जैसे-जैसे भारत में रिकॉर्ड नीची दरों पर और बराबरी पर सौर व पवन ऊर्जा की बाजार कीमतें आ रही हैं, अब आने वाले वर्षों में अक्षय ऊर्जा विकास का आधार स्तंभ होने वाली है। भारत दुनिया में सबसे बड़े सौर ऊर्जा पार्क, सौर ऊर्जा संयंत्र और एकल छत संयंत्र का घर बनने जा रहा है और ऐसे में कार्नोट पुरस्कार भारत के "2030 तक 40 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा तक पहुंचने की मजबूत हिस्सेदारी" को स्वीकार करता है। जैसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय सौर ऊर्जा गठबंधन (आईएसए) के सदस्य राष्ट्रों के संबोधित करते हुए अपना "एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड" का दृष्टिकोण दिया था, अब भारत उसी राह पर चलते हुए सभी हरित ऊर्जा लक्ष्यों में निरंतर प्रगति करते हुए एक प्रतिबद्ध सौर ऊर्जा नेतृत्व की अपनी भूमिका निभा रहा है।
पिछले चार वर्षों में ऊर्जा कुशलता भारत में जन आंदोलन बन गई है जिसने भारत सरकार की उजाला योजना को विश्व का सबसे बड़ा एलईडी वितरण कार्यक्रम बना दिया है और निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ इसमें 130 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए जा चुके हैं। ये बहुत ही बड़े गौरव का विषय है कि बहुत से गांव जो हाल ही में विद्युतिकृत हुए हैं वहां बिजली के पहले उपभोक्ता एलईडी बल्बों का इस्तेमाल कर रहे हैं और उनकी छतों पर सौर ऊर्जा के पैनल लगे हैं। इससे भारत के लोगों का सार्वभौमिक, सस्ती और अक्षय ऊर्जा तक पहुंच का सपना साकार हो रहा है।
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आर.के.मीणा/एएम/जीबी-10825