उप राष्ट्रपति सचिवालय
उपराष्ट्रपति के भाषण का मूलपाठ – संत श्री धन्ना भगत जयंती, कैथल, हरियाणा
Posted On:
23 APR 2023 5:19PM by PIB Delhi
संत समाज को मेरा प्रणाम।
सदा उनके आशीर्वाद की कल्पना की है, और उनकी गरिमामय उपस्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मनोहर लाल जी ने जनता की नब्ज पकड़ ली है- एक मेडिकल कॉलेज का नाम भक्त धन्ना के नाम, आज बच्चियों के लिए एक कॉलेज की घोषणा, ग्रामीण विकास के पांच महत्वपूर्ण कामों के लिए धन का समर्पण, व्यक्तिगत रूप से मैं माननीय मुख्यमंत्री का आभारी हूं।
मेरी पहली यात्रा हरियाणा में माननिय मुख्यमंत्री जी की सोच के अनुरूप दीनबंधु सर छोटू राम जी के स्थान से हुई।
पर आज का दिन सदा याद रखूंगा। यहां आकर मैं धन्य हो गया कि संत शिरोमणि धन्ना जी जन्म जयंती के उपलक्ष पर हरियाणा सरकार इतना बड़ा आयोजन कर रही है।
समाज के बुजार्गों को मेरा प्रणाम। सभी का अभिनंदन। अपना भारत बदल रहा है, राम मंदिर बन रहा है। अंदाजा लगाइए कितनी प्रतीक्षा की थी, कहते थे तारीख कब बताओगे, सोचा था क्या यह कभी संभव होगा, संभव हुआ है बन रहा है और भारतवर्ष की संस्कृति के अनुरूप बन रहा है।
एक पुराना चलचित्र है। पुराने चलचित्र में एक डायलॉग है। एक कहता है मेरे पास गाड़ी है, मेरे पास बांग्ला है, मेरे पास फैक्ट्री है, मेरे पास धन है, अपने भाई को कहता है तेरे पास क्या है और भाई कहता है मेरे पास मां है। कितनी बड़ी पूंजी हैI
दुनिया में कहीं भी देख लो, किसी भी देश को देख लो, हमें जो सानिध्य संतों का मिल रहा है वह किसी देश में नहीं है। हमारे संत हमारी सांस्कृतिक विरासत को पूरी तरीके से रखे हुए हैं। और एक बहुत अच्छे मार्गदर्शक का काम कर रहे हैं।
आज के दिन देश में वह हो रहा है जिसकी कल्पना कभी नहीं की गई थी। कभी हमने सोचा नहीं था, दुनिया में भारत की जो प्रतिष्ठा है आज जितनी ऊंची है पहले कभी नहीं थी। अंदाजा लगाइए कि दुनिया की अर्थव्यवस्था में भारत आज पांचवें नंबर पर है और इस पांचवें नंबर पर आने में हमने किस को पछाड़ा? हमने उन अंग्रेजों को पछाड़ा जिन्होंने 200 साल तक हम पर राज किया और इस पछाड़ने में भारत के किसान का भारत के मजदूर का बहुत बड़ा योगदान है। इस दशक के अंत में आपको पता लगेगा कि भारत दुनिया की तीसरी महाशक्ति है।
पश्चिम बंगाल का राज्यपाल रहते हुए मैंने देखा और दुनिया के लोग अचंभित है, अंदाजा नहीं कर पा रहे हैं कि हिंदुस्तान में 1 अप्रैल 2020 से 80 करोड़ जनसंख्या को सरकार चावल, गेहूं, दाल उपलब्ध करा रही है और वह आज भी चल रहा है। आज बदलाव की पराकाष्ठा यह है कि भारत के सर्वोच्च पद महामहिम राष्ट्रपति एक आदिवासी है, उपराष्ट्रपति कृषक पुत्र है और प्रधानमंत्री अन्य पिछड़ा वर्ग से है।
कभी भी हमारे मन में देशप्रेम की भावना के अलावा कुछ नहीं हो सकता। हर परिस्थिति में हमें हमारे भारत को सर्वोपरि रखना पड़ेगा, हमें इस बात का ध्यान देना पड़ेगा कि अब समय बदल गया है कोई बड़ा छोटा नहीं है, सब कानून के दायरे में है, सब कानून के शिकंजे में है। कोई भी आदमी यह दावा नहीं कर सकता कि मैं क़ानून से ऊपर हूं। यही सच्ची व्यवस्था है।
कोविड-19 दौरान मैंने देखा हमारे संतों का योगदान बहुत जबरदस्त था। हमारे संतो ने हर व्यक्ति को प्रगति को प्रेरित किया कि जिसकी मदद कर सकते हो, करो। और उस समय हमारे देश में कोई संकट नहीं आयाI दुनिया के लोग अचंभा करते हैं, अमेरिका भी वह हासिल नहीं कर पाया पर देश में 220 करोड लोगों को वैक्सीनेशन की डोज दी गई है, वह उसके मोबाइल पर है, अमेरिका में भी वह कागज पर है। हमारा भारत बदल रहा है।
किसान हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, उनके उत्थान के लिए क्या किया गया अंदाजा लगाइए। 11 करोड किसानों को अब तक 2,25,000 करोड का पैसा मिल गया है। इसको 2 तरीके से देखिए हम कितने बदल गए हैं हमारे जीवन में टेक्नोलॉजी कितनी आ गई है, जिस दरवाजे पर हम जाते हुए डरते थे, आजकल कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जो बैंकिंग व्यवस्था के दायरे में नहीं हो। कहां गई... कहां गई वह लंबी लाइन, जब हम बिल जमा कराते थे? कहां गया वह सिस्टम जब हम चेक का इंतजार करते थे? यह बहुत बड़ी क्रांति आ रही है इस क्रांति में आप सब का योगदान है। हमारे संतों का योगदान है।
मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई और आप जितनी गहराई में धन्ना भगत को देखेंगे तो वह तो आपको तीन बातें मिलेंगी, जाट धन्ना, फिर धन्ना सेठ और फिर धन्ना भगत। उनके विचार क्या थे सबका ध्यान देना, सब को सुखी रखना, क्रोध नहीं करना... मैं आपसे आह्वान करूंगा समाज में आवश्यकता है इनके आदर्शों को आगे बढ़ाने की एवं उनके आदर्शों को लागू करने की।
आज युवा पीढ़ी के सामने दुनिया है ऐसी व्यवस्था का निर्माण हो चुका है कोई भी व्यक्ति अपने प्रतिभा के अनुसार कोई काम कर सकता है, जिसमें कोई इसमें कोई बाधा नहीं है। System उसको पूरी तरह से support करता है, पर यदि वह भटक जाए और वह परेशान हो जाए या वह Drug Addict हो जाए,… तो क्या हम सबको मिलकर संतो के आदर्शों का पालन करते हुए, धन्ना भगत के विचारों का आदर करते हुए इस परेशानी को खत्म नहीं करना चाहिए? आवश्यकता है हम सही तरीके से व्यापक स्तर पर इस तरह की बुराई रोकें।
मैं आपको एक छोटा सा उदाहरण देता हूं, एक गांव बंदरों से बहुत परेशान था, तो गांव के लोगों ने बंदरों से निजात पाने के लिए कई रास्ते अपनाए। जब रास्ते अपना रहे थे और बंदर भी गांव छोड़ रहे थे, तो सामने से अपने ही भाई बंधु आकर बोले कि बंदर अकेला नहीं है। इस प्रकार की संस्कृति और कहां है? हमारे समाज का कुछ दायित्व है... हमारी संस्कृति हजारों साल की देन है, हमें हमारे समाज के विचार मंथन के लिए उन लोगों की कठपुतली नहीं बन सकते ... जो कुछ भी कह देंगे और आज का सोशल मीडिया उसे प्रसारित कर देगा, और जो सद्बुद्धि वाले लोग हैं वह चुप हो जाएंगे। ऐसा नहीं होना चाहिए।
हमारी खाप पंचायतें मजबूत हैं, गहरी सोच है, चिंतन- मंथन है और दूर दृष्टि से सोचते हैं, लेकिन खाप पंचायत का कोई प्रतिनिधि अचानक तो पैदा नहीं हो सकता। हमें सोचना पड़ेगा आज यदि हम भारत के बदलाव की ओर ध्यान नहीं देंगे और इसमें योगदान नहीं देंगे तो उन सभी महापुरुषों का अनादर कर रहे हैं, जिन्होंने हमें हमारी संस्कृति को दुनिया में इस स्थान पर रखा है।
मैं हरियाणा सरकार की प्रशंसा करूंगा ... बाकी लोगों ने तो अमृत साल में शुरुआत की है, हमारे संतो को, हमारे महापुरुषों को जो याद किया जा रहा पर हरियाणा की शुरुआत तो पहले ही हो चुकी है जिसका पूरा विवरण माननीय मुख्यमंत्री जी दे चुके हैं। हम किसी भी परिस्थिति में जिन लोगों ने खून पसीना देकर हमें आजादी दिलाई है उन्हें भूल नहीं सकते।
कुछ साल पहले ऐसा मंजर था कि जैसे देश के इतिहास में किसी का योगदान नहीं है। हम यह अंदाजा नहीं लगा सकते थे कि और भी लोग हैं वे जिन्होंने हमें यहां तक पहुंचाया। बदलाव आया और भारी बदलाव आया... नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्म जयंती पराक्रम दिवस के रूप में मनाई गई। इंडिया गेट पर उनकी प्रतिमा है... कोई पहले कल्पना नहीं कर सकता... एक बहुत ही बड़े संविधान की रक्षा करने वाला जिससे संविधान के निर्माण से पहले ही उन्होंने 1945 में झंडा लहराया था ... कितना बड़ा सम्मान उन्हें मिला कि अब पराक्रम दिवस हर साल मनाया जाता है। बिरसा मुंडा …. जनजाति दिवस। आपके प्रदेश में भी कोई कमी बाकी नहीं रखी है, कोई भी संत, महापुरुष, समाज सेवक जाति के बंधन में नहीं है। वह कभी किसी का बुरा नहीं चाहता है अपितु सबका कल्याण चाहता है।
यदि अगर आप सोचेंगे और अध्ययन करेंगे तो मोक्ष के तीन रास्ते हैं: पहला रास्ता है कर्म, आप सद्भाव से कर्म करते जाओ और जनकल्याण का काम करते रहो, यह सही रास्ता है। इससे थोड़ा ऊंचा रास्ता है कर्म और ज्ञान... यदि कर्म और ज्ञान दोनों का मिश्रण हो जाता है, और तब आप जन कल्याण के कार्य करते हो... तो इसमें बढ़ोतरी होती है। पर इसकी भी पराकाष्ठा और सर्वोत्तम हमारे संतो के पास है भक्ति, और भक्ति आंदोलन के अंदर जिन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया उसमें धन्ना भगत भी एक हैं। धन्ना भगत के विचारों का उल्लेख गुरु ग्रंथ साहिब में भी आपको मिलेगा।
देश कितना अच्छा हो यह हर नागरिक का उत्तरदायित्व है यदि आज हम ठान लें कि हमारा देश वह देश होगा जिसके अंदर हम अनुशासन रखेंगे देश की तस्वीर ही बदल जाएगी। पहले सोचा था कि स्वस्थ भारत अभियान क्या है? अब शौचालय जगह-जगह हो गए... यह भी सोचा नहीं था। एक बहुत ही बड़ी क्रांति आई है ... आज गांव एवं छोटे शहर के अंदर सब चीजें उपलब्ध है, जो बड़े शहरों में हैं। आपको सिर्फ अपनी प्रतिभा दिखानी है और रास्ते से भटकना नहीं है।
मैं यह चिंता व्यक्त करता हूं कि हमारे कुछ नवयुवक रास्ते से भटक गए हैं। Drug Menace बहुत ही भयानक बीमारी है... जो कि पूरी पीढ़ी को तबाह कर सकती है इस पर अंकुश लगना चाहिए। हमें प्रण लेना चाहिए लेना चाहिए कि आज के इस पावन दिवस पर हम हमारे संतो के द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलेंगे। आज यह जो बात में हरियाणा की भूमि से कह रहा हूं इसका मतलब ही कुछ और है। माननीय मुख्यमंत्री ने बताया है कि इस धरती में क्या कुछ हुआ है, गीता का ज्ञान आप ही के यहां का है, जो संस्कृति सरस्वती मंदिर के किनारे थी उसका कोई मुकाबला ही नहीं है जिस के उपलक्ष में आपके यहां हर साल कार्यक्रम भी होता है और उसकी दुनिया में सराहना की जाती है।
इस बदलते हुए भारत पर यदि कोई अंकुश लगाता है और उसे कुंठित करता है या उसे बदनाम करने की कोशिश करता है उन लोगों को एक बात बताना चाहता हूं कि दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है संविधान में तीनों बातें हैं Panchayat-Municipality, State and Centre ... इन तीनों की चुनाव की व्यवस्था भारत के संविधान में है। हमारी Democrary Vibrant है ... और हर स्तर पर जीवंत है। अगर कोई कह देगा कि देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था कमजोर है, बोलने के अधिकार पर अंकुश है, हमें ऐसी बातों को कुंठित करना है।
अंत में मैं आपसे यह कहूंगा कि मैं आभारी हूं, मुख्यमंत्री जी का, हरियाणा सरकार का कि ऐसे मौके को उन्होंने बहुत ही सही रूप दिया है और आप लोगों की उपस्थिति से मैं ऊर्जावान होकर जा रहा हूं। जो काम मुझे करना है कृषक पुत्र की हैसियत से, देश के नागरिक होने की हैसियत से उसमें मैं आपको आश्वासन देता हूं किसी प्रकार की कोई कमी नहीं रहेगी। एक बार फिर आप सब का धन्यवाद।
जय हिंद, जय भारत!
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