विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नव वर्ष से पूर्व जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं नवाचार परिषद (ब्रिक) के नए सचिवालय परिसर का उद्घाटन किया और इसे भारत की भावी जैव-अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया


जैव विनिर्माण के क्षेत्र में भारत वैश्विक स्तर पर 12वें स्थान पर है: डॉ. जितेंद्र सिंह

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन एक स्वायत्त निकाय के रूप में ब्रिक की परिकल्पना नवंबर 2023 में की गई थी, जिसका उद्देश्य भारत के लगभग 14 प्रमुख संस्थानों को एक एकीकृत संस्थागत ढांचे के अंतर्गत लाना है, ताकि शासन में सुगमता सुनिश्चित की जा सके, प्रभावी एकीकरण हो और विभिन्न विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया जा सके

केंद्रीय मंत्री ने ब्रिक द्वारा शुरू की गई प्रमुख गतिविधियों की समीक्षा करते हुए कहा- बायोई3 नीति के अंतर्गत ब्रिक भारत के जैव-विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र की मेरुदंड के रूप में उभर रहा है

प्रविष्टि तिथि: 29 DEC 2025 6:35PM by PIB Delhi

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान के केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा व अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नव वर्ष से पूर्व आज जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं नवाचार परिषद (ब्रिक) के नए सचिवालय परिसर का उद्घाटन किया। उन्होंने इसे भारत की भावी जैव-अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया।

ब्रिक सचिवालय का कार्यालय परिसर नई दिल्ली स्थित एनएसआईसी बिजनेस पार्क की चौथी मंजिल पर स्थित है। यह सचिवालय ब्रिक के 14 स्वायत्त संस्थानों के बीच सहयोग को सुगम बनाने के लिए एक सुव्यवस्थित समन्वय तंत्र के रूप में कार्य करेगा। यह उनकी संस्थागत स्वायत्तता को बनाए रखते हुए जैव प्रौद्योगिकी विभाग, अन्य अनुसंधान एवं विकास संस्थानों व उद्योग जगत के साथ सहयोग तथा साझेदारी को और सुदृढ़ करेगा।

केंद्रीय मंत्री ने उद्घाटन कार्यक्रम के उपरांत ब्रिक की कार्यक्रमों की व्यापक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस अवसर पर जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सचिव और ब्रिक के महानिदेशक डॉ. राजेश एस. गोखले ने ब्रिक की स्थापना के बाद से अब तक की प्रमुख उपलब्धियों व वर्तमान में जारी कार्यक्रमों की प्रगति पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी। उन्होंने बायोई3 नीति के अंतर्गत विभाग के बायोमैन्युफैक्चरिंग एजेंडा को आगे बढ़ाने में ब्रिक की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। डॉ. गोखले ने बताया कि इस नीति के तहत एकीकृत पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में बायोई3 पार्क स्थापित करने की योजना है, जहां ब्रिक संस्थानों, स्टार्ट-अप्स, एमएसएमई और बड़े उद्योगों के अनुसंधान एवं विकास केंद्र एक ही परिसर में स्थित होंगे। इस पहल के जरिये अनुसंधान से पायलट-स्तरीय विनिर्माण और आगे व्यावसायीकरण तक एक सुचारू एवं निर्बाध बदलाव सुनिश्चित किया जा सकेगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने ब्रिक की प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि ब्रिक के संस्थान जैव-विनिर्माण और जैव-विज्ञान के माध्यम से राष्ट्रीय विकास को नई गति देने में निर्णायक भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, जो विकसित भारत 2047 की परिकल्पना के अनुरूप है। उन्होंने संरचनात्मक चुनौतियों से प्रभावी ढंग से पार पाने, संस्थागत बाधाओं को दूर करने और जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं नवाचार में भारत की वैश्विक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए सहयोगात्मक, समग्र-सरकारी व समग्र-सामाजिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।

केंद्रीय मंत्री ने गोलमेज सम्मेलन के दौरान विभिन्न विभागों और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों एवं प्रतिनिधियों के साथ भी संवाद किया। इस अवसर पर उन्होंने जोर देते हुए कहा कि पिछले एक दशक में सरकार की सुधारोन्मुख नीति नए नियम जोड़ने के बजाय अनावश्यक व अप्रासंगिक नियमों को हटाकर शासन व्यवस्था को सरल तथा प्रभावी बनाने पर केंद्रित रही है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सेवा नियमों के व्यापक युक्तिकरण, अप्रचलित कार्य प्रणालियों के उन्मूलन व प्रौद्योगिकी-आधारित पारदर्शिता ने शासन संस्कृति में सकारात्मक और संरचनात्मक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने उद्योग जगत की शाखा बीआईआरएसी के सहयोग से जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा संस्थागत बाधाओं को दूर करने और विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग को सुदृढ़ करने के लिए उठाए गए सक्रिय कदमों की सराहना की, जिससे नवोन्मेषी अनुसंधान को प्रोत्साहन मिले, संसाधनों का प्रभावी एवं अधिकतम उपयोग सुनिश्चित हो सके तथा भविष्योन्मुख मानव संसाधन का विकास किया जा सके।

ब्रिक संस्थानों के निदेशकों ने जैव-विज्ञान आधारित एवं जीव-विज्ञान से प्रेरित प्रौद्योगिकियों की परिवर्तनकारी क्षमता को रेखांकित करते हुए स्वदेशी जैविक डेटा के सृजन, सुदृढ़ जैव-सुरक्षा ढांचे की स्थापना तथा अगली पीढ़ी के जैव प्रौद्योगिकी नेतृत्व को पोषित करने हेतु मानव संसाधन विकास में निरंतर निवेश की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने ब्रिक के सामूहिक दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने और भारत को जैव प्रौद्योगिकी एवं जैव-विनिर्माण के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि की, जिसमें विभाग के उद्योग इंटरफेस—जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी)—का सक्रिय सहयोग शामिल है।



 

 

 

 

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पीके/केसी/एनके


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