आयुष
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश की पारंपरिक औषधियां
प्रविष्टि तिथि:
09 DEC 2025 8:26PM by PIB Delhi
आयुष मंत्रालय ने आयुष क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक केंद्रीय क्षेत्र योजना (आईसी योजना) विकसित की है। इसके तहत आयुष मंत्रालय भारतीय आयुष औषधि विनिर्माताओं/आयुष सेवा प्रदाताओं को आयुष उत्पादों और सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सहायता प्रदान करता है; आयुष चिकित्सा प्रणाली के अंतरराष्ट्रीय प्रचार, विकास और स्वीकृति को सुगम बनाता है; हितधारकों के बीच संवाद और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुष के बाजार विकास को बढ़ावा देता है; विदेशी देशों में आयुष अकादमिक चेयर की स्थापना और प्रशिक्षण कार्यशालाओं/संगोष्ठियों के आयोजन के माध्यम से शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देता है ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुष चिकित्सा प्रणाली के बारे में जागरूकता और रुचि को बढ़ाया जा सके। आयुष मंत्रालय आईसी योजना के माध्यम से विदेशियों के प्रतिष्ठित संस्थानों/विश्वविद्यालयों, अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों और संयुक्त राष्ट्र निकायों जैसे (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के साथ आयुष अनुसंधान एवं विकास/शिक्षण और अन्य सहयोगों को भी प्रायोजित करता है।
आयुष मंत्रालय का विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ निम्नलिखित सहयोग है:-
इसमें गुजरात के जामनगर में डब्ल्यूएचओ-ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर (जीटीएमसी) की स्थापना के लिए डब्ल्यूएचओ के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस केंद्र का उद्देश्य डब्ल्यूएचओ की पारंपरिक चिकित्सा रणनीति (2014-23) के कार्यान्वयन में सहायता प्रदान करना और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में पारंपरिक चिकित्सा की भूमिका को सुदृढ़ करने के लिए नीतियों और कार्य योजनाओं को विकसित करने में देशों की सहायता करना है। डब्ल्यूएचओ-जीटीएमसी जैसी पहलों के माध्यम से भारत पारंपरिक चिकित्सा में वैश्विक रूप से अग्रणी देश के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ साझेदारी में स्थापित यह केंद्र पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने और उस पर शोध करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह वैश्विक स्तर पर साक्ष्य-आधारित पारंपरिक, पूरक और एकीकृत चिकित्सा (टीसीआईएम) के लिए एक प्रमुख ज्ञान केंद्र के रूप में कार्य करता है। यह विश्व भर में पारंपरिक चिकित्सा के लिए वैश्विक कार्यालय है जिसके निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्य हैं:
विश्वभर में पारंपरिक चिकित्सा (टीएम) प्रणालियों को स्थापित करना।
परंपरागत चिकित्सा से संबंधित वैश्विक स्वास्थ्य मामलों में नेतृत्व प्रदान करना।
पारंपरिक चिकित्सा की गुणवत्ता, सुरक्षा, प्रभावशीलता, सुलभता और तर्कसंगत उपयोग सुनिश्चित करना।
प्रासंगिक तकनीकी क्षेत्रों, उपकरणों और कार्यप्रणालियों में मानदंड, मानक और दिशानिर्देश विकसित करना, डेटा एकत्र करना, विश्लेषण करना और प्रभाव का आकलन करना। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के पारंपरिक चिकित्सा (टीएम) सूचना विज्ञान केंद्र की परिकल्पना करना, जो विद्यमान पारंपरिक चिकित्सा (टीएम) डेटा बैंकों, वर्चुअल पुस्तकालयों और शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से कार्य करेगा।
उद्देश्यों से संबंधित क्षेत्रों में विशिष्ट क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करना तथा परिसर, आवासीय या वेब-आधारित माध्यमों से एवं डब्ल्यूएचओ अकादमी और अन्य रणनीतिक भागीदारों के साथ साझेदारी के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा के प्रशिक्षण और अभ्यास के लिए मानक दस्तावेज 2022 में प्रकाशित किया गया, जो 13 मई, 2016 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ हस्ताक्षरित परियोजना सहयोग समझौते का परिणाम है।
आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा में शब्दावली संबंधी दस्तावेज़ विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा प्रकाशित किया गया है, जो डब्ल्यूएचओ और आयुष मंत्रालय के बीच स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में पारंपरिक और पूरक चिकित्सा के एकीकरण पर परियोजना सहयोग समझौते का परिणाम है।
आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के बीच 24 मई, 2025 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसका उद्देश्य आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी जैसी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों पर समग्र दृष्टिकोण और ध्यान केंद्रित करते हुए, स्वास्थ्य हस्तक्षेपों के अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण (आईसीएचआई) के लिए पारंपरिक चिकित्सा हस्तक्षेप श्रेणियों और सूचकांक का विकास करना है। यह समझौता स्वास्थ्य उपायों के अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण (आईसीएचआई) के अंतर्गत एक समर्पित पारंपरिक चिकित्सा मॉड्यूल पर कार्य की शुरुआत का प्रतीक है। यह विकास भारत के उस दृष्टिकोण के अनुरूप है जिसके तहत वह अपनी समृद्ध पारंपरिक ज्ञान विरासत को वैज्ञानिक वर्गीकरण और अंतरराष्ट्रीय मानकों के समर्थन से वैश्विक स्वास्थ्य सेवा की मुख्यधारा में लाना चाहता है।
इसके अतिरिक्त, आयुष मंत्रालय ने विभिन्न देशों के साथ पारंपरिक चिकित्सा और होम्योपैथी के क्षेत्र में सहयोग हेतु 25 देशों के बीच समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं, विभिन्न देशों में आयुष अकादमिक चेयर स्थापित करने के लिए 15 अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन किए हैं, सहयोगात्मक अनुसंधान/अकादमिक सहयोग के लिए विदेशी संस्थानों के साथ 52 संस्थान-स्तरीय समझौता ज्ञापन किए हैं और वैश्विक स्तर पर आयुष के प्रचार-प्रसार के लिए 39 देशों में 43 आयुष सूचना प्रकोष्ठों की स्थापना में सहयोग दिया है। साथ ही, आयुष मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय आयुष फैलोशिप/छात्रवृत्ति कार्यक्रम के तहत भारत में मान्यता प्राप्त आयुष संस्थानों में आयुष पाठ्यक्रम का अध्ययन करने के लिए विदेशी नागरिकों को छात्रवृत्ति प्रदान करता है।
यह जानकारी आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रताप राव जाधव ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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पीके/केसी/एसकेजे/एसएस
(रिलीज़ आईडी: 2209440)
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