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PIB Headquarters
भारत-न्यूज़ीलैंड मुक्त व्यापार समझौता
भारत के सबसे तेज़ी से संपन्न होने वाले मुक्त व्यापार समझौतों में से एक
प्रविष्टि तिथि:
22 DEC 2025 10:20PM by PIB Delhi
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मुख्य बिंदु
- भारत–न्यूज़ीलैंड एफटीए 100% भारतीय निर्यात पर शुल्क समाप्त करता है
- दीर्घकालिक आर्थिक और रणनीतिक सहयोग को मजबूती प्रदान करते हुए अगले 15 वर्षों में 20 बिलियन डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता।
- भारत ने डेयरी और कृषि क्षेत्रों में अपने प्रमुख हितों की रक्षा की; वस्त्र और चमड़ा जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए बड़ी उपलब्धि।
- न्यूज़ीलैंड ने स्वास्थ्य और पारंपरिक चिकित्सा सेवाओं पर पहली बार अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।
- एसटीईएम स्नातकों व कुशल पेशेवरों के लिए छात्र गतिशीलता और अध्ययन के बाद कार्य करने का वीज़ा; 5,000 कुशल व्यवसायों के लिए वीज़ा का नया मार्ग खुला।
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परिचय
भारत ने आर्थिक विकास को मजबूती प्रदान करने, रोजगार के अवसरों का सृजन करने और वैश्विक स्तर पर स्थिति सुदृढ़ करने के लिए अपनी वैश्विक व्यापार साझेदारियों का लगातार विस्तार किया है। पिछले पाँच वर्षों में छह मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) —जिनमें इस महीने ओमान के साथ हुआ समझौता भी शामिल है, पर हस्ताक्षर करने के बाद, भारत और न्यूज़ीलैंड ने हाल ही में एक दूरदर्शी एफटीए के संबंध में बातचीत सफलतापूर्वक पूरी की है। यह एफटीए दोनों देशों के द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। यह समझौता भारत के संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए आर्थिक लचीलेपन को मजबूत बनाता है और भारत की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप समावेशी विकास को बढ़ावा देते हुए भारतीय निर्यात को न्यूज़ीलैंड के बाज़ार में अभूतपूर्व शुल्क-मुक्त पहुँच दिलाता है।
भारत और न्यूज़ीलैंड ने मार्च 2025 में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए वार्ताओं की घोषणा की थी। कई दौर की बातचीत के बाद दिसंबर 2025 में भारत–न्यूज़ीलैंड एफटीए को अंतिम रूप दिया गया, जिससे यह भारत के सबसे तेज़ी से संपन्न हुए एफटीए समझौतों में से एक बन गया है। यह एफटीए न्यूज़ीलैंड के साथ भारतीय निर्यात के लिए बाज़ार पहुँच और शुल्क वरीयताओं को बढ़ाता है, साथ ही ओशिनिया और प्रशांत द्वीप के व्यापक बाज़ारों तक पहुँच का द्वार भी खोलता है। इस समझौते से भारत को कुशल कार्यबल के प्रमुख आपूर्तिकर्ता के तौर पर उभरने का अवसर मिलेगा, साथ ही आयुष जैसे क्षेत्र में भविष्य में सहयोग और योग प्रशिक्षक, भारतीय शेफ और संगीत शिक्षक जैसी सेवाओं, और आईटी, इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और निर्माण जैसे क्षेत्र की सेवाओं में भी सहयोग की संभावनाएं बढ़ेंगी।
कुल मिलाकर, यह समझौता एक पूर्वानुमेय और पारदर्शी ढाँचा स्थापित करता है, जो बाज़ार तक पहुँच का विस्तार करता है, सेवाओं में व्यापार को बढ़ावा देता है, आवागमन के नए मार्गों का सृजन करता है, दीर्घकालिक निवेश को प्रोत्साहन देता है तथा यह कृषि उत्पादकता में वृद्धि में सहायक सिद्ध होता है।
भारत-न्यूजीलैंड : द्विपक्षीय व्यापार संबंध
न्यूज़ीलैंड के साथ भारत की साझेदारी आर्थिक वास्तविकताओं तथा जनता के मजबूत आपसी संबंधों के माध्यम से आकार लेती है। वर्तमान में, न्यूज़ीलैंड ओशिनिया क्षेत्र में भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।

49,380 डॉलर के साथ, न्यूज़ीलैंड ओशिनिया में ज़्यादा आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। वर्ष 2024 में न्यूज़ीलैंड का आयात 47 बिलियन डॉलर रहा, जबकि निर्यात 42 बिलियन डॉलर था। न्यूज़ीलैंड प्रतिवर्ष अपनी जीडीपी का लगभग 8% विदेशी निवेश में लगाता है, और मार्च 2025 तक उसका कुल विदेशी निवेश 422.6 बिलियन डॉलर आंका गया।
न्यूज़ीलैंड में लगभग 300,000 भारतीय मूल के लोग और एनआरआई रहते हैं, जो उसकी जनसंख्या का लगभग 5% हैं। यह प्रवासी समुदाय सांस्कृतिक और आर्थिक सेतु का कार्य करता है, जिससे द्विपक्षीय संबंध मजबूत होते हैं और भारतीय वस्तुओं व सेवाओं की मांग को बढ़ावा मिलता है।
नए अवसरों के सृजन के उद्देश्य से स्थापित यह एफटीए सामाजिक-आर्थिक बुनियाद पर आधारित है।
- व्यापारिक वस्तुओं का व्यापार : वर्ष 2023–24 में 873 मिलियन डॉलर से 49% की वृद्धि दर्ज करते हुए वर्ष 2024–25 में बढ़कर 1.3 बिलियन डॉलर हो गया।
· न्यूज़ीलैंड को व्यापारिक वस्तुओं का निर्यात: वर्ष 2024–25 में बढ़कर 711 मिलियन डॉलर हो गया, जो 32% का सकारात्मक रुझान दिखाता है।
- सेवाओं का व्यापार: न्यूज़ीलैंड को भारत की सेवाओं का निर्यात वर्ष 2024 में 13% बढ़कर 634 मिलियन डॉलर तक पहुँच गया। प्रमुख क्षेत्र: यात्रा, आईटी और व्यवसाय सेवाएँ
- भारत–न्यूज़ीलैंड व्यापारिक वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2015–16 में 855 मिलियन डॉलर से बढ़कर वर्ष 2024–25 में 1,298 मिलियन डॉलर हो गया। इन दस वर्षों में निर्यात में 130% वृद्धि हुई , जबकि आयात केवल 7.21% बढ़ा। वर्ष 2024–25 में न्यूज़ीलैंड से भारत का निर्यात, आयात से अधिक रहा, जिससे दोनों देशों के बीच सकारात्मक व्यापार संतुलन बना।
एफटीए की मुख्य विशेषताएँ
- एफटीए 100%भारतीय निर्यात पर शुल्क समाप्त करता है
- अगले 15 वर्षों में 20 बिलियन डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता दीर्घकालिक आर्थिक और रणनीतिक सहयोग को मजबूत करती है।
- कृषि उत्पादकता साझेदारी के माध्यम से यह एफटीए किसानों के साथ सहयोग करता है, उनकी उत्पादकता बढ़ाता है और उन्हें वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं से जोड़ता है।
- यह एफटीए वस्त्र, परिधान, चमड़ा, जूते, रत्न और आभूषण, इंजीनियरिंग उत्पाद और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों जैसे श्रम प्रधान क्षेत्रों के लिए ज़ीरो-ड्यूटी या बिना किसी शुल्क के पहुँच के जरिए एमएसएमई और रोजगार को बढ़ावा देता है।
- भारत ने 70.03% टैरिफ लाइनों में बाजार पहुँच की पेशकश की है, जबकि 29.97% टैरिफ लाइनों को अपवर्जन में रखा है। 30% टैरिफ लाइनों पर तत्काल शुल्क समाप्ति (ईआईएफ ) लागू की गई है, जबकि शेष को चरणबद्ध रूप से समाप्त किया जाएगा।
- कुछ उत्पादों को बाहर रखा गया है जैसे डेयरी (दूध, क्रीम, मट्ठा, दही, चीज़ आदि ), पशु उत्पाद (भेड़ के मांस के अलावा), सब्जी उत्पाद (प्याज़, चना, मटर, मक्का, बादाम आदि ), चीनी, कृत्रिम शहद, पशु, सब्ज़ियाँ या माइक्रोबियल फैट और तेल, हथियार और गोला-बारूद, रत्न और आभूषण, तांबा और उससे बने उत्पाद वस्तुएं (कैथोड, कार्ट्रिज, रॉड, बार, कॉइल आदि ), एल्युमिनियम और उससे बने उत्पाद (इनगॉट, बिलेट, वायर बार) और दूसरी चीज़ें।
- 30.00% टैरिफ लाइनों पर शुल्क तत्काल समाप्त कर दिया जाएगा, जिनमें लकड़ी, ऊन, भेड़ का मांस, चमड़ा-कच्ची खालें आदि शामिल हैं।
- 35.60% शुल्क को 3, 5, 7, और 10 साल में चरणबद्ध रूप से समाप्त किया जाएगा, जिनमें पेट्रोलियम तेल, माल्ट एक्सट्रैक्ट, वेजिटेबल ऑयल, और चुनिंदा इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल मशीनरी, पेप्टोन आदि शामिल हैं।
- 4.37% उत्पादों जैसे वाइन, फार्मास्यूटिकल ड्रग्स, पॉलिमर्स, एल्युमिनियम, आयरन और स्टील और उससे बने उत्पाद आदि पर शुल्क में कमी की गई है।
- 0.06% उत्पाद टैरिफ रेट कोटा के अंतर्गत आते हैं, जिनमें शहद, सेब, कीवी फल, और मिल्क एल्ब्यूमिन सहित एल्ब्यूमिन शामिल हैं।
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भारतीय वस्तुओं की बाज़ार तक पहुँच बढ़ेगी
एफटीए से भारत को होने वाले लाभ
- न्यूजीलैंड की बाजार तक पहुँच संबंधी पेशकश में न्यूजीलैंड की 100% टैरिफ लाइनों (8,284 टैरिफ लाइनों) पर शुल्क को तत्काल समाप्त करना (जीरो ड्यूटी) शामिल है।
- न्यूज़ीलैंड ने प्रमुख भारतीय निर्यातों की लगभग 450 टैरिफ लाइनों में लगभग 10% शुल्क बनाए रखा है, जिनमें वस्त्र/परिधान, चमड़ा और टोपियाँ, सिरामिक्स, कालीन, ऑटोमोबाइल और ऑटो पुर्ज़े शामिल हैं। इसके अलावा, 2025 में 2.2% पर लागू औसत टैरिफ ईआईएफ से शून्य हो जाएगा।
- यह पेशकश कई उत्पादों और क्षेत्रों को फायदा पहुँचाती है
- श्रम प्रधान क्षेत्र जैसे वस्त्र और परिधान, चमड़ा और जूते ;
- उभरते हुए और उन्नत इंजीनियरिंग क्षेत्र जैसे ट्रांसपोर्ट/ऑटो, फार्मास्यूटिकल्स, प्लास्टिक और रबर, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी, मैकेनिकल मशीनरी, केमिकल्स और;
- कृषि उत्पाद जैसे फल और सब्जियाँ, कॉफी, मसाले, अनाज, प्रसंस्कृत उत्पाद
- घरेलू उ़द्योगों की सहायता के लिए आयात से लाभ : लकड़ी के लट्ठे, कोकिंग कोल, लौह का अपशिष्ट और स्क्रैप, अलौह धातु
कृषि, तकनीकी सहयोग और किसान की आय में वृद्धि के लिए लाभ
- न्यूज़ीलैंड ने भारत में कीवीफ्रूट, सेब और शहद के लिए केंद्रित कार्य योजनाओं पर सहमति दी है, ताकि इन फलों के उत्पादकों की उत्पादकता, गुणवत्ता और क्षेत्रीय क्षमताओं में सुधार लाया जा सके।
- इस सहयोग में उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना, बेहतर रोपण सामग्री, उत्पादकों के लिए क्षमता निर्माण, उद्यान प्रबंधन के लिए तकनीकी सहायता, फसल कटाई के बाद की प्रक्रियाएँ, आपूर्ति श्रृंखला और खाद्य सुरक्षा शामिल हैं।
- प्रीमियम सेब उत्पादकों और सतत मधुमक्खी पालन प्रथाओं के लिए परियोजनाएँ उत्पादन और गुणवत्ता मानकों को बढ़ाएंगी।
- इसे न्यूज़ीलैंड से भारत में चयनित कृषि उत्पादों (सेब, कीवीफ्रूट, मैनुका शहद) के लिए बाज़ार पहुँच के साथ जोड़ा गया है।
- इस पहुँच को टैरिफ रेट कोटा (टीआरक्यू) प्रणाली, न्यूनतम आयात मूल्य और मौसमी आयात के माध्यम से प्रबंधित किया जाएगा, जिससे घरेलू किसानों की सुरक्षा के साथ ही साथ उपभोक्ताओं के विकल्प भी सुनिश्चित होते हैं।
- बाज़ार पहुँच और संवेदनशील घरेलू कृषि क्षेत्रों की सुरक्षा के बीच संतुलन कायम करते हुए सभी टीआरक्यू कृषि-प्रौद्योगिकी कार्य योजनाओं से संबद्ध है और उनकी निगरानी संयुक्त कृषि उत्पादकता परिषद द्वारा की जाती है।
सामान के अलावा संवर्धित अवसर
- न्यूज़ीलैंड की अब तक की सर्वोत्तम पेशकश : 139 क्षेत्रों में सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (एमएफएन) के दर्जे सहित 118 सेवा क्षेत्रों में प्रतिबद्धता।
- स्वास्थ्य और पारंपरिक चिकित्सा पर अनुबंध: न्यूज़ीलैंड ने भारत के साथ पहली बार आयुर्वेद, योग और दूसरी पारंपरिक चिकित्सा सेवाओं में व्यापार को आसान बनाने के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं । यह ऐतिहासिक प्रावधान भारत की आयुष प्रणालियों की वैश्विक मान्यता को बढ़ावा देता है,चिकित्सा की दृष्टि से महत्वपूर्ण यात्रा में सहायता देता है, वेलनेस सेवाओं में सहयोग को प्रोत्साहित करता है तथा स्वास्थ्य, वेलनेस और पारंपरिक चिकित्सा सेवाओं के वैश्विक केंद्र के रूप में भारत की स्थिति मजबूत करता है। यह भारत की आयुष प्रणालियों (आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सोवा-रिग्पा, सिद्ध और होम्योपैथी) को माओरी स्वास्थ्य प्रथाओं के साथ मुख्य स्थान देता है।
- छात्र गतिशीलता : न्यूज़ीलैंड ने किसी भी देश के साथ पहली बार छात्र गतिशीलता और अध्ययन के बाद कार्य करने के वीज़ा से संबंधित अनुबंध पर हस्ताक्षर किए है। भविष्य में नीति में बदलाव होने के बावजूद भारतीय छात्र पढ़ाई के दौरान सप्ताह में 20 घंटे तक कार्य कर सकते हैं। अध्ययन के बाद कार्य करने के वीज़ा की अवधि (एसटीईएम स्नातक: 3 वर्ष; मास्टर : अधिकतम 3 वर्ष डॉक्टरेट: अधिकतम 4 वर्ष) होगी।
- पेशेवर मार्ग : कुशल भारतीय पेशेवरों के लिए भारत के लिए रुचिकर क्षेत्रों में 5,000 वीज़ा का कोटा उपलब्ध है, जिनके लिए अधिकतम 3 वर्षों तक प्रवास किया जा सकता है। इनमें भारत के प्रतिष्ठित पेशे (आयुष चिकित्सक, योग प्रशिक्षक, भारतीय शेफ, संगीत शिक्षक)और अन्य रुचिकर क्षेत्र: आईटी, इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और निर्माण शामिल हैं।
- वर्किंग हॉलीडे वीज़ा : हर साल 1,000 युवा भारतीय न्यूज़ीलैंड में 12 महीनों के बहु-प्रवेश का लाभ उठा सकते हैं।
- ये प्रावधान भारतीय युवाओं और पेशेवरों के लिए वैश्विक अनुभव प्राप्त करने का अभूतपूर्व अवसर सृजित करते हैं।
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निवेश और आर्थिक सहयोग
एफडीआई की प्रतिबद्धता : न्यूजीलैंड दीर्घकालिक आर्थिक संबंधों को मजबूती प्रदान करते हुए अगले 15 वर्षों में भारत में 20 बिलियन डॉलर का निवेश करेगा।
जैविक प्राथमिक उत्पाद : दोनों पक्षों के बीच जैविक प्रमाणन की पारस्परिक मान्यता पर सहमति बनाई जाएगी।
एमएसएमई सहयोग: व्यापार से संबंधित सूचना और वैश्विक बाजारों तक पहुँच कायम करने में छोटे व्यवसायों की सहायता के लिए संस्थागत संबंध बनाए जाएंगे
तकनीकी सहायता: आयुष, श्रव्य-दृश्य उद्योग, पर्यटन, खेल और पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों में सहयोग पर सहमति बनी है। एफटीए भारत की आयुष प्रणालियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देता है,चिकित्सा की दृष्टि से महत्वपूर्ण यात्रा को प्रोत्साहित करता है, और भारत को वैश्विक वेलनेस हब के रूप में स्थापित करता है।
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सांस्कृतिक एवं परम्परागत ज्ञान
- आयुष और भारतीय पारंपरिक ज्ञान के प्रति समर्पित सहयोग पर सहमति बनी है।
· सांस्कृतिक आदान-प्रदान और परस्पर सम्मान को बढ़ावा देने के लिए न्यूज़ीलैंड के मौलिक माओरी समुदायों के साथ सहभागिता। इससे दुनिया भर में भारत की सॉफ्ट पावर और विरासत की पहचान मज़बूत होगी।
विनियामक और संस्थागत प्रावधान
- फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरण : त्वरित विनियामक मार्गों और विश्वसनीय नियामकों (अमेरिका, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, कनाडा) से निरीक्षणों की मान्यता के लिए अनुबंध।
- बौद्धिक संपदा अधिकार : भारत की भौगोलिक संकेत (जीआई) को यूरोपीय संघ स्तर की सुरक्षा प्रदान करने के लिए न्यूज़ीलैंड ने 18 महीनों के भीतर अपने कानूनों में संशोधन करने की बाध्यकारी प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
- सीमा शुल्क और व्यापार सुगमता : पूर्व निर्णय, इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ीकरण, और तेजी से मंजूरी (48 घंटे के अंदर, खराब होने वाली चीज़ों के लिए 24 घंटे)।
· उत्पत्ति नियम (आरओओ): धोखाधड़ी रोकने और प्राथमिक पहुँच की समग्रता सुनिश्चित करने के लिए मज़बूत फ्रेमवर्क।
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आगे की राह
आपसी सहमति और पारदर्शिता के अधीन, बातचीत के मूलपाठ को औपचारिक संयुक्त घोषणा के बाद किसी सहमत तिथि पर प्रकाशित किया जा सकता है। दोनों देशों में घरेलू प्रक्रियाओं के पूरा होने के बाद इस समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे और अनुमोदन के बाद अगले साल की तय समयसीमा तक इसके लागू होने की उम्मीद है।
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क्षेत्रवार मुख्य बिंदु
भारत -न्यूज़ीलैंड एफटीए कई क्षेत्रों में शुल्क मुक्त या विशेष पहुँच देता है। इन लाभों से भारत के निर्यात को बढ़ावा मिलने, रोजगार के अवसरों का सृजन होने और ओशिनिया क्षेत्र में भारतीय उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता मज़बूत होने की उम्मीद है।
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क्षेत्र
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भारत का निर्यात
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शुल्क की कवरेज
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प्रभाव एवं अवसर
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कृषि
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वर्ष 2024–25 में 51.8 बिलियन डॉलर, वर्ष 2023–24 में 48.3 बिलियन डॉलर ज़्यादा, 7.3% की बढ़ोतरी।
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1,379 टैरिफ लाइनें, जो सभी उत्पाद टैरिफ लाइनों का 17% हिस्सा हैं
अधिकतम 5% दर वाले शुल्क को समाप्त किया (चाय पर पहले से ही कोई शुल्क नहीं है)
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फल और सब्जियां: ताज़ी उपज और बागवानी निर्यात तक पहुँच बढ़ाता है।
कॉफी, चाय, कोको और मसाले: खास, प्रीमियम और मूल्य-वर्धित कृषि -उत्पादों के निर्यात में सहायता करता है।
अनाज: भारतीय अनाज निर्यात की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाता है।
प्रसंस्कृत खाद्य: रेडी-टू-ईट और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को फ़ायदा होता है, जिससे भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र मज़बूत होता है।
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समुद्री
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वित्तीय वर्ष 25 में 7.0 बिलियन डॉलर, जो वित्तीय वर्ष 24 में 6.8 बिलियन डॉलर से ज़्यादा है।
उसी अवधि में न्यूजीलैंड को निर्यात 15.35 मिलियन डॉलर से बढ़कर 15.89 मिलियन डॉलर हो गया।
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समुद्री क्षेत्र 363 टैरिफ लाइनों (कुल का 4.4%) में कवर किया गया।
एफटीए से पहले अधिकतम दरें 5% तक थीं, अब उन्हें शून्य कर दिया गया है
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न्यूज़ीलैंड का विश्व से समुद्री आयात औसतन 0.26 बिलियन डॉलर ।
एफटीए के तहत ज़ीरो-ड्यूटी पहुँच से बाजार तक ज़्यादा पहुँच और में वृद्धि को मदद मिलती है।
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वस्त्र एवं परिधान
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वर्ष 2024–25 में 36.9 बिलियन डॉलर, जो वर्ष 2023–24 में 34.8 बिलियन डॉलर से ज़्यादा, 6.1% की बढ़त।
इसी अवधि में न्यूज़ीलैंड को निर्यात 98.14 मिलियन डॉलर से बढ़कर 103.14 मिलियन डॉलर हो गया।
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1,057 टैरिफ लाइनें, जो कुल टैरिफ लाइनों का 13% है।
एफटीए से पहले अधिकतम शुल्क टैरिफ 10% थे, जिन्हें अब पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है, ताकि हो बाजार तक ज़ीरो-ड्यूटी पहुँच सुनिश्चित हो सके।
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पिछले तीन साल में न्यूज़ीलैंड का विश्व से वस्त्र एवं परिधान आयात औसतन 1.90 बिलियन डॉलर रहा है।
इस कदम से भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी और न्यूज़ीलैंड के बाजार में अधिकतम निर्यात वृद्धि में सहायता मिलेगी।
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इंजीनियरिंग क्षेत्र
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वित्तीय वर्ष 25 में 77.5 बिलियन डॉलर; वित्तीय वर्ष 24 में 64.4 बिलियन डॉलर से ज़्यादा, 20.3% की बढ़त।
इसी अवधि में न्यूज़ीलैंड को निर्यात 47.76 मिलियन डॉलर से बढ़कर 68.26 मिलियन डॉलर हो गया।
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सभी 1,396 टैरिफ लाइनों पर (कुल का 16.9%)।
एफटीए से पहले औसत अधिकतम शुल्क 10% तक था, जिसे अब समाप्त कर दिया गया है।
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पिछले तीन साल में विश्व से न्यूज़ीलैंड का इंजीनियरिंग आयात औसतन 11 बिलियन डॉलर रहा है।
एफटीए के तहत ज़ीरो-ड्यूटी पहुँच से ज़्यादा बाजार पहुँच और निर्यात में वृद्धि में सहायता मिलती है।
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चमड़ा और जूते
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वर्ष 2024–25 में 5.5 बिलियन डॉलर, जो वर्ष 2023–24 में 5.3 बिलियन डॉलर से अधिक था।
वर्ष 2024–25 में न्यूज़ीलैंड को निर्यात 8.52 मिलियन डॉलर रहा ।
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जूते, चमड़े के सामान और सहायक वस्तुओं को कवर करने वाली 181 टैरिफ लाइनों से शुल्क हटाना;
एफटीए से पहले अधिकतम शुल्क 10% तक था, जिसे अब घटाकर ज़ीरो कर दिया गया है।
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पिछले तीन वर्ष में न्यूजीलैंड का विश्व से चमड़ा, जूते और संबंधित उत्पादों का आयात औसतन 0.51 बिलियन डॉलर रहा है;
इस कदम से भारत की बाज़ार तक पहुँच बढ़ेगी और चमड़े के जूते, तैयार चमड़े, बैग, बेल्ट, वॉलेट और फ़ैशन एक्सेसरीज़ सहित मध्यम से उच्च मूल्य वर्ग में ज़्यादा निर्यात को सहायता मिलेगी।
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फार्मास्युटिकल
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वर्ष 2024-25 में 24.5 बिलियन डॉलर, जो वर्ष 2023-24 में 22.1 बिलियन डॉलर से ज़्यादा है , 10.8% की बढ़ोतरी।
वर्ष 2024–25 में न्यूज़ीलैंड को निर्यात 57.52 मिलियन डॉलर रहा।
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90 टैरिफ लाइनों में;
एफटीए से पहले अधिकतम शुल्क 5% तक था, जो अब घटकर ज़ीरो हो गया है।
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पिछले तीन साल में विश्व से न्यूज़ीलैंड का फार्मास्यूटिकल आयात औसतन 1.4 बिलियन डॉलर रहा है।
इस कदम से बाजार में पहुँच बढ़ेगी और निर्यात में वृद्धि होगी।
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प्लास्टिक और रबर
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वित्तीय वर्ष 25 में 13 बिलियन डॉलर, जो वित्तीय वर्ष 24 में 12 बिलियन डॉलर से ज़्यादा है
इसी अवधि में न्यूज़ीलैंड को निर्यात 18.87 मिलियन डॉलर से बढ़कर 23.66 मिलियन डॉलर हो गया।
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397 टैरिफ लाइनों पर (कुल टैरिफ लाइनों का 4.8%)
एफटीए से पहले औसत अधिकतम शुल्क 10% तक था, जिसे अब समाप्त कर दिया गया है।
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पिछले तीन साल में दुनिया से न्यूज़ीलैंड का प्लास्टिक और रबर का आयात औसतन 2.05 बिलियन डॉलर रहा है।
एफटीए के तहत ज़ीरो-ड्यूटी पहुँच से बाजार में पहुँच बढ़ती है और निर्यात में वृद्धि में सहायता मिलती है।
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भारत के वैश्विक व्यापार नेटवर्क
मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) का उद्देश्य वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की भूमिका को मजबूती प्रदान करते हुए भारतीय व्यवसायों, किसानों, छात्रों और पेशेवरों के लिए नए अवसरों के द्वार खोलना है। यह दो या दो से अधिक देशों के बीच एक समझौता होता है, जिसमें देशों द्वारा कुछ प्रतिबद्धताओं पर सहमति व्यक्त की जाती है, जिसका वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार, निवेशकों के संरक्षण, बौद्धिक संपदा अधिकार और अन्य संबंधित विषयों पर प्रभाव पड़ता है ।
अन्य देशों के साथ भारत का एफटीए शुल्क को कम या समाप्त करके वस्तुओं और सेवाओं के लिए बाजार तक पहुँच में सुधार लाकर प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाता है। ये बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा को मज़बूत करते हैं, मानक तय करने और सरकारी खरीद में भागीदारी को सक्षम बनाते हैं, और निवेशकों के लिए निष्पक्ष व्यवहार सुनिश्चित करते हैं। कुल मिलाकर एफटीए सरहदों से परे संचालित होने वाले कारोबारों के लिए अधिक पूर्वानुमेय और समान प्रतिस्पर्धा का वातावरण प्रदान करते हैं।1
भारत अपने वैश्विक आर्थिक प्रभाव में लगातार विस्तार के साथ उत्तरोत्तर रूप से बेहतर व्यापार और आर्थिक सहयोग के एक पसंदीदा साझेदार के रूप में उभर रहा है।2
- भारत–ओमान समग्र आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए), 2025
- भारत–ब्रिटेन समग्र आर्थिक और व्यापार समझौता (सीईटीए), 2025
- भारत– ईएफटीए व्यापार एवं आर्थिक साझेदारी समझौता (टीईपीए) – स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन, 2024
- भारत–संयुक्त अरब अमीरात समग्र आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए), 2022
- भारत–ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता (ईसीटीए), 2022
- भारत–मॉरीशस समग्र आर्थिक सहयोग और साझेदारी (सीईसीपीए), 2021
1https://www.trade.gov/free-trade-agreement-overview
2 https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2206194®=3&lang=1
निष्कर्ष
भारत–न्यूज़ीलैंड मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) भारत की व्यापार कूटनीति के निर्णायक क्षण को दर्शाते हुए समग्र आर्थिक सहयोग के नए अवसरों के द्वार खोलता है। यह समझौता भारतीय वस्तुओं के लिए बाज़ार तक बेहतर पहुँच, सेवाओं और गतिशीलता में अवसरों का विस्तार तथा कृषि, निवेश और उभरते क्षेत्रों में सहयोग को व्यापक बनाते हुए अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में ठोस और व्यापक लाभ प्रदान करता है।
किसानों और एमएसएमई से लेकर छात्रों और कुशल पेशेवरों तक, इस समझौते से व्यापक स्तर पर लाभ होने की उम्मीद है, जो विश्वसनीय और दूरदर्शी वैश्विक साझेदार के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करता है और वैश्विक रूप से एकीकृत विकसित भारत 2047 के विजन को आगे बढ़ाता है।
संदर्भ
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2207300&lang=2®=3
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रशासन
https://www.trade.gov/free-trade-agreement-overview
पीआईबी आर्काइव
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2206194®=3&lang=1
पीआईबी अनुसंधान
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पीके/केसी/आरके
(रिलीज़ आईडी: 2207790)
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