औषधि विभाग
जेनेरिक दवाओं का उत्पादन
प्रविष्टि तिथि:
12 DEC 2025 4:21PM by PIB Delhi
भारत में उत्पादित दवाओं में जेनेरिक दवाओं का अनुपात सबसे अधिक है, लेकिन इनके उत्पादन से संबंधित अलग से आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। फार्मारैक (एक ऐसी कंपनी जो देश में बेची जाने वाली दवाओं के बारे में व्यावसायिक जानकारी प्रदान करती है) के बिक्री कारोबार के आंकड़ों और वाणिज्यिक खुफिया एवं सांख्यिकी महानिदेशालय द्वारा रखे गए निर्यात आंकड़ों के आधार पर, देश में उत्पादित दवाओं का कुल विक्रय मूल्य वित्त वर्ष 2022-23 में 3,22,116 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 4,06,047 करोड़ रुपये हो गया, जो 26 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
औषधि विभाग को जेनेरिक दवाओं के निर्माताओं द्वारा थोक खरीदारों को खाली या आधे भरे दवाओं की पैकिंग की आपूर्ति के संबंध में कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सूचित किया है कि देश में निर्मित दवाओं, चाहे वे जेनेरिक हों या ब्रांडेड, को गुणवत्ता के उन्हीं मानकों का पालन करना आवश्यक है जो औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम, 1940 और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों में निर्धारित हैं। सरकारी औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं में दवाओं की गुणवत्ता जांच के आधार पर, समय-समय पर गैर-मानक गुणवत्ता (एनएसक्यू) वाली दवाओं के मामले सामने आते हैं और जब भी ऐसे मामलों की रिपोर्ट प्राप्त होती है, संबंधित लाइसेंसिंग प्राधिकरण उक्त अधिनियम और नियमों के प्रावधानों के तहत कार्रवाई करने के लिए उनकी जांच करते हैं, जिसमें न्यायालय में अभियोजन भी शामिल है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सूचित किया है कि सरकार ने जेनेरिक दवाओं की गुणवत्ता पर कोई विशेष अध्ययन नहीं किया है। हालांकि, नकली/कम गुणवत्ता वाली दवाओं की मात्रा का आकलन करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण (2014-16) किया गया था, जिसमें विभिन्न स्रोतों से कुल 47,012 दवा के नमूने लिए गए थे और खुदरा दुकानों से प्राप्त नकली और कम गुणवत्ता वाली दवाओं का प्रतिशत क्रमशः 3 प्रतिशत और 0.023 प्रतिशत था।
इसके अलावा, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने देश भर में गुणवत्तापूर्ण दवाओं के उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए हैं:
(i) औषधि नियम, 1945, जैसा कि 17.11.2022 को संशोधित किया गया था, के अनुसार 1.8.2023 से यह अनिवार्य है कि उक्त नियमों की अनुसूची एच2 में निर्दिष्ट शीर्ष 300 ब्रांडों के औषधि निर्माण उत्पादों के निर्माताओं को अपने प्राथमिक पैकेजिंग लेबल पर बार कोड या त्वरित प्रतिक्रिया कोड मुद्रित या चिपकाना होगा, या प्राथमिक पैकेज लेबल में अपर्याप्त स्थान होने की स्थिति में, द्वितीयक पैकेज लेबल पर बार कोड या त्वरित प्रतिक्रिया कोड मुद्रित या चिपकाना होगा, जिसमें प्रमाणीकरण को सुगम बनाने के लिए सॉफ़्टवेयर अनुप्रयोग द्वारा पठनीय डेटा या जानकारी संग्रहीत हो। इस प्रकार संग्रहीत डेटा में विशिष्ट उत्पाद पहचान कोड, औषधि का उचित और सामान्य नाम, ब्रांड नाम, निर्माता का नाम और पता, बैच संख्या, निर्माण तिथि, समाप्ति तिथि और निर्माण लाइसेंस संख्या से संबंधित विवरण शामिल होंगे।
(ii) उक्त नियमों में 18.1.2022 को संशोधन किया गया ताकि यह प्रावधान किया जा सके कि भारत में निर्मित या आयातित प्रत्येक सक्रिय फार्मास्युटिकल घटक (थोक औषधि) के लेबल पर पैकेजिंग के प्रत्येक स्तर पर त्वरित प्रतिक्रिया कोड (क्विक रिस्पांस कोड) अंकित होना चाहिए, जिसमें सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन द्वारा पठनीय डेटा या जानकारी संग्रहीत हो, जिससे नजर रखने और स्रोत तक पहुंचने में सुविधा हो। संग्रहीत डेटा या जानकारी में न्यूनतम विवरण शामिल होंगे, जिनमें विशिष्ट उत्पाद पहचान कोड, बैच संख्या, निर्माण तिथि, समाप्ति तिथि आदि शामिल हैं।
(iii) उक्त नियमों में अनुसूची 'एम' के अंतर्गत औषधि उत्पादों के लिए अच्छे विनिर्माण अभ्यासों और परिसर, संयंत्र और उपकरण संबंधी आवश्यकताओं को संशोधित करने के लिए 28.12.2023 को संशोधन किया गया था। संशोधित अनुसूची 'एम' में औषधि गुणवत्ता प्रणाली, गुणवत्ता जोखिम प्रबंधन, औषधि उत्पादों के लिए अच्छे विनिर्माण अभ्यास, योग्यता और सत्यापन आदि निर्दिष्ट हैं। संशोधित अनुसूची 'एम' 250 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाले निर्माताओं के लिए पहले से ही प्रभावी है। 250 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाले निर्माताओं के लिए अनुपालन की समय सीमा 11.2.2025 की अधिसूचना के माध्यम से 31.12.2025 तक बढ़ा दी गई है।
(iv) औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम, 1940 को 2008 में संशोधित किया गया था ताकि नकली और मिलावटी दवाओं के निर्माण के लिए कठोर दंड का प्रावधान किया जा सके और कुछ अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती बनाया जा सके।
(v) राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने उक्त अधिनियम के तहत अपराधों के परीक्षण के लिए विशेष न्यायालय स्थापित किए हैं, ताकि शीघ्र निपटान की सुविधा मिल सके।
(vi) सीडीएससीओ में स्वीकृत पदों की संख्या में पिछले 10 वर्षों में काफी वृद्धि हुई है।
(vii) दवाओं की प्रभावकारिता सुनिश्चित करने के लिए, औषधि नियम, 1945 में संशोधन किया गया है ताकि यह प्रावधान किया जा सके कि आवेदक कुछ दवाओं के मौखिक खुराक रूप के निर्माण लाइसेंस के अनुदान के लिए आवेदन के साथ जैव समतुल्यता अध्ययन का परिणाम प्रस्तुत करेंगे।
(viii) उक्त नियमों में संशोधन करके यह अनिवार्य कर दिया गया है कि विनिर्माण लाइसेंस प्रदान करने से पहले, विनिर्माण प्रतिष्ठान का निरीक्षण केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकार के औषधि निरीक्षकों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाए।
(ix) उक्त नियमों में संशोधन किया गया है ताकि यह अनिवार्य हो कि आवेदक को संबंधित राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण को विनिर्माण लाइसेंस प्रदान किए जाने से पहले स्थिरता, सहायक पदार्थों की सुरक्षा आदि का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा।
(x) सीडीएससीओ राज्य औषधि नियंत्रण संगठनों की गतिविधियों का समन्वय करता है और औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम, 1940 के प्रशासन में एकरूपता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राज्य औषधि नियंत्रकों के साथ आयोजित औषधि परामर्श समिति की बैठक के माध्यम से विशेषज्ञ सलाह प्रदान करता है।
इसके अलावा, उक्त अधिनियम और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के तहत विनियामक प्रावधानों पर समय-समय पर उचित संशोधन के लिए विचार किया जाता है, ताकि देश में निर्मित या आयातित दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता सुनिश्चित की जा सके।
सरकार ने सभी को किफायती दामों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना भी शुरू की है। इस योजना के तहत, ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50 प्रतिशत-80 प्रतिशत कम दरों पर दवाएं उपलब्ध कराने के लिए जन औषधि केंद्र (जेएके) के नाम से जाने जाने वाले विशेष बिक्री केन्द्र देश भर में खोले गए हैं। 30.11.2025 तक देश भर में कुल 17,610 जेएके खोले जा चुके हैं। पीएमबीजेपी के तहत, 2,110 प्रकार की दवाएं उत्पाद बास्केट का हिस्सा हैं, जिनमें हृदय रोग, कैंसर रोधी, मधुमेह रोधी, संक्रामक रोग रोधी, एलर्जी रोधी, पाचन संबंधी दवाएं, न्यूट्रास्यूटिकल्स आदि जैसे सभी प्रमुख चिकित्सीय समूह शामिल हैं। जेएके से बेची जाने वाली गुणवत्तापूर्ण दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए, निम्नलिखित उपाय किए गए हैं:
(i) दवाइयां केवल विश्व स्वास्थ्य संगठन – गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज (डब्ल्यूएचओ-जीएमपी) के लिए प्रमाणित आपूर्तिकर्ताओं से ही खरीदी जाती हैं।
(ii) योजना के अंतर्गत आपूर्ति की जाने वाली दवाओं के प्रत्येक बैच का परीक्षण राष्ट्रीय परीक्षण एवं अंशांकन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) द्वारा मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में किया जाता है और गुणवत्ता परीक्षण उत्तीर्ण करने के बाद ही दवाओं को जन औषधि केंद्रों में भेजा जाता है।
(iii) विक्रेताओं की सुविधाओं का गुणवत्ता ऑडिट भारत के फार्मास्युटिकल्स और मेडिकल डिवाइसेस ब्यूरो द्वारा नियमित रूप से किया जाता है।
यह जानकारी केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने आज लोकसभा में लिखित प्रश्न के उत्तर में दी।
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पीके/केसी/एमके/एमबी
(रिलीज़ आईडी: 2203453)
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