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वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
भारत ने झींगा मछली क्षेत्र के लिए सहयोग बढ़ाया; बीते पांच वर्ष से अमेरिका को सीफूड का निर्यात मजबूत बना हुआ है
प्रविष्टि तिथि:
12 DEC 2025 4:10PM by PIB Delhi
बीते पांच वर्ष में भारत से संयुक्त राज्य अमेरिका को झींगा मछली के निर्यात की कुल मात्रा और कीमत नीचे दी गई है:
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वस्तु
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वर्ष
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2020-
21
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2021-
22
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2022-
23
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2023-
24
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2024-
25
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झींगा मछली
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मात्रा (मीट्रिक टन में):
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272041
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342572
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275662
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297571
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311948
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कीमत (मिलियन अमेरिकी डॉलर में):
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2343.90
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3146.71
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2439.87
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2342.58
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2512.71
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कुल मिलाकर, अप्रैल से अक्टूबर 2025 के दौरान भारत से सीफूड के निर्यात में अप्रैल से अक्टूबर 2024 की तुलना में कीमत के आधार पर 13.93% की अच्छी बढ़ोतरी हुई। इस दौरान निर्यात 4207.08 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 4793.08 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। अमेरिका को झींगा मछली के निर्यात की जानकारी नीचे दी गई सूची में दी गई हैं:
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अगस्त-अक्टूबर 2024
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अगस्त-अक्टूबर 2025*
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वस्तु का नाम
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मात्रा (टन में)
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कीमत अमेरिकी डॉलर में (मिलियन)
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मात्रा (टन में)
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कीमत अमेरिकी डॉलर में (मिलियन)
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झींगा मछली
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83375
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673.98
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55282
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512.81
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अगस्त-अक्टूबर 2025 के आंकड़े प्रोविजनल हैं*
सरकार ने बाजार में विविधता लाने और भारत के सीफूड निर्यात क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कई पहल की हैं। वाणिज्य विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में एक वैधानिक निकाय, समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) व्यापार प्रतिनिधिमंडल भेजकर, खरीदने-बेचने वालों के बीच बैठकें आयोजित करके और एशिया व यूरोप में प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय सीफूड मेलों में भाग लेकर सीफूड निर्यात बाजार में विविधता लाने के लिए सक्रिय तौर पर काम कर रहा है। 2025 में चेन्नई और नई दिल्ली में आयोजित रिवर्स क्रेता-विक्रेता बैठकों से 100 से क्रेता-निर्यातकों की बातचीत हुई। एमपीईडीए निर्यातकों को नए अवसरों का लाभ उठाने में मदद करने के लिए कई एफटीए पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। वाणिज्य विभाग बाजार पहुंच के मुद्दों को हल करने के लिए, विशेष रूप से ईयू के साथ, एफटीए वार्ताओं को तेज करने के लिए प्रयास कर रहा है। भारत सरकार के मत्स्य पालन विभाग ने ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इंडोनेशिया, जापान, थाईलैंड, यूनाइटेड किंगडम और रूस के दूतावासों/ उच्चायोगों के साथ कई बैठकें की हैं। इन चर्चाओं में, अन्य बातों के साथ ही, व्यापार संबंधों को मजबूत करना, मूल्य संवर्धन, गुणवत्ता आश्वासन, जैव सुरक्षा और गुणवत्ता अनुपालन, कोल्ड-चेन में सुधार, प्रसंस्करण, स्वचालन, अनुसंधान और विकास सहयोग, और प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण जैसे विषय शामिल थे।
बीते पांच वर्ष में अलग-अलग योजनाओं के अंतर्गत झींगा मछली के किसानों और निर्यातकों को दी गई कुल वित्तीय मदद नीचे दी गई है:
- एमपीईडीए, मछली उत्पादों की टेस्टिंग के लिए एमपीईडीए के साथ मंजूर किए गए पंजीकृत प्रोसेसिंग प्लांट/ हैंडलिंग सेंटर में छोटी प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए एक वित्तीय मदद योजना चलाता है। इस योजना के अंतर्गत, आवेदक को कुल लागत के 50% की दर से वित्तीय मदद की जाती है, जो अधिकतम 5 लाख रुपये तक हो सकती है। यह योजना पंजीकृत सीफूड निर्यातकों को प्रभावी प्रक्रिया में क्वालिटी नियंत्रित करने में मदद करती है। एमपीईडीए ने बीते 5 वर्ष में इस योजना के अंतर्गत 8 यूनिट्स को कुल ₹24.07 लाख की वित्तीय मदद की है।
- एमपीईडीए की वैल्यू निर्माण योजना सभी तटीय क्षेत्रों में वैल्यू-निर्माण करने वाले समुद्री उत्पादों के लिए निर्यात के मुताबिक सुविधाओं की स्थापना और अपग्रेडेशन का सहयोग करती है। यह योजना सीफूड वैल्यू निर्माण में निवेश को प्रोत्साहन देती है, जिससे वैश्विक बाजार में भारत की उपस्थिति मजबूत होती है। बीते पांच वर्ष में, एमपीईडीए ने 83 इकाइयों को कुल ₹10,189.91 लाख की वित्तीय मदद की गई है।
- एमपीईडीए ने एफएओ गाइडलाइंस के हिसाब से शाफारी प्रमाणन कार्यक्रम शुरू किया है, जिससे बीमारी-मुक्त और एंटीबायोटिक-मुक्त झींगा बीज और फार्म उत्पाद सुनिश्चित किए जा सकें और बेहतर मैनेजमेंट तरीकों को प्रोत्साहन दिया जा सके। प्रमाणित हैचरी और फार्म झींगा मछली के निर्यात पर भरोसा बढ़ाते हैं, और निर्यातक इस प्रमाणन को व्यापार में एक भरोसेमंद दस्तावेज के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। ऑडिट और टेस्टिंग की 50% लागत एमपीईडीए हैचरी के लिए उठाएगी और किसानों को कोई ऑडिट/ टेस्टिंग का शुल्क नहीं देना होगा। अभी, 16 हैचरी और 344.21 हेक्टेयर फार्म एरिया शाफारी के अंतर्गत प्रमाणित हैं, जो भारत में अच्छी क्वालिटी वाली झींगा मछली उत्पादन में सहयोग करते हैं। एमपीईडीए बीमारी-मुक्त उत्पादन बढ़ाने और प्रोडक्ट की क्वालिटी सुनिश्चित करने के लिए एक वित्तीय मदद योजना चलाती है। बीते 5 वर्ष में 84 लाभार्थियों को कुल ₹328.995 लाख की आर्थिक मदद की गई है।
- मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक 5 साल की अवधि के लिए 20,050 करोड़ रुपये के कुल बजट के साथ प्रमुख योजना प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) को लागू कर रहा है। इस प्रमुख योजना के अंतर्गत, ₹2,403 करोड़ के बजट आवंटन के साथ 34,788 इंफ्रास्ट्रक्चर यूनिट स्थापित की गई हैं। इनमें कोल्ड स्टोरेज, खुदरा और थोक बाजार, मछली कियोस्क, वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट यूनिट और फसल कटाई के बाद परिवहन सुविधाएं (रेफ्रिजरेटेड/ इंसुलेटेड वाहन, बाइक, आदि) शामिल हैं। इसके साथ ही, मत्स्य पालन और जलीय कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर विकास कोष (एफआईडीएफ) के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर मदद को मजबूत किया गया है, जिसने 208 करोड़ रुपये की 15 प्रमुख परियोजनाओं का सहयोग किया है, जो मुख्य रूप से मछली प्रसंस्करण और कोल्ड-चेन डेवलपमेंट पर केंद्रित हैं।
झींगा मछली के किसानों को मदद करने के लिए ये कदम उठाए गए हैं:
- एमपीईडीए किसानों को नई फार्मिंग तकनीक, भंडार और तालाब मैनेजमेंट से जुड़े मुद्दों, बेहतर मैनेजमेंट तरीकों, इनपुट के इस्तेमाल वगैरह के बारे में जानकारी देने के लिए ट्रेनिंग, किसानों की बैठक, जागरूकता अभियान, स्टेकहोल्डर मीटिंग, फार्म मॉनिटरिंग, फार्म-टू-फार्म लेवल कैंपेन जैसे कई क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।
- एमपीईडीए ने एक्वाकल्चर टेक्नीशियन ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किए हैं, जिससे टेक्नीशियन के जरिए किसानों को नए दिशा निर्देशों, खेती में केवल मंजूर किए गए और अधिकृत इनपुट का इस्तेमाल करने की जरूरत और खाने की सुरक्षा व निर्यात के मानकों को पूरा करने के लिए एक्वाकल्चर में बेहतर मैनेजमेंट तरीकों को अपनाने के बारे में शिक्षित किया जा सके।
- आरजीसीए, जो एमपीईडीए की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर विंग है, विशाखापट्टनम में आरजीसीए की पायलट स्केल ब्रूड स्टॉक मल्टीप्लीकेशन फैसिलिटी में भारतीय स्ट्रेन से एसपीएफ टाइगर श्रिम्प ब्रूडस्टॉक के निर्माण के लिए टाइगर श्रिम्प को घरेलू बनाने पर लागू कर रही है। यह परियोजना अभी सीड प्रोडक्शन के लिए हैचरी को टाइगर श्रिम्प ब्रूडस्टॉक सप्लाई कर रही है। आरजीसीए की ओर से स्थापित एक्वाकल्चर पैथोलॉजी लैब भी किसानों को बीमारी की पहचान, रोकथाम और नियंत्रण में मदद कर रही है। आरजीसीए द्वारा लगाई गई मोबाइल लैब परेशानी के समय में किसानों को खेत में तुरंत मदद प्रदान करती है।
- एमपीईडीए ने यह सुनिश्चित करने के लिए फार्म और हैचरी का शाफारी प्रमाणन लागू किया है कि प्रोडक्ट एंटीबायोटिक-मुक्त और बीमारी-मुक्त हों, और बेहतर प्रबंधन प्रक्रिया के जरिए तैयार की गई हों।
- एमपीईडीए-आरजीसीए चेन्नई में एक्वेटिक क्वारंटाइन फैसिलिटी (एक्यूएफ) का संचालन करता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश में आयात किए गए एसपीएफ श्रिम्प ब्रूडर्स को हैचरी को भेजने करने से पहले क्वारंटाइन किया जाए, ताकि बीमारी-मुक्त खेती सुनिश्चित हो सके।
- एमपीईडीए ने किसानों की मुश्किलों से निपटने, समस्याओं का समाधान करने और तकनीकी मदद देने के लिए विजयवाड़ा में अनुभवी टेक्निकल एक्सपर्ट्स के साथ एक टोल फ्री नंबर वाला एक्वा फार्मर्स कॉल सेंटर शुरू किया है।
- एमपीईडीए निर्यात के लिए बनाए गए उत्पाद की ट्रेस करने के उद्देश्य से एक्वाकल्चर फार्म और हैचरी को रजिस्टर कर रहा है।
- एमपीईडीए बीमारी-मुक्त उत्पादन बढ़ाने और उत्पाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय मदद योजनाएं लागू करता है, जिसकी जानकारी अनुलग्नक में दी गई हैं।
- एमपीईडीए ने बायो-सिक्योर्ड सर्कुलर टैंक का इस्तेमाल करके झींगा मछली का उत्पादन बढ़ाने के लिए एक्वाकल्चर में एडवांस्ड टेक्नोलॉजिकल ट्रांसफॉर्मेशन नाम की एक नई योजना शुरू की है। इस योजना के अंतर्गत, सामान्य श्रेणी के किसानों को ₹30 लाख तक की पूंजीगत लागत का 50% और एससी/ एसटी/ एनईआर/ यूटी से संबंधित किसानों को साल भर में ₹45 लाख तक की पूंजीगत लागत की 75% वित्तीय मदद प्रदान की जाती है।
- भारत सरकार के मत्स्य पालन विभाग ने आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कोल्ड चेन, हैचरी, प्रसंस्करण और मूल्य-श्रृंखला दक्षता के विकास के लिए मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर विकास कोष (एफआईडीएफ) और प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) जैसी केंद्रीय योजनाओं का अधिकतम इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए हितधारकों के साथ कई बैठकें की हैं।
- 3 सितंबर, 2025 को हुई 56वीं जीएसटी काउंसिल बैठक में, भारत सरकार ने 20 से अधिक मछली पालन और एक्वाकल्चर से जुड़े उत्पादों जैसे फार्म इक्विपमेंट, फीड सामग्री, वॉटर कंडीशनर, मछली पकड़ने के जाल और वैल्यू-एडेड सीफूड उत्पाद इत्यादि पर जीएसटी दरों को 12-18% से घटाकर 5% करने की मंजूरी दी थी। उम्मीद है कि इस कदम से इनपुट लागत में कमी आएगी, कार्यान्वयन खर्च में कमी होगी, और भारतीय सीफूड का उत्पादन, वैल्यू निर्माण और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
अनुलग्नक
बीमारी मुक्त उत्पादन बढ़ाने और उपज की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय मदद योजनाएं
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योजना का नाम
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योजना का उद्देश्य/ जानकारी
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वित्तीय मदद का तरीका
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खेत परिसर में बीज उगाने के लिए नर्सरी की स्थापना।
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झींगा पालन के लिए बायो-सुरक्षित नर्सरी माहौल में लार्वा के बाद को पालना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह अच्छी गुणवत्ता के बीज सुनिश्चित करता है, बीमारियों के फैलने को कम करता है, फार्म की उत्पादकता बेहतर करता है, कल्चर पीरियड कम करता है, और श्रम व बार-बार होने वाले खर्चों को कम करता है।
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सामान्य श्रेणी के किसानों के लिए, खर्च की गई मान्य लागत का 50%, अधिकतम 6,00,000/- रुपये की वित्तीय मदद के अंतर्गत, जो भी कम हो।
एससी/ एसटी लाभार्थियों के लिए प्रस्तावित सहायता खर्च की गई मान्य लागत का 75%, अधिकतम 9,00,000/- रुपये की वित्तीय मदद के अंतर्गत, जो भी कम हो।
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बेहतर खाद्य सुरक्षा के लिए खेतों में झींगा मछली संभालने के लिए सुविधाएं पूरी करना।
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कटाई से लेकर स्टोरेज तक हैंडलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने और खेतों में बायो-टॉयलेट उपलब्ध कराने से गुणवत्ता सुधर सकती है और दूषित होने का खतरा कम हो सकता है। ये तरीके बेहतर स्वच्छता सुनिश्चित करते हैं, जिससे रोग पैदा करने वाले कीटाणुओं से दूषित होने की संभावना कम होती है और झींगा मछली की गुणवत्ता बनी रहती है।
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किसान के एक्वा फार्म के प्रति हेक्टेयर वॉटर स्प्रेड एरिया पर खर्च की गई कुल लागत का 50%, अधिकतम 10,00,000/- रुपये की वित्तीय मदद के अंतर्गत, जो भी कम हो। एससी/ एसटी लाभार्थी को प्रस्तावित सहायता खर्च की गई कुल लागत का 75% होगी, जो किसान के एक्वा फार्म के प्रति हेक्टेयर वाटर स्प्रेड एरिया पर अधिकतम 15,00,000/- रुपये की वित्तीय मदद के अंतर्गत, जो भी कम हो।
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यह जानकारी वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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पीके/केसी/एमएम/डीके
(रिलीज़ आईडी: 2203292)
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