पंचायती राज मंत्रालय
पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से ग्रामीण विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देना
प्रविष्टि तिथि:
10 DEC 2025 3:19PM by PIB Delhi
‘पंचायत’, ‘स्थानीय सरकार’ होने के नाते, राज्य का विषय है और भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य सूची का हिस्सा है।पंचायतेँ संबंधित राज्य के पंचायती राज अधिनियमों के माध्यम से स्थापित की जाती हैं और संचालित होती हैं, जो संविधान के प्रावधानों के अधीन, हर राज्य में अलग-अलग हो सकते हैं। पंचायतों का प्रदर्शन और विकास, संबंधित राज्यों द्वारा उन्हें हस्तांतरित किए गए अधिकारों और संसाधनों की मात्रा पर निर्भर करता है। तदनुसार, पंचायतों से संबंधित सभी विषय, जिनमें पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) का प्रभावी कार्य निष्पादन, पीआरआई की जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु संस्थागत तंत्र को सुदृढ़ करना, तथा उनके प्रदर्शन की निगरानी एवं मूल्यांकन शामिल हैं, राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
सरकार की प्राथमिकता पंचायती राज प्रणाली के विकास के लिए यह है कि पंचायतेँ और उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों को ग्रामीण परिवर्तन के केंद्र के रूप में स्थापित किया जाए। इसमें विभिन्न विषयों से संबंधित सेवाओं के प्रावधान के लिए पंचायतों को प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित करना तथा उनकी स्वयं की राजस्व स्रोतों के संवर्धन को प्रोत्साहित करना शामिल है।
पंचायती राज शासन में सुधार हेतु पंचायती राज मंत्रालय सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों, जिसमें कर्नाटक भी शामिल है, के पंचायती राज संस्थानों के निर्वाचित प्रतिनिधियों, कार्यकर्ताओं तथा अन्य हितधारकों के क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण को प्रमुख उद्देश्य के रूप में रखते हुए केंद्रीय रूप से प्रायोजित राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (RGSA) का कार्यान्वयन कर रहा है। राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान योजना के तहत, मंत्रालय पंचायती अवसंरचना के निर्माण में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रयासों को सीमित स्तर पर सहायता प्रदान करता है, जिसमें विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी राज्यों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इस योजना के अंतर्गत मंत्रालय पंचायत भवन तथा कंप्यूटर एवं उनके परिधीय उपकरणों सहित पंचायतों की प्रमुख अवसंरचना आवश्यकताओं में सहायता प्रदान करता है।
इसके अतिरिक्त, इस योजना के तहत नवाचार, आर्थिक विकास एवं आय वृद्धि को प्रोत्साहित करने वाले परियोजनाओं को सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों, जिसमें कर्नाटक भी शामिल है, में समर्थन प्रदान किया गया है। आर्थिक विकास एवं आय वृद्धि घटक के अंतर्गत कर्नाटक राज्य के लिए अनुमोदित परियोजना ‘ग्राम पंचायतों के सहयोग से सशक्त ग्रामीण महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा उत्पादित सुलभ पैक किए गए पौष्टिक खाद्य उत्पादों के उत्पादन एवं विपणन हेतु सतत् समर्थन’वित्त वर्ष 2022–23 में ₹3.17 करोड़ की लागत से स्वीकृत की गई थी।
सरकार पंचायती राज संस्थाओं को पंद्रहवें वित्त आयोग की अनुशंसाओं के अनुसार अनुदान जारी कर सहयोग प्रदान करती है। पंचायती राज संस्थाओं को 28 राज्यों, जिनमें कर्नाटक भी शामिल है, की तीनों स्तरीय पंचायतों, पारंपरिक स्थानीय निकायों एवं छठी अनुसूची क्षेत्रों के लिए वित्त वर्ष 2020-21 के अंतरिम अवधि हेतु ₹60,750 करोड़ तथा वित्त वर्ष 2021-26 की अवधि के लिए ₹2,36,805 करोड़ की राशि अनुदान के रूप में आवंटित की गई है।
कर्नाटक राज्य को वित्त वर्ष 2022–2025 के दौरान जारी पंद्रहवें वित्त आयोग अनुदानों का विवरण निम्नलिखित है:
|
वित्तीय वर्ष
|
जारी राशि (रुपये करोड़ में)
|
|
2022-23
|
2093.55
|
|
2023-24
|
2086.59
|
|
2024-25
|
2133.25
|
देश भर में पंचायती राज संस्थाओं के कामकाज को मजबूत करने के लिए, पंचायती राज मंत्रालय ने एक उपयोगकर्ता के अनुकूल वेब-आधारित पोर्टल ईग्रामस्वराज लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य विकेंद्रीकृत योजना, प्रगति रिपोर्टिंग, वित्तीय प्रबंधन, काम-आधारित लेखांकन और निर्मित संपत्ति के विवरण में बेहतर पारदर्शिता लाना है।ई-ग्रामस्वराज पोर्टल को भी सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के साथ एकीकृत किया गया है, ताकि राज्यों द्वारा केंद्र वित्त आयोग की निधियों का पीआरआईको ऑनलाइन हस्तांतरण किया जा सके और पंचायतों को विक्रेताओं/सेवा प्रदाताओं को वास्तविक समय में भुगतान करने में सक्षम बनाया जा सके। पंचायतें अपनी वार्षिक पंचायत विकास योजनाएँ ई-ग्रामस्वराज पोर्टल पर तैयार करती हैं और अपलोड करती हैं
मंत्रालय द्वारा वर्ष 2018 से ‘सबकी योजना सबका विकास’के रूप में 'जन योजना अभियान' (पीपीसी) को लागू किया जा रहा है, ताकि जमीनी स्तर पर ग्राम/गांव पंचायतों, ब्लॉक/मध्यवर्ती पंचायतों और जिला पंचायतों सहित प्रमाण-आधारित, समग्र और समावेशी विकास योजनाओं को एक संरचित तरीके से तैयार किया जा सके। इसका मुख्य उद्देश्य सरपंचों, पंचायत सदस्यों और स्थानीय निवासियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना है, ताकि स्थानीय विकास संबंधी मुद्दों, आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं की पहचान को सुगम बनाया जा सके। इन्हीं के आधार पर व्यापक ग्राम पंचायत विकास योजना के निर्माण हेतु विषय-आधारित ‘संकल्प’लिया जाता है, जिसका उद्देश्य किसी विशेष विषय में निहित सभी क्षेत्रों में सेवाओं और अवसंरचना का संतृप्तिकरण सुनिश्चित करना है।
योजना वर्ष/वित्तीय वर्ष2024-25 के लिए 2.5 लाख ग्राम पंचायतों ने अपनी वार्षिक विकास योजनाएँ (जीपीडीपी) ई-ग्रामस्वराज पोर्टल पर तैयार और अपलोड कीं है। इसके अतिरिक्त, मंत्रालय ने पंचायतों की खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए ई-ग्रामस्वराज को सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जेम) के साथ एकीकृत किया है। इस एकीकरण के माध्यम से पंचायतें ई-ग्रामस्वराज प्लेटफ़ॉर्म के जरिए जेमके माध्यम से वस्तुएँ और सेवाएँ खरीद सकती हैं, जिससे “वोकल फॉर लोकल” पहल को बढ़ावा मिलता है।
इसके अतिरिक्त, पंचायतों के खातों और उनके वित्तीय प्रबंधन के ऑनलाइन ऑडिट के लिए ‘ऑडिटऑनलाइन’नामक एक ऑनलाइन एप्लिकेशन विकसित किया गया है। अप्रैल 2020 में लॉन्च किया गया ऑडिटऑनलाइन पोर्टल केंद्रीय वित्त आयोग की निधियों के उपयोग के पारदर्शी ऑडिट को सक्षम बनाता है और पंचायतों के वित्तीय प्रबंधन को सुदृढ़ करता है।
मंत्रालय ने पंचायत निर्णय (Panchayat NIRNAY) पोर्टल भी लॉन्च किया है, जो ग्रामीण भारत में स्थानीय स्वशासन के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर वास्तविक समय (Real Time) निगरानी प्रणाली है। यह ग्राम सभा बैठकों से संबंधित है, जिसमें बैठकों का समय निर्धारित करना, नागरिकों को बैठक के एजेंडे की पूर्व सूचना देना, पंचायत बैठकों में जनता की भागीदारी बढ़ाना, पंचायत निर्णयों को रिकॉर्ड करना और उन्हें संदर्भ के लिए उपलब्ध कराना, पंचायत कार्यकर्ताओं की पंचायत निर्णय लेने और उसके क्रियान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। यह पूरे देश में पंचायतों के लिए सर्वोत्तम कार्यपद्धतियों (Best Practices) के आदान-प्रदान की सुविधा भी प्रदान करता है। यह ग्राम सभा प्रबंधन प्रणाली के लिए पूरी तरह से स्वचालित ऑनलाइन कार्यप्रवाह की सुविधा देता है, जो कागज़ आधारित मैनुअल प्रक्रिया की जगह लेता है। ‘पंचायत निर्णय’पोर्टल का मुख्य उद्देश्य ग्राम सभा बैठकों को अधिक सहभागी, पारदर्शी और सक्रिय बनाना है।
इसके अतिरिक्त, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पंचायती राज संस्थाओं–सामुदायिक आधारित संगठनों (PRI–CBO) के अभिसरण के तहत, ग्राम समृद्धि एवं लचीलापन योजना (वीपीआरपी) पर पीआरआई प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण एवं परिचय प्रदान किया, ताकि सामूहिक जिम्मेदारी के माध्यम से विकासगत अंतरालों को पाटने हेतु सामूहिक योजना प्रक्रियाओं को मजबूत किया जा सके। यह प्रशिक्षण अगस्त से सितंबर, 2025 के दौरान ब्लॉक स्तर पर आयोजित किया गया था।
पंचायती राज संस्थाओं - सामुदायिक आधारित संगठन (PRI-CBO) समन्वय के माध्यम से, कर्नाटक राज्य की 5954 ग्राम पंचायतों में से 804 ग्राम पंचायतों में ग्राम पंचायत समन्वय समितियाँ (GPCC), एक जमीनी मंच के रूप में, गठित की गई हैं। ये ग्राम पंचायत समन्वय समितियाँ राज्य के 238 ब्लॉकों में से 34 ब्लॉकों को कवर करती हैं। ये मंच सभी विकास हितधारकों के बीच सहयोग को सुदृढ़ करने और ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) में शामिल मांगों के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने का कार्य करते हैं।
यह जानकारी पंचायती राज मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
***
AA
(रिलीज़ आईडी: 2201446)
आगंतुक पटल : 94