विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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संसद प्रश्न: राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ)

प्रविष्टि तिथि: 03 DEC 2025 6:10PM by PIB Delhi

अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ) की स्थापना अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान अधिनियम, 2023 (2023 का 25) के माध्यम से हुई है। इस अधिनियम के प्रावधान 5 फरवरी 2024 से लागू हुए। इसका उद्देश्य गणितीय विज्ञान, इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण एवं पृथ्वी विज्ञान, स्वास्थ्य एवं कृषि, तथा मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान के वैज्ञानिक एवं तकनीकी इंटरफेस सहित प्राकृतिक विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान, नवाचार एवं उद्यमशीलता के लिए उच्च स्तरीय रणनीतिक दिशा प्रदान करना, ऐसे अनुसंधान के लिए और उससे जुड़े या उसके प्रासंगिक मामलों के लिए आवश्यकतानुसार प्रोत्साहन, निगरानी और सहायता प्रदान करना है। एएनआरएफ का व्यापक लक्ष्य अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना, विकसित करना और प्रोत्साहन देना तथा भारत के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, अनुसंधान संस्थानों और आर एंड डी प्रयोगशालाओं में अनुसंधान एवं नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देना है।

एएनआरएफ के अंतर्गत कार्यक्रमों एवं पहलों को राष्ट्रीय अनुसंधान प्रयासों को रणनीतिक प्राथमिकताओं के साथ संरेखित करने के लिए तैयार किया गया है। इसमें प्रतिस्पर्धात्मक वित्तपोषण के माध्यम से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अनुशासनात्मक और बहुविषयक क्षेत्रों में अनुसंधान का समर्थन करना; राज्य विश्वविद्यालयों में अनुसंधान एवं विकास क्षमताओं को मजबूत करना; राष्ट्रीय महत्व के क्षेत्रों में मिशन-मोड कार्यक्रमों को लागू करना; अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना; और फेलोशिप, सेमिनार और कार्यशाला अनुदानों के माध्यम से सीमित समर्थन प्रदान करना शामिल है।

एएनआरएफ के अंतर्गत एक प्रमुख पहल, उच्च-प्रभाव वाले क्षेत्रों में उन्नति के लिए मिशन (एमएएचए) है, जो बहु-संस्थागत, बहु-विषयक और बहु-अन्वेषक सहयोग के माध्यम से प्राथमिकता-आधारित, समाधान-उन्मुख अनुसंधान को बढ़ावा देता है। एमएएचए कार्यक्रम के अंतर्गत, एएनआरएफ ने अब तक चार मिशनों की पहचान की है और उन्हें शुरू किया है जिसमें इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) मिशन, 2डी इनोवेशन हब, मेडटेक मिशन और विज्ञान एवं इंजीनियरिंग पहल के लिए एआई शामिल हैं।

एएनआरएफ के कार्यक्रम उद्योग-शिक्षा सहयोग को मजबूत करने और सक्रिय उद्योग भागीदारी के साथ रूपांतरित, मिशन-निर्देशित अनुसंधान को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं। प्रभावी सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए, एमएएचए-ईवी मिशन में संबंधित उद्योगों, सार्वजनिक उपक्रमों और स्टार्टअप्स की भागीदारी अनिवार्य है और इसमें यह आवश्यक है कि उद्योग साझेदार कुल परियोजना लागत का 10 प्रतिशत योगदान दें।

देश के अनुसंधान एवं विकास दृष्टिकोण को मजबूत करने और एक प्रतिस्पर्धी राष्ट्रीय अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने के लिए सरकार कई रणनीतिक कदम उठा रही है। इनमें सेमीकंडक्टर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, 5जी/6जी, क्वांटम कंप्यूटिंग, जैव प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियां और साइबर-भौतिक प्रणाली जैसी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में देशी क्षमताओं का निर्माण; राष्ट्रीय क्वांटम मिशन, इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन और बहुविषयक साइबर-भौतिक प्रणाली पर राष्ट्रीय मिशन (एमएम-आईसीपीएस) जैसी राष्ट्रीय मिशन कार्यक्रमों की स्थापना शामिल हैं जिससे समन्वित, मिशन-आधारित अनुसंधान को बढ़ावा दिया जा सके। आगे के कदमों में उच्च-प्रभाव और ट्रांसलेशनल रिसर्च का समर्थन करने के लिए अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ) का संचालन; उद्योग-शैक्षणिक सहयोग को बढ़ाना; आर एंड डी में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना और उभरते एवं रणनीतिक क्षेत्रों में अनुसंधान एवं नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए एक लाख करोड़ रुपये का आरडीआई फंड स्थापित करना शामिल है। सरकार अनुसंधान एवं विकास के लिए मानव संसाधन को भी मजबूत कर रही है, जिसमें प्रधानमंत्री प्रारंभिक करियर अनुसंधान अनुदान और अन्य अनुसंधान सहायता कार्यक्रम शामिल हैं।

निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने की प्रमुख पहलों में से एक अनुसंधान, विकास एवं नवाचार (आरडीआई) योजना की शुरुआत है। 01 जुलाई, 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए 6 वर्षों में एक लाख करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ आरडीआई योजना को मंज़ूरी प्रदान की।

आरडीआई योजना का उद्देश्य निजी क्षेत्र में आरडीआई निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए लंबी अवधि का वित्तपोषण कम ब्याज दरों पर प्रदान करना है। इस योजना को निजी क्षेत्र के वित्तपोषण में आने वाली बाधाओं एवं चुनौतियों से निपटने के लिए डिजाइन किया गया है और इसका उद्देश्य उभरते एवं रणनीतिक क्षेत्रों में विकास और जोखिम पूंजी प्रदान करना है ताकि नवाचार को सुविधाजनक बनाया जा सके, प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दिया जा सके और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाया जा सके। आरडीआई योजना के मुख्य उद्देश्य (1) निजी क्षेत्र को उभरते क्षेत्रों और आर्थिक सुरक्षा, रणनीतिक उद्देश्य और आत्मनिर्भरता के लिए प्रासंगिक अन्य क्षेत्रों में अनुसंधान, विकास एवं नवाचार (आरडीआई) को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना, (2) प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर (टीआरएल) 4 और उससे अधिक के उच्च स्तर पर परिवर्तनकारी परियोजनाओं को वित्तपोषित करना (3) महत्वपूर्ण या उच्च रणनीतिक महत्व के प्रौद्योगिकियों के अधिग्रहण को समर्थन देना और (4) डीप-टेक फंड की स्थापना को सुविधाजनक बनाना हैं।

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पीके/केसी/एके /डीए


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