पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
एनसीपीओआर भारत के ध्रुवीय और महासागरीय अन्वेषण का आधार बन गया है: गोवा के राज्यपाल
संस्थान की रजत जयंती के उपलक्ष्य में विशेष स्मृति डाक टिकट जारी किया गया
प्रविष्टि तिथि:
01 DEC 2025 5:59PM by PIB Delhi
गोवा के राज्यपाल श्री पुसापति अशोक गजपति राजू ने आज (1 दिसम्बर 2025) वास्कोडिगामा में एनसीपीओआर परिसर में अंटार्कटिका दिवस सहारोह में बोलते हुए कहा कि राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र भारत के ध्रुवीय और महासागरीय अन्वेषण का आधार बन गया है। अंटार्कटिका संधि पर 1 दिसम्बर 1959 को हस्तक्षर किए जाने की याद में दुनियाभर में अंटार्कटिका दिवस मनाया जाता है। यह संधि अंटार्कटिका महाद्वीप को पूर्णत: शांति और वैज्ञानिक अनुसंधान हेतु सुरक्षित घोषित करती है।

राज्यपाल, जो इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे, ने एनसीपीओआर की स्थापना की रजत जयंती के उपलक्ष्य में एक विशेष स्मृति डाक टिकट भी जारी किया।
राज्यपाल ने कहा कि केन्द्र सरकार के डाक विभाग द्वारा स्मृति डाक टिकट जारी करना एनसीपीओआर के उल्लेखनीय योगदान और 5 अप्रैल 2000 को अपनी स्थापना के बाद से ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान में राष्ट्र को समर्पित 25 वर्षों की गौरवशाली सेवा की एक महत्वपूर्ण स्वीकृति है।
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उन्होंने कहा, "इस संस्थान ने 25 वर्षों से हमारी पृथ्वी के कुछ सबसे असाधारण क्षेत्रों में भारत की वैज्ञानिक कल्पना का विस्तार किया है। एनसीपीओआर ने गहरे महासागर मिशन का नेतृत्व भी किया है। यह उस विचार को आगे बढ़ाता है जो ज्ञान का एक साधन और राष्ट्रीय रणनीति का एक उपकरण दोनों है। ध्रुवीय क्षेत्र दूर लग सकता है, लेकिन इसका प्रभाव हम सभी पर पड़ता है। अंटार्कटिका में दुनिया के लगभग 70 प्रतिशत ताज़े पानी भंडार है। इस क्षेत्र के पूरी तरह पिघल जाने से दुनिया भर में समुद्र का स्तर बढ़ जाएगा और वैश्विक जलवायु स्थिरता प्रभावित होगी। 2047 तक विकसित देश बनने की आकांक्षा रखने वाले 1.4 अरब लोगों के राष्ट्र को इन परिवर्तनों के महत्व को समझना होगा, उनका पूर्वानुमान लगाना होगा और उनके लिए तैयार रहना होगा। यही एनसीपीओआर जैसे संस्थानों के महत्व को दर्शाता है।"

राज्यपाल ने आगे कहा, "गोवा ऐसे संस्थान का घर होने पर गर्व महसूस करता है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि गोवा सरकार आपके सभी भविष्य के प्रयासों में आपके वैज्ञानिक विजन का समर्थन करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध रहेगी।"
महाराष्ट्र सर्कल के मुख्य पोस्टमास्टर जनरल श्री अमिताभ सिंह, जिन्होंने सम्मानित अतिथि के रूप में समारोह की अध्यक्षता की, ने कहा कि डाक विभाग को वैज्ञानिक ध्रुवीय अनुसंधान में एनसीपीओआर की 25 वर्षों की यात्रा का हिस्सा बनने पर गर्व है। उन्होंने कहा कि एनसीपीओआर की रजत जयंती पर विशेष स्मृति डाक टिकट संस्थान के वैज्ञानिक प्रयासों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और समर्थन का एक रूप है।
एनसीपीओआर के निदेशक डॉ. थम्बन मेलोथ ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि केन्द्र सरकार ने संस्थान के ध्रुवीय अन्वेषण की सहायता करने हेतु दो प्रमुख पहलों को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा, "केन्द्र सरकार ने हमारे सभी प्रयासों में हमेशा हमारा साथ दिया है। मैत्री-II नामक एक नए अत्याधुनिक अनुसंधान केंद्र और पहले स्वदेशी आईस-क्लास अनुसंधान पोत को सैद्धांतिक मंज़ूरी मिलना वैज्ञानिक अनुसंधान के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।"

एनसीपीओआर ध्रुवीय क्षेत्रों और दक्षिणी महासागर में भारत के वैज्ञानिक अभियानों और अनुसंधान कार्यक्रमों का नेतृत्व करने में अग्रणी रहा है। संस्थान ने अंटार्कटिका में दक्षिण गंगोत्री, मैत्री और भारती तथा आर्कटिक में हिमाद्री के साथ-साथ हिमालयी क्षेत्र में हिमांश जैसे स्थायी भारतीय अनुसंधान स्टेशनों की स्थापना किया है और उन्हें चालू किया है।
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पीके/केसी/आईएम/एम
(रिलीज़ आईडी: 2197258)
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