संस्कृति मंत्रालय
केंद्रीय संस्कृति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने नागरिकों को सशक्त बनाने में संविधान की क्रांतिकारी भूमिका पर प्रकाश डाला
संस्कृति मंत्रालय ने वर्ष भर चले हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान अभियान सम्पन्न किया
प्रविष्टि तिथि:
26 NOV 2025 8:30PM by PIB Delhi
संस्कृति मंत्रालय ने आज नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में भारत के संविधान को अंगीकार किए जाने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में समापन कार्यक्रम का आयोजन किया, जो राष्ट्रव्यापी अभियान "हमारा संविधान - हमारा स्वाभिमान" के समापन का प्रतीक था। इस समारोह में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री विवेक अग्रवाल और आईजीएनसीए के सदस्य सचिव श्री सच्चिदानंद जोशी भी उपस्थित थे।

अपने मुख्य भाषण में, श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने संविधान को भारत के सभ्यता की अभिव्यक्ति बताया। उन्होंने मौलिक अधिकारों, समानता और सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के माध्यम से नागरिकों को सशक्त बनाने में संविधान की क्रांतिकारी भूमिका पर प्रकाश डाला। आपातकाल जैसे महत्वपूर्ण क्षणों को याद करते हुए, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि कैसे संविधान ने भारत के लोकतांत्रिक सुदृढ़ता का मार्गदर्शन किया है। मंत्री महोदय ने 75 वर्षों में महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक प्रगति को संभव बनाने, जमीनी स्तर की संस्थाओं को मज़बूत करने और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने में संविधान की भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने युवाओं से प्रतिबद्धता के साथ संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने का आग्रह किया और कहा कि लोकतंत्र तभी फलता-फूलता है जब नागरिक सक्रिय रूप से इसके सिद्धांतों की रक्षा करते हैं।

मुख्य अतिथि ने आईजीएनसीए परिसर में दो विशेष रूप से क्यूरेट की गई प्रदर्शनियों का उद्घाटन किया। पहली प्रदर्शनी "नींव- भारतीय संविधान की महिला शिल्पी" थी, जिसे दर्शनम गैलरी में प्रदर्शित किया गया था। इस प्रदर्शनी में संविधान सभा की अग्रणी महिलाओं को श्रद्धांजलि दी गई, जिनके विचारों और सिद्धांतों ने देश की संवैधानिक नींव को महत्वपूर्ण रूप से आकार दिया। दूसरी प्रदर्शनी, "भारत के संविधान का निर्माण - भारत के संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने का उपलक्ष्य" में भारत की संविधान निर्माण यात्रा का एक व्यापक दृश्य वर्णन प्रस्तुत किया गया, जिसमें अभिलेखीय सामग्री, दुर्लभ तस्वीरें और सूचना पैनल शामिल थे, जिन्होंने संविधान सभा की ऐतिहासिक बहसों, महत्वपूर्ण पड़ावों और संविधान निर्माण में मार्गदर्शन देने वाले दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला।

संस्कृति मंत्रालय के सचिव, श्री विवेक अग्रवाल ने अपने संबोधन में संविधान की उस यात्रा का वर्णन किया जो दिसंबर 1946 में संविधान सभा की पहली बैठक से शुरू होकर 1949 में इसके अंगीकरण और जनवरी 1950 में औपचारिक हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुई। उन्होंने संविधान निर्माण प्रक्रिया की गहराई, डॉ. बी.आर. अंबेडकर के नेतृत्व वाली समितियों के कार्यों और मूल सुलेखित संविधान की कलात्मक विरासत पर प्रकाश डाला। उन्होंने उपस्थित लोगों को वर्ष भर चलने वाले हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान अभियान के बारे में भी जानकारी दी, जिसमें देशव्यापी प्रस्तावना वाचन, बहुभाषी आउटरीच, प्रदर्शनियाँ और सामुदायिक कार्यक्रम शामिल थे। उन्होंने कहा कि संविधान भारत की लोकतांत्रिक और सांस्कृतिक प्रगति का मार्गदर्शन करता रहता है।

समवेत सभागार में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगीत "वंदे मातरम" के सामूहिक गायन से हुई। श्री सच्चिदानंद जोशी ने स्वागत भाषण दिया और भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को आकार देने में संविधान की महत्वपूर्ण भूमिका को दोहराया। संविधान को अंगीकार किए जाने के 75 वर्ष पूरे होने पर एक स्मारक फिल्म भी दिखाई गई।

दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. (डॉ.) अलका चावला और आईजीएनसीए के कलाकोष प्रभाग के प्रोफेसर एवं प्रमुख डॉ. सुधीर लाल ने विशेष वक्तव्य दिया और भारत की सभ्यतागत विरासत में निहित न्याय, समानता और गरिमा के संवैधानिक मूल्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्वतंत्रता की रक्षा और लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत बनाने में संविधान की निरंतर प्रासंगिकता पर ज़ोर दिया।
भारतीय संविधान में कला और सुलेख पर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई, जिसे आज संसद के केन्द्रीय कक्ष में भारत के राष्ट्रपति द्वारा डिजिटल रूप से जारी किया गया।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के सामूहिक गायन के साथ हुआ। संस्कृति मंत्रालय ने संविधान@75 स्मरणोत्सव को वास्तव में एक राष्ट्रीय उत्सव बनाने में योगदान देने के लिए सभी सहभागी संस्थानों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और नागरिकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
वर्ष भर चलने वाले इस आयोजन के समापन पर मंत्रालय ने संवैधानिक जागरूकता को बढ़ाने तथा पूरे देश में न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मूल मूल्यों को बढ़ावा देने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
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पीके/केसी/पीएस
(रिलीज़ आईडी: 2195035)
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