संसदीय कार्य मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

संसदीय कार्य मंत्रालय ने भारत के राष्ट्रीय गीत "वंदे मातरम" के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में सामूहिक गायन का आयोजन किया

Posted On: 07 NOV 2025 2:48PM by PIB Delhi

भारत के राष्ट्रीय गीत "वंदे मातरम" के 150 वर्षों के राष्ट्रव्यापी स्मरणोत्सव के अंग के रूप में, संसदीय कार्य मंत्रालय ने 7 नवंबर, 2025 को अपने परिसर में वंदे मातरम के एक महत्‍वपूर्ण और प्रेरणादायी सामूहिक गायन का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का आयोजन इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम, नई दिल्ली में संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित उद्घाटन समारोह के साथ किया गया था। इस समारोह में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी भी उपस्थित रहे

मंत्रालय में इस कार्यक्रम का शुभारंभ प्रात: 10 बजे हुआ। इस अवसर पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री, मंत्रालय के सचिव और अपर सचिव के साथ-साथ अधिकारियों और कर्मचारियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम की शुरुआत में सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के सामूहिक रूप से वंदे मातरम के पूर्ण संस्करण के गायन से पूरा वातावरण देशभक्ति की भावना से भर गया।

मंत्रालय के अपर सचिव के स्वागत भाषण का उपस्थित गणमान्य जनों ने हार्दिक अभिनन्दन किया और समारोह की रूपरेखा तैयार की। उन्होंने वंदे मातरम के गहन अर्थ का संक्षेप में उल्लेख करते हुए इसका सार समझाया : "मां, मैं तुम्हें नमन करता हूं" जो मातृभूमि के प्रति श्रद्धा, कृतज्ञता और समर्पण की अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा कि यह गीत राष्ट्र की आत्मा का प्रतीक है और प्रत्येक भारतीय को विनम्रता और गौरव के साथ भारत माता का सम्मान और सेवा करने के लिए प्रेरणा देता है।

संसदीय कार्य मंत्रालय के सचिव ने अपने संबोधन में 19 वीं सदी के भारत में वंदे मातरम की रचना से लेकर एकता और राष्ट्रीय जागरण के आह्वान के रूप में इसके उदय तक के ऐतिहासिक विकास का वर्णन किया। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लोगों को संगठित करने में इस गीत की परिवर्तनकारी भूमिका को रेखांकित किया, जो साहस और सामूहिक पहचान का प्रतीक रहा। उन्होंने इसकी सांस्कृतिक गहराई और भावनात्मक प्रतिध्वनि पर भी विचार व्यक्त किए जो भाषा और क्षेत्र की सीमाओं से परे पीढ़ियों को प्रेरित करती रही है। उन्होंने इस बात पर बल देते हुए अपने संबोधन का समापन किया कि वर्ष भर चलने वाला यह स्मरणोत्सव इस स्थायी विरासत के प्रति एक श्रद्धांजलि है और देशभक्ति, एकता एवं राष्ट्र सेवा के आदर्शों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि है

संसदीय कार्य राज्य मंत्री ने अपने संबोधन में, 7 नवंबर 1875 को रचित किए गए एक पवित्र भजन, वंदे मातरम का उल्लेख किया, जिसने भारत की राष्ट्रीय भावना को जागृत किया और यह स्वतंत्रता आंदोलन की आत्मा बन गया। उन्होंने इसकी गहन पंक्तियों "सुजलाम, सुफलाम, मलयज शीतलाम" पर प्रकाश डाला, जो मातृभूमि को उर्वर, सशक्त और दिव्य दर्शाती हैं। बंकिमचंद्र चटर्जी के आनंदमठ से लेकर जन-गण-मन के समान सम्मान तक की इस यात्रा का वर्णन करते हुए , राज्य मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में 150 वें वर्ष का समारोह एकता, देशभक्ति और भारत माता के प्रति समर्पण की पुष्टि करता है।

 

संसदीय कार्य राज्य मंत्री के संबोधन के बाद, मंत्रालय ने प्रातः 10 बजकर 25 मिनट से इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम से प्रधानमंत्री के संबोधन के सीधे प्रसारण में सहभागिता की। अपने संबोधन में  प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं है, बल्कि भारत की आत्मा का एक पवित्र आह्वान है, जो भक्ति, शक्ति और उदारता की जीवंत अभिव्यक्ति है। उन्होंने याद किया कि कैसे इसकी धुन ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लाखों लोगों को एकजुट किया था और हर पीढ़ी को संकल्प और विश्वास की उसी भावना से प्रेरित करता है। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि हमारा राष्ट्रीय गीत एक भारत, श्रेष्ठ भारत के विचार का प्रतीक है और नागरिकों से आत्मनिर्भर और विश्व स्तर पर आश्वस्त भारत में योगदान देकर इसके संदेश को कार्य में बदलने का आग्रह करता है। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि इसके 150वें वर्ष का उत्सव भारत की एकता, सांस्कृतिक गौरव और सामूहिक प्रगति को बनाए रखने की एक नई प्रतिज्ञा है

प्रतिभागियों ने सामूहिक रूप से एकता, अखंडता और राष्ट्रीय गौरव के मूल्यों को बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जो वंदे मातरम का प्रतीक है।

मंत्रालय गौरवान्वित भाव के साथ इस ऐतिहासिक उत्सव में राष्ट्र के साथ सम्मिलित हो रहा है और यह एक वर्ष तक चलने वाले स्मरणोत्सव (7 नवंबर 2025 से 7 नवंबर 2026) के शुभारंभ को चिह्नित करता है। इसके साथ ही यह भारत की सामूहिक चेतना के शाश्वत गान वंदे मातरम के सम्मान के लिए समर्पित होने के साथ मातृभूमि और लोगों के बीच शाश्वत बंधन का प्रतीक है।

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पीके/केसी/एसएस/एसएस


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