नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
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​​​​​​​भारत की नवीकरणीय ऊर्जा समेकन कार्यनीति ने अगले चरण में प्रवेश किया: सरकार ने ग्रिड की मजबूती, भंडारण और बाजार सुधार पर ध्यान केंद्रित करते हुए आरईआईए बोलियों के लिए सूक्ष्म, मामला-दर-मामला दृष्टिकोण अपनाया


आरईआईए द्वारा प्रदान की गई परियोजनाओं का व्‍यापक निरस्‍तीकरण नहीं; सरकार ने डेवलपर्स, डिस्कॉम और ग्रिड तत्परता के बीच संतुलित प्रगति सुनिश्चित की

हस्ताक्षर-रहित पीएसए पर उचित परिश्रम जारी; आरईआईए मामलों को वर्गीकृत करेगी और किसी भी रद्दीकरण से पहले सभी संभावित विकल्पों का पता लगाएगी

भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में 29 गीगावाट नवीकरणीय क्षमता और वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में 25 गीगावाट की और बढ़ोतरी की; निवेशकों के विश्वास में मजबूती बरकरार

नवीकरणीय गलियारों को खोलने और ग्रिड की भीड़ को कम करने के लिए 2.4 लाख करोड़ रुपये की ट्रांसमिशन विस्तार योजना और जीएनए सुधार

Posted On: 04 NOV 2025 3:42PM by PIB Delhi

पिछले एक दशक में भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2014 के लगभग 35 गीगावाट से बढ़कर, अब देश में 197 गीगावाट से अधिक की संस्थापित क्षमता है, जिसमें बड़े जलविद्युत संयंत्र शामिल नहीं हैं। यह उल्लेखनीय विस्तार भारत को वैश्विक स्तर पर सबसे तेज़ी से बढ़ते स्वच्छ ऊर्जा बाज़ारों में से एक में शामिल करता है। विकास का अगला चरण न केवल क्षमता वृद्धि पर, बल्कि यह सुनिश्चित करने पर भी केंद्रित है कि ग्रिड एकीकरण, भंडारण परिनियोजन और बाज़ार सुधारों के माध्यम से इसका कुशलतापूर्वक उपयोग किया जाए।

यह क्षेत्र एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जहां तीव्र क्षमता विस्तार से लेकर गहन संरचनात्मक एकीकरण में बदलाव हो रहा है। यह बदलाव बाज़ार की परिपक्वता और दीर्घकालिक विकास को बनाए रखने की जटिलता को दर्शाता है।

नवीकरणीय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसियों (आरईआईए) ने 30.09.2025 तक, 43,942 मेगावाट क्षमता के लिए लेटर ऑफ अवार्ड (एलओए) जारी किए हैं, जहां अंतिम खरीदारों के साथ पीएसए पर हस्ताक्षर नहीं हुए हैं। यह आंकड़ा हाल की बोली गतिविधि के परिमाण और मांग एकत्रीकरण एवं खरीद समय-सीमा की बदलती प्रकृति को दर्शाता है। अप्रैल 2023 से, इन एजेंसियों ने 24,928 मेगावाट क्षमता के लिए पीएसए पर सफलतापूर्वक हस्ताक्षर किए हैं, जो अनुबंध निष्पादन और बाज़ार संयोजन में निरंतर प्रगति का संकेत देता है।

सरकार, हितधारकों के साथ मिलकर, ट्रांसमिशन क्षमता को अनुकूलित करने और अनुबंध ढांचे में सुधार के लिए सक्रिय रूप से प्रयास कर रही है। इन प्रयासों में कुछ प्रदान की गई क्षमताओं के लिए पीपीए और पीएसए पर हस्ताक्षर करने की व्यवहार्यता की जांच और ग्रीन शू विकल्प जैसे प्रावधानों की समीक्षा शामिल है। बोलियों को पूरी तरह से रद्द करने की कोई योजना नहीं है।

सरकार उन मामलों पर कड़ी निगरानी रख रही है, जहां नवीकरणीय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसियों (आरईआईए) द्वारा अवार्ड पत्र जारी किए गए हैं, लेकिन डिस्कॉम या अंतिम खरीददारों के साथ बिजली बिक्री समझौते (पीएसए) को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है। कुछ डिस्कॉम ने ऐसी बोलियों के लिए पीएसए पर हस्ताक्षर करने में आशंका व्यक्त की है, जहां सफल बोलीदाताओं के लिए कनेक्टिविटी की संभावित आरंभ तिथि अभी काफी दूर है। आरईआईए को सलाह दी गई है कि वे अंतिम खरीददारों के साथ पीएसए हासिल करने की संभावना के आधार पर ऐसे मामलों की समीक्षा और वर्गीकरण करके उचित परिश्रम करें। यह आकलन कई कारकों पर विचार करेगा, जिसमें बोली के तहत आपूर्ति की जाने वाली नवीकरणीय ऊर्जा की संरचना, नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति के लिए खोजी गई टैरिफ और कनेक्टिविटी के लिए अपेक्षित समयरेखा शामिल है। फिर भी, ऐसे निरस्तीकरण चरणबद्ध तरीके से किए जाने की उम्मीद है और ये तभी किए जाएंगे जब विद्युत बिक्री समझौतों (पीएसए) और संबंधित विद्युत क्रय समझौते (पीपीए) के निष्पादन के लिए सभी संभव और व्यावहारिक विकल्पों पर पूरी तरह से विचार कर लिया गया हो। इसके अतिरिक्‍त, नवीकरणीय ऊर्जा में बड़े निवेश को लेकर ये आशंकाएं भी बेबुनियाद हैं कि ऐसे एलओए रद्द किए जाएंगे जो पीएसए/पीपीए हासिल नहीं कर सकते, और ये आशंकाएं निराधार हैं, क्योंकि किसी भी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना में बड़ा निवेश विद्युत क्रय समझौते के निष्पादन के बाद ही शुरू होता है और यदि किसी नवीकरणीय ऊर्जा डेवलपर द्वारा भूमि या कनेक्टिविटी में कोई निवेश किया जाता है, तो उसका उपयोग नवीकरणीय ऊर्जा डेवलपर अपने पोर्टफोलियो में अन्य विद्यमान परियोजनाओं या भविष्य की परियोजनाओं के लिए करते हैं।

पीएसए के क्रियान्वयन को सुगम बनाने के लिए, सरकार ने कई सक्रिय कदम उठाए हैं। इनमें राज्यों से ऊर्जा संरक्षण अधिनियम के तहत नवीकरणीय उपभोग दायित्व (आरसीओ) का अनुपालन करने का आग्रह करना और नवीकरणीय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसियों (आरईआईए) को निविदाएं तैयार करने और जारी करने से पहले डिस्कॉम और अन्य उपभोक्ताओं की मांग को एकत्रित करने की सलाह देना शामिल है। कार्यान्वयन चुनौतियों का समाधान करने और पीएसए पर हस्ताक्षर में तेजी लाने के लिए प्रमुख नवीकरणीय ऊर्जा-खरीदार राज्यों के साथ क्षेत्रीय कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं। इसके अतिरिक्‍त, सौर, पवन, हाइब्रिड और फर्म एवं डिस्पैचेबल रिन्यूएबल एनर्जी (एफडीआरई) के लिए मानक बोली दिशानिर्देशों में संशोधन किया गया है ताकि जारी होने की तिथि से 12 महीने के बाद भी निष्पादित न होने वाले लेटर्स ऑफ अवार्ड (एलओए) को रद्द किया जा सके।

समग्र नवीकरणीय ऊर्जा लागत और संबंधित ट्रांसमिशन अवसंरचना का अनुकूलन एक प्रमुख उद्देश्य बना हुआ है। सौर-प्लस-भंडारण और प्रेषण योग्य नवीकरणीय ऊर्जा की घटती लागत के साथ, वितरण कंपनियों और अंतिम खरीदारों के बीच ऐसे समाधानों के प्रति रुचि बढ़ी है। इस बदलाव के साथ ही साधारण सौर ऊर्जा की मांग में भी कमी आई है। सौर-प्लस-भंडारण विन्यास पवन-सौर हाइब्रिड परियोजनाओं की तुलना में, विशेष रूप से व्यस्ततम मांग के घंटों के दौरान बिजली आपूर्ति करने की उनकी क्षमता के कारण, आर्थिक रूप से अधिक व्यवहार्य साबित हो रहे हैं। तदनुसार, सरकार आरईआईए को साधारण सौर निविदाओं से सौर+ऊर्जा भंडारण निविदाओं, व्यस्ततम घंटों के दौरान नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति करने हेतु विन्यास वाली निविदाओं और ठोस एवं प्रेषण योग्य नवीकरणीय ऊर्जा (एफडीआरई) आपूर्ति करने हेतु विन्यास वाली निविदाओं की ओर स्थानांतरित करने के लिए जागरुक बना रही है।

नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग की गति के अनुरूप ट्रांसमिशन संरचना का भी उल्‍लेखनीय रूप से विस्तार किया जा रहा है। 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़े ट्रांसमिशन के लिए 2.4 लाख करोड़ रुपये की निवेश योजना और जनरल नेटवर्क एक्सेस (जीएनए) नियमों में हालिया संशोधन, अधूरी क्षमता को उपयोग में लाने और गतिशील कॉरिडोर शेयरिंग को सक्षम बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इन सुधारों से नवीकरणीय ऊर्जा समृद्ध राज्यों में भीड़भाड़ कम होने और ग्रिड पहुंच में सुधार होने की उम्मीद है।

आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और कठिन वित्तीय परिस्थितियों जैसी वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 29 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता (बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं को छोड़कर) जोड़ी। इसके अतिरिक्‍त, वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में लगभग 25 गीगावाट क्षमता पहले ही जोड़ी जा चुकी है। यह वृद्धि न केवल केंद्र और राज्य-आधारित बोलियों से, बल्कि वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं द्वारा भी संचालित हो रही है। निवेशकों की रुचि मज़बूत बनी हुई है और एकीकृत तथा भंडारण-समर्थित पोर्टफोलियो की ओर स्पष्ट रुझान है।

भारत का स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन एकीकरण, विश्वसनीयता और परिमाण की दक्षता द्वारा निर्धारित चरण में प्रवेश कर रहा है। यह क्षेत्र क्षमता वृद्धि को ग्रिड की मज़बूती, घरेलू विनिर्माण और वित्तीय अनुशासन के साथ संयोजन कर रहा है। समेकन का यह चरण यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि अगला कदम और तेज़ तथा अधिक टिकाऊ हो।

एमएनआरई एक पारदर्शी, उत्तरदायी और भविष्य के लिए तैयार नवीकरणीय ऊर्जा इको-सिस्‍टम को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है जो राष्ट्रीय डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों और वैश्विक जलवायु प्रतिबद्धताओं की सहायता करता है।

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