जल शक्ति मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

स्थानीय शासन एवं स्थिरता तंत्र को मजबूत करने के लिए जल जीवन मिशन के अंतर्गत जिला कलेक्टरों का पेयजल संवाद


जिला एवं पंचायत स्तर पर संरचनात्मक सुधारों के माध्यम से जल प्रशासन का लोकतंत्रीकरण

जल जीवन मिशन के अंतर्गत ग्रामीण पाइप जलापूर्ति प्रणालियों की साझा देखभाल के लिए जमीनी स्तर पर हितधारकों को सशक्त बनाना

Posted On: 14 OCT 2025 5:10PM by PIB Delhi

जल जीवन मिशन (जेजेएम) ने एक शानदार मील का पत्थर प्राप्त किया है, उसने 15.71 करोड़ (81.17 प्रतिशत) ग्रामीण घरों को नल जल की सुविधा प्रदान की है, यह अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। जैसे ही मिशन अपने अगले चरण में प्रवेश कर रहा है, जिसका ध्यान दीर्घकालिक स्थिरता, कार्यक्षमता एवं सेवा वितरण सुनिश्चित करने पर है, जिला प्रशासन की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। जिला कलेक्टर नीतियों एवं नागरिकों के बीच एक महत्वपूर्ण सेतु का काम करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक घर न केवल नल जल प्राप्त करे बल्कि वह विश्वसनीय एवं स्थायी रूप से प्राप्त होता रहे।

इसकी पहचान करते हुए, जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) ने आज पहला जिला कलेक्टर पेयजल संवाद आयोजित किया जो एक राष्ट्रीय संवाद है जिसका उद्देश्य जल जीवन मिशन (जेजेएम) के अंतर्गत आने वाले जिला नेतृत्व वाली शासन प्रणाली को मजबूत करना, नवाचार को बढ़ावा देना, जिले के बीच जानकारी साझा करना एवं सहकर्मी ज्ञान को प्रोत्साहित करना है।

इस कार्यक्रम का आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किया गया और इसकी अध्यक्षता पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव श्री अशोक के. के. मीणा ने की। इस अवसर पर राष्ट्रीय जल जीवन मिशन (एनजेजेएम) के अतिरिक्त सचिव एवं मिशन निदेशक श्री कमल किशोर सोन, एनजेजेएम की संयुक्त सचिव श्रीमती स्वाति मीणा नाइक, वरिष्ठ अधिकारी, पूरे देश के जिला कलेक्टर/जिला मजिस्ट्रेट, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मिशन निदेशक और राज्य मिशन टीमें उपस्थित थीं।

यह पहल ग्रामीण जल प्रणालियों के प्रबंधन में जिलों एवं स्थानीय संस्थाओं को सशक्त बनाने के लिए एक सतत सुधार कार्यक्रम पर आधारित है। हाल के महीनों में, डीडीडब्ल्यूएस ने 729 जिला कलेक्टरों के साथ व्यक्तिगत एवं वर्चुअल संवाद किया है, एकीकृत फीडबैक मॉड्यूल के साथ समर्पित जेजेएम-आईएमआईएस जिला/डीडब्ल्यूएसएम डैशबोर्ड तैयार किया है और समग्र सरकारी दृष्टिकोण के अंतर्गत ई-ग्राम स्वराज के साथ एक पंचायत डैशबोर्ड स्थापित किया है। इन उपायों को करते हुए गहन क्षेत्रीय दौरे किए गए और क्यूसीआई के साथ साझेदारी में, सरपंच संवाद मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से 80,000 से अधिक सरपंचों को शामिल किया गया, जिससे स्थानीय स्वामित्व एवं जवाबदेही को बढ़ावा मिला है। डब्ल्यूक्यूएमआईएस एवं सिटीजन कॉर्नर जैसी नागरिक-संवाद उपकरणों के साथ-साथ स्थानिक मानचित्रण के लिए पीएम गति शक्ति एकीकरण के माध्यम से, इन प्रयासों ने एक पारदर्शी, डेटा-आधारित पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया है जहां जिला नेतृत्व नवाचार, सर्वोत्तम प्रथाओं और समुदाय-संचालित शासन मॉडल प्रदर्शित कर सकता है।

अपने मुख्य भाषण में सचिव श्री अशोक के. के. मीणा ने इस बात पर बल दिया कि जल जीवन मिशन 81 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण परिवारों तक पहुंच चुका है और अब यह संस्थागत एकीकरण, जवाबदेही एवं स्थिरता पर केंद्रित अपने अगले चरण में प्रवेश कर चुका है।

उन्होंने कहा कि हर जिले के अपने अद्वितीय समाधान, नवाचार और सर्वोत्तम प्रथाएं होती हैं, जो स्थानीय वास्तविकताओं और नेतृत्व द्वारा आकार लेंती हैं। उन्होंने कहा कि जिला कलेक्टर्स’ पेयजल संवाद ऐसे मापनीय एवं अनुकरणीय मॉडल की पहचान करने का अवसर है, जो राज्य स्तर पर आपसी शिक्षा को प्रेरित कर सकते हैं और नीति सुधार का मार्गदर्शन कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, हमें ग्रामीण जल सेवाओं की रीढ़ के रूप में स्थानीय संस्थानों को मजबूत बनाना चाहिए, जहां निर्णय डेटा-आधारित हों, संचालन जवाबदेह हों और समुदायों को जल सेवाओं को निरंतर रखने के लिए सशक्त बनाया जाए।

इसके बाद पूर्वी खासी हिल्स (मेघालय), गंजम (ओडिशा), रत्नागिरी (महाराष्ट्र), चराईदेव (असम), धमतरी (छत्तीसगढ़) और उत्तरी त्रिपुरा (त्रिपुरा) के जिला कलेक्टरों ने अपनी-अपनी प्रस्तुतियां दीं, जिनमें स्थायी ग्रामीण जल सेवा वितरण के लिए अभिनव जिला-स्तरीय पहलों पर प्रकाश डाला गया। प्रमुख उपायों में जलग्रहण क्षेत्रों में वृक्षारोपण के माध्यम से जल संरक्षण, सुदृढ़ निगरानी तंत्र एवं नियमित क्षेत्रीय समीक्षा, स्वयं सहायता समूहों द्वारा संचालित रखरखाव और उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह, सुदृढ़ समूह जल आपूर्ति मॉडल और प्रौद्योगिकी-सक्षम शिकायत निवारण मंच शामिल थे।

डीडीडब्ल्यूएस सचिव ने इन प्रयासों और जिला कलेक्टरों के सक्रिय नेतृत्व की सराहना की तथा कहा कि इस प्रकार के नवाचार और क्षेत्र-स्तरीय अभ्यास राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के अन्य जिलों के लिए मूल्यवान अनुभव साबित होंगे।

डिजिटल परिवर्तन: आरपीडब्ल्यूएसएस आईडी पारदर्शिता एवं जवाबदेही का निर्माण करती है

राष्ट्रीय जल जीवन मिशन की संयुक्त सचिव श्रीमती स्वाति मीना नायक ने जेजेएम के अगले चरण में सतत, कुशल एवं जवाबदेह ग्रामीण जल सेवा वितरण सुनिश्चित करने के लिए रोडमैप प्रस्तुत किया। उन्होंने ग्रामीण जल प्रशासन को मज़बूत करने में डिजिटल परिवर्तन की बढ़ती भूमिका पर बल दिया। उन्होंने मिशन के अगले चरण के लिए ज़रूरी प्रमुख प्रश्नों पर विचार किया, जिसमें ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजना (आरपीडब्ल्यूएसएस) आईडी मॉड्यूल क्यों महत्वपूर्ण है, यह सेवा वितरण में कैसे सुधार लाएगा, नागरिकों को कैसे लाभ पहुंचाएगा और इसके कार्यान्वयन में ज़िला कलेक्टरों की क्या भूमिका होगी आदि शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि आरपीडब्ल्यूएसएस आईडी मॉड्यूल, जल जीवन मिशन के डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का एक प्रमुख स्तंभ है, जो प्रत्येक जल आपूर्ति योजना को एक विशिष्ट डिजिटल पहचान देता है जिससे वास्तविक समय पर नज़र रखी जा सके, पूर्वानुमानित रखरखाव एवं पारदर्शी निगरानी संभव हो सके। पीएम गति शक्ति के साथ एकीकृत यह स्थानिक योजना, डेटा-आधारित निर्णयों एवं अन्य विकास कार्यक्रमों के साथ समन्वय में सहायता करता है।

प्रस्तुतीकरण के दौरान, उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन के लिए आरपीडब्ल्यूएसएस आईडी मॉड्यूल का मतलब है मजबूत निगरानी, कुशल समन्वय एवं डेटा-आधारित निर्णय। यह जिला कलेक्टरों को ग्राम पंचायतों के प्रदर्शन को ट्रैक करने, दक्षता की रैंकिंग करने, रखरखाव योजना बनाने एवं विभागों में संसाधनों का अनुकूलन करने की सुविधा प्रदान करेगा।

इसी प्रकार, ग्राम पंचायतों के लिए, यह मॉड्यूल भू-संदर्भित लेआउट एवं डिजिटल मानचित्र प्रदान करता है, जो दैनिक रखरखाव, नुकसान का शीघ्र पता लगाने और निवारक कार्रवाई में सहायक है। संपत्ति और जलभृत डेटा की डिजिटल उपलब्धता दीर्घकालिक योजना, कुशल बजट निर्धारण एवं स्थिरता उपायों में मदद करेगी।

महत्वपूर्ण रूप से, यह प्रणाली मजबूत आगे और पीछे की कड़ियों की स्थापना करती है, जो ग्रामीण स्तर के डेटा को जिला एवं राज्य की योजना संरचना से जोड़ती है और नीति एवं वित्तीय निर्णयों को वास्तविक परिस्थितियों से जोड़ती है। यह सुनिश्चित करता है कि हर मध्यवर्तन, योजना से लेकर वित्त पोषण एवं रखरखाव तक, संगठित और ट्रेस करने योग्य है।

उन्होंने कहा कि नागरिकों के लिए, इसका उद्देश्य ज्यादा पारदर्शिता एवं त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना है। डिजिटल मानचित्र घरेलू स्तर तक पाइपलाइनों पर नज़र रखेंगे जबकि ऑनलाइन जल गुणवत्ता डेटा और शिकायत प्लेटफ़ॉर्म लोगों को सीधे अपनी समस्या उठाने में सक्षम बनाएंगे, जिससे जनभागीदारी एवं सेवा वितरण में विश्वास और ज्यादा मज़बूत होगा।

श्रीमती नाइक ने इस बात पर बल दिया कि जिला कलेक्टर और जिला जल एवं स्वच्छता मिशन इस प्रयास के केंद्रीय हिस्सा हैं, जो सटीक मानचित्रण, कार्यक्षमता मूल्यांकन और विभागों के बीच समन्वय सुनिश्चित करते हैं। प्रत्येक योजना को डिजिटल रूप से जोड़कर एवं सहभागी निगरानी को बढ़ावा देकर, यह पहल सेवा वितरण को ज्यादा कुशल, जवाबदेह और नागरिक अनुकूल बनाने का लक्ष्य रखती है।

आगे का रास्ता: सतत प्रणालियों का निर्माण

श्री कमल किशोर सोन, राष्ट्रीय जल जीवन मिशन (एनजेजेएम) के अतिरिक्त सचिव एवं मिशन निदेशक ने अपने समापन भाषण में जिला कलेक्टरों और राज्य टीमों की सक्रिय भागीदारी की सराहना की तथा इस बात पर बल दिया कि जेजेएम बुनियादी संरचना के निर्माण की योजना से विकसित होकर शासन सुधार, विकेंद्रीकरण और लोगों की भागीदारी का आंदोलन बन गया है।

उन्होंने सामुदायिक सशक्तिकरण के प्रयासों को पूरा करने के लिए नियामक व्यवस्थाओं की स्पष्ट उपस्थिति पर बल दिया और ग्रामीण पाइप जल अवसंरचना की सुरक्षा एवं संरक्षण तथा नियामक निगरानी के माध्यम से जल स्रोतों को संदूषण से बचाने पर उचित ध्यान देने की आवश्यकता की बात की।

उन्होंने कहा कि जिला कलेक्टरों के पेयजल संवाद को जिलों के बीच सहपाठी शिक्षा, नवाचार आदान-प्रदान एवं सहयोगात्मक समस्या समाधान के लिए एक आवर्ती राष्ट्रीय मंच के रूप में संस्थागत रूप प्रदान किया जाएगा।

अपने संबोधन को समाप्त करते हुए, उन्होंने मिशन के सार पर विचार करते हुए कहा, "जल बचेगा, तो जल रहेगा और अगर जल रहेगा तो जल मिलेगा।"

सतत ग्रामीण जल शासन की ओर

मिशन अवसंरचना प्रदान करने से लेकर निरंतर सेवा प्रावधान तक परिवर्तित हो रहा है जिला कलेक्टरों का पेयजल संवाद मजबूत संस्थानों, सामुदायिक स्वामित्व एवं डिजिटल पारदर्शिता पर आधारित शासन मॉडल के निर्माण में एक महत्वपूर्ण कदम है।

विभाग ने दोहराया कि 'हर घर जल' प्राप्त करना अंत नहीं है बल्कि जिम्मेदार, सामुदाय संचालित एवं डिजिटल रूप से सशक्त ग्रामीण जल शासन के नए युग की शुरुआत है जो यह सुनिश्चित करता है कि भारत का हर गांव स्थिरता, गरिमा और साझा संरक्षण का एक आदर्श बने।

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पीके/केसी/एके/ डीके


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