इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय
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भारत एआई क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को दे रहा है रफ्तार: 12 कंपनियाँ ₹65/घंटा की दर से 38,000 जीपीयू का प्रयोग करके आधारभूत मॉडल विकसित कर रही हैं। राष्ट्रीय वृहद भाषा मॉडल 2025 के अंत तक लॉन्च होने की उम्मीद


भारत डिजिटल परिवर्तन के लिए एक किफायती, नवोन्मेषी, समावेशी और वैश्विक रूप से अनुकरणीय मॉडल पेश करता है: श्री एस कृष्णन, सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इंडिया मोबाइल कांग्रेस में शिखर सम्मेलन-पूर्व कार्यक्रमों का आयोजन किया, जो भारत-एआई प्रभाव शिखर सम्मेलन 2026 के लिए गति प्रदान कर रहा है

शिखर सम्मेलन-पूर्व कार्यक्रमों में सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत के प्रमुख एक साथ एक मंच पर आए, ताकि यह पता लगाया जा सके कि एआई डिजिटल और दूरसंचार व्यवस्था में समावेशी, सुरक्षित और सतत् विकास को कैसे गति दे सकता है

Posted On: 10 OCT 2025 8:36PM by PIB Delhi

भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने आज नई दिल्ली में इंडिया मोबाइल कांग्रेस (आईएमसी) 2025 में आगामी भारत-एआई प्रभाव शिखर सम्मेलन 2026 के लिए कई प्री-समिट कार्यक्रमों की मेज़बानी की। ये कार्यक्रम 19-20 फरवरी 2026 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित होने वाले भारत-एआई प्रभाव शिखर सम्मेलन 2026 की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।

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उद्घाटन भाषण में, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव श्री एस. कृष्णन ने कहा, "हमने दूसरों के अनुभवों से सीखकर, व्यावहारिक परियोजनाएँ और उत्पाद बनाने के लिए नए तरीके अपनाए हैं, जो वास्तव में हमारे लिए बदलाव लाएँगे। निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में, सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सुलभ तथा सभी प्रदाताओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना, अभिनव और किफायती है। यह सुनिश्चित करता है कि कम से कम संसाधनों के साथ हम सभी के लिए उपलब्धता सुनिश्चित कर सकें। कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भी हमारे नज़रिए को बेहद आकर्षक माना है, जिससे एक ऐसा मॉडल तैयार किया जा सकता है, जिसका उपयोग शेष वैश्विक दक्षिण के लिए किया जा सके।"

शिखर सम्मेलन-पूर्व कार्यक्रमों में सरकार, उद्योग, शिक्षा जगत और वैश्विक संस्थानों के प्रमुखों ने एक साथ इस बात पर मंथन किया कि कैसे एआई डिजिटल और दूरसंचार व्यवस्था में समावेशी, सुरक्षित और सतत् विकास को गति दे सकता है। चर्चाओं में सामाजिक कल्याण, आर्थिक मज़बूती और समावेशी विकास के लिए एआई का लाभ उठाने के भारत के नज़रिए को प्रतिबिंबित किया गया, जो आगामी शिखर सम्मेलन की थीम- "कार्रवाई से प्रभाव तक" के अनुरूप है। प्रतिभागियों ने भारत के बढ़ते एआई तंत्र, भारत-एआई मिशन के तहत प्रगति और एआई तक पहुँच और नवाचार को लोकतांत्रिक बनाने वाली साझेदारियों के अवसरों पर भी चर्चा की।

प्री-शिखर सम्मेलन के एक हिस्से के रूप में चार उच्च-स्तरीय पैनल आयोजित किए गए, जिनमें भारत के एआई रोडमैप के प्रमुख आयामों पर ध्यान केंद्रित किया गया:

  • सामाजिक और आर्थिक प्रभाव के लिए दूरसंचार में एआई - इस बात पर चर्चा की गई कि कैसे एआई दूरसंचार अवसंरचना, संपर्क और सेवा वितरण को नागरिकों और व्यवसायों के लाभ के लिए बदल सकता है।
  • दूरसंचार में विश्वसनीय एआई का निर्माण - सुरक्षित, पारदर्शी और जन-केंद्रित एआई अपनाने के लिए रूपरेखाओं और सहयोगों पर चर्चा की गई।
  • भारत के एआई कार्यबल लाभ का निर्माण - एक समावेशी और भविष्य के लिए तैयार एआई प्रतिभा की व्यवस्था विकसित करने की रणनीतियों की जाँच की गई।
  • समावेशी विकास और सामाजिक सशक्तिकरण के लिए एआई - इस बात पर प्रकाश डाला गया कि कैसे एआई-संचालित नवाचार समानता और सामाजिक भलाई को बढ़ावा दे सकता है।

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अपना उद्घाटन भाषण देते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव, इंडियाएआई के सीईओ और एनआईसी के महानिदेशक श्री अभिषेक सिंह ने कहा, "पिछले साल स्वीकृत सरकार का इंडियाएआई मिशन, किफायती कंप्यूटिंग को सक्षम बनाकर, एक राष्ट्रीय डेटा प्लेटफ़ॉर्म बनाकर, आधारभूत मॉडलों को समर्थन देकर, एआई कौशल को आगे बढ़ाकर और सुरक्षित तथा विश्वसनीय एआई सुनिश्चित करके प्रमुख कमियों को दूर कर रहा है। आज, केवल 65 रुपए प्रति घंटे की दर से 38,000 जीपीयू उपलब्ध हैं और 12 कंपनियाँ आधारभूत मॉडल विकसित कर रही हैं। इसे देखते हुए हम साल के अंत तक एक भारतीय वृहद भाषा मॉडल लॉन्च करने की कल्पना कर रहे हैं, जिससे विदेशी प्रणालियों पर निर्भरता कम होगी।"

इसी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए, इंडियाएआई मिशन की सीओओ, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की वैज्ञानिक जी, श्रीमती कविता भाटिया ने कहा, "चूँकि एआई ने स्पेक्ट्रम प्रबंधन, पूर्वानुमानित रखरखाव, ग्राहक जुड़ाव से लेकर धोखाधड़ी का पता लगाने तक, इन सभी प्रणालियों में गहराई से अपनी पैठ बना ली है, इसलिए अब सवाल यह उठता है कि नेटवर्क को कैसे भरोसेमंद बनाया जा सकता है। यह बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। दूरसंचार क्षेत्र में एआई में अपार संभावनाएँ हैं। यह ग्रामीण क्षेत्रों में विश्वसनीय संपर्क सुनिश्चित कर सकता है, नेटवर्क व्यवधानों के प्रति मज़बूती प्रदान करता है और वित्तीय समावेशन सहित विभिन्न क्षेत्रों में नई सेवाओं को सशक्त बना सकता है।"

शिखर सम्मेलन-पूर्व कार्यक्रमों में वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और उद्योग जगत के नेताओं ने भाग लिया, जिनमें रिलायंस जियो, टीसीएस, तानला प्लेटफॉर्म्स, भारतजीपीटी-कोरोवर.एआई, एडब्ल्यूएस, एएमडी, सी-डॉट, बिट्स पिलानी, गूगल, एयरटेल, नेटवेब टेक्नोलॉजीज, यूनेस्को, ट्रूमाइंड्स सॉफ्टवेयर सिस्टम्स, माइक्रोसॉफ्ट आदि के प्रतिनिधि शामिल थे।

आईएमसी में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) मंडप को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शक- सरकार का पुरस्कार भी दिया गया, जिसमें भारत की एआई यात्रा और आगामी भारत-एआई प्रभाव शिखर सम्मेलन 2026 के आकर्षक प्रदर्शन को मान्यता दी गई।

भारत-एआई प्रभाव शिखर सम्मेलन 2026, वैश्विक नेताओं को एआई के ज़िम्मेदार डिज़ाइन, विकास और परिनियोजन को आगे बढ़ाने के लिए आमंत्रित करेगा, जिसका मार्गदर्शन "लोग, ग्रह और प्रगति" के सूत्रों द्वारा किया जाएगा। शिखर सम्मेलन के सात विषयगत "चक्र" - मानव पूंजी, सामाजिक सशक्तिकरण के लिए समावेश, सुरक्षित और विश्वसनीय एआई, सशक्तिकरण, नवाचार और दक्षता, विज्ञान, और आर्थिक विकास एवं सामाजिक भलाई के लिए एआई - समतामूलक और सतत् प्रगति की एक शक्ति के रूप में एआई के भारत के व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।

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अनुलग्नक

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा आयोजित, भारत-एआई प्रभाव शिखर सम्मेलन, 19-20 फरवरी 2026 को नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। यह वैश्विक मंच समावेशी विकास, स्थिरता और समान प्रगति को बढ़ावा देने में एआई की परिवर्तनकारी भूमिका को प्रदर्शित करेगा। यह शिखर सम्मेलन एक ऐसा मार्ग प्रशस्त करता है, जहाँ एआई मानवता की सेवा करे, समावेशी विकास को आगे बढ़ाए, सामाजिक विकास को बढ़ावा दे और ऐसे नवाचारों को बढ़ावा दे, जो पृथ्वी की रक्षा करें।

तीन सूत्र

शिखर सम्मेलन तीन मार्गदर्शक सिद्धांतों या सूत्रों पर आधारित होगा:

लोग: एआई को अपनी समस्त विविधता के साथ मानवता की सेवा करनी चाहिए, सांस्कृतिक पहचान का सम्मान करना चाहिए, गरिमा की रक्षा करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी पीछे न छूटे। फोकस क्षेत्रों में एआई-सक्षम दुनिया में मानव विकास, बहुभाषी और सुलभ प्रणालियाँ, और सुरक्षित एवं विश्वसनीय परिनियोजन शामिल हैं।

ग्रह: एआई का विकास और परिनियोजन संसाधन-कुशल होना चाहिए और साथ ही जलवायु सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण और वैज्ञानिक खोजों में भी तेज़ी लानी चाहिए। एआई को ग्रहीय प्रबंधन और वैश्विक स्थिरता लक्ष्यों के अनुरूप होना चाहिए।

प्रगति: एआई के लाभों का समान वितरण सुनिश्चित करना, डेटासेट, कंप्यूटिंग और मॉडलों तक पहुँच का लोकतंत्रीकरण करना, और स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, शासन और कृषि में एआई का अनुप्रयोग करना।

सात चक्र

सूत्रों को सात चक्रों के ज़रिए क्रियान्वित किया जाता है, जो बहुपक्षीय सहयोग के क्षेत्र हैं, जिन्हें ठोस परिणाम देने के लिए डिज़ाइन किया गया है:

  1. मानव पूँजी - रोज़गार, कौशल विकास और कार्यबल परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करता है। साक्षरता, पुनर्कौशलीकरण और भविष्य के कौशलों तक समान पहुँच के लिए वैश्विक ढाँचे विकसित करने पर केंद्रित।
  2. सामाजिक सशक्तिकरण के लिए समावेशन- भाषाओं, संस्कृतियों और पहचानों को प्रतिबिंबित करने वाले एआई को बढ़ावा देना, दिव्यांगों के लिए पहुँच सुनिश्चित करना तथा लिंग और डेटा पूर्वाग्रहों को रोकना।
  3. सुरक्षित और विश्वसनीय एआई - सुरक्षा परीक्षण, पारदर्शिता और ऑडिटिंग उपकरणों तक लोकतांत्रिक पहुँच प्रदान करना, अंतर-संचालनीय शासन और आश्वासन तंत्र का निर्माण करना।
  4. मज़बूती, नवाचार और दक्षता - संसाधन-कुशल एआई को बढ़ावा देना, जो हल्का और स्थानीय वास्तविकताओं के अनुकूल हो, जिससे असमानताएँ और पर्यावरणीय लागत कम हो।
  5. विज्ञान- अनुसंधान और खोज में तेजी लाने के लिए एआई के ज़िम्मेदार उपयोग का विस्तार करना, वैश्विक दक्षिण क्षेत्र में व्यवस्था और साझेदारियों को मज़बूत करना, खुले तथा अंतःविषय अनुसंधान को बढ़ावा देना।
  6. एआई संसाधनों का लोकतंत्रीकरण - डेटा, कंप्यूट, मॉडल और महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे तक समान पहुँच के लिए रास्ते बनाना, जिससे वैश्विक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने वाले विविध एआई समाधान मुमकिन हो सकें।
  7. आर्थिक विकास और समाज कल्याण के लिए एआई- जनहित के क्षेत्रों में एआई अनुप्रयोगों की पहचान और उनका विस्तार करना, ज्ञान और संसाधनों के साझाकरण के लिए मंच तैयार करना तथा सीमा पार सहयोग को सक्षम बनाना।

जैसे-जैसे दुनिया भर में एआई का उपयोग बढ़ रहा है, एआई प्रभाव शिखर सम्मेलन, एआई के मापने योग्य प्रभाव पर एक चर्चा का मंच तैयार करता है, जो वैश्विक दक्षिण और उससे आगे के लिए भी एक वैश्विक संयोजक के रूप में भारत की भूमिका पर प्रकाश डालता है। विश्व के नेताओं, नवप्रवर्तकों, नीति निर्माताओं और उद्योग जगत के दिग्गजों को एक साथ लाकर, यह शिखर सम्मेलन एआई के लिए एक साझा दृष्टिकोण को नया आकार देगा, जो असल में केवल कुछ लोगों के लिए नहीं, बल्कि अनेक लोगों के लिए उपयोगी होगा।

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पीके/केसी/एनएस


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