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एएनआरएफ ने शैक्षणिक संस्थानों के पीआरओ के साथ वेबिनार आयोजित किया


सीईओ डॉ. शिवकुमार कल्याणरमन ने शोध की दृश्यता और जन सहभागिता बढ़ाने में सोशल मीडिया की भूमिका को रेखांकिंत किया

प्रविष्टि तिथि: 10 OCT 2025 5:32PM by PIB Delhi

नई दिल्ली 10 अक्टूबर 2025 अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान (एएनआरएफ) ने आईआईटी, आईआईएसईआर, आईआईएससी, एनआईटी और केंद्रीय विश्वविद्यालयों सहित भारत के अग्रणी शैक्षणिक संस्थानों के जनसंपर्क अधिकारियों (पीआरओ) और आउटरीच टीमों के साथ एक इंटरैक्टिव वेबिनार आयोजित किया। एएनआरएफ के सीईओ डॉ. शिवकुमार कल्याणरमन; आईआईआईटी हैदराबाद के प्रो. पोन्नुरंगम कुमारगुरु; और एएनआरएफ मीडिया टीम के अधिकारियों ने उपस्थित लोगों से बातचीत की और उनके प्रश्नों के उत्तर दिए।

एएनआरएफ के सीईओ डॉ. शिवकुमार कल्याणरमन ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए इस बात पर बल दिया कि सोशल मीडिया को गहन तकनीकी/शोध प्रसार के लिए एक प्रथम श्रेणी के नागरिक/तंत्र के रूप में कैसे देखा जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि यह कैसे शोध की दृश्यता में बदलाव ला सकता है, संचार को गति दे सकता है और विज्ञान, शोध और नवाचार के साथ लोगो की भागीदारी को बढ़ा सकता है। उन्होंने संस्थानों को सरल एआई को एकीकृत करने और वैज्ञानिक सफलताओं को विभिन्न भारतीय भाषाओं में साझा करने के लिए मीडिया क्लब स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया। इससे अत्याधुनिक शोध सभी लोगो के और करीब पहुँच सके। उन्होंने कहा कि इस दृष्टिकोण से रोमांचक शोध और नवाचार की कहानियाँ सुनी जा सकती हैं, भाषाई बाधाओं को पार किया जा सकता है और व्यापक दर्शकों तक पहुँचा जा सकता है।

उन्होंने लिंक्डइन, एक्स (पूर्व में ट्विटर), फेसबुक और यूट्यूब जैसे समृद्ध मीडिया के साथ-साथ पारंपरिक मीडिया के माध्यम से ज्ञान के प्रसार में तेजी लाने के महत्व को रेखंकित किया। उन्होंने इस कार्य में उत्प्रेरक और प्रवर्तक के रूप में एएनआरएफ की भूमिका पर भी बल दिया।

प्रोफ़ेसर कुमारगुरु ने अपनी प्रस्तुति में सरल एआई की विशेषताओं और शोध पत्रों को विभिन्न भारतीय भाषाओं में आकर्षक वीडियो में बदलने के लिए इसके उपयोग के बारे में बताया। लाइव प्रदर्शनों के माध्यम से उन्होंने इसकी विशेषताओं का प्रदर्शन किया और प्रतिभागियों के प्रश्नों के उत्तर दिए।

एएनआरएफ मीडिया टीम ने एएनआरएफ की प्रमुख पहलों व्यक्तिगत केंद्रित अनुदान, मिशन मोड परियोजनाएँ और क्षमता निर्माण कार्यक्रम पर एक प्रस्तुति दी। टीम ने यह भी बताया कि कैसे शोधकर्ता वैज्ञानिक जानकारी के व्यापक प्रसार के लिए लघु वीडियो, रील, कार्टून, पॉडकास्ट, लेख आदि के रूप में शोध हाइलाइट्स, लैब टूर, शोधकर्ताओं की यात्राएँ, स्कॉलर यात्राएँ और लैब-टू-लाइफ कहानियाँ तैयार कर सकते हैं।

 

पीके/ केसी/ एसके


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