वस्त्र मंत्रालय
वस्त्र मंत्रालय ने ‘विश्व कपास दिवस 2025’ मनाया
सरकार का लक्ष्य न केवल निर्यात और कपड़ा बाजार का विस्तार करना है बल्कि 2030 तक कार्बन तटस्थता हासिल करना भी है: श्री गिरिराज सिंह
कस्तूरी कपास भारत देश का गौरव होगा जो शुद्धता, गुणवत्ता और स्थिरता का प्रतीक है : केंद्रीय मंत्री
उद्योग जगत ने भारतीय कस्तूरी कपास ब्रांड को बढ़ावा देने के लिए कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए
Posted On:
07 OCT 2025 8:47PM by PIB Delhi
नई दिल्ली में आयोजित विश्व कपास दिवस 2025 समारोह में केंद्रीय वस्त्र मंत्री श्री गिरिराज सिंह और केंद्रीय वस्त्र एवं विदेश राज्य मंत्री श्री पबित्रा मार्गेरिटा ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का आयोजन वस्त्र मंत्रालय और भारतीय कपड़ा उद्योग परिसंघ (सीआईटीआई) की ओर से संयुक्त रूप से 'कपास 2040: प्रौद्योगिकी, जलवायु और प्रतिस्पर्धा' विषय पर केंद्रित किया गया था।

सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार की प्रतिबद्धता न केवल 2030 तक 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर के कपड़ा क्षेत्र के लक्ष्य को प्राप्त करने की है, जिसमें 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात भी शामिल है, बल्कि कार्बन तटस्थता की ओर बढ़ने की भी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कपास महज एक फसल नहीं है बल्कि यह भारतीय कृषि की आत्मा है, जो किसान के पसीने, दृढ़ता और आशा का प्रतिबिंब है। उन्होंने विश्व कपास दिवस पर कपास किसानों को अपनी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि कपास के प्रत्येक धागे में हमारे किसानों की कहानी है। इसमें चिलचिलाती धूप में उनकी कड़ी मेहनत, बारिश के लिए उनकी प्रार्थना और मिट्टी में उनके अटूट विश्वास शामिल हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय स्थिरता इस क्षेत्र के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु बदल रही है और हमें पानी और बिजली का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए तथा प्रकृति की रक्षा के लिए मिलकर काम करना चाहिए। भारत के मुख्य रूप से वर्षा आधारित कपास क्षेत्रों की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसानों की कड़ी मेहनत आने वाली पीढ़ियों को समृद्धि की ओर ले जाए, इसके लिए कुशल जल प्रबंधन, मिट्टी संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
श्री गिरिराज सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि यह परिवर्तन तभी संभव है जब किसानों से लेकर कपड़ा निर्यातकों तक प्रत्येक हितधारक एक परिवार की तरह काम करेंगे। भारत में विश्व के कपास क्षेत्र का 40% हिस्सा है, फिर भी उत्पादकता लगभग 450 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, जो कई अन्य देशों के 2,000 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से काफी कम है। कपास उत्पादकता मिशन पर सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है, इसका उद्देश्य इस अंतर को कम करना है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले दशक में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में हुई वृद्धि ने किसान कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है।

मिल्कवीड, रैमी और सन जैसे प्राकृतिक रेशों की भविष्य की क्षमता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि भारत के किसानों में स्थायी फाइबर उत्पादन में दुनिया का नेतृत्व करने की ताकत और विवेक है। उन्होंने कहा कि दुनिया पर्यावरण अनुकूल उत्पादों की ओर बढ़ रही है और हमारे किसान आगे का रास्ता दिखा सकते हैं।
अपनी अपील में मंत्री ने सभी हितधारकों-जिनर, स्पिनर, ब्रांड और निर्यातकों से कपास की यात्रा को संभव बनाने वाले किसानों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ने का आह्वान किया।
हम कस्तूरी कॉटन भारत को प्रत्येक भारतीय का गौरव बनाएं-एक कपास जिसे दुनिया अपनी शुद्धता, गुणवत्ता और स्थिरता के लिए पहचानती है, ठीक उसी तरह जैसे वह मिस्र के गीजा या अमेरिकी सुपीमा को पहचानती है।
उद्घाटन सत्र के दौरान वस्त्र एवं विदेश राज्य मंत्री श्री पबित्रा मार्गेरिटा ने कहा कि भारत को गुणवत्ता, स्थिरता और नैतिक उत्पादन में अग्रणी स्थान प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने बताया कि कस्तूरी कपास पहल में सरकार के ‘5एफ’ (फार्म-फाइबर-फैक्ट्री-फैशन-फॉरेन) दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि भारत और रूस वस्त्र एवं परिधान क्षेत्र में गहरे संबंध बना सकते हैं।
वस्त्र मंत्रालय की सचिव सुश्री नीलम शमी राव ने अपने संबोधन में उल्लेख किया कि विश्व कपास दिवस आजीविका, स्थिरता और नवाचार के साथ कपास के स्थायी संबंध का उत्सव मनाता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कपास क्षेत्र छह मिलियन किसानों को सहायता प्रदान करता है तथा मूल्य शृंखला में 45 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उन्नत कपास उगाने और सटीक खेती से डिजिटल ट्रेसेबिलिटी, डेटा-संचालित विस्तार सेवाओं और जिनिंग अवसंरचना के आधुनिकीकरण तक भारतीय कपास का भविष्य प्रौद्योगिकी आधारित परिवर्तन में निहित है। उन्होंने कहा कि ये नवाचार उत्पादकता, गुणवत्ता और स्थिरता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

उन्होंने सभी हितधारकों से कपास क्षेत्र की उत्पादकता चुनौतियों का समाधान करने के लिए सहयोगात्मक और प्रौद्योगिकी-एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कस्तूरी कॉटन भारत को शुद्धता, गुणवत्ता और तकनीकी उत्कृष्टता के वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रतीक के रूप में स्थापित करने के लिए स्थिरता प्रमाणन, गुणवत्ता आश्वासन और मूल्य संवर्धन के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने सीआईटीआई सीडीआरए से अधिकाधिक किसानों तक पहुंचकर उच्च घनत्व रोपण प्रणाली (एचडीपीएस) अपनाने का भी आग्रह किया।
विकास आयुक्त (हथकरघा) एवं वस्त्र आयुक्त डॉ. एम बीना ने कहा कि प्रौद्योगिकी और नवाचार पर ध्यान देना समय की मांग है और वस्त्र मंत्रालय एटीयूएफएस, पीएम मित्रा, एनटीटीएम आदि योजनाओं के माध्यम से उद्योग को निरंतर सहयोग दे रहा है।
वस्त्र मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती पद्मिनी सिंगला ने अपने भाषण में इस बात पर जोर दिया कि स्थायित्व को बढ़ाना सर्वोपरि है और मंत्रालय वस्त्र उद्योग के समक्ष आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित कर रहा है। उन्होंने कपास उत्पादन और उपज बढ़ाने के उद्देश्य से कपास उत्पादकता के लिए एक समग्र योजना मिशन शुरू करने में अंतर-मंत्रालयी समन्वय पर प्रकाश डाला, जिससे किसान अपनी आय बढ़ा सकें।
उन्होंने जोर देकर कहा कि सामूहिक मिशन उत्पादकता को बढ़ाना, गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना और पता लगाने योग्य और बेहतर कपास पद्धतियों के माध्यम से विश्वास का निर्माण करना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैश्विक बाजार में लेबलिंग, सम्मिश्रण (मलिनता) नियंत्रण और ट्रेसेबिलिटी पर कोई समझौता नहीं करना व्यापार मापदंडों के रूप में उभर रहे हैं।
रणनीतिक नीतियों, वैज्ञानिक प्रगति और मजबूत उद्योग साझेदारी के माध्यम से भारत उच्च गुणवत्ता वाले कपास उत्पादन में अपना नेतृत्व फिर से हासिल कर सकता है। यहां का जलवायु अनुकूल और टिकाऊ पद्धतियों को बढ़ावा दे सकता है और विश्वसनीय,ट्रेसेबल एवं प्रीमियम भारतीय कपास के लिए विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त ब्रांड का निर्माण कर सकता है।

विश्व कपास दिवस 2025 के समारोह में सीसीआई के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक श्री ललित कुमार गुप्ता ने विभिन्न उपक्रमों और डिजिटल परिवर्तन के माध्यम से देश के कपास किसानों को सशक्त बनाने में निगम के योगदान पर बहुमूल्य जानकारी दी।
सीआईटीआई के अध्यक्ष श्री अश्विन चंद्रन और टेक्सप्रोसिल के उपाध्यक्ष श्री रवि सैम ने आर्थिक विकास, रोजगार सृजन, किसानों को आजीविका प्रदान करने और महिला सशक्तिकरण में कपास और वस्त्र उद्योग के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया।
नितिन स्पिनर्स, अरविंद लिमिटेड, आरएसआर इंटरनेशनल, ऑल इंडिया कॉटन एफपीओ एसोसिएशन (एआईएफसीए), बीटल रेजेन, होहेनस्टीन, आईसीएआर-सीआईआरसीओटी और नोएडा अपैरल एक्सपोर्ट क्लस्टर (एनएईसी) जैसे प्रतिष्ठित संगठनों के साथ कस्तूरी कॉटन भारत पहल के तहत वाणिज्यिक, सामुदायिक और परिषद समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
इस मौके पर कई अन्य प्रतिष्ठित वक्ताओं ने अपने बहुमूल्य विचार साझा किए।
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पीके/केसी/आरकेजे
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