नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
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वितरित नवीकरणीय ऊर्जा (डीआरई) ग्रामीण रोजगार के अवसर पैदा करती है; राज्यों से कौशल पारिस्थितिकी तंत्र और नवीन हरित वित्तपोषण विकसित करने का आग्रह: नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव श्री संतोष कुमार सारंगी


एसोसिएशन ऑफ रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसीज ऑफ स्टेट्स (एरियास) ने भारत के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में तेजी लाने के लिए उप-राष्ट्रीय जलवायु नेतृत्व पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया

Posted On: 07 OCT 2025 7:05PM by PIB Delhi

एसोसिएशन ऑफ रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसीज ऑफ स्टेट्स (एरियास) और नेचुरल रिसोर्सेज डिफेंस काउंसिल (एनआरडीसी) ने उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) और स्व-नियोजित महिला संघ (सेवा) के साथ मिलकर भारत में स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन को गति देने पर केंद्रित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में देश के 25 से अधिक राज्यों के सरकारी प्रतिनिधि, स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी विकासकर्ता और नागरिक समाज संस्थाएं शामिल हुईं।

कार्यशाला के पहले दिन, प्रतिभागियों को बाराबंकी स्थित एक संपीड़ित बायोगैस संयंत्र का दौरा कराया गया, जिसके बाद अयोध्या स्थित राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) के 40 मेगावाट के सौर संयंत्र ले जाया गया। राज्य के प्रतिनिधियों ने दोनों संयंत्रों के प्रबंधन से बातचीत कर उनके संचालन की जानकारी प्राप्त की।

(बाएं से दाएं) (श्री जीवन कुमार, कार्यकारी निदेशक, एरियास; वैज्ञानिक एफ, एमएनआरई, श्री इंद्रजीत सिंह, निदेशक, यूपीएनईडीए, श्रीमती रेहाना रियावाला, सीईओ, ग्रासरूट ट्रेडिंग नेटवर्क फॉर विमेन, सेल्फ एम्प्लॉयड विमेन एसोसिएशन, श्रीमती दीपा सिंह बगई, कंट्री डायरेक्टर, एनआरडीसी इंडिया, श्री इंदु शेखर चतुर्वेदी, पूर्व सचिव, एमएनआरई और विजिटिंग प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस, आईआईटी कानपुर)

राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन का उद्घाटन नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव श्री संतोष कुमार सारंगी ने किया। उन्होंने कहा, ‘‘हमें भारत के नागरिकों पर नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) के परिवर्तनकारी प्रभाव को समझने और स्वीकार करने की आवश्यकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बिजली के मामले में, नवीकरणीय ऊर्जा वर्तमान में लोगों को आत्मनिर्भर बनाने का सबसे शक्तिशाली साधन है।’’

 

श्री सारंगी ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे वितरित नवीकरणीय ऊर्जा (डीआरई) ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है और उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वे ऐसा कौशल विकास पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करें, जिसमें लोगों को संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला के दौरान प्रशिक्षित किया जाए और नवोन्मेषी हरित वित्तपोषण मॉडलों पर कार्य किया जाए। इसके अलावा, उन्होंने स्वीकार किया कि राज्य नोडल एजेंसियों (एसएनए) की भूमिका का, एसडब्ल्यूओटी विश्लेषण जैसे तरीकों के माध्यम से, पुनर्मूल्यांकन किए जाने की आवश्यकता है; ताकि उभरते नवीकरणीय ऊर्जा परिदृश्य का समाधान किया जा सके और यह समझा जा सके कि एसएनए राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों की दिशा में बेहतर ढंग से कैसे काम कर सकते हैं।

 

कार्यशाला के दौरान नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने में तेजी लाने, स्वच्छ ऊर्जा के वित्तपोषण को बढ़ाने और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत क्षमताओं को मजबूत करने पर सत्र आयोजित किए गए। डीआरई प्रौद्योगिकियों के विभिन्न पहलुओं पर एक अलग सत्र भी आयोजित किया गया, जहां राज्य प्रतिनिधियों ने न केवल डीआरई प्रौद्योगिकी को अपनाने, बल्कि इसकी कुशल निगरानी और मूल्यांकन के लिए चुनौतियों, समाधानों और कार्रवाई योग्य कदमों पर भी चर्चा की।

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