गृह मंत्रालय
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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में ‘भारत मंथन-2025: नक्सल मुक्त भारत, पीएम मोदी के नेतृत्व में लाल आतंक का खात्मा’ के समापन सत्र को संबोधित किया


1960 के दशक से अब तक, वामपंथी हिंसा में जिन लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी, जिन्होंने अपनों को खोया, शारीरिक व मानसिक विपदाएं झेलीं है, उन सभी को नमन करता हूँ

जो लोग यह प्रचार कर रहे हैं कि वामपंथी उग्रवाद विकास न पहुँच पाने के कारण फैला, वे देश को गुमराह कर रहे हैं

जिनके हाथ में हथियार हैं, उन्हें आदिवासियों की चिंता नहीं है, बल्कि दुनियाभर से रिजेक्ट हो चुके वामपंथी विचार को जिंदा रखने की चिंता है

नक्सल प्रभावित इलाकों तक विकास न पहुंचने के पीछे का एक मात्र कारण नक्सलवाद है

जब तक नक्सलवाद को वैचारिक पोषण, लीगल समर्थन और वित्तीय पोषण करने वाले लोगों को एक्सपोज नहीं किया जाएगा, तब तक नक्सलवाद की समस्या समाप्त नहीं होगी

एक जमाने में पशुपतिनाथ से तिरुपति तक फैले रेड कॉरिडोर का नारा लगाया जाता था, तो चिंता होती थी, मगर आज कोई इसका जिक्र करता है तो लोग हँसते हैं

जब तक वामपंथी दल पश्चिम बंगाल में सत्ता में नहीं आये तब तक वहाँ नक्सलवाद पनपा और जैसे ही वे सत्ता में आए, नक्सलवाद वहाँ से गायब हो गया

हथियार छोड़ने वालों के लिए रेड-कार्पेट है, लेकिन निर्दोष आदिवासियों को नक्सली हिंसा से बचाना सरकार का धर्म है

आत्मसमर्पण के बढ़ते आँकड़ें बताते हैं कि नक्सलियों के पास समय कम बचा है

बड़े-बड़े लेख लिखकर सरकार को उपदेश देने वाले बुद्धिजीवी विक्टिम ट्राइबल के लिए लेख क्यों नहीं लिखते? उनकी संवेदना सिलेक्टिव क्यों है?

मोदी सरकार सरेंडर की नीति को बढ़ावा देती है, मगर गोली का जवाब गोली से दिया जायेगा

ऑपरेशन ब्लैक फारेस्ट के दौरान वामपंथी राजनीतिक दल अभियान को रुकवाने के लिए पत्र लिखकर गुहार लगाने लगे, जिससे उनका असली चेहरा सामने आ गया

जब तक छत्तीसगढ़ में विपक्षी पार्टी की सरकार थी, संयुक्त अभियानों में अधिक सहयोग नहीं मिलता था, 2024 में हमारी पार्टी की सरकार बनने के एक साल में 290 नक्सलियों को मार गिराया गया

Posted On: 28 SEP 2025 8:32PM by PIB Delhi

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में ‘भारत मंथन-2025: नक्सल मुक्त भारत, पीएम मोदी के नेतृत्व में लाल आतंक का खात्मा’ के समापन सत्र को संबोधित किया।

इस अवसर पर केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि 31 मार्च, 2026 तक भारत नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक भारतीय समाज नक्सलवाद का वैचारिक पोषण, कानून समर्थन और वित्तीय पोषण करने वाले लोगों को समझ नही लेता तब तक नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई समाप्त नहीं होगी। उन्होंने कहा कि आंतरिक सुरक्षा और देश की सीमाओं की सुरक्षा हमेशा से हमारी विचारधारा का प्रमुख अंग रही है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी के मूल उद्देश्यों में तीन चीज़ें बहुत प्रमुख थीं- देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और भारतीय संस्कृति के सभी अंगों का पुनरूत्थान। केन्द्रीय गृह मंत्री ने 1960 के दशक से अब तक, वामपंथी हिंसा में जिन लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी, जिन्होंने अपनों को खोया, शारीरिक व मानसिक विपदाएं झेलीं है उन सभी लोगों को नमन किया। उन्होंने कहा कि जब तक वामपंथी दल पश्चिम बंगाल में सत्ता में नहीं आये तब तक वहाँ नक्सलवाद पनपा और जैसे ही वे सत्ता में आए, नक्सलवाद वहाँ से गायब हो गया।

श्री अमित शाह ने कहा कि जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सत्ता संभाली तब देश की आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से तीन महत्वपूर्ण हॉटस्पॉट- जम्मू कश्मीर, नॉर्थईस्ट और वामपंथी कॉरिडोर, ने देश की आंतरिक सुरक्षा को छिन्न-भिन्न करके रखा था। उन्होंने कहा कि लगभग 4-5 दशकों से हज़ारों लोग इन तीनों जगहों पर पनपी औऱ फैली अशांति के कारण जान गंवा चुके थे, संपत्ति का बहुत नुकसान हुआ था, देश के बजट का बहुत बड़ा हिस्सा गरीबों के विकास की जगह इन हॉटस्पॉट को संभालने में जाता था और सुरक्षा बलों की भी अपार जानहानि हुई थी। उन्होंने कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनते ही इन तीनों हॉटस्पॉट पर ध्यान केन्द्रित किया गया और स्पष्ट दीर्घकालीन रणनीति के आधार पर काम हुआ।

केन्द्रीय गृह ने कहा कि मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। उन्होंने कहा कि लगभग 70 के दशक की शुरूआत में नक्सलवाद और हथियारी विद्रोह की शुरूआत हुई। 1971 में स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे ज़्यादा 3620 हिंसक घटनाएं हुईं और इसके बाद 80 के दशक में पीपल्स वॉर ग्रुप ने महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, झारखंड बिहार और केरल तक इसका विस्तार किया। उन्होंने कहा कि 80 के दशक के बाद वामपंथी गुटों ने एक दूसरे में विलय की शुरूआत की और 2004 में प्रमुख सीपीआई (माओवादी) गुट का गठन हुआ और नक्सली हिंसा ने बहुत गंभीर स्वरूप ले लिया। उन्होंने कहा कि पशुपति से तिरुपति कॉरिडोर को रेड कॉरिडोर के रूप में जाना जाता था।

श्री अमित शाह ने कहा कि देश के भूभाग का 17 प्रतिशत हिस्सा रेड कॉरिडोर में समाहित था और इस समस्या से 12 करोड़ की आबादी प्रभावित थी। उस वक्त की आबादी का 10 प्रतिशत हिस्सा नक्सलवाद का दंश झेलकर अपना जीवन बिता रहा था। श्री शाह ने कहा उसकी तुलना में दो अन्य हॉटस्पॉट – कश्मीर में 1 प्रतिशत भूभाग आतंकवाद औऱ पूर्वोत्तर में देश का 3.3. प्रतिशत भूभाग अशांति से ग्रस्त था। उन्होंने कहा कि जब 2014 में श्री नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्री बने तब मोदी सरकार ने संवाद, सुरक्षा और समन्वय के तीनों पहलुओं पर काम करने की शुरूआत की। इसके परिणामस्वरूप  31 मार्च, 2026 को इस देश से हथियारी नक्सलवाद समाप्त हो जाएगा।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि जहां पहले scattered approach से काम होता था, घटना-आधारित रिस्पॉंस होता था और कोई स्थायी नीति नहीं थी। एक प्रकार से कहें तो सरकार के रिस्पॉंस का स्टीयरिंग नक्सलियों के हाथों में था। श्री शाह ने कहा कि 2014 के बाद सरकार के अभियानों, कार्यक्रमों का स्टीयरिंग भारत सरकार के गृह मंत्रालय के पास है औऱ यह एक बहुत बड़ा नीतिगत परिवर्तन है। उन्होंने कहा कि scattered approach की जगह unified और ruthless approach को अपनाने का काम मोदी सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की नीति है जो हथियार छोड़कर सरेंडर करना चाहते हैं, उनके लिए रेड कार्पेट है और उनका स्वागत है, लेकिन अगर हथियार लेकर निर्दोष आदिवासियों को मारना चाहते हैं तो सरकार का धर्म निर्दोष आदिवासियों बचाना और हथियारबंद नक्सलियों का सामना करना है।

श्री अमित शाह ने कहा कि पहली बार भारत सरकार ने बिना किसी कन्फ्यूज़न के एक स्पष्ट नीति अपनाई। उन्होंने कहा कि राज्य पुलिस और केन्द्रीय सुरक्षाबलों को हमने छूट दी और इंटेलीजेंस, इन्फॉर्मेशन शेयरिंग तथा ऑपरेशन में कोऑर्डिनेशन के लिए भारत सरकार और राज्य सरकारों के बीच एक व्यावहारिक सेतु बनाया गया। उन्होंने कहा कि आर्म्स और अम्युनिशन की सप्लाई पर नकेल कसी गई। 2019 के बाद हमें उनकी सप्लाई को लगभग 90 प्रतिशत से अधिक रोकेने में सफलता प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि नक्सलियों का वित्तपोषण करने वालों पर एनआईए और ईडी ने नकेल कसी है, साथ ही हम नक्सलवादियों के अर्बन नक्सल सपोर्ट, लीगल सहायता औऱ मीडिया नरेटिव गढ़ने से भी लड़े हैं। उन्होंने कहा कि हमने सेंट्रल कमिटी के मेंबर्स पर लक्षित तरीके से कार्रवाई की और 18 से अधिक सेंट्रल कमिटी के मेंबर 19 अगस्त से आज तक न्यूट्रलाइज़ किए जा चुके हैं। गृह मंत्री ने कहा कि सुरक्षा वैक्यूम भरने का काम भी किया गया है और ऑपरेशन ऑक्टोपस और ऑपरेशन डबल बुल जैसे टारगेटेड ऑपरेशन किए गए हैं। उन्होंने कहा कि डीआरजी, एसटीएफ, सीआरपीएफ और कोबरा की संयुक्त ट्रेनिंग की भी शुरूआत की। चारों अब मिलकर अभियान चलाते हैं और उसका चेन ऑफ कमांड भी अब स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि एकीकृत प्रशिक्षण से हमारी सफलता में बहुत अंतर आया है। इसके साथ-साथ फॉरेंसिक जांच शुरू की गई, लोकेशन ट्रैकिंग सिस्टम उपलब्ध कराया गया, मोबाइल फोन की गतिविधियों को राज्य पुलिस को उपलब्ध कराया गया, साइंटिफिक कॉल लॉग्स एनालिसिस के सॉफ्टवेयर बने औऱ सोशल मीडिया एनालिसिस से भी उनके छुपे हुए सपोर्टर्स को ढूंढने का काम हुआ। इससे नक्सल विरोधी अभियान में न सिर्फ तेज़ी आई बल्कि वे सफल औऱ परिणामलक्षी भी हुए।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 2019 के बाद हमने राज्यों के क्षमता निर्माण पर भी बल दिया। SRE और SIS योजना के तहत लगभग 3331 करोड़ रूपए जारी किए गए, जो लगभग 55 प्रतिशत की वद्धि दर्शाता है। इसके माध्यम से फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन बढ़ाए गए और इस पर लगभग 1741 करोड़ रूपए खर्च हुए। उन्होंने कहा कि पिछले 6 साल में 336 नए सीएपीएफ के कैंप बनाकर सुरक्षा के वैक्यूम को भरने का काम मोदी सरकार ने किया। इसके परिणामस्वरूप 2004 -14 के मुकाबले 2014-24 में सुरक्षाबलों की मृत्यु में 73 प्रतिशत की कमी आई औऱ नागरिकों की मृत्यु में 74 प्रतिशत कमी आई। श्री शाह ने कहा कि पहले हमें छत्तीसगढ़ में सफलता नहीं मिलती थी क्योंकि वहाँ विपक्ष की सरकार थी। 2024 में हमारी सरकार बनी और 2024 में किसी एक साल के में सबसे अधिक 290 नक्सलियों को न्यूट्रलाइज़ करने का काम किया गया।

गृह मंत्री ने कहा कि हम किसी को नहीं मारना चाहते। 290 न्यूट्रलाइज़्ड नक्सलियों के मुकाबले 1090 गिरफ्तार किए और 881 ने सरेंडर किया। उन्होंने कहा कि यह बताता है कि सरकार की  अप्रोच क्या है। हम पूरा प्रयास करते हैं कि नक्सली को सरेंडर या अरेस्ट करने का पूरा मौका दिया जाता है। लेकिन जब नक्सलवादी हाथ में हथियार लेकर भारत के निर्दोष नागरिकों को मारने निकलते हैं तो सुरक्षाबलों के पास कोई और चारा नहीं होता और उन्हें गोली का जवाब गोली से ही देना होता है। श्री शाह ने कहा कि 2025 में अब तक 270 नक्सलियों को न्यूट्रलाइज़ किया गया है, 680 गिरफ्तार किए गए हैं और 1225 ने आत्मसमर्पण किया है। दोनों वर्षों में आत्मसमर्पण और अरेस्ट की संख्या न्यूट्रलाइज़्ड की संख्या से अधिक है। आत्मसमर्पण करने वालों की संख्या बताती है कि नक्सलियों का समय अब बहुत कम बचा है।

श्री अमित शाह ने कहा कि नक्सलियों ने तेलंगाना-छत्तीसगढ़ सीमा पर Karregutaa hiils पर बहुत बड़ा कैंप बनाया था जहां बहुत सारे हथियार थे, दो साल का राशन था, हथियार और आईईडी बनाने की फैक्ट्रियां थी और वहां पहुंचना बहुत मुश्किल था। उन्होंने कहा कि 23 मई 2025 को उनके इस कैंप को ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट में नष्ट कर दिया गया औऱ 27 हार्डकोर नक्सली मारे गए। साथ ही बीजापुर में 24 हार्डकोर नक्सली मारे गए हैं। गृह मंत्री ने कहा कि इस ऑपरेशन के माध्यम से छत्तीसगढ़ में बचेखुचे नक्सलियों की रीढ़ टूट गई है। श्री शाह ने कहा कि वर्ष 2024 में जो नक्सली न्यूट्रलाइज़्ड किए गए, उनमें 1 जोनल कमिटी मेंबर, 5 सबज़ोनल कमिटी मेंबर, 2 स्टेट कमिटी मेंबर, 31 डिविज़नल कमिटी मेंबर और 59 एरिया कमिटी मेंबर शामिल हैं।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 1960 से 2014 तक कुल 66 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन थे और मोदी सरकार के 10 साल में नए 576 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन बनाने का काम हुआ। 2014 में 126 नक्सलाइट ज़िले थे, अब 18 नक्सलाइट ज़िले ही बचे हैं। मोस्ट अफेक्टेड ज़िले 36 से घटकर 6 बचे हैं। पुलिस स्टेशन लगभग 330 थे अब 151 रह गए हैं और इनमें भी 41 नए बनाए गए पुलिस स्टेशन हैं। पिछले 6 साल में 336 सुरक्षा कैंप बनाए गए और नाइट लैंडिंग के लिए 68 हैलीपैड बनाए गए हैं। हमारे सीआरपीएफ के जवानों के लिए हमने 76 नाइट लैंडिंग हैलीपैड बनाए हैं। उन्होंने कहा कि नक्सलियों की आय़ कम करने के लिए एनआईए, ईडी और राज्य सरकारों ने करोडों रूपए की संपत्तियां ज़ब्त की हैं। गृह मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के समन्वय के लिए भी उनके स्तर पर मुख्यमंत्रियों के साथ 12 बैठकें हुई हैं और अकेले छत्तीसगढ़ में 8 बैठकें हुई हैं। छत्तीसगढ़ सरकार नक्सलियों के आत्मसमर्पण के लिए ल्यूक्रेटिव पैकेज लाई है। उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवादी क्षेत्र में विकास के लिए भी कई काम किए गए हैं। गृह मंत्री ने कहा कि दुनिया में जहां भी वामपंथी विचारधारा पनपी, वहां वामपंथी विचारधारा औऱ हिंसा का चोली दामन का रिश्ता रहा है औऱ यही नक्सलवाद की जड़ है।

 

श्री अमित शाह ने कहा कि जो लोग यह प्रचार कर रहे हैं कि वामपंथी उग्रवाद का मूल कारण विकास है वे देश को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 60 करोड़ गरीबों के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी अनेक योजनाएं लाए हैं, नक्सलवादी क्षेत्र में कौन इन योजनाओं को नहीं पहुंचने देता। उन्होंने कहा कि सुकमा या बीजापुर में स्कूल नहीं पहुंचा तो उसका दोषी कौन है। वामपंथी क्षेत्र में सड़कें क्यों नहीं बन सकीं क्योंकि नक्सलियों ने कॉट्रैक्टर्स की हत्या कर दी। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े लेख लिखकर सरकार को उपदेश देने वाले बुद्धिजीवी विक्टिम ट्राइबल के लिए लेख क्यों नहीं लिखते? उनकी संवेदना सिलेक्टिव क्यों है? उन्होंने कहा कि न तो नक्सलियों के समर्थक आदिवासियों का विकास चाहते और न ही उनके मन में उनकी चिंता है, बल्कि उन्हें दुनियाभर में रिजेक्ट होती अपनी विचारधारा को ज़िदा रखने की चिंता है। श्री शाह ने  कहा कि विकास न पहुंचने का एकमात्र कारण वामपंथी विचारधारा है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि नक्सलियों ने पहला निशाना संविधान और फिर न्यायिक व्यवस्था को बनाया। संवैधानिक वैक्यूम खड़ा किया और फिर स्टेट की कल्पना को निशाना बनाया और स्टेट का वैक्यूम खड़ा किया। उन्होंने कहा कि जो भी उनके साथ नहीं जुड़े उन्हें स्टेट का इन्फॉर्मर बनाकर जनता की अदालत में फांसी की घोषणा कर दी। इन्होंने पैरेलल सरकार बनाई। श्री शाह ने कहा कि देश के कल्याण के लिए अपनी विचारधारा से उपर उठने की ज़रूरत है।  उन्होंने कहा कि गवर्नेंस के वैक्यूम के कारण ही वहाँ  विकास, साक्षरता, स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं पहुंच सकी हैं।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन ब्लैक फारेस्ट के दौरान वामपंथी राजनीतिक दल अभियान को रुकवाने के लिए पत्र लिखकर गुहार लगाने लगे, जिससे उनका असली चेहरा सामने आ गया। उन्होंने कहा कि नक्सलियों के साथ कोई सीज़फायर नहीं होगा। अगर उन्हें सरेंडर करना है तो सीज़फायर करने की ज़ररूरत ही नहीं है, उन्हें हथियार डाल देने चाहिए। पुलिस एक भी गोली नहीं चलाएगी और उन्हें रिस्टेब्लिश करेगी। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन ब्लैक फ़ॉरेस्ट होते ही नक्सलियों के समर्थकों की सारी छद्म सिम्पैथी एक्सपोज़ हो गई।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 2014-2024 के दौरान वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में 12 हज़ार किलोमीटर सड़कें बनी हैं, 17,500 सड़कों के लिए बजट स्वीकृत हुआ, 6300 करोड़ रूपए की लागत से 5000 मोबाइल टॉवर लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि 1060 बैंक शाखाएं खोली गई, 937 एटीएम लगाए गए, 37,850 बैंकिग कॉरेस्पॉडेंट्स बनाए गए, 5899 डाकघर खोले गए, 850 स्कूल और 186 अच्छे स्वास्थ्य केन्द खोले गए हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार नियद नेल्लानार योजना के तहत आयुष्मान भारत कार्ड, आधार कार्ड, वोटिंग कार्ड, स्कूल बनाना, राशन दुकान, आंगनवाड़ी स्वीकृत करने के काम में लगी है।

पूर्वोत्तर में उग्रवाद का जिक्र करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर में 2004-2014 की तुलना में  2014-2024 में सुरक्षाकर्मियों की मृत्यु में 70 प्रतिशत की कमी आई है। इसी प्रकार, 2004-14 की तुलना में 2014-24 में नागरिकों की मृत्यु में 85 प्रतिशत की कमी आई है। मोदी सरकार ने 12 महत्वपूर्ण शांति समझौते कर हाथ में हथियार लेकर घूमने वाले 10,500 युवाओं को सरेंडर कर मेनस्ट्रीम में लाने का काम किया। उन्होंने कहा कि एक ज़माने में पूरा पूर्वोत्तर अपने आप को देश से कटा हुआ महसूस करता था लेकिन आज आज पूर्वोत्तर ट्रेन, रेलवे, और विमान से जुड़ा हुआ है। श्री शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने भौतिक दूरी के साथ ही दिल्ली औऱ नॉर्थईस्ट के बीच दिलों की दूरी भी कम करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि आज पूर्वोत्तर शांति और विकास के मार्ग पर आगे बढ़ा है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में 2019 में प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में धारा 370 को समाप्त कर दिया गया। उसके बाद सरकार ने सुनियोजित तरीके से विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन से जनता का विश्वास अर्जित किया। उन्होंने कहा कि कश्मीर में पाक प्रायोजित आतंक के सामने बहुत सुनियोजित नीति के तहत मोदी सरकार ने काम किया। श्री शाह ने कहा कि 2004-14 में 7300 हिंसक घटनाओं के मुकाबले 2014-24 में 1800 हिंसक घटनाए हुई हैं। सुरक्षाकर्मियों की मृत्यु में 65 प्रतिशत और नागरिकों की मृत्यु में 77 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि देश का हर कानून आज वहां अमल में है। जम्मू कश्मीर में आज़ादी के बाद पहली बार पंचायत चुनाव हुए और 99.8 प्रतिशत मतदान हुआ। श्री शाह ने कहा कि हम जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की समस्या को धीरे धीरे सुलझाने के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं।

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