राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
वैश्विक दक्षिण के एनएचआरआई के लिए मानवाधिकारों पर भारत का चौथा आईटीईसी कार्यकारी क्षमता निर्माण कार्यक्रम, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली में संपन्न हुआ
आयोग ने विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के साथ साझेदारी में कार्यक्रम का आयोजन किया
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन ने अपने समापन भाषण में कहा कि इस तरह के संवादात्मक कार्यक्रमों के अच्छे प्रभाव आशा जगाते हैं और संघर्ष एवं चुनौतीपूर्ण समय के बीच एक बेहतर भविष्य का निर्माण करते हैं
वैश्विक दक्षिण मानवाधिकार संस्थाओं के गठबंधन पर विचार करने के सुझाव का समर्थन करता है, क्योंकि ‘एक ही बात सबके लिए उपयुक्त’ दृष्टिकोण विविध सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक वास्तविकताओं के अनुरूप नहीं है
कई प्रतिष्ठित वक्ताओं ने शासन और मानवाधिकारों के विभिन्न पहलुओं पर वैश्विक दक्षिण के 12 एनएचआरआई के 43 वरिष्ठ पदाधिकारियों को संबोधित किया
Posted On:
26 SEP 2025 9:00PM by PIB Delhi
वैश्विक दक्षिण के राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों (एनएचआरआई) के लिए मानवाधिकारों पर छह दिवसीय भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यकारी क्षमता निर्माण कार्यक्रम नई दिल्ली में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत द्वारा विदेश मंत्रालय (एमईए) के सहयोग से किया गया था। समापन सत्र को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन ने रजिस्ट्रार (विधि) श्री जोगिंदर सिंह, संयुक्त सचिव श्री समीर कुमार और श्रीमती सैदिंगपुई छकछुआक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में संबोधित किया।

इस कार्यक्रम की शुरूआत 22 सितंबर, 2025 को हुई थी जिसमें मॉरीशस, जॉर्डन, जॉर्जिया, फिलीपींस, कतर, फिजी, उज्बेकिस्तान, बोलीविया, नाइजीरिया, माली, मोरक्को और पैराग्वे के 12 राष्ट्रीय मानव अधिकार संगठनों (एनएचआरआई) के 43 वरिष्ठ पदाधिकारियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में प्रतिष्ठित व्यक्तियों और क्षेत्र विशेषज्ञों के साथ संवादात्मक सत्र शामिल थे और प्रतिभागियों को भारतीय नागरिकों को प्राप्त नागरिक और राजनीतिक अधिकारों के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकारों के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराया गया।

वक्ताओं में एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन, सदस्य न्यायमूर्ति (डॉ.) विद्युत रंजन सारंगी, महासचिव श्री भरत लाल, नीति आयोग के सदस्य श्री वी.के. पॉल, भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त श्री राजीव कुमार, एनएचआरसी के पूर्व सदस्य डॉ. ज्ञानेश्वर एम. मुले और श्री राजीव जैन, नीति आयोग के मिशन निदेशक श्री युगल किशोर जोशी, संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व पीआर राजदूत अशोक कुमार मुखर्जी, भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर श्री शोम्बी शार्प, भारत में विज्ञान और पर्यावरण केंद्र की महानिदेशक श्रीमती सुनीता नारायण, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय में पूर्व सचिव श्रीमती सुमिता डावरा, एनएचआरसी के पूर्व महानिदेशक (आई) श्री मनोज यादव और श्री अजय भटनागर, एनएचआरसी के पूर्व रजिस्ट्रार (कानून) श्री सुरजीत डे और एनएचआरसी के संयुक्त सचिव श्री समीर कुमार शामिल थे।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन ने अपने समापन भाषण में कार्यक्रम के दौरान उपस्थित सभी प्रतिभागियों के सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक ऊर्जा के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के संवादात्मक आयोजनों से उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा आशा जगाती है और संघर्षपूर्णतया चुनौतीपूर्ण समय के बीच एक बेहतर भविष्य का निर्माण करती है। उन्होंने 22 सितंबर, 2025 को इस कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए अपनी बात दोहराते हुए कहा कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत प्राचीन भारतीय लोकाचार के अनुरूप एक साथ सीखने, साझा करने और एक साथ बढ़ने के लिए एक मंच प्रदान करने हेतु आईटीईसी कार्यकारी क्षमता निर्माण कार्यक्रमों की मेजबानी करना जारी रखेगा।
नाइजीरियाई एनएचआरआई के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के सुझाव को आगे बढ़ाते हुए न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यन ने कहा कि वास्तव में अब समय आ गया है कि वैश्विक दक्षिण मानवाधिकार संस्थाओं का एक गठबंधन बनाने के बारे में विचार किया जाए, क्योंकि सभी देशों के लिए एक ही दृष्टिकोण, उनकी अलग-अलग सामाजिक-आर्थिक सांस्कृतिक और राजनीतिक वास्तविकताओं को देखते हुए, मानवाधिकार मुद्दों के समाधान के अनुरूप नहीं हो सकता है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के महासचिव श्री भरत लाल ने अपने उद्घाटन भाषण में वैश्विक दक्षिण से सामूहिक कल्याण सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक-आर्थिक और मानव विकास को आगे बढ़ाने में एकजुट होने का आह्वान किया था।

प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, भारत और विदेश मंत्रालय की सराहना की। उन्होंने कहा कि इससे विविध सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई पहचान वाले लोकतंत्र में मानवाधिकारों, सुशासन और मानवाधिकारों के सम्मान की प्राचीन भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को जानने का अवसर मिला। प्रतिभागियों को प्रधानमंत्री संग्रहालय, भारतीय संसद, गरबा महोत्सव और ताजमहल जैसे प्रतिष्ठित स्थलों पर जाकर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का गहन अनुभव प्राप्त करने का भी अवसर मिला।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के संयुक्त सचिव और कार्यक्रम समन्वयक श्री समीर कुमार ने प्रशिक्षण कार्यक्रम पर रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि हमें मानवाधिकारों की सार्वभौमिकता को स्वीकार करते हुए और उसे स्थापित करते हुए विशेष दृष्टिकोण अपनाने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने पूरे कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी और जानकारी के आदान-प्रदान सराहना की। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की संयुक्त सचिव श्रीमती सैदिंगपुई छकछुआक ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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