जल शक्ति मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, जल शक्ति मंत्रालय ने सुजलम भारत सम्मेलन के अंतर्गत ग्रे-वाटर प्रबंधन और पुन: उपयोग पर वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन किया


ग्रेवाटर प्रबंधन 30-40% पानी बचाने में मदद कर सकता है: राज्यों और विकास भागीदारों की प्रस्तुतियों में समुदाय-नेतृत्व वाले नए दृष्टि कोणों को दर्शाया गया;

राज्यों ने ग्रे-वाटर के पुनः उपयोग पर सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया; पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा और झारखंड के मॉडल प्रस्तुत किए गए

Posted On: 22 SEP 2025 7:22PM by PIB Delhi

जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सीआर पाटिल की अध्यक्षता में नवंबर के अंत में होने वाले सुजलम भारत के विजन पर आगामी विभागीय शिखर सम्मेलन की तैयारी में विषय गत सम्मेलन के तहत में “ग्रे-वाटर प्रबंधन और पुन: उपयोग” पर एक आभासी कार्यशाला का आयोजन किया।

सुजलम भारत शिखर सम्मेलन, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में आयोजित छह विभागीय शिखर सम्मेलनों में से एक है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय नीति में जमीनी स्तर के दृष्टिकोणों को शामिल करना है। जल शक्ति मंत्रालय द्वारा संचालित और नीति आयोग द्वारा समन्वित, इन शिखर सम्मेलनों का उद्देश्य राष्ट्रीय मिशनों और क्षेत्र-स्तरीय कार्यान्वयन के बीच फीडबैक लूप को मज़बूत करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रणनीतियाँ न केवल प्रभावी हों, बल्कि स्थानीय वास्तविकताओं के प्रति भी उत्तरदायी हों।

कार्यशाला में डीडीडब्ल्यूएस के सचिव श्री अशोक केके मीणा उपस्थित थे और इसकी अध्यक्षता श्री कमल किशोर सोन, एएसएमडी (एसबीएमजी और जेजेएम) तथा श्रीमती अर्चना वर्मा, एएसएमडी-एनडब्ल्यूएम और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के राज्य नोडल अधिकारी/मिशन निदेशक, क्षेत्र विशेषज्ञ और विकास भागीदारों के प्रतिनिधियों ने की।

अपने उद्घाटन भाषण में, श्रीमती अर्चना वर्मा, एएसएमडी-एनडब्ल्यूएम ने बैठक का संदर्भ प्रस्तुत करते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि माननीय प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय नीतियों को आकार देने हेतु जमीनी स्तर पर सुझाव प्राप्त करने के लिए छह क्षेत्रीय विषयगत सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि प्रभावी जल एवं स्वच्छता रणनीतियों के विकास के लिए मध्य-स्तरीय अधिकारियों, वैज्ञानिकों और पेशेवरों का योगदान आवश्यक है। विषय के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा, "उचित ग्रे-वाटर प्रबंधन से 30-40 प्रतिशत तक पानी बचाया जा सकता है। यही कारण है कि आज की कार्यशाला सुजलम भारत के व्यापक संदर्भ में महत्वपूर्ण है।"

श्री कमल किशोर सोन, एएसएमडी-जेजेएम एवं एसबीएमजी, ने अपने संदर्भ निर्धारण नोट में कहा कि जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के साथ ग्रे-वाटर प्रबंधन और भी महत्वपूर्ण हो गया है। उन्होंने कहा, "हमारे प्रयासों को ऐसी प्रणालियों पर केंद्रित होना चाहिए जो जलवायु-अनुकूल और स्थानीय आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी हों। समुदायों को ऐसे समाधानों की आवश्यकता है जो न केवल तकनीकी रूप से सुदृढ़ हों, बल्कि टिकाऊ भी हों और उनके विशिष्ट संदर्भों के अनुकूल हों।"

कार्यशाला में पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, झारखंड और आरडब्ल्यूपीएफ पार्टनर, वाटरएड इंडिया की ओर से विस्तृत प्रस्तुतियाँ दी गईं। प्रस्तुतियों में नवोन्मेषी मॉडल और समुदाय-आधारित दृष्टिकोण प्रदर्शित किए गए। इनमें विकेंद्रीकृत पुन: उपयोग तकनीकों से लेकर पंचायत-आधारित पहल तक, देश भर के विविध अनुभवों को प्रतिबिंबित किया गया।

श्रीमती अर्चना वर्मा, एएसएमडी- एनडब्ल्यूएम ने समापन भाषण देते हुए समूह को याद दिलाया कि ग्रे-वाटर प्रबंधन केवल स्वच्छता से संबंधित नहीं है, बल्कि जल सुरक्षा, जन स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलेपन से भी जुड़ा है। इस कार्यशाला से प्राप्त अंतर्दृष्टि अंतिम राज्य/संघ राज्य क्षेत्र नोट्स में योगदान देगी और सुजलम भारत शिखर सम्मेलन के विचार-विमर्श में सहायक होगी, जिससे देश में सतत जल एवं स्वच्छता प्रबंधन के लिए एक रोडमैप तैयार करने में मदद मिलेगी।

***

पीके/केसी/पीएस/एसएस  


(Release ID: 2169817) Visitor Counter : 33
Read this release in: English , Urdu