पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
केंद्रीय राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज गोंडा में वृक्ष उत्पादक मेले का उद्घाटन किया
वृक्षों की उत्पादकता समाज और पर्यावरण के लिए जीवन रेखा है; समुदाय को भावी पीढ़ियों को सुरक्षित रखने के लिए वृक्षारोपण के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए: श्री के.वी. सिंह
Posted On:
19 SEP 2025 5:01PM by PIB Delhi
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज उत्तर प्रदेश के गोंडा स्थित जिला पंचायत सभागार में आईसीएफआरई-पारिस्थितिक पुनरुद्धार केंद्र, प्रयागराज द्वारा आयोजित वृक्ष उत्पादक मेले का उद्घाटन किया।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए श्री सिंह ने कहा कि वृक्षों की उत्पादकता केवल कृषि भूमि या आय सृजन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज और पर्यावरण, दोनों के लिए जीवन रेखा है। उन्होंने कहा, "रोपा गया प्रत्येक पेड़ स्वच्छ वायु, जल सुरक्षा और बेहतर स्वास्थ्य में योगदान देता है। गांवों में बढ़ती हरियाली पक्षियों और अन्य प्रजातियों सहित जैव विविधता के संरक्षण में भी मदद करती है।" मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यदि किसान और समुदाय अपने खेतों, बंजर भूमि और चरागाहों पर वृक्षारोपण करने के लिए प्रतिबद्ध हों, तो इससे परिवारों की समृद्धि, क्षेत्र में पारिस्थितिक संतुलन और आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
मानव सभ्यता की वनों पर ऐतिहासिक निर्भरता पर प्रकाश डालते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि अनियंत्रित दोहन, तीव्र औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण दुनिया भर में अभूतपूर्व वनों की कटाई हुई है। उन्होंने कहा, "वनों और भूमि संसाधनों का क्षरण अब एक बड़ी चुनौती है।" उन्होंने ग्रामीण आजीविका को बढ़ाने और पारिस्थितिक संतुलन बहाल करने में कृषि वानिकी, गैर-लकड़ी वन उत्पादों और सतत भूमि उपयोग प्रथाओं के महत्व पर ज़ोर दिया।
मेले में तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया, जहाँ विशेषज्ञों ने कृषि वानिकी की विभिन्न प्रजातियों, जैसे चिनार, गम्हार, मोरिंगा, बाँस, मेलिया दुबिया, चंदन, सागौन, यूकेलिप्टस और महोगनी, पर व्याख्यान दिए। किसानों की जिज्ञासाओं का समाधान किया गया और वृक्षारोपण, खेती, प्रसंस्करण और वृक्ष-आधारित उत्पादों के विपणन पर व्यावहारिक ज्ञान साझा किया गया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत, प्रयागराज के कलाकारों ने लोक आल्हा गायन, जादू और कठपुतली प्रदर्शन के साथ "जंगल है तो मंगल है" नाटक का मंचन किया और वृक्षारोपण एवं पर्यावरण संरक्षण का संदेश आकर्षक ढंग से प्रसारित किया। क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों को वृक्षारोपण और कृषि वानिकी में उनके योगदान के लिए सम्मानित भी किया गया।
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(Release ID: 2168702)