विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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डॉ. गीता वाणी रायसम ने सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की निदेशक के रूप में पदभार ग्रहण किया


डॉ. वाणी ने कुशल एसटीआई नीतियों, भविष्योन्मुख विज्ञान संचार और मजबूत वैश्विक सहयोग का आह्वान किया

Posted On: 09 SEP 2025 5:47PM by PIB Delhi

डॉ. गीता वाणी रायसम ने आज सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएससीपीआर) की नई निदेशक के रूप में पदभार ग्रहण किया। अपने पदभार ग्रहण समारोह में कर्मचारियों, शोधकर्ताओं और छात्रों को संबोधित करते हुए, डॉ. रायसम ने संस्थान की सुदृढ़ विरासत पर जोर दिया तथा विज्ञान संचार और विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार (एसटीआई) नीति के लिए परिवर्तनकारी दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया।

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत की विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और तेज़ी से उभरती वैश्विक चुनौतियों के युग में प्रासंगिक बने रहने के लिए कुशल और लचीले मॉडलों को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा, "एनआईएससीपीआर को पारंपरिक दृष्टिकोणों से आगे बढ़कर और समय की ज़रूरतों पर ध्यान केंद्रित करते हुए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।"

"कनेक्टिंग द अनकनेक्टेड" विषय पर जोर देते हुए, डॉ. रायसम ने कहा कि एनआईएससीपीआर को वैश्विक दक्षिण और विश्व के लिए एक आदर्श के रूप में कार्य करना चाहिए तथा संपूर्ण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी समुदाय की आवश्यकताओं को पूरा करना चाहिए। उन्होंने विज्ञान संचार को सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के साथ जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया और जन सहभागिता बढ़ाने के लिए उच्च-गुणवत्ता वाली भारतीय पत्रिकाओं, डिजिटल प्लेटफार्मों, नागरिक विज्ञान पहलों और विज्ञान-कला सहयोग के विकास को प्रोत्साहित किया।

डॉ. रायसम ने यह भी बताया कि विज्ञान संचार के उभरते परिदृश्य में, डिजिटल साक्षरता, सोशल मीडिया का ज़िम्मेदारीपूर्ण उपयोग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उपकरणों के साथ सक्रिय जुड़ाव, भरोसा और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होंगे। उन्होंने उल्लेख किया कि उभरती हुई प्रौद्योगिकियां चुनौतियों का सामना करती हैं, लेकिन वे अधिक लोगों तक पहुंचने और विज्ञान-समाज के बीच मज़बूत संबंध बनाने के अभूतपूर्व अवसर भी प्रदान करती हैं।

उन्होंने साझेदारी के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि साइंस मीडिया कम्युनिकेशन सेल (एसएमसीसी) और स्वस्तिक जैसी एनआईएससीपीआर पहल  आयुष मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, विज्ञान संग्रहालयों और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर काम कर सकती हैं। उन्होंने संस्थान की वैश्विक उपस्थिति को मज़बूत करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी), आईआईएम और उद्योग निकायों सहित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ संयुक्त परियोजनाओं की भी सिफ़ारिश की।

अपने संबोधन का समापन करते हुए डॉ. रायसम ने कहा कि एनआईएससीपीआर को भविष्योन्मुख, भारत-केंद्रित वैश्विक संस्थान और विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान में अग्रणी के रूप में विकसित होना चाहिए।

इस समारोह में मुख्य वैज्ञानिक एवं एफएओ डॉ. नरेश कुमार, सीओए श्री आर.के.एस. रौशन, एफएओ सुश्री गुरमीत कौर तथा सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के अन्य कर्मचारियों सहित वरिष्ठ गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

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