कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय
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नई जीएसटी दरें : कृषि क्षेत्र और किसानों की समृद्धि के लिए वरदान


केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा; जीएसटी रिफॉर्म के लिए देश प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री के प्रति आभारी

कृषि क्षेत्र में विकास के नए अध्याय जुड़ेंगे, हर क्षेत्र में दिखेंगे लाभकारी परिणाम- केंद्रीय कृषि मंत्री श्री चौहान

Posted On: 09 SEP 2025 2:15PM by PIB Delhi

नई जीएसटी दरें कृषि और डेयरी क्षेत्र बड़े बदलाव का संकेत है। जीएसटी दरों में कटौती से देशभर के किसान, कृषि डेयरी क्षेत्र के कामगार, पशुपालक बेहद प्रसन्न हैं और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के प्रति आभार व्यक्त कर रहे हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने भी नई दरों को क्रांतिकारी फैसला बताते हुए ऐतिहासिक बदलाव की उम्मीद जताई है।

जीएसटी रिफॉर्म का प्रभाव छोटे और मंझौले किसानों के बीच व्यापक रूप से देखा जा सकेगा। कृषि उपकरणों, सौर ऊर्जा आधारित उपकरणों पर जीएसटी दरें कम होने के कारण कृषि की लागत घटेगी और किसानों का मुनाफा बढ़ेगा। जैव-कीटनाशक और सूक्ष्म-पोषक तत्वों पर जीएसटी घटाई गई है, जिससे किसानों को लाभ होगा। साथ ही रासायनिक उर्वरकों से जैव उर्वरकों की तरफ किसानों की प्रवृति निश्चित रूप से बढ़ेगी। डेयरी क्षेत्र में अब दूध और पनीर पर कोई जीएसटी नहीं होगी। इससे आम आदमी को तो लाभ होगा ही, साथ ही किसानों, पशुपालकों और दुग्ध उत्पादकों को भी फायदा होगा। जीएसटी रिफॉर्म एकीकृत कृषि को भी बढ़ावा देगा। पशुपालन, मधुमक्खी पालन, मछली पालन, कृषि वानिकी, पॉल्ट्री फार्म में भी जीएसटी छूट का लाभ स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। केंदू के पत्ते पर जीएसटी कम होने से जनजातीय समुदाय  की आजीविका को मजबूती मिलेगी और वाणिज्यिक माल वाहन पर जीएसटी घटने से कृषि वस्तुओं की ढुलाई सस्ती होगी।

घटेगा दाम, बढ़ेगा लाभ

ट्रैक्टर की कीमत कम हो जाएगी

ट्रैक्टर के कलपुर्जें सस्ते

कृषि उपकरण सस्ते मिलेंगे

सौर ऊर्जा आधारित उपकरणों की भी कीमत कम होगी

उर्वरक होगा सस्ता

कीटनाशक सस्ते होंगे

फल-सब्जियां होंगी सस्ती

मेवे हो जाएंगे सस्ते

खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा

दूध और पनीर पर नहीं लगेगी जीएसटी

स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा

'तैयार या संरक्षित मछली' पर जीएसटी कम

शहद खरीदना भी सस्ता, कम हो जाएंगी कीमतें

केंदू के पत्ते पर जीएसटी घटाई गई

 

विभिन्न क्षेत्रों पर जीएसटी दरों में कटौती के प्रभाव का विस्तारपूर्वक ब्यौरा:-

कृषि मशीनीकरण

  • टैक्ट्रर्स (< 1800 सीसी) पर जीएसटी घटकर 5% हो जाएगी
  • ट्रैक्टर्स के कलपुर्जे पर भी जीएसटी 18% से घटकर 5% हो जाएगी। ट्रैक्टर के टायर, ट्यूब, ट्रैक्टर के लिए हाइड्रोलिक पंप सहित अन्य ट्रैक्टर कलपुर्जे सस्ते हो जाएंगे।
  • स्प्रिंकलर, ड्रिप सिंचाई, कटाई मशीनरी, ट्रैक्टर पार्ट्स पर पर जीएसटी 12% से घटकर 5% हो जाएगी।
  • 15 एचपी से अधिक शक्ति के फिक्स्ड स्पीड डीजल इंजन, कटाई या थ्रेसिंग मशीनरी, कम्पोस्ट मशीन पर जीएसटी 12% से कम होकर 5% होगी।

जीएसटी कम होने से ट्रैक्टरों की खरीद कीमत कम हो जाएगी, जिससे छोटे और मध्यम किसान भी ट्रैक्टर खरीद पाने में सक्षम होंगे। कम कीमतें कृषि में मशीनीकरण को बढ़ावा देंगी, जिससे किसानों को समय की बचत होगी, मैनुअल श्रम लागत कम होगी और फसल उत्पादकता में सुधार होगा।

पुराने और नए की गणना/ सस्ते हो जाएंगे उपकरण  

उर्वरक

 

  • अमोनिया, सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड पर जीएसटी 18% से घटकर 5% हो जाएगी।
  • उर्वरक उत्पादन के लिए प्रमुख कच्चा माल; दर में कटौती से उल्टे शुल्क ढांचे (आईडीएस) में सुधार होगा।

 

जैव कीटनाशक और सूक्ष्म पोषण तत्व

  • 12 जैव कीटनाशक और कई सूक्ष्म पोषक तत्वों पर जीएसटी 12% से घटकर 5% होगी।
  • जैव-आधारित आदानों को अधिक किफायती बनाकर, यह पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ कृषि नियमों को बढ़ावा देगा।
  • किसानों को रासायनिक कीटनाशकों से जैव-कीटनाशकों में बदलाव के लिए प्रोत्साहित करेगा, मृदा स्वास्थ्य और फसल की गुणवत्ता में सुधार लाएगा।
  • सरकार के प्राकृतिक खेती मिशन के अनुरूप छोटे जैविक किसानों और एफपीओ को प्रत्यक्ष लाभ।
  • उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के क्रम 1(जी), अनुसूची 1, भाग () के तहत सूक्ष्म पोषक तत्वों को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत जीएसटी में लाया जाएगा।

फल, सब्जियां और खाद्य प्रसंस्करण

  • तैयार/संरक्षित सब्जियां, फल, मेवे पर जीएसटी अब 12% की जगह अब 5% होगी।  
  • कोल्ड स्टोरेज, खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन में निवेश को प्रोत्साहित करेगा।
  • जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं की बर्बादी पर रोक लगेगी जिससे किसानों को उपज के बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
  • प्रसंस्कृत खाद्य वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा, कृषि-निर्यात केंद्र के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत होगी।

डेयरी क्षेत्र

  • दूध और पनीर पर कोई जीएसटी नहीं होगी।
  • मक्खन, घी आदि पर 12% की जगह 5% जीएसटी लगेगी।
  • स्वेदशी उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा।
  • दूध और पनीर पर कोई जीएसटी नहीं होगी।
  • दूध के डिब्बे (लोहा, स्टील या एल्यूमीनियम से बने डिब्बे) पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।
  • डेयरी किसानों के उत्पादों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाकर उन्हें प्रत्यक्ष बढ़ावा दिया जाएगा।

जलीय कृषि

  • 'तैयार या संरक्षित मछली' पर जीएसटी 12% से घटकर 5% हो जाएगी। कर में कटौती से देशभर में जलीय कृषि और विशेष रूप से मछली पालन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

शहद पर जीएसटी

  • प्राकृतिक शहद पर जीएसटी कम होगी। यह प्राकृतिक शहद के प्रमुख उत्पादक यानी मधुमक्खी पालकों, आदिवासी समुदायों और ग्रामीण एसएचजी को लाभान्वित करेगा।
  • कृत्रिम शहद पर जीएसटी, चाहे प्राकृतिक शहद के साथ मिलाया गया हो या नहीं, 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है

सौर ऊर्जा आधारित उपकरण पर जीएसटी

  • सौर ऊर्जा आधारित उपकरणों पर जीएसटी 12% से घटकर 5% हो जाएगी।
  • सस्ते सौर ऊर्जा आधारित उपकरणों से सिंचाई लागत कम होगी जिससे किसानों को मदद मिलेगी।

केंदू के पत्ते पर जीएसटी कटौती

  • केंदू के पत्ते पर अब जीएसटी 18% की जगह 5% ही होगी।
  • केंदू के पत्ते लघु वनोत्पाद हैं जो ओडिशा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के किसानों और आदिवासियों के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत हैं। इन राज्यों की आजीविका आंशिक रूप से इन पत्तियों की कीमतों पर निर्भर करती है। जीएसटी की दर में कमी से इन क्षेत्रों के आदिवासियों और किसानों को सहायता मिलेगी।

 कृषि में जीएसटी का युक्तिकरण किसान हितैषी, ग्रामीण समर्थक और सतत विकास के लिए एक सुधार है, इससे किसानों की लागत कम होगी। सहकारी समितियों और एफपीओ को बढ़ावा मिलेगा और खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी। कृषि को यह बढ़ावा बहुस्तरीय स्तर पर, साथ ही इससे जुड़ी सभी गतिविधियों को भी मिलेगा। उर्वरक की लागत कम होने से कृषि उत्पादकता बढ़ेगी, कोल्ड स्टोरेज और कृषि प्रसंस्करण को बढ़ावा मिलेगा और खेती में मशीनीकरण भी बढ़ेगा। इसके अतिरिक्तजलीय कृषि, डेयरी फार्मिंग और इससे जुड़ी सहकारी समितियों के लिए भी लाभदायक होगा। उपरोक्त का अनुवर्ती प्रभाव हमें आयातित खाद्य उत्पादों और पैकेज्ड खाद्य पदार्थों के मुकाबले अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा। आत्मनिर्भर बनने के लिए हमारा घरेलू खाद्य उत्पादन खाद्य पदार्थों के आयात की तुलना में अधिक प्रतिस्पर्धी होगा।

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आरसी/केएसआर/एआर


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