रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय
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रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के औषध विभाग के सचिव ने ‘इंडिया मेडटेक एक्सपो 2025’ का उद्घाटन किया


भारत की वैश्विक मांग 2047 तक 2 प्रतिशत से बढ़कर 17 प्रतिशत होने की संभावना है, मेडटेक उद्योग को इससे लाभ हो सकता है: औषध विभाग के सचिव

उद्योग को किफायती लागत पर उच्च गुणवत्ता वाले नैदानिक उपकरण बनाने की आवश्यकता है: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव एवं भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक

बड़ी कंपनियों के लिए खरीद को सुलभ बनाने और एमएसएमई को अपने साथ जोड़ने की जरूरत: अपर सचिव, एमएसएमई मंत्रालय

नीति निर्माता, उद्योग और शिक्षा जगत सहयोग के तरीकों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं

Posted On: 04 SEP 2025 8:00PM by PIB Delhi

भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के औषध विभाग (डीओपी) के सचिव श्री अमित अग्रवाल ने आज मेडटेक उद्योग से नवाचार और विस्तार को बढ़ावा देने के लिए विकास के साधनों का लाभ उठाने का आह्वान किया।

'ग्लोबल मेडटेक मैन्युफैक्चरिंग हब: प्रिसिजन इंजीनियरिंग, येट अफोर्डेबल' विषय पर आयोजित एक सत्र को संबोधित करते हुए, श्री अग्रवाल ने कहा, ‘‘आज भारत की माँग विश्व की कुल माँग का लगभग 2 प्रतिशत है। 2047 तक, यह विश्व की कुल माँग का 17 प्रतिशत हो जाएगी, जो लगभग हमारी जनसंख्या के बराबर है। जैसे-जैसे भारत विकसित बनेगा, हमारी क्रय शक्ति भी उतनी ही होगी। हमारा लक्ष्य वैश्विक मांग में समान हिस्सेदारी हासिल करना होगा। यह एक दीर्घकालिक विकास प्रेरक है जो बाजार के पैमाने और अवसर को बनाए रखने, इसे सुनिश्चित करने और उसकी गारंटी देने का कार्य करता है।”

तीन दिवसीय ‘इंडिया मेडटेक एक्सपो 2025’ का आयोजन 4 से 6 सितंबर 2025 तक भारत मंडपम, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार; चिकित्सा उपकरणों के लिए निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएमडी) और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के सहयोग से भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय का औषधि विभाग कर रहा है।

फार्मा में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने (पीआरआईपी) योजना पर अद्यतन जानकारी साझा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘भारत समृद्ध बाजार प्रदान करता है और यही बात इसे फार्मा में एक लचीला बाजार बनाती है और मेडटेक क्षेत्र में वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी भी बनाती है।’’

औषधि विभाग के सचिव ने वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और वैश्विक एवं घरेलू कंपनियों तथा स्टार्ट-अप्स के उद्योग प्रमुखों के साथ सीईओ गोलमेज सम्मेलन की भी अध्यक्षता की।

‘सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण निदान: नवाचार, सक्षमता और भारत के भविष्य का रोडमैप’ शीर्षक से आयोजित सत्र को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने किफायती लागत पर उच्च गुणवत्ता वाले निदान तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

डॉ. बहल ने कहा, ‘‘निदान नितांत आवश्यक है और हर कोई उच्चतम गुणवत्ता वाला निदान पाने के लिए संघर्ष कर रहा है। हमें सबसे उच्च गुणवत्ता वाले निदान की आवश्यकता सबसे निचले स्तर तक है, जहां यह आदर्श रूप से देखभाल का एक बिंदु हो और तीसरी बात, किफायती कीमत पर उपलब्ध हो। इसलिए, अगर हम इन तीनों पहलुओं को एक साथ जोड़ सकें तो, हम इन कमियों को काफी हद तक कम कर सकते हैं।’’

नियामक के मुद्दे पर भारत द्वारा की गई पहलों का वर्णन करते हुए, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के औषध महानियंत्रक (डीसीजीआई) डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने कहा कि भारत नियमों को आसान बनाने के लिए कई उपाय कर रहा है।

डॉ. रघुवंशी ने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य है कि नियम आसान हों और उनका पालन मजबूत तरीके से हो। हमने हाल के दिनों में अपने नियमों को सरल और उद्योग-अनुकूल बनाने की अपनी मंशा को दर्शाने के लिए कई पहल की हैं। दुनिया ने भारत को स्वास्थ्य सेवा आपूर्ति के एक केंद्र के रूप में मान्यता दी है।’’

'ग्लोबल मेडटेक मैन्युफैक्चरिंग हब: प्रिसिजन इंजीनियरिंग, येट अफोर्डेबल’ विषय पर आयोजित सत्र को संबोधित करते हुए भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय में अपर सचिव और विकास आयुक्त (एमएसएमई) डॉ. रजनीश ने कहा कि किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण घटक गुणवत्ता और कीमत है। अगर खरीद प्रणाली को सबके लिए समान रूप से उपलब्ध कराया जाए यानी खरीद को सुलभ बनाया जाए, तो लागत को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

डॉ. रजनीश ने कहा, ‘‘मेडटेक क्षेत्र को खरीद प्रक्रिया को सुलभ बनाने की आवश्यकता है। अगर बड़ी कंपनियां एमएसएमई को अपने खरीद चैनलों में शामिल कर सकें, तो मुझे लगता है कि इससे लागत कम करने में मदद मिलेगी। कई जगहों पर हमने खरीद की लागत में 10 से 40 प्रतिशत तक की कमी देखी है।’’

परीक्षण पर स्थिति स्पष्ट करते हुए, सीडीएससीओ ने कहा, ‘‘आईसीएमआर के सहयोग से हमारे पास मेडटेक मित्र नामक एक मंच है। कई कंपनियां, स्टार्टअप और नवप्रवर्तक इस मंच का लाभ उठा रहे हैं। वे परीक्षण लाइसेंस के लिए मेडटेक मित्र मंच पर अपना आवेदन जमा कर रहे हैं और मूल्यांकन के बाद हम परीक्षण लाइसेंस प्रदान कर रहे हैं, ताकि वे अपने नवाचार या अनुसंधान क्षेत्र से संबंधित अपनी गतिविधियां शुरू कर सकें।’’

इस आयोजन में 30 से अधिक देशों के 150 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय खरीदार भाग ले रहे हैं, जो वैश्विक हितधारकों को भारत के तेजी से बढ़ते मेडटेक इकोसिस्टम में साझेदारी और निवेश की संभावनाओं को तलाशने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। एआईएमईडी, एडीएमआई, एमटीएआई, एएमटीजेड, एएमसीएचएएम, एपीएसीएमईडी, एडीवीएएमईडी, एपीएमईआई, एसोचैम, सीआईआई, फिक्की, इन्वेस्ट इंडिया, पीएचडीसीसीआई, एनएटीहेल्थ, यूएसआईबीसी और यूएसआईएसपीएफ सहित अग्रणी संघों के मजबूत उद्योग समर्थन के साथ, यह एक्सपो चिकित्सा प्रौद्योगिकी के भविष्य को आकार देने के लिए एक सामूहिक मंच के रूप में कार्य करता है।

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पीके/केसी/एसएस


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