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 खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल : वैश्विक सफलता के लिए एक मंच


मध्य प्रदेश, ओडिशा, केरल के प्रशिक्षकों ने डल झील में मिली जीत का विश्लेषण किया और कहा कि अंतरराष्ट्रीय सफलता हासिल करने की दौड़ शुरू हो गई है

Posted On: 25 AUG 2025 4:09PM by PIB Delhi

खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल 2025 का सूर्य भले ही अस्त हो गया हो, लेकिन कयाकिंग, कोचिंग और नौकायन की पहली समेकित, राष्ट्रीय स्तर की, ओपन-एज प्रतियोगिता ने देश में वाटर स्‍पोर्ट्स के इतिहास में एक नया अध्याय स्थापित कर दिया है।

भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) की देखरेख में जम्मू और कश्मीर खेल परिषद द्वारा आयोजित इन खेलों ने वाटर स्‍पोर्ट्स एथलीटों और उनके प्रशिक्षकों का उत्साह बढ़ा दिया है क्योंकि उनकी नज़र लॉस एंजिल्स ओलंपिक वर्ष 2028 के लिए क्वालीफाई करने और अन्य वैश्विक प्रतियोगिताओं में पदक जीतने पर है। डल झील में 21-23 अगस्त तक हुए खेलो इंडिया में जीते गए सभी 24 स्वर्ण पदक, जिनमें नौकायन में 10 स्वर्ण पदक शामिल हैं, ओलंपिक स्पर्धाओं के थे।

 

खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल में मध्य प्रदेश, ओडिशा और केरल शीर्ष तीन राज्यों के रूप में उभरे। भोपाल की एक प्रतिष्ठित झील और बंगाल की खाड़ी के किनारे वाटर स्पोर्ट्स प्रशिक्षण केंद्र और केरल के मनमोहक बैकवाटर्स की गोद में अलपुझा में स्थित एसएआई उत्कृष्टता केंद्र ने सुर्खियाँ बटोरीं, जब इन केंद्रों के एथलीटों ने डल में धूम मचाई।

ओडिशा में एसएआई के जगतपुर केंद्र में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली रस्मिता साहू, बिद्या देवी ओइनम और श्रुति तानाजी चौगुले; मध्य प्रदेश की डेली बिश्नोई, शिखा चौहान और पल्लवी जगताब और उत्तराखंड के विशाल डांगी जैसे वाटर स्‍पोर्ट्स विशेषज्ञों के प्रदर्शन ने कयाकिंग और कैनोइंग में नई उम्मीद जगाई है। शिखा और पल्लवी उस भारतीय तिकड़ी का हिस्सा थीं जिसने हाल ही में चीन के गुइझोउ में एशियाई कैनो स्लैलम चैंपियनशिप में ऐतिहासिक रजत पदक जीता था।

 

देश में स्थित पांच एसएआई  केंद्रों में प्रशिक्षण ले रहे कयाकरों और कैनोइस्टों का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा। 47 एसएआई एथलीटों ने पांच स्वर्ण, सात रजत और तीन कांस्य पदक जीते। खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल 2025  में 15 एथलीटों के साथ जगतपुर तीन स्वर्ण और पांच रजत पदकों के साथ सर्वश्रेष्ठ रहा।

नई खेल नीति (खेलो भारत नीति) के अंतर्गत, जिसका उद्देश्य उत्थान और प्रदर्शन है, खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल  एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। डल गेम्स ने पहले ही वाटर स्‍पोर्ट्स को प्रेरित किया है और टीओपीएस (टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम) और टीएजीजी (टारगेट एशियन गेम्स ग्रुप) योजनाओं के माध्यम से सरकार का सहयोग प्राप्त है, जिसका प्रभाव अगले साल जापान में होने वाले एशियाई खेलों में दिखाई दे सकता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि ओलंपिक और एशियाई खेलों में अकेले कयाकिंग और कैनोइंग में 30-30 स्वर्ण पदक दांव पर हैं और भारत इन वैश्विक प्रतियोगिताओं में पदक जीतने की पूरी उम्मीद कर सकता है। ओडिशा और केरल स्थित एसएआई के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों से जुड़े प्रशिक्षक पहले से ही उत्साहित दिख रहे हैं। खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल में 24 में से 10 स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम चैंपियन मध्य प्रदेश भी उतनी ही उत्साहित है।

 

श्रीनगर में मध्य प्रदेश का शानदार प्रदर्शन कोई संयोग नहीं था। यह मध्य प्रदेश राज्य वाटर स्‍पोर्ट्स उत्कृष्टता अकादमी में अनुशासन और महत्वाकांक्षा के एक सावधानीपूर्वक विकसित किए गए माहौल का परिणाम था।

मध्य प्रदेश के कयाकिंग और कैनोइंग कोच अंकुश शर्मा ने कहा कि यह महीनों की कड़ी तैयारी, अनुशासित कार्यक्रम और इन युवा एथलीटों द्वारा हम पर रखे गए भरोसे का नतीजा है। हर पैडल स्ट्रोक एक उद्देश्य से प्रेरित था। हर फिनिश हमारे प्रशिक्षण दर्शन का प्रतिबिंब था।

अंकुश की सहायता चंपा मौर्या ने की। उन्होंने पर्दे के पीछे टीम को प्रेरित करने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि हमने न सिर्फ़ शारीरिक सहनशक्ति पर बल्कि मानसिक मज़बूती पर भी काम किया।

चंपा ने कहा कि इन बच्चों ने दबाव में पनपना सीखा। और आज, ये सिर्फ़ मध्य प्रदेश के ही नहीं, बल्कि पूरे देश के चैंपियन हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर सम्मान हासिल करने की आकांक्षा और भी मज़बूत होती जा रही है।

जगतपुर के कोच लैशाराम जॉनसन सिंह ने कहा कि ओडिशा का प्रदर्शन देश के वाटर स्‍पोर्ट्स मानचित्र में बदलाव का संकेत है। ओडिशा के लिए यह तो बस शुरुआत है। प्रतिभाओं का भंडार अपार है, और अधिक निवेश और सहयोग के साथ, हम जल्द ही अग्रणी बन जाएंगे।

अपनी धैर्यपूर्ण मार्गदर्शन शैली के लिए जाने जाने वाले जॉनसन ने अनुभव और प्रतिस्पर्धी अनुभव के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे पैडलर्स प्रक्रिया पर भरोसा करना सीख रहे हैं। आज सिल्वर, कल गोल्ड। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए और परिणाम ज़रूर आएंगे।

केरल तीन स्वर्ण, एक रजत और तीन कांस्य सहित सात पदकों के साथ तीसरे स्थान पर रहा, लेकिन उनका प्रदर्शन प्रेरणादायक रहा। कोच पृथ्वीराज नंदकुमार शिंदे ने कहा कि केरल की वाटर स्‍पोर्ट्स में हमेशा से एक विरासत रही है। इस साल, हमने इसमें एक और अध्याय जोड़ा है। उन्होंने कहा कि बुनियादी बातों पर काम करने से एथलीट निखरेंगे और बेहतर बनेंगे।

शीर्ष तीन टीमें, मध्य प्रदेश, ओडिशा और केरल, न सिर्फ़ पदक लेकर आईं, बल्कि अपने साहस और विकास की कहानियां भी लेकर गईं। हर पोडियम फ़िनिश के पीछे एक कोच का अटूट विश्वास था। अब बात अगले स्तर पर पहुँचने की है।

 

जगतपुर में एसएआई  के हाई परफॉर्मेंस मैनेजर और वरिष्ठ कोच दलीप बेनीवाल का मानना ​​है कि श्रीनगर में आयोजित खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल, कयाकिंग और कैनोइंग के क्षेत्र में एक नया आयाम है। बेनीवाल ने कहा, "हमारे रोवर्स ओलंपिक और एशियाई खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। अगर हमारे कयाकिंग और कैनोइंग खिलाड़ियों को उचित अवसर मिले, तो वे भी निश्चित रूप से ऐसा ही कर सकते हैं। यहाँ आयोजित खेल हमारे लिए आँखें खोलने वाले रहे हैं।"

खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल 2025 के बारे में अधिक जानकारी के लिए: www.water.kheloindia.gov.in

पदक तालिका के लिए: https://water.kheloindia.gov.in/medal-tally

खेलो इंडिया वाटर स्‍पोर्ट्स फेस्टिवल के बारे में:

खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल, खेलो इंडिया कैलेंडर का एक नया संस्करण है। 21-23 अगस्त के बीच जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर स्थित प्रतिष्ठित डल झील पर आयोजित, खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल में छह खेल शामिल हैं, जैसे रोइंग, कैनोइंग, कयाकिंग, वाटर स्कीइंग, शिकारा रेस और ड्रैगन बोट रेस। 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने पहली बार आयोजित इन खेलों में भाग लिया, जो एक ओपन आयु वर्ग प्रतियोगिता थी। गुलमर्ग में आयोजित खेलो इंडिया शीतकालीन खेलों के बाद, यह वाटर स्पोर्ट्स कार्निवल जम्मू-कश्मीर में दूसरा खेलो इंडिया आयोजन था। वर्ष 2017-18 में शुरू किया गया  खेलो इंडिया जमीनी स्तर पर खेल संस्कृति को बढ़ावा देने का एक मिशन है और इसका उद्देश्य संगठित प्रतिभाओं की पहचान, संरचित खेल प्रतियोगिताओं और बुनियादी ढांचे के विकास पर भी केंद्रित है।

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पीके/केसी/एचएन/जीआरएस


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