रक्षा मंत्रालय
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भारतीय लोकाचार वैश्विक व्यवस्था को प्रभुत्व की प्रतिस्पर्धा के रूप में नहीं, बल्कि सभी के लिए सद्भाव, सम्मान और पारस्परिक सम्मान की दिशा में एक साझा यात्रा के रूप में देखता है: रक्षा मंत्री


"ऑपरेशन सिंदूर ने पहले ही हमारा संकल्प दिखा दिया है। हम पाकिस्तान के मन में भारत की ताकत के बारे में कोई भ्रम नहीं पनपने देंगे"

"हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को 97 तेजस लड़ाकू विमानों के लिए 66,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिले हैं, इससे पहले 48,000 करोड़ रुपये के 83 संस्करणों का ऑर्डर मिला था। हमारा तेजस स्वदेशी रक्षा बाजार का एक बेहतरीन उदाहरण होगा"

हमने भारत में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान और विमान इंजन बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं: रक्षा मंत्री

Posted On: 22 AUG 2025 6:28PM by PIB Delhi

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज नई दिल्ली में वर्ल्ड लीडर्स फोरम में कहा, "भारतीय लोकाचार वैश्विक व्यवस्था को प्रभुत्व की प्रतिस्पर्धा के रूप में नहीं, बल्कि सभी के लिए सद्भाव, सम्मान और पारस्परिक सम्मान की दिशा में एक साझा यात्रा के रूप में देखता है। हमारी परंपरा में, शक्ति का मापदंड आदेश देने की क्षमता में नहीं, बल्कि देखभाल करने की क्षमता में है; संकीर्ण हितों की पूर्ति में नहीं, बल्कि वैश्विक भलाई के लिए प्रतिबद्धता में है।" उन्होंने एक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था को आकार देने में भारत के बढ़ते नेतृत्व को रेखांकित किया और देश के रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने में की गई अभूतपूर्व प्रगति पर प्रकाश डाला।

पाकिस्तान के सेना प्रमुख द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था की तुलना स्पोर्ट्स कार और पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की तुलना डंप ट्रक से करने संबंधी हालिया बयान का हवाला देते हुए, रक्षा मंत्री ने कहा कि यह सिर्फ़ ट्रोल करने वाली बात नहीं, बल्कि एक खुलासे का विषय है। उन्होंने कहा, "अगर दो देश एक साथ आज़ाद हुए और एक ने कड़ी मेहनत, सही नीतियों और दूरदर्शिता से स्पोर्ट्स कार जैसी अर्थव्यवस्था बनाई, जबकि दूसरा नाकामी में फंसा रहा, तो यह उनकी अपनी करतूत है। यह मज़ाक नहीं, बल्कि एक स्वीकारोक्ति है।"

रक्षा मंत्री ने ज़ोर देकर कहा, "हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत की समृद्धि के साथ- साथ, हमारी रक्षा क्षमता और राष्ट्रीय सम्मान के लिए हमारी संघर्षशीलता भी उतनी ही मज़बूत रहे। ऑपरेशन सिंदूर ने पहले ही हमारा संकल्प दिखा दिया है। हम पाकिस्तान के मन में भारत की ताकत के बारे में कोई भ्रम नहीं पनपने देंगे।"

श्री राजनाथ सिंह ने बताया कि पिछले एक दशक में रक्षा निर्यात लगभग 35 गुना बढ़कर 2013- 14 के मात्र 686 करोड़ रुपये से 2024- 25 में 23,622 करोड़ रुपये हो गया है और अब रक्षा उत्पाद लगभग 100 देशों को निर्यात किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने इस वर्ष रक्षा निर्यात में 30,000 करोड़ रुपये और 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये तक पहुँचने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। साथ ही, उन्होंने बताया कि घरेलू रक्षा उत्पादन 2014 के 40,000 करोड़ रुपये से तीन गुना बढ़कर 2024- 25 में 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है और चालू वित्त वर्ष में लगभग 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुँचने की राह पर है।

रक्षा मंत्री ने रेखांकित किया कि भारत ने 509 प्लेटफार्मों, प्रणालियों और हथियारों को शामिल करते हुए पाँच सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियाँ जारी की हैं, जिनका अब अनिवार्य रूप से देश में ही निर्माण किया जाएगा। इसी प्रकार, रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (डीपीएसयू) ने भी 5,000 से अधिक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उप- प्रणालियों, पुर्जों और घटकों को शामिल करते हुए अपनी स्वदेशीकरण सूचियाँ जारी की हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने रक्षा पूंजी खरीद बजट का 75% भारतीय कंपनियों के लिए आरक्षित कर दिया है।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा "रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का हमारा दृष्टिकोण केवल आयात कम करने तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के बारे में है जहाँ भारतीय उद्योग, सार्वजनिक और निजी, विश्व स्तरीय क्षमता विकसित करें, जहाँ हम न केवल घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करें, बल्कि उच्च गुणवत्ता वाले रक्षा उत्पादों के वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में भी उभरें।"

रक्षा मंत्री ने स्वदेशी क्षमता में हालिया सफलताओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को 97 तेजस लड़ाकू विमानों के लिए 66,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिले हैं, इससे पहले 48,000 करोड़ रुपये के 83 विमानों का ऑर्डर मिला था। उन्होंने आगे कहा, "हमारा तेजस विमान भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का एक बेहतरीन उदाहरण बनने जा रहा है। हमने भारत में पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान और विमान इंजन बनाने की दिशा में भी कदम उठाए हैं।"

श्री राजनाथ सिंह ने उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारे बनाने के भारत के प्रयासों पर ज़ोर दिया, जो बड़े निवेश आकर्षित कर रहे हैं और रक्षा क्षेत्र के विकास को गति प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि सरकार ने रणनीतिक साझेदारी मॉडल के माध्यम से निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा दिया है, जिससे भारतीय कंपनियाँ लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, टैंक और पनडुब्बियों सहित उन्नत प्लेटफ़ॉर्म बनाने में सक्षम हो रही हैं। उन्होंने स्टार्टअप्स और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को बढ़ावा देने में आईडेक्स (रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार) की भूमिका पर प्रकाश डाला और रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ डी आई) सीमा को 74% (स्वचालित मार्ग) और 100% (सरकारी मार्ग) तक बढ़ाने और डीआरडीओ से निःशुल्क प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की पेशकश जैसे नीतिगत सुधारों की ओर संकेत किया।

रक्षा मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रक्षा बजट में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 2013- 14 के 2.53 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024- 25 में लगभग 6.22 लाख करोड़ रुपये हो गया है और ऑपरेशन सिंदूर के सफल संचालन के बाद इसमें और वृद्धि की योजना है। उन्होंने कहा, "भारत के रक्षा क्षेत्र को मज़बूत करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। जब रक्षा मज़बूत होती है, तो देश का विकास निर्बाध रूप से चलता रहता है।"

श्री राजनाथ सिंह ने वैश्विक रक्षा कंपनियों को भारत के साथ साझेदारी करने का निमंत्रण भी दिया। उन्होंने एयरबस द्वारा टाटा एयरोस्पेस के सहयोग से सी295 परिवहन विमान के उत्पादन का हवाला दिया। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, "आज दुनिया की सभी बड़ी रक्षा कंपनियों के लिए भारत में निवेश करने और यहाँ रक्षा उपकरणों का सह- उत्पादन करने का अवसर है। हमारा मेक इन इंडिया केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। जब आप भारत में रहकर उत्पादन करेंगे, तो आप दुनिया के लिए निर्माण करेंगे।"

रक्षा मंत्री ने कहा कि उनका दृढ़ विश्वास है कि भारत अगली वैश्विक व्यवस्था को आकार देने में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। उन्होंने इसके तीन मुख्य कारण बताए : भारत के सभ्यतागत मूल्य, इसकी तेज़ी से बढ़ती आर्थिक ताकत और इसका बेजोड़ जनसांख्यिकीय लाभांश। उन्होंने बताया कि भारत का वसुधैव कुटुम्बकम (विश्व एक परिवार है) का सिद्धांत एक न्यायपूर्ण और समावेशी व्यवस्था के लिए नैतिक आधार प्रदान करता है।

श्री राजनाथ सिंह ने भारत के विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने पर ज़ोर दिया, जो अब चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और तीसरी की ओर बढ़ रही है। पिछले एक दशक में निर्यात में 76% की वृद्धि हुई है और वैश्विक चुनौतियों के बावजूद घरेलू माँग मज़बूत बनी हुई है। उन्होंने भारत की युवा आबादी को एक परिवर्तनकारी संपत्ति बताया और कहा कि 65% नागरिक 35 वर्ष से कम आयु के हैं और हमारा देश 100 से ज़्यादा यूनिकॉर्न के साथ दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम का घर है।

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पीके/ केसी/ जेएस

 


(Release ID: 2159946)
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