अंतरिक्ष विभाग
संसद प्रश्न : उपग्रह डेटा की सहायता से कृषि, जल संसाधन और आपदा प्रबंधन की निगरानी की जाती है
Posted On:
21 AUG 2025 5:43PM by PIB Delhi
झारखंड के सभी 24 जिलों के लिए धान की फसल का मानचित्रण, खरीफ बुवाई क्षेत्र, साप्ताहिक बुवाई और कटाई की प्रगति, सूखे की निगरानी, 1:50,000 पैमाने पर भूजल संभावनाएं, पुनर्भरण योजना और गुणवत्ता मानचित्रण, 1 हेक्टेयर (8,368 संख्या) से अधिक आकार के जलाशयों के जल प्रसार की निगरानी, 1:50,000 पैमाने पर (2017-18 समय सीमा) और 1:12,500 पैमाने पर (2018-19 समय सीमा) आर्द्रभूमि का मानचित्रण किया गया।
आपदा प्रबंधन सहायता कार्यक्रम (डीएमएसपी) के तहत अंतरिक्ष विभाग संबंधित नोडल मंत्रालयों/विभागों और झारखंड सहित संबंधित राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों को उचित आपदा प्रबंधन उपाय करने के लिए अंतरिक्ष आधारित परिणाम/सेवाएं प्रदान करता है।
विशेष रूप से :
- प्रत्येक वर्ष आने वाली प्रमुख बाढ़ के दौरान उपग्रह डेटा का उपयोग करके बाढ़ के पानी का स्तर और उसकी भयावहता का मानचित्रण किया जाता है और प्रभावी बाढ़ आपदा प्रबंधन के लिए उसे राज्यों के संबंधित नोडल विभागों को प्रदान किया जाता है।
- असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश जैसे कई प्रमुख बाढ़ प्रभावित राज्यों के लिए 1998 से ऐतिहासिक उपग्रह से प्राप्त बाढ़ डेटा का उपयोग करके विकसित बाढ़ जोखिम क्षेत्रीकरण एटलस को संबंधित राज्यों में प्रसारित किया जाता है।
- इसरो ने राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के तहत गोदावरी और तापी नदियों के लिए स्थानिक बाढ़ पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित की है, जिसे जल शक्ति मंत्रालय द्वारा संचालित किया जा रहा है। असम के बाढ़ प्रभावित जिलों के लिए बाढ़ पूर्व चेतावनी प्रणाली (एफएलईडब्ल्यूएस) लागू की गई है और इसे पूर्वोत्तर के अन्य बाढ़ संभावित जिलों में भी विस्तारित किया जा रहा है। इन दोनों प्रणालियों से संबंधित राज्य विभागों को पूर्व चेतावनी प्रदान की जाती है।
- 1998-2022 की अवधि के दौरान एनआरएससी/इसरो द्वारा भारत में 80,000 भूस्खलन के भू-स्थानिक भूस्खलन सूची डेटाबेस के साथ भारत के भूस्खलन एटलस का मानचित्रण किया गया है। यह डेटाबेस हिमालय और पश्चिमी घाट के 17 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के भूस्खलन संवेदनशील क्षेत्रों को कवर करता है। यह एटलस राज्य विभागों को आवश्यक उपयोग के लिए उपलब्ध कराया जाता है।
- भारतीय वन अग्नि मौसम के दौरान प्रतिवर्ष 6 से 8 बार उपग्रह डेटा का उपयोग करके सक्रिय वन अग्नि का पता लगाया जाता है। ये इनपुट वन अग्नि प्रबंधन उपायों के लिए एफएसआई/एमओईएफएंडसीसी और संबंधित राज्य विभागों को प्रदान किए जाते हैं।
इसरो/अंतरिक्ष विभाग ने जल शक्ति मंत्रालय के राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) के जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत पूरे देश के लिए 1:50,000 पैमाने पर भूजल संभावनाओं और गुणवत्ता मानचित्रण किया है। संभावित भूजल स्रोतों और कृत्रिम पुनर्भरण संरचना के लिए उपयुक्त स्थलों की पहचान के लिए भूजल संभावना मानचित्रों के रूप में अंतिम विवरण राज्यों के संबंधित विभाग को उपलब्ध करा दिया गया है। इसरो/अंतरिक्ष विभाग ने राज्य के लगभग 150 विभागों के अधिकारियों को भूजल संभावना मानचित्रों का उपयोग कर क्षेत्र में उचित निर्णय लेने के लिए प्रशिक्षित किया है।
इसरो ने 1240 जल शक्ति अभियान (जेएसए) ब्लॉकों के लिए आठ भौगोलिक परतें प्रदान कीं और उन्हें इसरो के भवन-जेएसए जियोपोर्टल पर भी प्रदर्शित किया। इसरो द्वारा उपलब्ध कराए गए मानचित्रों ने जेएसए की क्षेत्रीय टीमों को जेएसए के तहत कार्यान्वित जल संरक्षण/पुनर्भरण प्रयासों के लिए स्थानों की पहचान करने में मदद की। उपरोक्त मानचित्रों के उपयोग को समझाने के लिए इसरो की ओर से जेएसए टीमों के लिए लगभग 50 तकनीकी सत्र आयोजित किए गए।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
पीके/केसी/आरकेजे
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