विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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संसद प्रश्न: ग्रामीण कृषि-तकनीक स्टार्टअप और महिला उद्यमी

Posted On: 21 AUG 2025 6:10PM by PIB Delhi

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), राष्ट्रीय नवाचार विकास एवं उपयोग पहल - युवा एवं महत्वाकांक्षी नवोन्मेषियों एवं स्टार्टअप को प्रोत्साहन एवं गति प्रदान करना (निधि-प्रयास) कार्यक्रम के माध्यम से, ग्रामीण जिलों के लिए कृषि-तकनीकी समाधानों पर काम करने वाले नवोन्मेषियों सहित, प्रारंभिक चरण के नवोन्मेषियों को राष्ट्रीय स्तर पर सहायता प्रदान करता है। इसका उद्देश्य नवोन्मेषी विचारों को कार्यशील प्रोटोटाइप में परिवर्तित करना, ग्रामीण प्रौद्योगिकी अपनाने को बढ़ावा देना और ग्रामीण एवं अर्ध-शहरी स्थानों सहित पूरे भारत में प्रौद्योगिकी व्यवसाय इन्क्यूबेटरों में स्थापित प्रयास केंद्रों (पीसी) के एक नेटवर्क के माध्यम से व्यावसायीकरण का मार्ग तैयार करना है।

प्रदान की जाने वाली सहायता की प्रकृति नीचे दी गई है:

· प्रोटोटाइप विकास निधि: विचारों से प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए प्रत्येक नवोन्मेषक को 10 लाख रुपये तक।

· इन्क्यूबेशन अवसंरचना: प्रयास केंद्रों में प्रयोगशालाओं, परीक्षण सुविधाओं और डोमेन-विशिष्ट संसाधनों तक पहुँच।

· टीआरएल उन्नति: प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर (टीआरएल) पैमाने के माध्यम से नवाचारों को आगे बढ़ाने के लिए सहायता और पुनरावृत्त प्रोटोटाइपिंग, परीक्षण और सत्यापन में सहायता।

· आईपी सुविधा: बौद्धिक संपदा की सुरक्षा में परामर्श और सहायता।

· व्यवसाय योजना सहायता: व्यावसायिक योजनाएँ, बाज़ार में प्रवेश के रोडमैप और व्यावसायीकरण रणनीतियों को तैयार करने में रणनीतिक मार्गदर्शन।

 

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की स्टार्टअप इंडिया पहल का उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देने और कृषि-तकनीक क्षेत्र सहित स्टार्टअप्स में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम का निर्माण करना है।

प्रमुख योजनाओं में शामिल हैं:

· स्टार्टअप्स के लिए निधियों का कोष (एफएफएस) - सेबी-पंजीकृत वैकल्पिक निवेश कोषों के माध्यम से इक्विटी फंडिंग सहायता प्रदान करना;

· स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (एसआईएसएफएस) - अवधारणा के प्रमाण, प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षण, बाज़ार में प्रवेश और व्यावसायीकरण का समर्थन करना;

· स्टार्टअप्स के लिए ऋण गारंटी योजना (सीजीएसएस) - स्टार्टअप्स को बिना किसी गिरवी के ऋण उपलब्ध कराना।

इसके अतिरिक्त, राज्यों की स्टार्टअप रैंकिंग, राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार, नवाचार सप्ताह और ज़िला आउटरीच पहल जैसे आवधिक कार्यक्रम ज़मीनी स्तर पर नवाचार को बढ़ावा देते हैं और राज्य-स्तरीय इकोसिस्टम को मज़बूत करते हैं।

निधि-प्रयास योजना के तहत, महिला उद्यमियों और ग्रामीण स्टार्टअप सहित नवोन्मेषियों, उद्यमियों और स्टार्टअप्स को तकनीकी मार्गदर्शन, व्यावसायिक मार्गदर्शन, प्रोटोटाइपिंग सहायता, वित्तपोषण सहायता, बाज़ार पहुँच आदि के संदर्भ में सहायता प्रदान की जाती है। निधि प्रयास कार्यक्रम का प्रबंधन स्टार्टअप इनक्यूबेटरों द्वारा किया जाता है, जो उत्तर प्रदेश राज्य सहित देश भर के शैक्षणिक संस्थानों में स्थापित किए गए हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी पृष्ठभूमि वाली संभावित महिलाओं को उद्यमिता को समझने और अपनाने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करने हेतु विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने महिला उद्यमिता विकास कार्यक्रम (डब्लू ई डी पी) को भी समर्थन प्रदान किया है। ग्रामीण नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के 'आजीविका के लिए नवाचारों को सुदृढ़ बनाना और पोषित करना' (सुनील) कार्यक्रम के अंतर्गत, छोटे किसानों, पारंपरिक कारीगरों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक उद्यमों के निर्माण हेतु सहायता प्रदान की जाती है।

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की स्टार्टअप इंडिया पहल, महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स को समर्थन देने और समावेशी उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए कई लक्षित उपायों को लागू करती है। स्टार्टअप्स के लिए निधियों के कोष (एफएफएस) के अंतर्गत महिलाओं के नेतृत्व वाले या उन पर केंद्रित वैकल्पिक निवेश कोषों (एआईएफ) के लिए उच्च प्रबंधन शुल्क पात्रता के प्रावधान किए गए हैं। डीपीआईआईटी के माध्यम से, स्टार्टअप्स के लिए ऋण गारंटी योजना (सीजीएसएस) के अंतर्गत महिला उद्यमियों के लिए कम वार्षिक गारंटी शुल्क (एजीएफ) प्रदान किये जाते हैं। इसके अतिरिक्त, डीपीआईआईटी ने राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार (एनएसए) के माध्यम से महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स को मान्यता और पुरस्कार प्रदान किए हैं।

स्टार्टअप इनक्यूबेटर की स्थापना एक गतिशील और सतत प्रक्रिया है। विभाग ने अब तक राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में 48 समावेशी प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटर (आई-टीबीआई) को समर्थन दिया है। उत्तर प्रदेश इस प्रयास में सक्रिय राज्यों में से एक के रूप में उभरा है, जहाँ सात आई-टीबीआई को पहले ही समर्थन दिया जा चुका है, जिससे टियर-2 और टियर-3 शहरों में पहुँच सुनिश्चित हुई है। इटावा जिले को भी इस समावेशी दृष्टिकोण के अंतर्गत शामिल किए जाने की योजना है, क्योंकि निकटवर्ती कानपुर जिले में पहले से ही अच्छी तरह से स्थापित इनक्यूबेशन सुविधाएँ मौजूद हैं, जिनमें आईआईटी कानपुर का उत्कृष्टता केंद्र और प्रणवीर सिंह प्रौद्योगिकी संस्थान (पीएसआईटी), कानपुर का समावेशी प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटर शामिल हैं, जो सामूहिक रूप से क्षेत्र की नवाचार और स्टार्टअप आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

यह जानकारी आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दी।

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पीके/केसी/जेके/एसएस


(Release ID: 2159522)
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