जनजातीय कार्य मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

प्रधानमंत्री वनबंधु कल्याण योजना

Posted On: 21 AUG 2025 4:02PM by PIB Delhi

 आज श्री राजेशभाई नारणभाई चुड़ासमा के अतारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए केन्द्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री दुर्गादास उइके ने लोकसभा को बताया कि अनुसूचित जनजाति के लिए मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति, अनुसूचित जनजाति के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति, विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) का विकास/प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन), जनजातीय अनुसंधान संस्थान को सहायता, परियोजना प्रबंधन इकाइयों के लिए प्रशासनिक सहायता और प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (पीएमएएजीवाई) को धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (डीएजेजीयूए) के रूप में नवस्वरूपित किया गया, जो प्रधानमंत्री वनबंधु कल्याण योजना (पीएमवीकेवाई) के अम्ब्रेला (छत्र) के अंतर्गत कल्याणकारी स्कीम हैं। इन योजनाओं का ब्यौरा अनुलग्नक-I पर दिया गया है।

गुजरात में प्रधानमंत्री वनबंधु कल्याण योजना (पीएमवीकेवाई) के अंतर्गत अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों की जिला-वार संख्या अनुलग्नक-II में दी गई है।

अनुलग्नक-I

"प्रधानमंत्री वनबंधु कल्याण योजना" के संबंध में श्री राजेश नारणभाई चुड़ासमा द्वारा दिनांक 21.08.2025 के लोकसभा अतारांकित प्रश्न संख्या 4659 के भाग () के उत्तर में संदर्भित अनुलग्नक

धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान: माननीय प्रधानमंत्री ने 2 अक्टूबर, 2024 को धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान का शुभारंभ किया। इस अभियान में 17 संबंधित (लाइन) मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित 25 उपाय शामिल हैं और इसका उद्देश्य पांच वर्षों में 30 राज्यों/संघ राज्यक्षेत्रों के 549 जिलों और 2,911 ब्लॉकों में 5 करोड़ से अधिक जनजातियों को लाभान्वित करते हुए 63,843 गाँवों में अवसंरचना संबंधी अंतरों को कम करना, स्वास्थ्य, शिक्षा, आंगनवाड़ी सुविधाओं तक बेहतर पहुँच और आजीविका के अवसर प्रदान करना है। इस अभियान का कुल बजटीय परिव्यय 79,156 करोड़ (केंद्रीय हिस्सा: ₹56,333 करोड़ और राज्य हिस्सा: ₹22,823 करोड़) रुपये है।

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) का विकास/ प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जनमन): सरकार ने 15 नवंबर 2023 को प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) शुरू किया, जिसे जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है। लगभग 24,000 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय वाले इस मिशन का उद्देश्य तीन वर्षों में समयबद्ध तरीके से पीवीटीजी परिवारों और बस्तियों को सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण तक बेहतर पहुँच, सड़क और दूरसंचार सम्पर्क, गैर-विद्युतीकृत घरों का विद्युतीकरण और स्थायी आजीविका के अवसर जैसी बुनियादी सुविधाओं से परिपूर्ण करना है।

अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति: यह योजना कक्षा IX-X में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए लागू है। माता-पिता की आय सभी स्रोतों को मिलाकर 2.50 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। दिवा छात्रों को 225 रुपये प्रति माह और छात्रावास में रहने वालों को 525 रुपये प्रति माह की छात्रवृत्ति वर्ष में 10 महीने की अवधि के लिए दी जाती है। छात्रवृत्ति राज्य सरकार/संघ राज्यक्षेत्र प्रशासन के माध्यम से वितरित की जाती है। पूर्वोत्तर और हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे पहाड़ी राज्यों/संघ राज्यक्षेत्रों जहाँ यह अनुपात 90:10 है को छोड़कर, सभी राज्यों के लिए केंद्र और राज्यों के बीच वित्तपोषण अनुपात 75:25 है। विधायिका रहित संघ राज्यक्षेत्रों के लिए साझाकरण पद्धति (पैटर्न) 100% केंद्रीय हिस्सा है।

अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति: इस योजना का उद्देश्य मैट्रिकोत्तर या उच्च माध्यमिक स्तर पर अध्ययन कर रहे अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को उनकी शिक्षा पूरी करने में सक्षम बनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। माता-पिता की आय सभी स्रोतों को मिलाकर 2.50 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। शैक्षणिक संस्थानों द्वारा लिए जाने वाले अनिवार्य शुल्क की प्रतिपूर्ति संबंधित राज्य शुल्क निर्धारण समिति द्वारा निर्धारित सीमा के अधीन की जाती है और अध्ययन के पाठ्यक्रम के आधार पर 230 रुपये से 1200 रुपये प्रति माह की छात्रवृत्ति राशि का भुगतान किया जाता है। यह योजना राज्य सरकारों और संघ राज्यक्षेत्र के प्रशासनों द्वारा कार्यान्वित की जाती है। पूर्वोत्तर और हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे पहाड़ी राज्यों/संघ राज्यक्षेत्रों जहाँ यह अनुपात 90:10 है को छोड़कर, सभी राज्यों के लिए केंद्र और राज्यों के बीच वित्तपोषण अनुपात 75:25 है। विधायिका रहित संघ राज्यक्षेत्रों के लिए साझाकरण पद्धति (पैटर्न) 100% केंद्रीय हिस्सा है।

जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई) को सहायता: मंत्रालय इस स्कीम के माध्यम से राज्य सरकारों को जहां पहले से नए टीआरआई स्थापित नहीं हैं, वहां उनकी स्थापना करने के लिए सहायता प्रदान करता है और मौजूदा टीआरआई के कामकाज को सुदृढ करने हेतु अनुसंधान और दस्तावेजीकरण, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, समृद्ध जनजातीय विरासत को बढ़ावा देने आदि के प्रति अपनी मुख्य जिम्मेदारी निभाने के लिए सहायता प्रदान करता है। जनजातीय कला और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए, अनुसंधान और दस्तावेजीकरण, कला और कलाकृतियों के रखरखाव और संरक्षण, जनजातीय संग्रहालय की स्थापना, जनजातियों के लिए राज्य के अन्य हिस्सों में आदान-प्रदान यात्राएं, जनजातीय त्योहारों के आयोजन आदि के माध्यम से देश भर में जनजातीय संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए विभिन्न गतिविधियां करने हेतु टीआरआई को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना के तहत जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा शीर्ष समिति के अनुमोदन से आवश्यकता के आधार पर टीआरआई को 100% सहायता अनुदान वित्त पोषित है।

राज्य/संघ राज्यक्षेत्रों को प्रशासनिक लागत: यह स्कीम मंत्रालय द्वारा राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के माध्यम से क्रियान्वित की जा रही है। इस स्कीम के तहत, सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को एक पीएमयू स्थापित करना होगा जो जनजातियों के विकास और कल्याण हेतु मंत्रालय की सभी योजना (स्कीम) पहलों के कार्यान्वयन में सहायता करेगा। परियोजना प्रबंधन इकाई में विशेषज्ञों का एक समूह होगा, जिनके पास विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं की सहायता और दक्षता में सुधार के लिए आवश्यक तकनीकी विशेषज्ञता होगी। राज्य/संघ राज्यक्षेत्र कार्यक्रम प्रबंधन इकाई की स्थापना जनजातीय लोगों के विकास और कल्याण के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित और समर्थित विभिन्न योजनाओं की प्रभावी योजना, कार्यान्वयन और निगरानी के लिए की गई है। इसका उद्देश्य योजना के कार्यान्वयन की कुशलता का विश्लेषण करना भी है, ताकि भविष्य में सुधार के लिए इनपुट उपलब्ध कराए जा सकें।

अनुलग्नक-II

"प्रधानमंत्री वनबंधु कल्याण योजना" के संबंध में श्री राजेश नारणभाई चुड़ासमा द्वारा दिनांक 21.08.2025 के लोकसभा अतारांकित प्रश्न संख्या 4659 के भाग () के उत्तर में संदर्भित अनुलग्नक

गुजरात में प्रधानमंत्री वनबंधु कल्याण योजना (पीएमवीकेवाई) के तहत अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों की जिला-वार संख्या

 

क्र.सं.

जिला

वित्तीय वर्ष 2022-23, 2023-24 और 2024-25 के लिए अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति

वित्तीय वर्ष 2022-23, 2023-24 और 2024-25 के लिए अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति

पीएमएएजीवाई

(अनुमोदन वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24)

पीएम-जनमन (एमपीसी)

पीएम-जनमन (वीडीवीके)

डीए-जेजीयूए

1

2

कुल छात्र लाभार्थी

कुल छात्र लाभार्थी

निर्माण कार्यों की संख्या

निर्माण कार्यों की संख्या (एमपीसी)

वीडीवीके की संख्या

लाभार्थियों की संख्या

निर्माण कार्यों की संख्या

1

अहमदाबाद

2727

42845

0

0

0

0

0

2

अरावली

14142

27693

0

0

0

0

1

3

बनासकांठा

10675

51701

507

0

0

0

1

4

भरूच

16067

21944

0

0

2

100

4

5

भावनगर

1703

4880

0

0

0

0

0

6

छोटाउदेपुर

20997

38070

412

0

0

0

6

7

दाहोद

57624

75917

128

0

0

0

3

8

जूनागढ़

0

0

0

0

0

0

1

9

कच्छ

748

824

0

0

0

0

0

10

महिसागर

11135

26396

47

0

0

0

0

11

नर्मदा

20565

27293

761

4

2

100

1

12

नवसारी

34189

51651

267

1

3

150

2

13

पंचमहल

14282

19118

0

0

0

0

1

14

राजकोट

5420

20561

0

0

0

0

0

15

साबरकांठा

11288

32688

0

3

0

0

1

16

सूरत

26986

58784

2218

0

2

100

1

17

तापी

23488

40905

1634

22

2

100

7

18

डांग

10376

15523

0

0

4

200

0

19

वडोदरा

9671

16287

0

0

0

0

0

20

वलसाड

36228

62666

445

9

6

300

3

कुल

328311

635746

6419

39

21

1050

32

नोट: 1. पीएम-जनमन स्कीम के अंतर्गत 4 एमपीसी का निर्माण कार्य पूरा हो गया है, शेष एमपीसी का निर्माण कार्य विभिन्न चरणों में प्रगति पर है।
2. छात्रवृत्ति योजनाओं के प्रयोजन के लिए, जूनागढ़ जिले के लाभार्थियों को प्रशासनिक रूप से राजकोट जिले के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत माना जाता है।

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पीके/केसी/डीवी 


(Release ID: 2159303)
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