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जेपी गोयल के निजी कागजात और दस्तावेजों के संग्रह का संकलन

Posted On: 12 AUG 2025 4:01PM by PIB Delhi

भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार भारत सरकार के पुराने अभिलेखों का संरक्षक है और लोक अभिलेख अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के अनुसार प्रशासकों और शोधकर्ताओं के उपयोग हेतु उन अभिलेखों को अपने पास रखने का दायित्व उस पर है। भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार एक प्रमुख अभिलेखीय संस्थान के रूप में अभिलेखीय चेतना को दिशा देने और उसे आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय अभिलेखागार के पास सार्वजनिक अभिलेखों के विशाल संग्रह के अतिरिक्त सभी क्षेत्रों के उन प्रतिष्ठित भारतीयों के निजी कागजात और दस्तावेजों का ऐसा समृद्ध संग्रह है जिन्होंने हमारे राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उसमें निरंतर वृद्धि हो रही है।

श्री जे.पी. गोयल भारत के सर्वोच्च न्यायालय के प्रख्यात वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व सांसद (राज्यसभा, 1982-88) रहे हैं। उन्होंने भारत के इतिहास में कई ऐतिहासिक कानूनी मुकदमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विशेष रूप से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरुद्ध ऐतिहासिक चुनाव याचिका में श्री राज नारायण के मुख्य अधिवक्ता के रूप में उनकी अहम भूमिका रही जिसके कारण 1975 में आपातकाल की घोषणा हुई। वे श्री अशोक मेहता, श्री चंद्रशेखर और श्री बीजू पटनायक जैसे नेताओं से भी मिले थे।

आपातकाल के दौरान सक्रिय रहते हुए उन्होंने जेल में बंद विपक्षी नेताओं और भूमिगत नेताओं से मुलाकात की और उनके परिवारों के लिए प्रमुख संपर्क सूत्र बन गए। चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल में श्री जयप्रकाश नारायण के होने की पुष्टि करने वाले वे पहले व्यक्ति थे और उनका साक्षात्कार भी सुनिश्चित किया। आपातकाल (1975) के दौरान श्री जयप्रकाश नारायण के कारावास के दौरान वे कुछ समय के लिए उनके वकील भी रहे। विधिक मामलों में श्री गोयल की कुशलता ने 1973 के केशवानंद भारती मामले के उस निर्णय को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसने संविधान के मूल ढांचे की रक्षा की। इन वृत्तांतों का विस्तृत विवरण "सेविंग इंडिया फ्रॉम इंदिरा: अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ द इमरजेंसी: मेमोआयर्स ऑफ़ जेपी गोयल" में दिया गया है।

श्री जेपी गोयल का जन्म 21 दिसंबर 1926 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के नाला गांव में हुआ था। (2011 से, नाला गांव नए जिले शामली का हिस्सा है।) अपने गांव के स्कूल और पास के कस्बों कांधला और बड़ौत में शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने इलाहाबाद और लखनऊ विश्वविद्यालयों में अपनी शिक्षा जारी रखी जहां से उन्होंने क्रमशः एमए (अर्थशास्त्र) और एलएलबी की उपाधि प्राप्त की। 1952 में वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकील के रूप में नामांकित हुए। उन्होंने 1959 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय में वकालत शुरू की, एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड बने और 1979 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित हुए, जहां उन्होंने 11 सितंबर 2013 को अपने निधन तक वकालत जारी रखी। वे 1982 में उत्तर प्रदेश से लोकदल के उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा के सदस्य चुने गए।

अपने लगभग छह दशक के करियर के दौरान उनसे चुनाव संबंधी कानून, संवैधानिक मुद्दों और मौलिक अधिकारों के मामलों पर परामर्श लिया गया और वे राम मनोहर लोहिया, अटल बिहारी वाजपेयी, चरण सिंह और राज नारायण जैसी प्रमुख राजनीतिक हस्तियों के साथ जुड़े रहे। एक समर्पित राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में, उन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, लोकदल और जनता पार्टी में विभिन्न पदों पर कार्य किया और 1984 के राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

श्री जेपी गोयल का संग्रह भारत के राजनीतिक और संवैधानिक इतिहास, विशेषकर आपातकाल काल का बहुमूल्य अभिलेख है। यह ऐतिहासिक कानूनी लड़ाइयों, राजनीतिक प्रतिरोध और लोकतांत्रिक संघर्षों की दुर्लभ अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जो भावी पीढ़ी को प्रेरित और शिक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में कार्य कर रहा है।

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