जल शक्ति मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

जल जीवन मिशन और अटल भूजल योजना

Posted On: 11 AUG 2025 3:31PM by PIB Delhi

अगस्त 2019 से, भारत सरकार राज्यों के साथ साझेदारी में जल जीवन मिशन (जेजेएम) - हर घर जल को कार्यान्वित कर रही है, ताकि कार्यात्मक नल जल कनेक्शन के माध्यम से देश के प्रत्येक ग्रामीण घर में पीने योग्य पानी उपलब्‍ध कराया जा सके।

जेजेएम की घोषणा के समय, 3.23 करोड़ (17 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों के पास नल के पानी के कनेक्शन होने की सूचना थी। अब तक, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा 07.08.2025 तक दी गई जानकारी के अनुसार, लगभग 12.45 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण परिवारों को नल के पानी के कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं। इस प्रकार, 07.08.2025 तक, 19.36 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से, 15.68 करोड़ (81 प्रतिशत) से अधिक परिवारों के पास अपने घरों में नल के पानी की आपूर्ति होने की सूचना है। राज्य/केंद्र शासित प्रदेश-वार विवरण नीचे दिया गया है।

पेयजल राज्य का विषय है, और इसलिए, राज्य ही पेयजल आपूर्ति योजनाओं की योजनाओें का निर्माण, डिजाइन, अनुमोदन और कार्यान्वयन करते हैं। भारत सरकार तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करके राज्यों के प्रयासों की पूर्ति करती है। मिशन के कार्यान्वयन के लिए प्रचालनगत दिशानिर्देशों के अनुसार, राज्य/संघ राज्य क्षेत्र-वार आवंटन प्रमुख मापदंडों के भार के आधार पर अनुमोदित आवंटन मानदंडों के अनुसार तय किया जाता है अर्थात ग्रामीण जनसंख्या (30 प्रतिशत), ग्रामीण एससी और एसटी जनसंख्या (10 प्रतिशत), रेगिस्तान विकास कार्यक्रम (डीडीपी) के तहत राज्य, सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम (डीपीएपी), ग्रामीण क्षेत्रों के संदर्भ में विशेष श्रेणी के पहाड़ी राज्य (30 प्रतिशत), रासायनिक प्रदूषकों से प्रभावित बस्तियों में रहने वाली आबादी (10 प्रतिशत) और शेष व्यक्तिगत घरेलू कनेक्शन (20 प्रतिशत)। इसके अलावा, जेजेएम के तहत केंद्र और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के बीच फंड शेयरिंग पैटर्न, केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम होने के नाते, बिना विधायिका वाले केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100 प्रतिशत, विधायिका वाले हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 90:10 और अन्य राज्यों के लिए 50:50 है। इसके अलावा, सहायता और जल गुणवत्ता निगरानी प्रणाली (डब्ल्यूक्यूएमएस) गतिविधियों के तहत वित्त पोषण पैटर्न केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100 प्रतिशत, हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 90:10 और अन्य राज्यों के लिए 60:40 है।

जल जीवन मिशन के अंतर्गत, केंद्रीय सहायता अनुदान को दो समान किस्तों में जारी करने का भी प्रावधान किया गया है और प्रत्येक किस्त राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा निधि के उपयोग का आकलन करने के बाद दो किस्तों में जारी की जाती है। इस प्रकार, निधि के किसी भी अनुचित ठहराव से बचने के लिए, 'जस्ट इन टाइम' सिद्धांत और वित्त मंत्रालय द्वारा समय-समय पर जारी किए गए विद्यमान निर्देशों के अनुरूप, निधि जारी करने की योजना बनाई जाती है।

नल जल कनेक्शन के माध्यम से सार्वभौमिक कवरेज सुनिश्चित करने के लिए, विभाग ने लक्षित वितरण हेतु घर के मुखिया के आधार को जोड़ते हुए और विशिष्ट परिणामों की निगरानी के लिए बनाई गई संपत्तियों की जियो-टैगिंग, भुगतान करने से पहले तीसरे पक्ष के निरीक्षण, सेंसर आधारित आईओटी समाधान के माध्यम से गांवों में पानी की आपूर्ति की माप और निगरानी आदि सहित वैधानिक प्रावधानों के अधीन कार्यक्रम के कार्यान्वयन की निगरानी और मूल्यांकन की एक व्यापक बहु-स्तरीय और बहु-प्रारूप प्रणाली विकसित की है। ग्रामीण क्षेत्रों में नल जल कनेक्शन की जिला और ग्राम-वार स्थिति भी सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है और जेजेएम डैशबोर्ड के माध्यम सेhttps://ejalshakti.gov.in/jjmreport/JJMIndia.aspx पर सुलभ हैा

इसके अलावा, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग मानक सांख्यिकीय नमूने के आधार पर एक स्वतंत्र तृतीय-पक्ष एजेंसी के माध्यम से, मिशन के अंतर्गत प्रदान किए गए घरेलू नल जल कनेक्शनों की कार्यक्षमता का मूल्यांकन करता है। कार्यक्षमता मूल्यांकन 2022 के दौरान, यह पाया गया कि 86 प्रतिशत घरों (एचएच) में कार्यशील नल कनेक्शन थे। इनमें से 85 प्रतिशत को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल रहा था, 80 प्रतिशत को उनकी पाइप जलापूर्ति योजना के लिए निर्धारित जल आपूर्ति अनुसूची के अनुसार नियमित रूप से पानी मिल रहा था और 87 प्रतिशत घरों को निर्धारित जल गुणवत्ता मानकों के अनुसार पानी मिल रहा था। पिछले कार्यक्षमता मूल्यांकन 2022 की एक प्रति सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है और इसे https://jaljeevanmission.gov.in/functionality-reports पर देखा जा सकता है।

इसके अतिरिक्‍त, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, भारत सरकार ने विभिन्न दिशानिर्देश जारी करके और राष्ट्रीय मिशनों, जैसे अटल कायाकल्प एवं शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) और अमृत 2.0, के कार्यान्वयन के माध्यम से शहरी क्षेत्रों में जल के सतत प्रबंधन और संरक्षण की दिशा में कई कदम उठाए हैं। अमृत मिशन के अंतर्गत, राज्यों के साथ समन्वय में, 139 लाख के लक्ष्य के मुकाबले 189 लाख नल कनेक्शन (नए/सेवायुक्त) प्रदान किए जा चुके हैं। अमृत 2.0 के अंतर्गत, स्वीकृत परियोजनाओं में 407 लाख नए/सेवायुक्त नल कनेक्शन शामिल हैं।

अमृत परियोजनाओं के लिए एक स्वतंत्र समीक्षा और निगरानी प्रणाली विद्यमान है और संतोषजनक रिपोर्ट मिलने पर धनराशि जारी की जाती है। मिशन के तहत प्रगति पर विभिन्न समीक्षा बैठकों, वीडियो कॉन्फ्रेंस, क्षेत्रीय दौरों और एक समर्पित ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से निगरानी रखी जाती है। इसके अतिरिक्‍त, 2020 में नीति आयोग की समीक्षा में भी इस योजना के प्रदर्शन को संतोषजनक पाया गया है और जीवन की गुणवत्ता पर इसके सकारात्मक प्रभाव का उल्लेख किया गया है।

जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग ने सूचित किया है कि केंद्रीय क्षेत्र की योजना, अटल भूजल योजना (एबीवाई) सात राज्यों अर्थात गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के 80 जिलों के 229 प्रशासनिक ब्लॉकों/तालुकाओं की 8,203 जल संकटग्रस्त ग्राम पंचायतों में 01.04.2020 से 6 वर्षों की अवधि के लिए स्थायी भूजल प्रबंधन के लिए समुदाय के नेतृत्व में एक सहभागी दृष्टिकोण के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही है। एबीवाई के तहत, विभिन्न संकेतकों के तहत भाग लेने वाले राज्यों के निष्‍पादन के आधार पर धन आवंटित किया जाता है और अटल भूजल योजना के तहत धन परिवर्तनीय है और आवंटन को कम निष्‍पादन करने वाले राज्यों से बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों में स्थानांतरित किया जा सकता है।

समन्वित प्रयासों से, सभी चिन्हित राज्यों में 229 चिन्हित ब्लॉकों में से 83 ब्लॉकों में भूजल स्तर में सुधार हुआ है, जिसका विवरण निम्नानुसार है:

राज्य/केंद्रशासित प्रदेश

चिन्हित ब्लॉक

उन ब्लॉकों की संख्या जिनमें भूजल स्तर में सुधार हुआ

गुजरात

36

13

हरियाणा

36

14

कर्नाटक

41

20

मध्य प्रदेश

9

4

महाराष्ट्र

43

14

राजस्थान

38

13

उत्‍तर प्रदेश

26

5

कुल

229

83

अटल भूजल योजना (एबीवाई) के अंतर्गत, भाग लेने वाले राज्यों को उनके निष्‍पादन के आधार पर धनराशि जारी की जाती है और पीएफएमएस के माध्यम से उसकी निगरानी की जाती है। व्यय विभाग द्वारा निधि प्रवाह तंत्र से संबंधित जारी संशोधित दिशानिर्देशों के अनुसार, एबीवाई को विद्यमान सीएनए मॉडल 2 से नए निधि प्रवाह मॉडल (अर्थात सीएनए मॉडल 1ए - हाइब्रिड मॉडल) में स्थानांतरित कर दिया गया है, जिसके अंतर्गत भाग लेने वाले राज्यों को केवल सीमाओं का निर्धारण किया जाता है और योजना के अंतर्गत वास्तविक भुगतान से ठीक पहले एसपीएमयू को धनराशि जारी की जाती है।

अटल भूजल योजना पारदर्शिता और कुशल निधि उपयोग सुनिश्चित करने के लिए एक बहुस्तरीय निगरानी तंत्र का भी उपयोग करती है। जल संसाधनों और जल सुरक्षा योजनाओं (डब्ल्यूएसपी) से संबंधित डेटा अटल जल पोर्टल और मोबाइल ऐप पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाता है। राज्य स्तर पर, मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली राज्य स्तरीय संचालन समिति, चिन्हित क्षेत्रों में आपूर्ति और मांग पक्ष की युक्तियों के आधार पर निधियों के उपयोग को स्‍वीकृति देती है। एक तृतीय पक्ष सरकारी सत्यापन एजेंसी भी योजना के प्रोत्साहन घटक के अंतर्गत की गई गतिविधियों का सत्यापन करती है। प्रगति की निगरानी के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई (एनपीएमयू) और राज्य कार्यक्रम प्रबंधन इकाइयों (एसपीएमयू) द्वारा नियमित बैठकें और प्रक्षेत्र दौरे भी किए जाते हैं। एक अंतर-मंत्रालयी मंच राष्ट्रीय स्तरीय संचालन समिति (एनएलएससी) प्रभावी कार्यान्वयन निरीक्षण के लिए द्विवार्षिक बैठक का आयोजन करती है। इसके अतिरिक्‍त, लेखा महानियंत्रक वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कार्यान्वयन एजेंसियों की नियमित लेखा परीक्षा भी करता है।

 

जल शक्ति राज्य मंत्री श्री वी. सोमन्ना ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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जेजेएम: 07.08.2025 तक ग्रामीण घरों में नल जल कनेक्शन की राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की स्थिति

(संख्या लाख में)

क्र. सं.

राज्य/केंद्र शासित प्रदेश

कुल ग्रामीण परिवार

अगस्त, 2019 तक नल जल कनेक्शन वाले ग्रामीण परिवार

जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण परिवारों को नल जल कनेक्शन प्रदान किए गए

30.07.2025 तक नल जल कनेक्शन वाले ग्रामीण परिवार

नहीं

प्रतिशत

नहीं

प्रतिशत

नहीं

प्रतिशत

1

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह

0.62

0.29

46.02

0.33

53.98

0.62

100.00

2

अरुणाचल प्रदेश

2.29

0.23

9.97

2.06

90.03

2.29

100.00

3

दादर और नगर हवेली एवं दमन दीव

0.85

0.00

0.00

0.85

100.00

0.85

100.00

4

गोवा

2.64

1.99

75.44

0.65

24.56

2.64

100.00

5

गुजरात

91.18

65.16

71.46

26.02

28.54

91.18

100.00

6

हरियाणा

30.41

17.66

58.08

12.75

41.92

30.41

100.00

7

हिमाचल प्रदेश

17.09

7.63

44.64

9.46

55.36

17.09

100.00

8

मिजोरम

1.33

0.09

6.91

1.24

93.09

1.33

100.00

9

पुदुचेरी

1.15

0.94

81.33

0.21

18.67

1.15

100.00

10

पंजाब

34.27

16.79

48.98

17.48

51.02

34.27

100.00

11

तेलंगाना

53.98

15.68

29.05

38.30

70.95

53.98

100.00

12

उत्तराखंड

14.49

1.30

9.00

12.84

88.64

14.15

97.64

13

लद्दाख

0.41

0.01

3.48

0.38

93.40

0.39

96.88

14

बिहार

167.55

3.16

1.89

157.19

93.82

160.36

95.71

15

नागालैंड

3.64

0.14

3.82

3.27

89.86

3.41

93.67

16

सिक्किम

1.33

0.70

52.96

0.52

38.95

1.22

91.91

17

लक्षद्वीप

0.13

 

0.00

0.12

91.45

0.12

91.45

18

उत्तर प्रदेश

267.22

5.16

1.93

236.18

88.39

241.34

90.32

19

महाराष्ट्र

146.79

48.44

33.00

83.64

56.98

132.08

89.98

20

तमिलनाडु

125.26

21.76

17.37

89.91

71.78

111.68

89.15

21

त्रिपुरा

7.51

0.25

3.26

6.22

82.85

6.47

86.11

22

कर्नाटक

101.31

24.51

24.20

62.37

61.56

86.88

85.76

23

मेघालय

6.51

0.05

0.70

5.35

82.21

5.40

82.90

24

असम

72.24

1.11

1.54

57.86

80.09

58.97

81.63

25

छत्तीसगढ

49.98

3.20

6.40

37.43

74.88

40.62

81.28

26

जम्मू--कश्मीर

19.26

5.75

29.88

9.86

51.19

15.62

81.07

27

मणिपुर

4.52

0.26

5.74

3.34

73.85

3.59

79.59

28

ओडिशा

88.67

3.11

3.51

65.07

73.39

68.18

76.89

29

आंध्र प्रदेश

95.53

30.74

32.18

39.89

41.75

70.63

73.93

30

मध्य प्रदेश

111.70

13.53

12.11

65.09

58.28

78.62

70.39

31

राजस्थान

107.74

11.74

10.90

49.47

45.91

61.21

56.81

32

पश्चिम बंगाल

175.53

2.15

1.22

96.49

54.97

98.63

56.19

33

झारखंड

62.54

3.45

5.52

30.98

49.54

34.43

55.05

34

केरल

70.77

16.64

23.51

22.05

31.16

38.69

54.67

 

कुल

19,36.43

3,23.63

16.71

12,44.87

64.29

15,68.50

81.00

स्रोत : जेजेएम-आईएमआईएस    एचएचएस : हाउसहोल्‍ड्स

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