ग्रामीण विकास मंत्रालय
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दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत लक्ष्य की प्राप्ति

Posted On: 08 AUG 2025 5:31PM by PIB Delhi

दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई - एनआरएलएम) को घरेलू आय बढ़ाने के उद्देश्य से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (दिल्ली और चंडीगढ़ को छोड़कर) में कार्यान्वित किया जा रहा है।

सरकार ने दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के अंतर्गत 10 करोड़ ग्रामीण परिवारों को स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जोड़ने का लक्ष्य रखा था। जून 2025 तक देश में कुल 10.05 करोड़ महिलाओं को 90.90 लाख महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जोड़ा जा चुका है।

डीएवाई-एनआरएलएम के अंतर्गत कृषि आजीविका घटक, महिला किसानों (एसएचजी सदस्यों) के साथ मिलकर कृषि-पारिस्थितिक प्रथाओं को बढ़ावा देता है ।इसमें बेहतर पशुधन प्रबंधन पद्धतियाँ शामिल हैं, ताकि उन्हें खेती की लागत कम करने, उत्पादन बढ़ाने और जलवायु चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाया जा सके। महिला किसान परिवारों की आजीविका को मज़बूत करने के लिए, एकीकृत कृषि क्लस्टर आवंटित किए जाते हैं। महिला किसानों को अपनी उपज के लिए बेहतर बाज़ार पहुँच के लिए उत्पादक समूहों में संगठित करने हेतु आगे भी सहायता प्रदान की जाती है।

जून 2025 तक, 4.62 करोड़ महिला किसानों को कवर किया जा चुका है। सामुदायिक संस्थानों ने महिला किसानों की सहायता के लिए 3 लाख से अधिक प्रशिक्षित आजीविका सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों को तैनात किया है। इसके अतिरिक्त, महिला किसानों को बाज़ार तक पहुँच प्राप्त करने में सहायता के लिए 1,285 महिला-स्वामित्व वाली उत्पादक कंपनियों और 1.95 लाख उत्पादक समूहों को बढ़ावा दिया गया है। महिला किसान परिवारों की आजीविका को सुदृढ़ करने के लिए राज्यों को 6,000 एकीकृत कृषि क्लस्टर आवंटित किए गए हैं।

डीएवाई-एनआरएलएम के अंतर्गत, गैर-कृषि आजीविका घटक स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के सदस्यों और उनके परिवार के सदस्यों को विभिन्न आय-सृजन गतिविधियों के लिए गैर-कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यम स्थापित करने में सहायता प्रदान करता है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यम विकास के लिए एक इकोसिस्टम विकसित करना है । इसमें स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के परिवारों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसमें व्यावसायिक सहायता सेवाएँ प्रदान करने के लिए उद्यम संवर्धन हेतु सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों (सीआरपी-ईपी) का एक संवर्ग शामिल होगा। इन सेवाओं में व्यावसायिक विचारों की पहचान, व्यावसायिक योजनाएँ तैयार करना, प्रशिक्षण प्रदान करना, बैंक ऋण प्राप्त करना, खातों का रखरखाव और विपणन शामिल हैं। जून 2025 तक, गैर-कृषि आजीविका के अंतर्गत 4.87 लाख उद्यमों को सहायता प्रदान की जा चुकी है।

यह जानकारी ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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