विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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संसदीय प्रश्नः आरडीआई योजना के अंतर्गत सार्वजनिक-निजी भागीदारी

Posted On: 07 AUG 2025 3:27PM by PIB Delhi

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1 जुलाई, 2025 को 6 वर्षों की अवधि के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के कुल परिव्यय वाली नई अनुसंधान, विकास और नवाचार (आरडीआई) योजना को मंज़ूरी दी है। आरडीआई योजना के तहत ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु कार्रवाई जैसे रणनीतिक प्रौद्योगिकी क्षेत्रों तथा क्वांटम कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जैव प्रौद्योगिकी और डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसी गहन प्रौद्योगिकियों की पहचान की गई है। इसके अलावा, इस योजना में रणनीतिक और आर्थिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र भी शामिल हैं तथा सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओ) की स्वीकृति के आधार पर, इसमें और क्षेत्रों को शामिल करने की व्यवस्था है। इस योजना के तहत वित्तपोषण, बिना/कम ब्याज पर दीर्घकालिक ऋण, इक्विटी और डीप-टेक फंड में योगदान के माध्यम से किया जाता है। इस योजना के तहत अल्पकालिक ऋण और अनुदान वित्तपोषण परिकल्पित नहीं है।

इस योजना का उद्देश्य टीआरएल 4 और उससे उच्च स्तर पर परिवर्तनकारी क्षमता वाले अनुसंधान, विकास और नवाचार से संबंधित परियोजनाओं को वित्तपोषित करना और रणनीतिक महत्व की प्रमुख प्रौद्योगिकियों के अधिग्रहण को सक्षम बनाना है, जबकि अनुसंधान राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान (एएनआरएफ) संस्थाओं और सार्वजनिक अनुसंधान प्रयोगशालाओं में प्रारंभिक एवं मध्य-चरण अनुसंधान (टीआरएल 1-4) में निवेश करके भारत के अनुसंधान एवं विकास परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एएनआरएफ अकादमिक जगत में दीर्घकालिक अनुसंधान उत्कृष्टता को बढ़ावा देने, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाने और विश्वविद्यालयों में अनुसंधान क्षमता का निर्माण करने के लिए प्रतिस्पर्धी, समकक्ष-समीक्षित अनुदान प्रदान करता है। हालांकि डीएसटी की नेशनल इनिशिएटिव फॉर डेवलपिंग एंड हार्नेसिंग इनोवेशन (एनआईडीएचआई) और एमईआईटीवाई (टेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन एंड डेवलपमेंट ऑफ एंटरप्रेन्योर्स) जैसे कार्यक्रम प्रारंभिक चरण के स्टार्ट-अप की सहायता करते हैं; लेकिन उनका लघु आकार और अनुदान-आधारित स्वरूप उच्च जोखिम वाले गहन प्रौद्योगिकी विकास के लिए प्रभावी नहीं है। आरडीआई योजना का उद्देश्य प्रोटोटाइप विकास और व्यावसायिक स्तर के उत्पादों के बीच की खाई को पाटना है। इसके अतिरिक्त, डीएसटी की मिशन-मोड पहल जैसे कि राष्ट्रीय अंतःविषयक साइबर भौतिक प्रणाली मिशन (एनएम-आईसीपीएस) और राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) संस्थागत क्षमता निर्माण, प्रारंभिक चरण के प्रोटोटाइप विकास और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के रणनीतिक क्षेत्रों पर केंद्रित हैं।

यद्यपि सभी अनुसंधान एवं विकास योजनाएं प्रतिस्पर्धी प्रकृति की हैं, फिर भी यह सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न सक्रिय उपाय किए गए हैं कि अनुसंधान एवं विकास के लाभ विभिन्न राज्यों, क्षेत्रों और सामाजिक-आर्थिक समूहों में समान रूप से वितरित हों। इन व्यापक प्रयासों के अतिरिक्त, राज्यों और विश्वविद्यालयों, विशेष रूप से कम प्रतिनिधित्व वाले या अल्प विकसित क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास क्षमता को सुदृढ़ करने के लिए विशिष्ट कार्यक्रम लागू किए गए हैं। अधिक उन्नत क्षेत्रों के संस्थानों को कम प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों के संस्थानों के साथ सहयोग करने और उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे ज्ञान हस्तांतरण और क्षमता निर्माण में सुविधा हो। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति जैसे हाशिए पर रहने वाले समुदायों और महिला वैज्ञानिकों की भागीदारी को सुगम बनाने के लिए लक्षित फेलोशिप, मार्गदर्शन और कुछ योजनाओं में पात्रता मानदंडों में छूट के माध्यम से भी विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं।

इस संदर्भ में कुछ प्रमुख कार्यक्रम हैं; 1) त्वरित नवाचार और अनुसंधान हेतु भागीदारी (पेयर) कार्यक्रम, उन संस्थानों की अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देने के लिए जहां अनुसंधान अभी प्रारंभिक चरण में है, लेकिन जिनमें अच्छा प्रदर्शन करने की क्षमता है, उन्हें हब और स्पोक ढांचे में सुस्थापित शीर्ष स्तरीय अनुसंधान संस्थानों के साथ जोड़कर मेंटरशिप मोड में, 2) समाज के सभी क्षेत्रों के अनुसंधानकर्ताओं की समान भागीदारी को सुगम बनाने के लिए समावेशी अनुसंधान अनुदान (आईआरजी), 3) विज्ञान में उत्कृष्टता के लिए सशक्तिकरण और साम्यता अवसर (ईएमईक्यू) योजना का उद्देश्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अनुसंधानकर्ताओं को विज्ञान और इंजीनियरिंग के अग्रणी क्षेत्रों में अनुसंधान करने में अनुसंधान सहायता प्रदान करना है, और 4) उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले भारतीय विश्वविद्यालयों की अनुसंधान क्षमता को मजबूत करने तथा अनुसंधान इकोसिस्टम को पोषित करने और देश में विश्वविद्यालयों के अनुसंधान एवं विकास  आधार को सुदृढ़ करने के लिए सहायता प्रदान करने हेतु विश्वविद्यालय अनुसंधान और वैज्ञानिक उत्कृष्टता संवर्धन (पीयूआरएसई) कार्यक्रम क्रियान्वित किया गया है।

यह जानकारी आज राज्य सभा में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक लिखित उत्तर में दी।

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पीके/केसी/एसके


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