पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय
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संसद प्रश्न: तटीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाएँ

Posted On: 07 AUG 2025 3:58PM by PIB Delhi

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के अंतर्गत विभिन्न संगठन तटीय क्षेत्रों सहित देश भर में प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व चेतावनी के लिए नवीनतम उन्नत तकनीकों और उपकरणों का उपयोग करते हैं

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) भीषण मौसम की घटनाओं जैसे लू और शीत लहरें, चक्रवात, तेज़ वर्षा आदि की भविष्यवाणी करने के लिए नवीनतम उपकरणों और तकनीकों का उपयोग करता है। आईएमडी उच्च स्थानिक और लौकिक विभेदन (टेंपोरल रेजोलुशंस), बहु-मॉडल समूह तकनीकों, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग (एआई/एमएल), और डेटा विज्ञान पद्धतियों वाले उन्नत गतिशील संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान मॉडल का उपयोग करता है। इसके अतिरिक्त यह मौसम की वास्तविक समय निगरानी के लिए उपग्रहों और राडार से युक्त अत्याधुनिक रिमोट सेंसिंग नेटवर्क का उपयोग करता है। तटीय क्षेत्रों सहित देश भर में मौसम, जलवायु और महासागर पूर्वानुमान कौशल को बेहतर बनाने के लिए एआई और मशीन लर्निंग का उपयोग किया जा रहा है।

भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस) महासागर अवलोकन और पूर्वानुमान क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक उपकरणों, उन्नत महासागर-वायुमंडल मॉडलिंग प्रणालियों और मज़बूत निर्णय-समर्थन उपकरणों का लाभ उठा रहा है। यह अनेक खतरों की पूर्व चेतावनी सेवाएँ प्रदान करता है, जिनमें चरम समुद्री घटनाओं के दौरान सुनामी, तूफ़ानी लहरें, ऊँची लहरें, उफान, तेज़ समुद्री धाराएँ आदि के लिए अलर्ट शामिल हैं।

पिछले 10 वर्षों में चरम मौसम की घटनाओं (उष्णकटिबंधीय चक्रवात, तेज़ वर्षा, गरज के साथ बारिश, लू, शीत लहरें, आदि) के पूर्वानुमान और चेतावनियों की समयावधि और दक्षता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। उदाहरण के लिए, 2023-2024 में पूर्वानुमान की सटीकता 2014 की तुलना में 40% बेहतर थी।

आईएनसीओआईएस अत्यधिक विश्वसनीय बहु-खतरनाक महासागरीय परामर्श प्रदान करता रहा है। इनमें चरम मौसम और भूकंपीय घटनाओं से जुड़ी सुनामी, तूफानी लहरों, ऊँची लहरों, उफान और तेज़ समुद्री धाराओं के लिए समय पर और सटीक चेतावनियाँ शामिल हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि आईएनसीओआईएस ने कभी भी झूठी सुनामी चेतावनी जारी नहीं की है, जो इसकी पूर्व चेतावनी प्रणालियों की सटीकता, विश्वसनीयता और परिचालन अखंडता को दर्शाता है। केंद्र की बहु-खतरनाक परामर्श सेवाओं ने तटीय समुदायों की सुरक्षा, समय पर तैयारी और निकासी उपायों में सहायता, और पूरे भारत में आपदा जोखिम न्यूनीकरण प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

आईएमडी और आईएनसीओआईएस, आवश्यक तैयारियों के लिए और तटीय राज्यों सहित पूरे देश में शमन उपायों का समर्थन करने हेतु विभिन्न प्लेटफार्मों/चैनलों के माध्यम से आपदा प्रबंधन अधिकारियों और आम जनता के साथ मौसम और महासागर संबंधी जानकारी और प्रारंभिक चेतावनियाँ साझा करने के लिए अत्याधुनिक प्रसार प्रणाली का उपयोग करते हैं। इसमें सोशल मीडिया, कॉमन अलर्ट प्रोटोकॉल, मोबाइल ऐप, व्हाट्सएप और एपीआई शामिल हैं। परिणामस्वरूप, ग्रामीण और तटीय क्षेत्रों में असुरक्षित जनसंख्या  को समय पर सुरक्षित आश्रयों में पहुँचाया जाता है, जिससे मानव मृत्यु दर न्यूनतम हो जाती है।

आईएमडी मौसमी से लेकर वर्तमान पूर्वानुमान तक  निर्बाध पूर्वानुमान प्रणाली का उपयोग करता है और मौसम संबंधी खतरों की निगरानी और पूर्वानुमान के लिए सुपरिभाषित मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को लागू करता है। आईएमडी ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अन्य केंद्रों के साथ समन्वय में संपूर्ण जीआईएस-आधारित निर्णय सहायता प्रणाली (डीएसएस) विकसित की है। यह तटीय राज्यों सहित पूरे देश में सभी मौसम संबंधी खतरों का समय पर पता लगाने और निगरानी के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के अग्रिम मोर्चे के रूप में काम कर रही है।  यह विशिष्ट गंभीर मौसम मॉड्यूल से समर्थित है ताकि चक्रवात, तेज़ वर्षा आदि जैसी चरम मौसम की घटनाओं के लिए समय पर प्रभाव-आधारित प्रारंभिक चेतावनियाँ प्रदान की जा सकें। ऐसी चरम मौसमी मानव जीवन, आजीविका और बुनियादी ढाँचे को तबाह कर देती हैं।

आईएनसीओआईएस एसएमएस, ईमेल, वेबसाइट, सचेत प्लेटफ़ॉर्म, व्हाट्सएप ग्रुप, टेलीग्राम चैनल और मोबाइल एप्लिकेशन सहित कई संचार माध्यमों के जरिए संबंधित पक्षों को समुद्री जानकारी और सलाहकार सेवाएँ प्रदान करता है। यह बहु-प्लेटफ़ॉर्म दृष्टिकोण विविध उपयोगकर्ता समूहों को महत्वपूर्ण समुद्री सलाह और प्रारंभिक चेतावनियों का समय पर और व्यापक वितरण सुनिश्चित करता है।

जागरूकता बढ़ाने और सामुदायिक तैयारियों को मज़बूत करने के लिए, आईएनसीओआईएस नियमित रूप से कार्यशालाओं, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और वार्षिक सुनामी मॉक ड्रिल सहित क्षमता निर्माण पहल करता है। आईएनसीओआईएस भारत में यूनेस्को-आईओसी "सुनामी तैयारी मान्यता कार्यक्रम" के कार्यान्वयन का समन्वय भी करता है। एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, ओडिशा ने इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक लागू किया है और 26 तटीय गाँवों को "सुनामी तैयार" समुदायों के रूप में यूनेस्को मान्यता प्राप्त हुई है। यह तटीय लचीलापन और आपदा जोखिम न्यूनीकरण की दिशा में सराहनीय कदम है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने "भारतीय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का आकलन" शीर्षक से  जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में तटीय क्षेत्रों सहित पूरे देश में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का आकलन किया गया है और क्षेत्रीय जलवायु परिवर्तन का व्यापक अवलोकन प्रस्तुत किया गया है। इसमें क्षेत्रीय जलवायु परिवर्तन के सभी प्रमुख पहलुओं को शामिल किया गया है, जिनमें भारत भर में जलवायु परिवर्तन की चरम सीमाएँ भी शामिल हैं। यह रिपोर्ट https://link.springer.com/book/10.1007/978-981-15-4327-2 पर उपलब्ध है।

उपलब्ध जलवायु अभिलेखों के आधार पर इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 1901-2018 के दौरान भारत में सतही वायु तापमान में लगभग 0.7°C की वृद्धि हुई है, जिसके साथ ही वायुमंडलीय नमी की मात्रा भी बढ़ी है।  1951-2015 के दौरान उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर में समुद्र की सतह का तापमान लगभग 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया। इससे मानसून परिवर्तनशीलता, चरम सीमा की घटनाओं आदि में वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए, मध्य भारत, उत्तरी भारतीय क्षेत्र और पश्चिमी हिमालय जैसे क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा की घटनाओं में वृद्धि का अनुभव किया गया है; उत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत और पड़ोसी मध्य भारत में मध्यम सूखे और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में विस्तार का अनुभव किया गया है, जबकि तटीय क्षेत्रों में चक्रवात संबंधी आपदाओं का खतरा बढ़ गया है। इसलिए गर्म होते पर्यावरण और क्षेत्रीय मानवजनित प्रभावों के बीच पृथ्वी प्रणाली घटकों के बीच जटिल अंतःक्रियाओं ने पिछले कुछ दशकों में स्थानीयकृत तेज़ वर्षा की घटनाओं, सूखे और बाढ़ की घटनाओं, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की तीव्रता में वृद्धि आदि की आवृत्ति बढ़ गई है।

यह जानकारी केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज राज्यसभा में  लिखित उत्तर में दी।

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(Release ID: 2153817)
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