विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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संसद प्रश्न : भारत- यूरोपीय संघ सहयोग

Posted On: 07 AUG 2025 3:25PM by PIB Delhi

नई दिल्ली में इस वर्ष 28 फ़रवरी को आयोजित भारत- यूरोपीय संघ व्यापार एवं प्रौद्योगिकी परिषद (टीटीसी) की दूसरी मंत्रिस्तरीय बैठक में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग को मज़बूत करने पर ज़ोर दिया गया। बैठक में संयुक्त वित्त पोषण तंत्र की स्थापना, वैज्ञानिक आदान-प्रदान और गतिशीलता को बढ़ावा देने, और स्वच्छ ऊर्जा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), दूरसंचार और आईटी मानकीकरण जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में सार्वजनिक- निजी भागीदारी को मज़बूत करने पर चर्चा की गई। इस बैठक में अंतर- संचालनीय वैश्विक मानकों, जैव प्रौद्योगिकी, जल और जलवायु अनुसंधान को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया गया। दोनों पक्षों ने लंबे समय से चले आ रहे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) समझौते को 2030 तक नवीनीकृत करने पर भी सहमति व्यक्त की। इसके अतिरिक्त, यूरोपीय संघ का 500 मिलियन यूरो का "विज्ञान के लिए यूरोप चुनें" कार्यक्रम (2025 - 27) अब भारतीय शोधकर्ताओं के लिए खुला होगा, जिससे होराइज़न यूरोप में भारत की चल रही भागीदारी के साथ- साथ गहन अनुसंधान एकीकरण को बढ़ावा मिलेगा।

वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी उन्नति में भारत- यूरोपीय संघ सहयोग के लिए प्राथमिकता वाले प्रमुख केंद्रीय क्षेत्र हैं -

  1. स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु : अपतटीय पवन, सौर पार्क, नवीकरणीय ऊर्जा का एकीकरण, हरित हाइड्रोजन, स्मार्ट ग्रिड प्रौद्योगिकियां, बैटरी रीसाइक्लिंग, ईवी चार्जिंग मानक और जैव ईंधन सहित;
  2. एआई और उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी): जिसमें नैतिक बड़ी भाषा मॉडल विकास, जिम्मेदार एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग और जलवायु, स्वास्थ्य सेवा और उन्नत उद्योगों के लिए एचपीसी अनुप्रयोग शामिल हैं;
  3. दूरसंचार और आईटी मानकीकरण: जिसमें 6जी, ओपन आरएएन (ओआरएएन) और क्वांटम संचार शामिल हैं;
  4. जैव प्रौद्योगिकी और जैव- अर्थव्यवस्था: जिसमें वैक्सीन विकास, सटीक जीव विज्ञान, एंजाइम प्रौद्योगिकियां, जलवायु- लचीला कृषि और जैव- विनिर्माण नवाचार में गहन सहयोग शामिल है;
  5. जल एवं समुद्री विज्ञान: जिसमें अपशिष्ट जल उपचार, समुद्री प्रदूषण का पता लगाना जैसे- माइक्रोप्लास्टिक्स, समुद्री अर्थव्यवस्था नवाचार और संयुक्त सहयोग के माध्यम से महासागर स्वास्थ्य अध्ययन शामिल हैं, और
  6. अन्य क्षेत्र: ईवी और बैटरी तकनीक, क्वांटम संचार, समुद्री अर्थव्यवस्था, आईसीटी मानकीकरण और व्यापक टीटीसी और एस एंड टी एजेंडे के तहत वैक्सीन आर एंड डी।

बायो ई3 नीति जैव- विनिर्माण में चल रहे निवेशों में समन्वय स्थापित करने के लिए संभावित साझेदारों और हितधारकों के साथ सहयोगात्मक दृष्टिकोण और सक्रिय सहभागिता को प्रोत्साहित करती है। यह लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों, अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों, सरकारी एजेंसियों और स्टार्ट अप्स व भारतीय उद्योगों के साथ सार्वजनिक- निजी भागीदारी के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। सहयोग का दायरा प्लेटफ़ॉर्म प्रौद्योगिकियों, प्रारंभिक चरण के नवाचार और साथ ही अंतिम चरण के अनुवादात्मक अनुसंधान तक फैला हुआ है। जैविक पदार्थों के निर्माण में भारत की वर्तमान क्षमताओं का लाभ उठाते हुए, बायो ई3 नीति व्यावसायिक पैमाने पर संचालन के मार्ग पर महत्वपूर्ण मील के पत्थर तक पहुँचने को बढ़ावा देकर वैश्विक नवाचार के लिए जैव- विनिर्माण केंद्र के रूप में भारत की क्षमता को और बढ़ाती है।

2016 में स्थापित यूरोपीय संघ- भारत स्वच्छ ऊर्जा एवं जलवायु साझेदारी (सीईसीपी) के अंतर्गत, दोनों पक्ष ऊर्जा- जलवायु संवाद का समन्वय करते हैं और अपतटीय पवन, सौर, स्मार्ट ग्रिड एवं भंडारण, रूफटॉप सौर और ऊर्जा दक्षता में संयुक्त परियोजनाओं को बढ़ावा देते हैं। सरकार, क्षेत्रीय क्षमताओं और निवेश प्रोत्साहनों तथा अनुसंधान, विकास एवं नवाचार पर सूचनाओं का आदान- प्रदान करके सौर ऊर्जा, अपतटीय पवन और स्वच्छ हाइड्रोजन के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने हेतु स्वच्छ प्रौद्योगिकी सहयोग केंद्रों की स्थापना की परिकल्पना कर रही है। भारत और यूरोपीय संघ, भारत में अपतटीय पवन ऊर्जा को सुगम बनाने (एफ ओ डब्ल्यू आई एन डी) पहल के तहत अपतटीय पवन परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं।

यह जानकारी आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दी।

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पीके/ केसी/ जेएस


(Release ID: 2153753)
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