आयुष
आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा का लोक-प्रचार
Posted On:
05 AUG 2025 4:57PM by PIB Delhi
मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्तर पर आयुष चिकित्सा पद्धतियों के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से आयुष में सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना लागू की है। इस योजना के अंतर्गत मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय/राज्य स्तर पर आरोग्य मेले, योग उत्सव/उत्सव, आयुर्वेद पर्व आयोजित किये जाते हैं, आयुष प्रणालियों से संबंधित महत्वपूर्ण दिवस मनाए जाते हैं, स्वास्थ्य मेलों/प्रदर्शनियों आदि में सहभागिता होती है और आम नागरिकों में जागरूकता पैदा करने के लिए सेमिनार, कार्यशालाओं, सम्मेलन के आयोजन तथा मल्टीमीडिया अभियान चलाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
इसके अतिरिक्त आयुष मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में आयुष चिकित्सा पद्धतियों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए आयुष में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के संबंध में केंद्रीय क्षेत्र की योजना (आईसी योजना) विकसित की है। इस योजना के अंतर्गत मंत्रालय की ओर से आयुष उत्पादों और सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भारतीय आयुष दवा निर्माताओं/आयुष सेवा प्रदाताओं को सहायता प्रदान की जाती है। साथ ही आयुष चिकित्सा पद्धतियों के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार, विकास और मान्यता को सुगम बनाया जाता है; अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हितधारकों के बीच परस्पर संवाद और आयुष के बाज़ार विकास को बढ़ावा दिया जाता है; विदेशों में आयुष अकादमिक पीठों की स्थापना और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयुष चिकित्सा पद्धतियों के बारे में जागरूकता और रुचि को बढ़ावा देने और इन कार्यों को सुदृढ़ करने के लिए प्रशिक्षण कार्यशालाओं/संगोष्ठियों के आयोजन के माध्यम से शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाता है।
इस योजना के अंतर्गत 25 देशों के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू), 15 आयुष पीठ समझौता ज्ञापन और 52 संस्थान-दर-संस्थान समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
इसके अतिरिक्त मंत्रालय आयुष चिकित्सा पद्धतियों के विकास और संवर्धन के लिए राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के माध्यम से राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) की केंद्र प्रायोजित योजना को क्रियान्वित कर रहा है। राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारें एनएएम के दिशानिर्देशों के अनुसार राज्य वार्षिक कार्य योजनाओं (एसएएपी) के माध्यम से प्रस्ताव प्रस्तुत करके वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकती हैं।
आयुष मंत्रालय आयुर्वेद को बढ़ावा देने, इसका प्रचार करने और इस चिकित्सा पद्धति को लोकप्रिय बनाने के लिए 2016 से प्रतिवर्ष आयुर्वेद दिवस मना रहा है। मंत्रालय प्रत्येक वर्ष आयुर्वेद दिवस मनाने के लिए एक विशिष्ट विषय का चयन करता है और चुने हुए विषय के अनुरूप देश भर और विश्व स्तर पर हितधारकों की ओर से विभिन्न प्रकार की गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। मंत्रालय ने राष्ट्रीय धन्वंतरि आयुर्वेद पुरस्कार की भी स्थापना की है, जिसमें एक प्रशस्ति पत्र, ट्रॉफी (धन्वंतरि प्रतिमा) और 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार शामिल है। यह पुरस्कार आयुर्वेद दिवस पर उत्कृष्टता के सम्मान में प्रतिष्ठित वैद्यों और आयुर्वेद विशेषज्ञों को और इस क्षेत्र में सर्वोत्तम कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदान किया जाता है।
माननीय प्रधानमंत्री की पहल पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2014 में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था। आयुष मंत्रालय प्रति वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए नोडल मंत्रालय है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन सामान्य योग प्रोटोकॉल पर आधारित सामूहिक योग प्रदर्शन पर केंद्रित है, जो योग पोर्टल (yoga.ayush.gov.in) पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है। विश्व भर के योग प्रेमियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने योग ब्रेक (वाई-ब्रेक) मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया है। यह ऐप विशेष रूप से कार्यस्थल पर कार्यरत व्यक्तियों के लिए डिज़ाइन किया गया है ताकि वे स्वस्थ और तंदुरुस्त रह सकें और उनकी उत्पादकता बढ़े।
आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने संयुक्त रूप से वर्ष 2019 में एम-योग नाम की परियोजना शुरू की थी। इसमें 2030 तक सभी लोगों की स्वास्थ्य कवरेज के लिए संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के अंतर्गत 'स्वस्थ रहें, गतिशील रहें' (बीएचबीएम) की अवधारणा पर विचार किया गया है। एम-योग मोबाइल ऐप को भारत के माननीय प्रधानमंत्री ने 21 जून, 2021 को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस-2021 के अवसर पर लॉन्च किया था।
इसके अतिरिक्त आयुर्वेद और योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयुष मंत्रालय ने 02 (दो) अनुसंधान परिषदें (केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद सीसीआरएएस) और (केंद्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद- सीसीआरवाईएन) और 9 (नौ) राष्ट्रीय संस्थान स्थापित किए हैं, जिनका विवरण अनुलग्नक-1 में दिया गया है। ये परिषदें/संस्थाएं अपने दायरे में आने वाले संस्थानों/इकाइयों/केंद्रों के साथ सामान्य बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी), प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) ओपीडी, वृद्धावस्था ओपीडी, गैर-संचारी रोग (एनसीडी) क्लिनिक आदि के माध्यम से उपचार प्रदान कर रही हैं और आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा को लोकप्रिय बनाने के लिए जागरूकता बढ़ाने की गतिविधियों में भी शामिल हैं। मंत्रालय के अंतर्गत अनुसंधान परिषदों और राष्ट्रीय संस्थानों की ओर से आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा को लोकप्रिय बनाने के लिए चलाई जा रही गतिविधियों का विवरण क्रमशः अनुलग्नक-2 और अनुलग्नक-3 में दिया गया है।
केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) के अंतर्गत देश भर में 111 आयुष वेलनेस सेंटर (44 आयुर्वेदिक वेलनेस सेंटर सहित) और अलीगंज लोधी रोड, नई दिल्ली में 1 आयुर्वेदिक अस्पताल है। इसके अतिरिक्त, 26 आयुर्वेदिक इकाइयों को भी मंजूरी दी गई है।
वर्तमान में 35 निजी आयुष डे केयर थेरेपी सेंटर केवल सीजीएचएस दिल्ली/एनसीआर के अंतर्गत सूचीबद्ध हैं। वर्तमान में निजी आयुष डे केयर सेंटरों का पैनलीकरण दिल्ली/एनसीआर तक सीमित है।
अनुलग्नक-I
आयुष मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत अनुसंधान परिषदों और राष्ट्रीय संस्थानों का विवरण
शोध परिषदः
क्रम संख्या
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शोध परिषद का नाम
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1
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केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस)
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2
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केंद्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद (सीसीआरवाईएन)
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राष्ट्रीय संस्थानः
Sl. No.
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Name of Institute
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1
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राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए)
- जयपुर
- पंचकूला (सैटेलाइट सेंटर)
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2
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अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए)
- नई दिल्ली
- गोवा(सैटेलाइट सेंटर)
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3
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राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ (आरएवी), दिल्ली
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4
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आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (आईटीआरए), जामनगर
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5
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मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (एमडीएनआईवाई), नई दिल्ली
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6
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राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान (एनआईएन), पुणे
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7
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राष्ट्रीय सोवा रिग्पा संस्थान (एनआईएसआर), लेह
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8
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पूर्वोत्तर आयुर्वेद एवं होम्योपैथी संस्थान (एनईआईएएच), शिलांग
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9
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पूर्वोत्तर आयुर्वेद एवं लोक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (एनईआईएएफएमआर), पासीघाट
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अनुलग्नक-II
अनुसंधान परिषदों की ओर से आयुष को बढ़ावा देने के लिए गतिविधियां
- केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस): आयुर्वेद को बढ़ावा देने और लोकप्रिय बनाने के लिए आयुष मंत्रालय के तत्वावधान में सीसीआरएएस अपने दायरे में आने वाले 30 संस्थानों के नेटवर्क के माध्यम से सूचना शिक्षा एवं संचार (आईईसी) गतिविधियों के माध्यम से नैदानिक देखभाल प्रदान करता है और जागरूकता गतिविधियों में संलग्न है।
सीसीआरएएस आम लोगों के लिए अंग्रेजी, हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के माध्यम से आयुर्वेद को लोकप्रिय बनाने में लगा हुआ है। इसका व्यापक प्रचार राष्ट्रीय/राज्य स्तरीय आरोग्य मेलों, स्वास्थ्य शिविरों, प्रदर्शनियों, एक्सपो आदि के माध्यम से किया जाता है और साथ ही देश के विभिन्न राज्यों में अपने अंतर्गत 30 संस्थानों के माध्यम से सीसीआरएएस आउटरीच कार्यक्रमों जैसे अनुसूचित जाति उपयोजना (एससीएसपी) अनुसंधान कार्यक्रम, जनजातीय स्वास्थ्य देखभाल अनुसंधान कार्यक्रम (टीएचसीआरपी) आदि के माध्यम से भी यह कार्य किया जाता है। परिषद की वेबसाइट भी सामान्यतः आईईसी सामग्री से युक्त होती है और अन्य महत्वपूर्ण वेबसाइटों के साथ इसको हाइपरलिंक किया जाता है जो व्यापक उपयोगिता के लिए जानकारी प्रदान करती हैं।
परिषद की तीन पत्रिकाएं हैं: जर्नल ऑफ ड्रग रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज (जेडीआरएएस), जर्नल ऑफ रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज (जेआरएएस), और जर्नल ऑफ इंडियन मेडिकल हेरिटेज (जेआईएमएच), जो जनता के बीच अनुसंधान के परिणामों के प्रसार हेतु इलेक्ट्रॉनिक रूप से सार्वजनिक डोमेन में निःशुल्क उपलब्ध हैं। सीसीआरएएस, आम जनता के लिए सामान्य भाषाओं में अनुसंधान परिणामों के प्रसार हेतु तिमाही आधार पर सीसीआरएएस बुलेटिन भी प्रकाशित कर रहा है। अब तक परिषद ने कई पुस्तकें, मोनोग्राफ और तकनीकी रिपोर्ट प्रकाशित की हैं और आयुर्वेद के अनुसंधान परिणामों और गुणों को व्यापक रूप से प्रसारित करने के लिए उनका विक्रय या वितरण किया जा रहा है।
- केंद्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद (सीसीआरवाईएन): देश में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देने और लोकप्रिय बनाने के लिए सीसीआरवाईएन द्वारा किए जा रहे प्रयास इस प्रकार हैं:
- हरियाणा के झज्जर और कर्नाटक के नागमंगला में 200 बिस्तरों वाले योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अस्पताल के साथ योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान के स्नातकोत्तर संस्थानों (पीजीआईवाईएनईआर) की स्थापना
- ओडिशा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, केरल, झारखंड और छत्तीसगढ़ में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के केंद्रीय अनुसंधान संस्थानों की स्थापना, साथ ही 100 बिस्तरों वाले इनडोर अस्पताल सुविधाओं की स्थापना, ताकि विभिन्न उपचारों में योग और प्राकृतिक चिकित्सा की प्रभावकारिता स्थापित करने के लिए गहन शोध अध्ययन किए जा सकें।
- सहयोगात्मक अनुसंधान केंद्र (सीआरसी): परिषद प्रमुख चिकित्सा के साथ-साथ योग और प्राकृतिक चिकित्सा संस्थानों के साथ सहयोगात्मक अनुसंधान करने के लिए सहयोगात्मक अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की योजना चला रही है। अब तक, ऐसे चार केंद्र कार्यरत हैं। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निम्हांस), बेंगलुरु; रक्षा शरीरक्रिया विज्ञान और संबद्ध विज्ञान संस्थान (डीआईपीएएस), दिल्ली; संस्कृति फाउंडेशन, मैसूर, कर्नाटक और कैवल्यधाम योग अनुसंधान संस्थान, लोनावाला में सहयोगात्मक अनुसंधान किया जा रहा है।
- योग और प्राकृतिक चिकित्सा ओपीडी/वेलनेस केंद्रों की स्थापना: परिषद ने दिल्ली, हरियाणा, ओडिशा, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों/संस्थानों में पहले ही योग और प्राकृतिक चिकित्सा ओपीडी/वेलनेस केंद्र खोल दिए हैं। परिषद इस प्रणाली के प्रचार-प्रसार के लिए आयुष मंत्रालय और अन्य संगठनों की ओर से आयोजित स्वास्थ्य मेलों/प्रदर्शनियों में भी भाग लेती है।
- योग के माध्यम से मन-शरीर हस्तक्षेप केंद्र: सीसीआरवाईएन ने विभिन्न राज्यों में योग के माध्यम से तन-मन हस्तक्षेप केंद्र (सीएमबीआईवाई) स्थापित किए हैं।
अनुलग्नक-III
राष्ट्रीय संस्थानों की ओर से आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देने एवं लोकप्रिय बनाने हेतु गतिविधियों का विवरण
- राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) ने आयुर्वेद शिक्षा, प्रशिक्षण, अनुसंधान, रोगी देखभाल एवं अस्पताल गतिविधियों, आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार आदि के क्षेत्र में निम्नलिखित प्रमुख कदम उठाए और उपलब्धियां हासिल कीं हैं:-
- एक संबद्ध संस्थान से मानद विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त।
- पंचकूला में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान नाम के विस्तार केंद्र की स्थापना। (संस्थान ने 2024 में स्नातक कार्यक्रम के साथ कार्य करना प्रारंभ किया)।
- स्नातक कार्यक्रम, स्नातकोत्तर कार्यक्रम, पोस्ट-डॉक्टरल कार्यक्रम, 6 स्नातकोत्तर अंतःअनुशासनिक कार्यक्रम, डिप्लोमा कार्यक्रम, एक वर्षीय पंचकर्म तकनीशियन कार्यक्रम और विभिन्न अल्पकालिक कार्यक्रमों का संचालन।
- उत्तर-पश्चिम रेलवे अस्पताल और जयपुर शहर के विभिन्न क्षेत्रों में ओपीडी आदि के साथ सैटेलाइट केंद्र शुरू किए गए।
- जामवा रामगढ़ में विशेष रूप से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी के लिए ओपीडी शुरू की गई।
- नैक ए-ग्रेड, एनएबीएच, जीएमपी, एनएबीएल, एफएसएसएआई, अस्पताल प्रयोगशालाओं के लिए आईएसओ, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड आदि जैसी मान्यता और प्रमाणन प्राप्त।
- भारतीय विश्वविद्यालय संघ और राष्ट्रमंडल विश्वविद्यालय संघ के सदस्य।
- पेटेंट के लिए 20 आवेदन प्रस्तुत।
- औषधि परीक्षण, अनुसंधान, उपचार, साहित्यिक अनुसंधान, विशेषज्ञता प्रदान करने, संकाय और सूचना के आदान-प्रदान आदि के लिए 2 अंतर्राष्ट्रीय और 35 घरेलू समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर।
- विदेशी नागरिकों के लिए स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी में आरक्षित सीटें। 20 से अधिक देशों के 50 विदेशी नागरिक वर्तमान में इन कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं।
- पूर्वोत्तर आयुर्वेद एवं होम्योपैथी संस्थान (एनईआईएएच) ने आयुष चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके संबंध में संस्थान नियमित रूप से अपने अस्पतालों (ओपीडी और आईपीडी दोनों) में मुफ्त परामर्श देता है और गांवों, स्कूलों, सरकारी विभागों, सैन्य कर्मियों और सामुदायिक स्तर पर मुफ्त चिकित्सा एवं जागरूकता शिविर आयोजित करता है। एनईआईएएच ने आकाशवाणी के शिलांग केंद्र में अंग्रेजी, हिंदी और क्षेत्रीय भाषा (खासी) में राष्ट्रीय सेमिनार/कार्यशालाएं, पैनल चर्चा और "डॉक्टर से मिलें" कार्यक्रम का आयोजन किया और दूरदर्शन केंद्र, शिलांग आदि में आयुर्वेद पर टीवी टॉक शो भी आयोजित किए। संस्थान ने प्रधानमंत्री जनजाति न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) कार्यक्रमों के तहत स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए। संस्थान बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) और बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएचएमएस) पाठ्यक्रम और एक वर्षीय पंचकर्म तकनीशियन प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम भी चलाता है। एनईआईएएच की ओर से पड़ोसी राज्यों के चिकित्सा अधिकारियों (आयुर्वेद) को पंचकर्म चिकित्सा प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
- आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (आईटीआरए) को अक्टूबर 2020 में एक संसदीय अधिनियम के माध्यम से आयुष क्षेत्र में पहला "राष्ट्रीय महत्व का संस्थान (आईएनआई)" घोषित किया गया है। यह कदम नए और नवीन पाठ्यक्रम के विकास में सहायक है और आयुर्वेद को लोकप्रिय बनाने में भी सहायक है। आईटीआरए विभिन्न माध्यमों से आयुर्वेद और योग को लोकप्रिय बनाने के लिए आयुर्वेद दिवस, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, देश का प्रकृति परीक्षण, पोषण पखवाड़ा और पोषण माह जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लेता है।
- पूर्वोत्तर आयुर्वेद एवं लोक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (एनईआईएएफएमआर) ने 2024-25 में 30 छात्रों के प्रवेश के साथ एक आयुर्वेद महाविद्यालय शुरू किया है। इसके अतिरिक्त यहां स्वास्थ्य शिविर और राष्ट्रीय कार्यक्रम जैसी विभिन्न गतिविधियां नियमित रूप से आयोजित की जाती हैं।
- आयुष मंत्रालय के अंतर्गत स्वायत्त निकाय के रूप में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) का उद्घाटन 2017 में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा किया गया था। यह भारत का पहला एनएबीएच से मान्यता प्राप्त 200 बिस्तरों वाला तृतीयक देखभाल सार्वजनिक आयुर्वेद अस्पताल है, जो ओपीडी और आईपीडी सेवाएं, एकीकृत स्वास्थ्य सेवा और विशिष्ट क्लीनिक प्रदान करता है। एआईआईए ने अपनी स्थापना के बाद से 28 लाख से अधिक ओपीडी और 19,600 बाह्य रोगियों का इलाज किया है। एआईआईए ने अपने पहले ही मूल्यांकन चक्र में नैक मान्यता ए++ प्राप्त की। यह आयुर्वेद में स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी उपाधियां प्रदान करता है और अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं और वैश्विक सहयोग के साथ अनुसंधान में उत्कृष्टता प्राप्त कर रहा है। एआईआईए पंचकर्म तकनीशियन, आयुर्वेद आहार विशेषज्ञ, क्षार कर्म तकनीशियन और आयुर्वेद आहार और पोषण सहायक जैसे प्रमाणन कार्यक्रमों के लिए हेल्थकेयर सेक्टर स्किल काउंसिल (एचएसएससी) और आयुर्वेद प्रशिक्षण प्रत्यायन बोर्ड (एटीएबी) से मान्यता प्राप्त और संबद्ध है। एआईआईए को गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली के लिए आईएसओ 9001:2015 प्रमाणन भी प्राप्त हुआ है।
इसने 6 जन स्वास्थ्य पहल परियोजनाएं शुरू की हैं और एक कोविड स्वास्थ्य केंद्र के रूप में कार्य किया है। एआईआईए ने विश्व में 82 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं और यह गोवा के सैटेलाइट सेंटर, एलबीएसएनएए मसूरी (उत्तराखंड), एकतानगर (गुजरात), वीएमएमसी सफदरजंग अस्पताल नई दिल्ली, भारत के सर्वोच्च न्यायालय, आईआईटी-दिल्ली और राष्ट्रीय कैंसर संस्थान-एम्स झज्जर (हरियाणा) के विस्तार केंद्रों के माध्यम से सेवाएं प्रदान करता है।
एआईआईए ओपीडी, आईपीडी, 45 विशेषज्ञ क्लीनिकों, शिविरों, जन स्वास्थ्य पहलों आदि के माध्यम से आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के प्रचार में भी योगदान दे रहा है।
तीन पीयर-रिव्यूड त्रैमासिक पत्रिकाओं का प्रकाशन: जर्नल ऑफ आयुर्वेद केस रिपोर्ट्स (जे आयुकेयर), इंटरनेशनल जर्नल ऑफ आयुर्वेद रिसर्च (आईजेएआर) और आयुष जर्नल ऑफ इंटीग्रेटिव ऑन्कोलॉजी (एजेआईओ)।
एआईआईए ने स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन के विजेताओं को वित्तपोषित करने और मार्गदर्शन देने, प्रदर्शनियों में उत्पाद प्रदर्शन के लिए स्टार्ट-अप्स को सुविधा प्रदान करने, स्टार्ट-अप्स को मार्गदर्शन प्रदान करने, उद्यमिता के बारे में जागरूकता पैदा करने और स्टार्ट-अप्स के बीच नेटवर्किंग के लिए नवाचार और उद्यमिता के लिए इनक्यूबेशन सेंटर (एआईआईए-आईसीएएनई) की भी स्थापना की है।
- राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान (एनआईएन) ने आयुष मंत्रालय के सक्रिय सहयोग से अपनी दो अतिरिक्त विस्तार इकाइयां स्थापित की हैं: महाराष्ट्र में एनआईएन निसर्ग ग्राम, येवालेवाड़ी, पुणे शहर (2024) और एनआईएन निसर्ग आरोग्य साधना केंद्र, गोहे (बुद्रुक), जिला, पुणे (2020। इनका उद्देश्य देश भर में इन-हाउस और आउटरीच मोड सुविधाओं के माध्यम से प्राकृतिक चिकित्सा उपचार, कार्यशालाएं, सेमिनार, व्याख्यान के आयोजन, उपचार सहायक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम (टीएटीसी) से छात्रों को शिक्षा प्रदान करके और अपने अंतः और बाह्य रोगी विभाग के माध्यम से गांधीवादी अध्ययन सहित कौशल विकास पाठ्यक्रम/प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम और फेलोशिप कार्यक्रम चलाकर आम जनता तक प्राकृतिक चिकित्सा और योग सेवाओं का प्रचार और प्रसार करना है। एनआईएन ने योग और प्राकृतिक चिकित्सा सेवाओं और अनुसंधान को बढ़ावा देने और प्रचारित करने के लिए 20 संगठनों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह पहला प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान है जिसे अप्रैल, 2018 में एनएबीएच से मान्यता प्राप्त हुई।
- मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (एमडीएनआईवाई) योग को बढ़ावा देने और विकसित करने में बहुआयामी भूमिका निभाता है। यह योग से संबंधित शिक्षा, प्रशिक्षण, चिकित्सा और अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करते हुए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में कार्य कर रहा है।
आयुष मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव जाधव ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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पीके/केसी/केके/एचबी
(Release ID: 2152680)