मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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केरल  में  मत्स्यपालन  क्षेत्र  के  विकास  के  लिए  योजनाएँ

Posted On: 05 AUG 2025 4:10PM by PIB Delhi

मत्स्यपालन  विभाग,  भारत  सरकार  केरल  सहित  सभी  राज्यों/केंद्र  शासित  प्रदेशों  में  मात्स्यिकी   क्षेत्र  के  सर्वांगीण  विकास  हेतु  विभिन्न  योजनाओं  का  कार्यान्वयन   कर  रहा  है।  प्रमुख  योजनाओं  में  ब्लू रेवोल्यूशन स्कीम  (2015-16  से  2019-20),  मात्स्यिकी क्षेत्र  के  लिए  किसान  क्रेडिट  कार्ड  (KCC)  का  विस्तार  (2018-19  से),  फिशरीस एंड एक्वाकल्चर इनफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फ़ंड (FIDF)  (2018-19  से  2025-26),  'प्रधान मंत्री  मत्स्य  संपदा  योजना'  (PMMSY)  (2020-21  से  2024-25),  और  एक  नई  केंद्रीय  क्षेत्र  उप-योजना  अर्थात  प्रधान मंत्री  मत्स्य  किसान  समृद्धि सह  योजना  (PM-MKSSY)  (2023-24  से  2026-27)  शामिल  है।  मत्स्य  उत्पादन  में  वृद्धि,  संसाधनों  का स्थायित्व  सुनिश्चित  करना,  मूल्य  श्रृंखला  को  सुदृढ़  बनाना,  रोजगार  सृजन,  मछुआरों  की  सुरक्षा  और  मछुआरों  तथा  मत्स्यपालकों  का  सामाजिक-आर्थिक  कल्याण  इन  पहलों  के केंद्र में  रहा  है।

विगत  10  वर्षों  के  दौरान,  मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने  मात्स्यिकी  विकास  हेतु  केरल  को  1790.00  करोड़  रुपए  की  मात्स्यिकी  विकास  परियोजनाओं  को  अनुमोदित किया  है।  जमीनी  स्तर  पर  लाभार्थियों  के  चयन  सहित  गतिविधियों  का  कार्यान्वयन  संबंधित  राज्य  सरकारों  द्वारा  किया  जाता  है।  केरल  सरकार  ने  सूचित  किया  है  कि  विगत  10  वर्षों  के  दौरान  लगभग  2,12,348  लाभार्थियों  को  विभिन्न  सरकारी  योजनाओं  के  अंतर्गत  सब्सिडी  प्राप्त  हुई  है।  इसके  अतिरिक्त,  विगत  10  वर्षों  की  अवधि  में  मछली  पकड़ने  पर  प्रतिबंध  के  दौरान  केरल  में  लगभग  10,26,752  लाभार्थियों  को  राहत    के  रूप  में  आजीविका  सहायता  प्राप्त  हुई  है।

 विगत 5 वर्षों  (2020-21  से  2024-25) के  दौरान,  प्रधान मंत्री  मत्स्य  संपदा  योजना  (PMMSY)  के  अंतर्गत,  मत्स्यपालन विभाग, भारत  सरकार   ने  केरल  सरकार  के  1347.55  करोड़  रुपए  के मात्स्यिकी   विकास  प्रस्तावों  को  मंजूरी  दी  है।  स्वीकृत  प्रमुख  गतिविधियों  में  नए  रियरिंग  और  ग्रो-आउट  तालाब  (89  हेक्टेयर),  बायोफ्लोक  तालाब  (22.5  हेक्टेयर),  खारे  पानी  की  जलीय  कृषि  (172  हेक्टेयर),  मत्स्य   ब्रूड  बैंक  (1  यूनिट्),  ओरनामेंटल फिश रियरिंग और ब्रीडिंग यूनिट्स  (822  यूनिट्स),  डीप सी फिशिंग वेसेल्स  (20  यूनिट्स),  जलाशयों  में  केज  (493  यूनिट्स),  बिवाल्व  कल्टीवेशन (1140  यूनिट्स),  री सिरक्युलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS) (708  यूनिट्स),  बायोफ्लोक कल्चर यूनिट्स  (780 यूनिट्स),  जलाशयों  का  एकीकृत  विकास  (सं 7),  आईस प्लांट/कोल्ड स्टोरेज (16  यूनिट्स),  पोस्ट हारवेस्ट ट्रांसपोर्ट यूनिट्स (468 यूनिट्स),  जीवित  मत्स्य  विक्रय  केंद्र (77  यूनिट्स),  फिश  फ़ीड  मिलें  (5 यूनिट्स),  मूल्य  वर्धित  उद्यम  (10  यूनिट्स),  रीटेल मारकेट्स  (5  यूनिट्स),  फिश  कियोस्क (90  यूनिट्स),  पारंपरिक  मछुआरों  के  लिए  नावों  और  जालों  की रीपलेसमेंट (200  यूनिट्स),  विस्तार  और  मत्स्य  सेवा  केंद्रों  (MSK)  के  अंतर्गत  सहायक  सेवाएँ  (10  यूनिट),  सागर  मित्र  (सं 222),  मछली  पकड़ने  पर  प्रतिबंध  अवधि  के  दौरान  आजीविका  सहायता  (सं 1,71,033),  फिशिंग हारबर का  विस्तार  (2  यूनिट),  फिशिंग   हारबर  का अपग्रेडेशन  और  आधुनिकीकरण  (3  यूनिट्स),  मौजूदा फिशिंग हारबर  का  रखरखाव  और  ड्रेजिंग  (6  यूनिट्स) इंटीग्रेटेड मॉडर्न कोस्टल फिशिंग विलेजस  (सं 9),  जलवायु  अनुकूल  गाँव  (सं 6),  होल सेक फिश मारकेट (सं 2),  केरल  तट  पर  आरटिफ़िशियल रीफ़्स की स्थापना (42 यूनिट्स), एकूयाटिक   रेफरल  लैब  (1 यूनिट)  और  रोग  निदान  एवं  गुणवत्ता  परीक्षण  प्रयोगशाला  (1 यूनिट)।

केरल सहित सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में PMMSY के अंतर्गत 364 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ एक लाख समुद्री फिशिंग वेसल्स पर ट्रांसपोंडर लगाने हेतु वेसल कम्युनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम का  एक नेशनल रोलआउट प्लान भी शुरू की गया है। केरल सरकार के अनुरोध पर, केरल में स्थापना के लिए 12,711 ट्रांसपोंडर आवंटित किए गए हैं।

इसके अतिरिक्त,  फिशरीस एंड एक्वाकल्चर इनफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (FIDF) के अंतर्गत,  भारत  सरकार  ने  केरल  में  आरथुनङ्गल  फिशिंग हारबर  के  विकास  को  स्वीकृति  दी  है।  इसके  अलावा,  आज  तक  केरल  में  मछुआरा  लाभार्थियों  को  10,291  KCC  कार्ड  स्वीकृत  किए  जा  चुके  हैं।

केरल  सरकार  ने  PMMSY  के  अंतर्गत  मछुआरों  के  बीमा  के  लिए  सहायता  नहीं  ली  है,  क्योंकि  राज्य अपने  स्तर  पर  स्वयं  की  बीमा  योजना  लागू  कर  रहा  है।

यह जानकारी मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री, श्री जॉर्ज कुरियन ने ५ अगस्त २०२५ को लोक सभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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