जल शक्ति मंत्रालय
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भूजल भंडार में कमी

Posted On: 04 AUG 2025 5:40PM by PIB Delhi

केन्द्रीय भूजल बोर्ड और संबंधित राज्य नोडल/भूजल विभागों द्वारा वार्षिक आधार पर प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के गतिशील भूजल संसाधनों का आकलन संयुक्त रूप से किया जा रहा है। “भारत के गतिशील भूजल संसाधनों का राष्ट्रीय संकलन, 2024” की रिपोर्ट के अनुसार, देश में कुल वार्षिक भूजल पुनर्भरण 446.9 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) आंका गया है। कुल वार्षिक उद्धरणीय योग्य भूजल संसाधन 406.19 बीसीएम आंका गया है और सभी प्रयोजनों (जैसे घरेलू, औद्योगिक, कृषि उपयोग आदि) के लिए कुल वार्षिक भूजल उद्धरणीय 245.64 बीसीएम आंका गयाहै। भूजल उद्धरण का चरण (एसओई), जिसे पूरे देश के लिए वार्षिक उद्धरण योग्य भूजल संसाधन पर वार्षिक भूजल उद्धरण के अनुपात के रूप में परिभाषित किया गया है वह 60.47% पर पहुंच गया है।

देश के लिए 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य-वार भूमिगत जल संसाधन मूल्यांकन का विवरण नीचे दिया गया है। ज़िलेवार विवरण निम्नलिखित लिंक से प्राप्त किया जा सकता है: https://cgwb.gov.in/cgwbpnm/public/uploads/documents/17357182991031590738file.pdf#page=167

जल राज्य का विषय है जिस कराण भूजल संसाधनों का सतत विकास एवं प्रबंधन की मुख्य जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। हालांकि, केंद्र सरकार अपनी विभिन्न योजनाओं एवं परियोजनाओं के माध्यम से तकनीकी एवं वित्तीय सहायता प्रदान करके राज्य सरकारों के प्रयासों को सुगम बनाती है। इस दिशा में, देश में भूजल संसाधनों के संरक्षण एवं सतत विकास के लिए जल शक्ति मंत्रालय और अन्य केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदम, जिनमें अति-दोहित एवं महत्वपूर्ण ब्लॉकों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, उनका विवरण नीचे दिया गया है:-

  1. भारत सरकार 2019 से पूरे देश में जल शक्ति अभियान (जेएसए) लागू कर रही है, जो वर्षा जल संचयन एवं जल संरक्षण गतिविधियों के लिए एक मिशन मोड और समयबद्ध कार्यक्रम है। वर्तमान में, देश में जल संचयन एवं पुनर्भरण योजना (जेएसए) 2025 को अति-दोहित एवं संकटग्रस्त क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देते हुए लागू किया जा रहा है। जेएसए एक व्यापक अभियान है जिसके अंतर्गत विभिन्न केंद्रीय और राज्य योजनाएं एक साथ मिलकर भूजल पुनर्भरण एवं संरक्षण संबंधी विभिन्न कार्य कर रही हैं। जेएसए डैशबोर्ड के अनुसार, पिछले चार वर्षों में पूरे देश में समन्वय के माध्यम से 1.14 करोड़ से अधिक जल संचयन एवं पुनर्भरण कार्य पूरे किए गए हैं।
  2. इसके अलावा, केंद्रीय भूजल बोर्ड ने पूरे देश में लगभग 25 लाख वर्ग किलोमीटर मानचित्रण योग्य क्षेत्र को कवर करते हुए राष्ट्रीय जलभृत मानचित्रण (एनएक्यूयूआईएम) परियोजना भी पूरी कर ली है। इसके अलावा, ज़िलावार जलभृत मानचित्र एवं प्रबंधन योजनाएं तैयार की गई हैं और आगे उपयुक्त मध्यवर्तन करने के लिए संबंधित राज्य एजेंसियों के साथ साझा की गई हैं।
  3. भूजल के कृत्रिम पुनर्भरण के लिए मास्टर प्लान-2020 को सीजीडब्ल्यूबी द्वारा तैयार किया गया है और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा किया गया है, जिसमें पूरे देश में लगभग 1.42 करोड़ वर्षा जल संचयन एवं कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाओं के निर्माण के लिए एक व्यापक रूपरेखा तैयार की गई है, जिसमें लगभग 185 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पानी संरक्षित करने का अनुमान है।
  4. भारत सरकार सात राज्यों के 80 जल संकटग्रस्त जिलों में अटल भूजल योजना लागू कर रही है, जिसका मुख्य विषय समुदाय के नेतृत्व में भूजल संसाधनों का सतत प्रबंधन एवं मांग प्रबंधन है।
  5. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार ने वर्ष 2015-16 से देश में पर ड्रॉप मोर क्रॉप (पीडीएमसी) योजना लागू कर रहा है, जिसका उद्देश्य माइक्रो सिंचाई के माध्यम से खेत स्तर पर जल उपयोग दक्षता को बढ़ाने एवं उपलब्ध जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग हेतु बेहतर कृषि जल प्रबंधन पद्धतियों पर केंद्रित है। वर्ष 2015-16 से दिसंबर 2024 तक, पीडीएमसी योजना के माध्यम से देश में माइक्रो सिंचाई के अंतर्गत 94.36 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है।
  6. भारत सरकार ने मिशन अमृत सरोवर की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य देश के प्रत्येक जिले में कम से कम 75 जलाशयों का विकास एवं पुनरुद्धार करना है। इसके परिणामस्वरूप, देश में लगभग 69,000 अमृत सरोवरों का निर्माण/पुनरुद्धार किया जा चुका है।
  7. जल शक्ति मंत्रालय सतही जल एवं भूजल के संयुक्त उपयोग को बढ़ावा दे रहा है और भूजल पर निर्भरता कम करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से पीएमकेएसवाई-एआईबीपी योजना के अंतर्गत देश में सतही जल आधारित बड़ी एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाओं की शुरुआत की गई हैं।
  8. देश में भूजल विकास एवं प्रबंधन के नियमन एवं नियंत्रण के लिए जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) का गठन किया गया है। देश में भूजल के दोहन एवं उपयोग का नियमन सीजीडब्ल्यूए द्वारा उसके 24.09.2020 के दिशा-निर्देशों के प्रावधानों के अनुसार किया जाता है जो पूरे देश में लागू होते हैं।
  9. उपरोक्त प्रयासों को पूरा करने के लिए, कई राज्यों ने जल संरक्षण/संचयन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। उनमें से कुछ का उल्लेख निम्नलिखित है: राजस्थान में 'मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान', महाराष्ट्र में 'जलयुक्त शिवार', गुजरात में 'सुजलाम सुफलाम अभियान', तेलंगाना में 'मिशन काकतीय', आंध्र प्रदेश में नीरू चेट्टू', बिहार में जल जीवन हरियाली, हरियाणा में 'जल ही जीवन', तमिलनाडु में कुडिमरमठ योजना आदि।

केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) अपने भूजल गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम एवं विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों के भाग के रूप में क्षेत्रीय स्तर पर पूरे देश का भूजल गुणवत्ता डेटा तैयार करता है। कुल मिलाकर, भूजल गुणवत्ता के आंकड़े दर्शाते हैं कि देश में भूजल अभी भी बहुत हद तक पीने योग्य है। हालांकि, कुछ राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के कुछ छिटपुट इलाकों में पेयजल उपयोग के लिए निर्धारित सीमा से अधिक आर्सेनिक, फ्लोराइड, भारी धातुएं, नाइट्रेट आदि जैसे कुछ प्रदूषकों की स्थानीय उपस्थिति देखी गई है। पूरे देश में फैले 15,259 निगरानी स्थानों से भूजल नमूना एवं विश्लेषण डेटा के आधार पर सीजीडब्ल्यूबी की वार्षिक भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट 2024 के अनुसार प्रमुख प्रदूषकों का विवरण नीचे दिया गया है। जिला-वार वितरण एवं प्रवृत्तियों की जानकारी के लिए, वार्षिक भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट 2024 का संदर्भ लिया जा सकता है, जो सीजीडब्ल्यूबी की वेबसाइट पर उपलब्ध है और निम्नलिखित लिंक के माध्यम से वहां पहुंचा जा सकता है:

:https://cgwb.gov.in/cgwbpnm/public/uploads/documents/17363272771910393216file.pdf

यह जानकारी जलशक्ति राज्य मंत्री श्री राज भूषण चौधरी ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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(Release ID: 2152318)
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