जल शक्ति मंत्रालय
जल-संकटग्रस्त क्षेत्रों के लिए विशेष उपाय
Posted On:
04 AUG 2025 5:35PM by PIB Delhi
'जल' राज्य का विषय है, इसलिए राज्य ही पाइप जलापूर्ति के लिए योजना बनाते हैं, उन्हें स्वीकृत और कार्यान्वित करते हैं तथा जल संसाधनों के संवर्धन, संरक्षण और कुशल प्रबंधन के लिए कदम उठाते हैं। राज्य सरकारों के प्रयासों में सहायता के लिए, केंद्र सरकार विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से उन्हें तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
भारत सरकार, राज्यों के साथ साझेदारी में, अगस्त 2019 से जल जीवन मिशन (जेजेएम) को कार्यान्वित कर रही है, ताकि देश के प्रत्येक ग्रामीण घर में कार्यात्मक नल जल कनेक्शन के माध्यम से पीने योग्य नल जल की आपूर्ति उपलब्ध कराई जा सके, जिसमें पानी की कमी वाले और सूखा प्रभावित जिले भी शामिल हैं।
इसके अलावा, भारत सरकार जल संरक्षण, सतत जल प्रबंधन और देश भर में भूजल स्तर में सुधार के लिए अटल भूजल योजना, जल शक्ति अभियान: कैच द रेन (जेएसए: सीटीआर), प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई), त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी), जल निकायों की मरम्मत, नवीनीकरण और पुनरुद्धार (आरआरआर), नदियों को जोड़ना (आईएलआर), राष्ट्रीय जलभृत मानचित्रण (एनएक्यूआईएम) परियोजना, कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन (एएमआरयूटी 2.0) आदि जैसी कई अन्य योजनाएं लागू कर रही है।
जेजेएम के कार्यान्वयन के लिए परिचालन दिशानिर्देशों के अनुसार, पाइप जलापूर्ति योजनाओं की रूपरेखा बनाते समय, राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को देश के आकांक्षी जिलों और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में कार्यात्मक नल जल कनेक्शन प्रदान करने को प्राथमिकता देनी होगी।
जेजेएम आईएमआईएस पर राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 15 अगस्त 2019 तक, आकांक्षी जिलों में केवल 21.42 लाख (7.77%) ग्रामीण परिवारों के पास नल के पानी की आपूर्ति का प्रावधान था। तब से, जेजेएम के तहत लगभग 1.97 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण परिवारों को नल के पानी के कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। इस प्रकार, 29 जुलाई 2025 तक, आकांक्षी जिलों के 2.75 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 2.18 करोड़ (79.32%) से अधिक ग्रामीण परिवारों के पास नल के पानी की आपूर्ति है।
इसके अलावा, राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को धनराशि आवंटित करते समय, दुर्गम क्षेत्रों को 30% महत्व दिया गया है, जिसमें अन्य बातों के अलावा, मरुस्थल विकास कार्यक्रम (डीडीपी) और सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम (डीपीएपी) के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र शामिल हैं, ताकि पाइप जलापूर्ति योजनाओं के कार्यान्वयन को प्राथमिकता दी जा सके। इसके अतिरिक्त, पेयजल स्रोतों के विकास/ सुदृढ़ीकरण/ संवर्द्धन; और पानी की कमी वाले सूखा प्रवण और विश्वसनीय भूजल स्रोतों के बिना रेगिस्तानी क्षेत्रों में पानी के बड़े पैमाने पर हस्तांतरण, उपचार और वितरण प्रणालियों के लिए बुनियादी ढाँचे के अलावा, गाँवों में जल आपूर्ति बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिए प्रावधान किए गए हैं।
जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, एनएक्यूयूआईएम और कृत्रिम पुनर्भरण हेतु मास्टर प्लान (2020) जैसी पहल वर्षा जल संचयन संरचनाओं के कार्यान्वयन को प्रोत्साहित करती हैं। इसके अतिरिक्त, केंद्रीय भूजल प्राधिकरण भूजल उपयोग को नियंत्रित करता है और स्थायी जल प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में वर्षा जल संचयन को अनिवार्य बनाता है। इसके अलावा, सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को एक आदर्श विधेयक भेजा गया है ताकि वे अपने विकास के नियमन हेतु उपयुक्त भूजल कानून बना सकें, जिसमें वर्षा जल संचयन का प्रावधान भी शामिल है। अब तक, 21 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों ने भूजल कानून को अपनाया और लागू किया है।
इसके अलावा, जल शक्ति अभियान: कैच द रेन (जेएसए-सीटीआर) अभियान, जिसका उद्देश्य जन भागीदारी से जमीनी स्तर पर जल संरक्षण को प्रोत्साहित करना है, 2019 में देश के 256 जल संकटग्रस्त जिलों में शुरू किया गया था। इसके अलावा, विशेष रूप से पेयजल उपलब्धता के लिए सतत जल प्रबंधन के महत्व को स्वीकार करते हुए, जेएसए- सीटीआर को 2023 में "पेयजल के लिए स्रोत स्थिरता" थीम के साथ लागू किया गया था। इसी प्रकार, 2024 में, जेएसए को "नारी शक्ति से जल शक्ति" थीम के साथ लागू किया गया था और 2025 में, जेएसए को "जल संरक्षण के लिए जन कार्रवाई - गहन सामुदायिक जुड़ाव की ओर" थीम के साथ लागू किया जा रहा है, जिसमें जल संरक्षण के क्षेत्र में समुदाय, विशेषकर महिलाओं द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया गया है।
जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन हेतु परिचालन दिशानिर्देश विभिन्न योजनाओं जैसे मनरेगा, ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को 15वें वित्त आयोग से संबद्ध अनुदान, एकीकृत जलग्रहण प्रबंधन कार्यक्रम (आईडब्ल्यूएमपी), राज्य योजनाओं, जिला खनिज विकास निधि, सीएसआर निधि, सामुदायिक योगदान आदि से प्राप्त धनराशि के अभिसरण के माध्यम से वर्षा जल संचयन सहित संरक्षण कार्यों का प्रावधान करते हैं।
जल शक्ति राज्य मंत्री श्री वी. सोमन्ना ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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पीके/एके/केसी/जेएस/एसएस
(Release ID: 2152302)
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