मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
राष्ट्रीय गोकुल मिशन
Posted On:
30 JUL 2025 4:40PM by PIB Delhi
केंद्र सरकार देशी नस्लों के विकास एवं संरक्षण, गोजातीय जनसंख्या के आनुवंशिक उन्नयन और गोजातीय पशुओं के दुग्ध उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि हेतु राष्ट्रीय गोकुल मिशन लागू कर रही है। इसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा किए जा रहे प्रयासों के पूरक के रूप में लागू किया जा रहा है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन के कार्यान्वयन और पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा किए गए अन्य उपायों से देश में गोजातीय पशुओं की कुल उत्पादकता 2014-15 में प्रति पशु प्रति वर्ष 1640 किलो से बढ़कर 2023-24 में प्रति पशु प्रति वर्ष 2072 किलो हो गई है। इसमें 26.34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जो दुनिया के किसी भी देश द्वारा प्राप्त उत्पादकता में सर्वाधिक वृद्धि है। देशी और गैर-वर्णित मवेशियों की उत्पादकता 2014-15 में प्रति पशु प्रति वर्ष 927 किलो से बढ़कर 2023-24 में 1292 किलो प्रति पशु प्रति वर्ष हो गई है। इसमें 39.37 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भैंसों की उत्पादकता 2014-15 में प्रति पशु प्रति वर्ष 1880 किलो से बढ़कर 2023-24 में 2161 किलो प्रति पशु प्रति वर्ष हो गई है। इसमें 14.94 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। देश में दूध उत्पादन 2014-15 में 146.31 मिलियन टन से बढ़कर 2023-24 में 239.30 मिलियन टन हो गया है। इसमें पिछले 10 वर्षों में 63.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन का लक्ष्य 2030 तक प्रति पशु प्रति वर्ष 3000 किलो तक दुग्ध उत्पादकता प्राप्त करना है।
इस योजना के अंतर्गत निम्न प्रयास किए जा रहे हैं:
(i) 50 प्रतिशत से कम कृत्रिम गर्भाधान (एआई) कवरेज वाले ग्रामीण क्षेत्रों के जिलों में कृत्रिम गर्भाधान कवरेज बढ़ाने के लिए राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम लागू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत, उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों, इनमें देशी नस्ल के सांड भी शामिल हैं, के वीर्य का उपयोग करके गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान सेवाएँ किसानों के घर पर निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं। अब तक 9.16 करोड़ पशुओं को कवर किया जा चुका है, 14.12 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किए जा चुके हैं और 5.54 करोड़ किसान इस कार्यक्रम से लाभान्वित हुए हैं।
(ii) उच्च आनुवंशिक गुणता वाले सांडों के उत्पादन हेतु संतति परीक्षण और वंशावली चयन का कार्यान्वयन किया जा रहा है। इसमें गिर, साहीवाल, थारपारकर, कांकरेज, हरियाणा, राठी और गाओलाओ जैसी देशी नस्लों के सांड और मुर्रा, मेहसाणा, जाफराबादी, पंढरपुरी, नीली रावी जैसी भैंसों की नस्लें शामिल हैं। आज तक देशी नस्लों के 4343 उच्च आनुवंशिक गुणता वाले सांडों का उत्पादन किया जा चुका है और उन्हें वीर्य उत्पादन के लिए वीर्य केंद्रों को उपलब्ध कराया गया है।
(iii) देशी नस्लों के मवेशियों और भैंसों सहित गोजातीय आबादी के तीव्र आनुवंशिक उन्नयन के लिए आईवीएफ तकनीक और लिंग-विभेदित वीर्य का उपयोग करके त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम कार्यान्वित किया जा रहा है।
(iv) देशी नस्लों के मवेशियों और भैंसों के आनुवंशिक सुधार में तेजी लाने के लिए जीनोमिक चयन का कार्यान्वयन किया जा रहा है।
(v) प्रशिक्षित कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों और सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए - ग्रामीण भारत में बहुउद्देशीय कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों को किसानों के घर-द्वार पर गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान सेवाएँ प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित और सुसज्जित किया जा रहा है। अब तक 38,736 लोगों को प्रशिक्षित और सुसज्जित किया जा चुका है।
यह जानकारी केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने 30 जुलाई, 2025 को राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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पीके/ एके / केसी/ एसके
(Release ID: 2150341)