ग्रामीण विकास मंत्रालय
डीएवाई- एनआरएलएम ने खाद्य, पोषण, स्वास्थ्य और वाश सम्बंधी स्वयं सहायता समूहों के प्रयासों को मजबूत करने के लिए रांची में दो दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन किया
Posted On:
25 JUL 2025 5:16PM by PIB Delhi
ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) ने झारखंड राज्य आजीविका संवर्धन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) के सहयोग से रांची में "संगठन, स्वास्थ्य, समृद्धि: खाद्य, पोषण, स्वास्थ्य और वाश (एफएनएचडब्ल्यू) पर महिला सामूहिक कार्रवाई" विषय पर 22 से 23 जुलाई 2025 तक दो दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन किया । कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के नेतृत्व में एफएनएचडब्ल्यू सम्बंधी प्रयासों को मज़बूत करना, राज्यों के बीच पारस्परिक शिक्षा और संबंधित विभागों एवं विकास एजेंसियों के साथ साझेदारी को बढ़ावा देना था।
कार्यशाला की शोभा श्रीमती दीपिका पांडे सिंह, माननीय ग्रामीण विकास मंत्री, झारखंड, श्री एनएन सिन्हा, पूर्व सचिव, ग्रामीण विकास मंत्रालय, श्रीमती। स्मृति शरण, संयुक्त सचिव, एमओआरडी, डॉ. मोनिका, उप सचिव, एमओआरडी, श्री के. श्रीनिवासन, सचिव, आरडीडी, झारखंड, श्री अनन्या मित्तल, सीईओ, झारखंड एसआरएलएम और श्रीमती हर्षिका सिंह, सीईओ, मध्य प्रदेश एसआरएलएम ने बढ़ाई। कार्यशाला में 14 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों झारखंड, उत्तर प्रदेश बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर, लद्दाख के वरिष्ठ अधिकारियों, एफएनएचडब्ल्यू राज्य प्रभारियों और सामुदायिक कैडरों ने भाग लिया।
पहले दिन, क्षेत्रीय भ्रमण का आयोजन किया गया, जहां सामुदायिक कार्यकर्ताओं ने योजना प्रक्रिया, सहकर्मी शिक्षण, सामुदायिक निगरानी और फेडरेशन के नेताओं, सामुदायिक कार्यकर्ताओं, ब्लॉक अधिकारियों और संबंधित विभागों के अग्रिम पंक्ति कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत सहित प्रमुख एफएनएचडब्ल्यू प्रयासों का प्रदर्शन किया।
दूसरे दिन उद्घाटन सत्र आयोजित किया गया। इस अवसर पर, झारखंड सरकार की ग्रामीण विकास मंत्री, श्रीमती दीपिका पांडे सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य ही धन है और स्वास्थ्य संबंधी एक भी समस्या परिवार की आर्थिक स्थिरता को बिगाड़ सकती है। उन्होंने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की भूमिका की सराहना की और अन्य स्वास्थ्य एवं कल्याण संबंधी मुद्दों के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के पूर्व सचिव, श्री एन.एन. सिन्हा ने मुख्य भाषण में ज़ोर दिया कि स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) जमीनी स्तर पर बदलाव लाने में उत्प्रेरक की भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने एफएनएचडब्ल्यू में निवेश बढ़ाने का आह्वान किया और बेहतर स्वास्थ्य परिणामों और उत्पादकता के लिए निवारक दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया। श्रीमती स्मृति शरण ने एसआरएलएम के प्रयासों और सामुदायिक कार्यकर्ताओं के समर्पण की सराहना की और निरंतर प्रयासों, अधिक अभिसरण और विसर्जन स्थलों के विकास पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग के सचिव श्री के. श्रीनिवासन ने इस बात पर ज़ोर दिया कि विकसित भारत का निर्माण विकसित ज़िलों, विकसित गाँवों और विकसित परिवारों से शुरू होना चाहिए। भारत सरकार के ग्रामीण विकास विभाग की उप सचिव डॉ. मोनिका ने FNHW के राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य, प्रगति और रोडमैप पर प्रकाश डाला। मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की सीईओ श्रीमती हर्षिका सिंह ने उच्च बोझ वाले क्षेत्रों के लिए क्षेत्र-विशिष्ट प्रशिक्षण और लक्षित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। श्री अनन्या मित्तल ने बहुआयामी गरीबी से निपटने के लिए स्वास्थ्य को आजीविका से जोड़ने वाली झारखंड की एकीकृत FNHW रणनीति पर प्रकाश डाला। कार्यशाला में मध्य प्रदेश द्वारा विकसित एक स्वास्थ्य और पोषण टूलकिट का भी शुभारंभ किया गया।
दो पैनल चर्चाओं में इस बात पर चर्चा की गई कि स्वास्थ्य, पोषण और समुदाय-आधारित कार्रवाई महिला सशक्तिकरण और गरीबी उन्मूलन में कैसे महत्वपूर्ण हैं। झारखंड के महिला एवं बाल विकास और पंचायती राज विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्वयं सहायता समूहों के साथ काम करने के अपने अनुभव साझा किए और समुदाय को जागरूक और संगठित करने में उनकी भूमिका को मान्यता दी। दूसरी पैनल चर्चा में, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड और गुजरात के राज्य नोडल अधिकारियों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि बहुआयामी गरीबी को दूर करने में महिला एवं बाल स्वास्थ्य सेवा (एफएनएचड्ब्लयू) के हस्तक्षेप प्रभावी हैं। उन्होंने चुनौतियों पर भी चर्चा की और वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए वास्तविक समय निगरानी, सामुदायिक संस्थाओं के क्षमता निर्माण और कुशल कर्मचारियों के लिए मज़बूत प्रणाली की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों ने अपने अनुभवों और अपने तथा अन्य सदस्यों के जीवन में बदलाव लाने की यात्रा साझा की, जिससे स्पष्ट सुधार हुए और जमीनी स्तर पर महिलाओं के नेतृत्व वाली कार्रवाई का प्रभाव प्रदर्शित हुआ। वृद्धों की देखभाल पर एक सत्र में भारत की तेज़ी से वृद्ध होती ग्रामीण आबादी और इस उभरती स्थिति से निपटने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। हेल्पएज इंडिया ने वृद्धों के लिए स्वयं सहायता समूहों, मोबाइल स्वास्थ्य इकाइयों और टेलीमेडिसिन का उपयोग करते हुए एक समुदाय-नेतृत्व वाले पिरामिड मॉडल को प्रस्तुत किया ताकि आयु-विशिष्ट, सम्मानजनक देखभाल और समावेशन सुनिश्चित किया जा सके।
****
एमजी/एके/केसी/एनकेएस
(Release ID: 2148509)