विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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संसद प्रश्न: विज्ञान धारा योजना के अंतर्गत बुनियादी ढांचे का विकास

Posted On: 23 JUL 2025 3:24PM by PIB Delhi

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग देश भर में केन्द्रीय क्षेत्र योजना के रूप में विज्ञान धारा का क्रियान्वयन करता है। वैज्ञानिक बुनियादी ढांचे को सशक्त करने के उद्देश्य से यह योजना प्रतिस्पर्धी आधार पर विभिन्न घटकों में सहायता प्रदान करती है, जैसे कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए कोष (एफआईएसटी), विश्वविद्यालय अनुसंधान व वैज्ञानिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देना (पीयूआरएसई), परिष्कृत विश्लेषणात्मक उपकरण सुविधाएं (एसएआईएफ), परिष्कृत विश्लेषणात्मक तथा तकनीकी सहायता संस्थान (एसएटीएचआई) और नवाचार एवं उत्कृष्टता हेतु विश्वविद्यालय अनुसंधान का समेकन (सीयूआरआईई)। इन घटकों के माध्यम से, आंध्र प्रदेश राज्य सहित विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वैज्ञानिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कई परियोजनाओं को बढ़ावा दिया गया है।

विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विज्ञान धारा के अंतर्गत वैज्ञानिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए प्रदान की गई सहायता का विवरण:

घटक का नाम / कार्यक्रम

आवंटित धनराशि (करोड़ में)

सहायता प्राप्त परियोजनाओं की संख्या

राज्य/केंद्र शासित प्रदेश

सहायता प्राप्त विभागों/संस्थानों की संख्या

सहायता प्राप्त वैज्ञानिक अवसंरचना सुविधाओं की संख्या

फिस्ट

31.71

27

असम, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल।

27

86

पर्स

65.66

13

आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, महाराष्ट्र, नई दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तराखंड।

13

81

सैफ

10.00

5

चंडीगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश।

5

8

साथी

76.86

4

राजस्थान, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल।

4

71

क्यूरी

1.00

3

आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु

3

23

 

आंध्र प्रदेश में वैज्ञानिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए प्रदान की गई सहायता का विवरण:

घटक का नाम / कार्यक्रम

आवंटित धनराशि (करोड़ में)

सहायता प्राप्त परियोजनाओं की संख्या

संस्था का नाम और पता

सहायता प्राप्त वैज्ञानिक अवसंरचना सुविधाओं का विवरण

पर्स

3.45

1

कोनेरू लक्ष्मैया एजुकेशन फाउंडेशन (मानित विश्वविद्यालय),

गुंटूर (जिला).

परमाणु बल माइक्रोस्कोप, ईएम स्कैनर और ईएमआई/ईएमसी टेस्ट बेंच, स्पिन कोटर के साथ ग्लव बॉक्स, आरएफ स्पटरिंग, प्रोटोटाइप मशीन, उच्च परिशुद्धता इंकजेट प्रिंटर, विद्युत चुम्बकीय सिमुलेशन उपकरण और सुरक्षा बुनियादी ढांचा

क्यूरी

0.42

1

श्री वेंकटेश्वर कॉलेज ऑफ नर्सिंग आरवीएस नगर, तिरुपति

2डी अल्ट्रासाउंड मशीन, एबीजी मशीन, अम्बू बैग रिससिटेटर, कार्डियक मॉनिटर, डिफिब्रिलेटर, यूएसजी मैमोग्राम, इन्फ्यूजन पंप, नवजात शिशु इनक्यूबेटर, ईसीजी मशीन, वेंटिलेटर

 

विज्ञान धारा योजना के अंतर्गत, नवाचारों के विकास और उपयोग के लिए राष्ट्रीय पहल - समावेशी प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटर (एनआईडीएचआई-आईटीबीआई) कार्यक्रम प्रोटोटाइपिंग प्रयोगशालाओं व संबंधित सुविधाओं सहित आवश्यक बुनियादी ढांचा प्रदान करके नवप्रवर्तकों तथा स्टार्टअप्स को सक्रिय रूप से सहायता दे रहा है। इस पहल के तहत, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने असम के एनआईटी सिलचर और त्रिपुरा के एनआईटी अगरतला में निधि-आईटीबीआई की स्थापना की है। इसके अतिरिक्त, प्रौद्योगिकी, अनुवाद और नवाचार (टीटीआई) प्रभाग के कार्यक्रम के अंतर्गत, महाराष्ट्र के वीएनआईटी नागपुर तथा पंजाब के चितकारा विश्वविद्यालय में कृषि अवशेष प्रबंधन पर केंद्रित दो उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए गए हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) वैज्ञानिक बुनियादी ढांचे के संतुलित क्षेत्रीय वितरण को बढ़ावा देने के लिए अपने बुनियादी ढांचे के विकास कार्यक्रमों के माध्यम से विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में आईआईटी, एनआईटी, एम्स, आईआईएसईआर तथा आईआईएससी के साथ-साथ राज्य विश्वविद्यालयों, स्नातकोत्तर कॉलेजों एवं निजी शैक्षणिक संस्थानों सहित केंद्र द्वारा वित्त पोषित संस्थानों की एक विस्तृत श्रृंखला को सहायता प्रदान करता है। चयन प्रक्रिया को समावेशी बनाया गया है, जिसमें क्षेत्रीय समानता सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया गया है।  इस उद्देश्य के अनुरूप, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने 2022 में पर्स पहल के अंतर्गत एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया ताकि पूर्वोत्तर, जम्मू - कश्मीर व कई मध्य एवं पूर्वी राज्यों जैसे कम प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों को विशेष रूप से सहायता प्रदान की जा सके। इसका उद्देश्य इन क्षेत्रों के विश्वविद्यालयों द्वारा वैज्ञानिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है। राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता को बनाए रखते हुए वंचित क्षेत्रों को लक्षित करने वाला यह दोहरा दृष्टिकोण देश भर में समावेशी व संतुलित वैज्ञानिक विकास को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

यह जानकारी आज लोक सभा में एक लिखित उत्तर में आज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दी।

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एमजी/केसी/एनके/एसएस

 


(Release ID: 2147451)
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