मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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तटीय क्षेत्रों में समुद्री शैवाल का विकास

Posted On: 22 JUL 2025 4:48PM by PIB Delhi

11,099 किलोमीटर लंबे अनुकूल परिस्थितियों वाले भारतीय समुद्र तट में समुद्री शैवाल की खेती की अपार संभावनाएं हैं। अनुसंधान संस्थानों ने भारत के समुद्र तट पर 24,707 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले 384 स्थलों की पहचान की है जो समुद्री शैवाल की खेती के लिए उपयुक्त है। समुद्री शैवाल की खेती और उससे संबंधित गतिविधियों का विषय मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार को कार्य आवंटन नियमों (AoBR) के अंतर्गत आवंटित किया गया है। मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार एक प्रमुख योजना, प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) का कार्यान्वयन कर रहा है और समुद्री शैवाल की खेती, PMMSY के अंतर्गत चिन्हित प्राथमिकता वाली गतिविधियों में से एक है ताकि मछुआरों और तटीय समुदायों को रोजगार सृजन और आय के अतिरिक्त स्रोत की सहायता मिल सके। PMMSY में अन्य  बातों के साथ-साथ समुद्री शैवाल की खेती और उससे संबंधित गतिविधियों के लिए सहायता की परिकल्पना की गई है, जो तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यान्वयन के अधीन हैं। PMMSY के अंतर्गत, विगत 5 वर्षों (2020-25) के दौरान 195 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिसमें तमिलनाडु में एक सीवीड पार्क (127 करोड़ रुपए) की स्थापना भी शामिल है। इसके अलावा, लाभार्थियों को राफ्ट और मोनोलाइन/ट्यूबनेट की स्थापना, सीवीड सीडबैंक की स्थापना, पूर्व-व्यवहार्यता  मूल्यांकन अध्ययन, जागरूकता सृजन, प्रशिक्षण और विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में क्षमता निर्माण कार्यक्रमों आदि के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा, लक्षद्वीप को सीवीड क्लस्टर के रूप में अधिसूचित किया गया है, और ICAR-सेंट्रल मरीन फिशरीस रिसर्च इंस्टीट्यूट  (CMFRI) के मंडपम क्षेत्रीय केंद्र को सीवीड खेती और अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सलेन्स) के रूप में अधिसूचित किया गया है। इसके बाद, विभाग द्वारा सीवीड जर्मप्लाज्म के आयात हेतु दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। इसके अलावा, नीति आयोग ने इस क्षेत्र के विकास के लिए एक सीवीड नीति रिपोर्ट भी जारी की है। देश में इस महत्वपूर्ण क्षेत्र के समन्वित विकास के लिए मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार द्वारा एक अंतर-मंत्रालयी समिति (IMC) और समुद्री शैवाल विकास पर तकनीकी सलाहकार समिति (TAC) के रूप में एक संस्थागत तंत्र स्थापित किया गया है। इन पहलों के परिणामस्वरूप, समुद्री शैवाल उत्पादन 2015 में 18,890 टन से बढ़कर 2024 में 74,083 टन हो गया है।

विगत 5 वर्षों के दौरान, PMMSY के अंतर्गत, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने गुजरात राज्य सरकार को 897.54 करोड़ रुपए के  मात्स्यिकी विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इसमें राज्य के अनुरोध के अनुसार समुद्री शैवाल की खेती के लिए मोनोलाइन/ट्यूबनेट की स्थापना शामिल है। इसके अलावा, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने राज्य मत्स्यपालन विभाग, CSIR-सेंट्रल साल्ट एंड मरीन केमिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (CSMCRI), ICAR-सेंट्रल मरीन फिशरीस रिसर्च इंस्टीट्यूट  (CMFRI) और सीमा सुरक्षा बल (BSF), स्थानीय मछुआरों, तटीय समुदायों सहित अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के सक्रिय सहयोग से गुजरात के कच्छ जिले के खाड़ी क्षेत्रों में समुद्री शैवाल की खेती भी शुरू की है। कोरी क्रीक क्षेत्रों में समुद्री शैवाल की खेती के लिए  व्यवहार्यता अध्ययन शुरू करने और स्थानीय मछुआरों, तटीय समुदायों को जागरूकता और प्रशिक्षण प्रदान  करने के लिए मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने 03 परियोजनाओं को भी मंजूरी दी है, अर्थात् (i) CSMCRI (53 लाख रुपए), (ii) CMFRI (95 लाख रुपए) और (ii) मेसर्स टीसीएस पर्पल टर्टल प्राइवेट लिमिटेड (68 लाख रुपए) ।  5 जून, 2023 को कच्छ की खाड़ी के क्रीक क्षेत्रों में लक्की गाँव में समुद्री शैवाल संवर्धन पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें आसपास के 10 गाँवों (लखपत, नारायण सरोवर, लक्की, मेडी, रोडसर, पाइपर, मालेरासी, गुनाऊ, जखाऊ, आशिरावंद) के 250 ग्रामीणों ने भाग लिया। इसके बाद, 27 जनवरी, 2024 को कोरी क्रीक, गुजरात में समुद्री शैवाल पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें लगभग 450 समुद्री शैवाल किसानों, वैज्ञानिकों, विभागों/मंत्रालयों के प्रतिनिधियों,  गुजरात सरकार और अन्य तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। ICAR-CMFRI ने समुद्री शैवाल खेती प्रौद्योगिकियों में अच्छे प्रबंधन प्रथाओं (GMPs) को लागू करने पर मंडपम और तूतीकोरिन, तमिलनाडु में 23.01.2024 से 15.02.2024 तक स्थानीय (कोरी क्रीक, गुजरात) लोगों के पहले बैच का एक विशिष्ट मास्टर ट्रेनर विकास कार्यक्रम आयोजित किया।

गुजरात सरकार ने बताया है कि राज्य सरकार के पास 2018 से समुद्री शैवाल की खेती के लिए एक योजना भी है और वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान, राज्य में मारकेट लिंकजेस को मज़बूत करने के लिए इस योजना के अंतर्गत एक समुद्री शैवाल बैंक और समुद्री शैवाल प्रसंस्करण इकाई को भी मंज़ूरी दी गई है। गुजरात सरकार, विशेष रूप से विकसित गुजरात फंड  के अंतर्गत समुद्री शैवाल आधारित गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए, गुजरात में स्थाई समुद्री कृषि विकास हेतु GIS-संचालित स्पेशियल ज़ोनेशन और से स्पेस गोवेरनेंस फ्रेमवर्क  पर ICAR-CMFRI के साथ सहयोग कर रही है। इसके अलावा, गुजरात सरकार ने कामधेनु विश्वविद्यालय, गांधीनगर-गुजरात को "समुद्री शैवाल अनुसंधान और उपयोग में उत्कृष्टता केंद्र" के रूप में मंज़ूरी दी है।

यह जानकारी मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री, श्री जॉर्ज कुरियन ने २२ जुलाई २०२५ को लोक सभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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