संस्‍कृति मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

भारतीय सांस्कृतिक विरासत को प्रोत्साहन

Posted On: 21 JUL 2025 4:56PM by PIB Delhi

2021 से, संस्कृति मंत्रालय ने विदेशों में भारतीय कला और संस्कृति के प्रसार के लिए 41 देशों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों (सीईपी) पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत और अन्य देशों के बीच अंतर-सांस्कृतिक संबंधों को विकसित और प्रोत्साहित करने के लिए संगीत, नृत्य, रंगमंच, संग्रहालयों और विज्ञान संग्रहालयों, पुस्तकालयों, अभिलेखागारों, ऐतिहासिक स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण, साहित्य, अनुसंधान और प्रलेखन, उत्सव, नृविज्ञान आदि जैसे कला और संस्कृति के विभिन्न क्षेत्रों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके अलावा, भारत महोत्सव का आयोजन अन्य देशों में भी किया जाता है, जिनमें से सबसे हालिया मार्च, 2023 में कुवैत और जुलाई, 2023 में फ्रांस में आयोजित किया गया है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने संरक्षित स्मारकों और क्षेत्रों के रखरखाव और संरक्षण हेतु कई उपाय किए हैं। संरक्षण की स्थिति और आवश्यकताओं का आकलन करने के लिए संरक्षित स्मारकों और क्षेत्रों का समय-समय पर निरीक्षण किया जाता है। राष्ट्रीय संरक्षण नीति के अनुसार, आवश्यकतानुसार और संसाधनों की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए स्मारकों का संरक्षण किया जाता है। इसके अतिरिक्त, एएसआई डिजिटल अभिलेखों और स्थिति मानचित्रण के माध्यम से स्मारकों के दस्तावेज़ीकरण में सुधार कर रहा है।

एक भारत श्रेष्ठ भारत (ईबीएसबी) के अंतर्गत युवा संगम और काशी तमिल संगम (केटीएस) नामक दो कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।

युवा संगम के अंतर्गत दो राज्यों के युवाओं के सांस्कृतिक-सह-शैक्षणिक आदान-प्रदान दौरे आयोजित किए जाते हैं, जबकि काशी तमिल संगम के अंतर्गत दो प्राचीन शिक्षण केन्द्रों अर्थात काशी और तमिलनाडु के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों (ज़ेड सी सी) ने अक्टूबर 2024 से मार्च 2025 तक सभी सात सांस्कृतिक क्षेत्रों में संभागीय स्तर पर विलुप्त लोक एवं जनजातीय कला उत्थान महोत्सव का आयोजन किया। यह महोत्सव वस्त्र मंत्रालय, राज्य सरकारों और शैक्षणिक संस्थानों के संयुक्त प्रयासों से आयोजित किया गया। इसमें हर हफ्ते 15-21 दिनों की गहन कार्यशालाएँ आयोजित की गईं। इन कार्यशालाओं में गहन प्रशिक्षण और पारंपरिक कला रूपों से परिचय कराया गया, जिससे देश के विविध कला रूपों को पुनर्जीवित और जीवंत रखने के लिए एक जीवंत मंच तैयार हुआ।

सरकार ने स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को सम्मानित करने के लिए समर्पित डिजिटल अभिलेखागार स्थापित किए हैं। उल्लेखनीय है कि आज़ादी का अमृत महोत्सव वेबसाइट पर इतिहास कोना — जिसे अब अमृत काल (https://amritkaal.nic.in/) में परिवर्तित कर दिया गया है — मुख्यतः आज़ादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत 'स्वतंत्रता संग्राम' विषय पर केंद्रित है। यह खंड गुमनाम नायकों, स्वतंत्रता आंदोलनों, महत्वपूर्ण पड़ावों और बलिदानों की जीवंत कहानियों को प्रस्तुत करता है जिन्होंने हमारी स्वतंत्रता की यात्रा को आकार दिया। इसे आठ उप-खंडों में विभाजित किया गया है :

1. डिजिटल ज़िला संग्रह - भारत के स्वतंत्रता संग्राम का ज़िलावार विवरण चार श्रेणियों में: व्यक्ति और व्यक्तित्व, घटनाएँ और घटनाक्रम, छिपे हुए खजाने (निर्मित और प्राकृतिक विरासत) और जीवंत परंपराएँ और कला रूप।

2. गुमनाम नायक - उन विस्मृत स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि जिन्हें अक्सर भुला दिया जाता है।

3. जन योगदान पोर्टल - नागरिक यहाँ कहानियाँ साझा कर सकते हैं।

4. स्वतंत्रता स्वर - प्रतिबंधित क्रांतिकारी साहित्य, जिसमें 11 भाषाओं में क्रांतिकारी कविताओं की 509 डिजिटल फ़ाइलें और प्रमुख हस्तियों द्वारा कविता पाठ शामिल हैं।

5. स्वतंत्रता आंदोलन पर पॉडकास्ट।

6. राज्यगीत - राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की मधुर पहचान।

7. स्वतंत्रता कोना - भारत के संघर्ष की कहानियाँ।

8. प्रदर्शनियाँ - विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस और एकता महोत्सव जैसे आयोजनों की स्मृति में।

साथ मिलकर, ये पहल उन कहानियों को संरक्षित, डिजिटाइज़ और साझा करती हैं जो कभी बिखरी हुई या छिपी हुई थीं, जिससे वे जनता, शोधकर्ताओं और विद्वानों के लिए स्वतंत्र रूप से सुलभ हो जाती हैं।

इसके अलावा, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने दिल्ली के लाल किले में 'आजादी के दीवाने' नाम से एक संग्रहालय स्थापित किया है जो पूरी तरह से स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों को सम्मानित करने के लिए समर्पित है।

यह जानकारी केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

 

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